बालोतरा जिला दर्शन – राजस्थान | Balotra District | History of Balotra
बालोतरा जिला दर्शन :- राजस्थान में स्थित, बालोतरा जिला (बाड़मेर जिला) संस्कृति, विरासत और प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। अपने समृद्ध इतिहास, जीवंत परंपराओं और सुरम्य परिदृश्यों के साथ, यह प्रामाणिक राजस्थानी रोमांच की तलाश करने वाले यात्रियों के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। इस गाइड में, हम बालोतरा जिले की आपकी यात्रा को अविस्मरणीय बनाने के लिए मनमोहक आकर्षणों, भौगोलिक स्थिति, राजनीति परिदृश्य, इतिहास आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
बालोतरा जिला सदियों पुरानी प्राचीन सभ्यताओं के निशान के साथ इतिहास में डूबा हुआ है। ऐतिहासिक बाड़मेर किले से अपनी सांस्कृतिक खोज शुरू करें, यह एक शानदार संरचना है जो क्षेत्र की वास्तुकला कौशल के प्रमाण के रूप में खड़ी है।
बालोतरा जिला बाङमेर से पृथक होकर नया जिला बना है । इस जिले के बनने की घोषणा 17 मार्च 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की थी। बालोतरा जिले का उद्घाटन 15 अगस्त 2023 को हेमाराम चौधरी के द्वारा किया गया। इस जिले को 7 तहसीले तथा चार उपखण्डों को मिलाकर किया गया है । यह जिला लूनी नदी के किनारे बसा हुआ शहर है। इस जिले का सम्पूर्ण क्षेत्रफल 19,000 वर्ग किलोमीटर है। यह जिला जोधपुर संभाग के अन्दर आता है।
देश | भारत 🇮🇳 |
राज्य | राजस्थान |
जिला | बालोतरा |
संभाग | जोधपुर |
तहसीलें | 7 |
उपखण्ड | 4 |
भाषा | राजस्थानी व हिंदी |
विधानसभा सीट | पंचपदरा, बायतु व सिवाना |
जलवायु | अर्ध्दशुष्क |
सीमावर्ती जिले | 6 |
बालोतरा जिले की तहसीलें
बालोतरा जिले को 7 तहसीलों व 4 उपखण्डों को जोड़कर 17 मार्च 2023 में नया जिला बनाया गया था।
- गीङा
- बायतु
- पंचपद्रा
- कल्याणपुरा
- सिवाणा
- सिणधरी
बालौतर जिले के उपखंड
- बालौतरा
- सिणधरी
- बायतु
- सिवाणा
बालोतरा जिले के सीमावर्ती जिले
बालोतरा जिले के साथ सीमा बनाने वाले राजस्थान के कुल 6 जिले आते हैं। ये निम्न प्रकार है –
- जोधपुर ग्रामीण
- पाली
- बाङमेर
- जैसलमेर
- संचौर
- जालौर
बालोतरा जिले की नदियां
लुनी नदी:- बालोतरा जिले मुख्यालय इसी नदी के किनारे स्थित है। यह नदी अजमेर जिले से निकलती है, जो राजस्थान के 7 जिलों में प्रवाहित होती है।
- लूनी नदी राजस्थान के अजमेर, नागौर, ब्यावर, जोधपुर, बाड़मेर, बालोतरा व सांचौर में बहती है।
- इस जिले की प्रमुख नदी हैं।
विशेष:- लूनी नदी का पानी बालोतरा तक मीठा और उसके बाद इसका पानी खारा हो जाता है। जिसका प्रमुख कारण मिट्टी में लवणियता अधिक होने से है।
- सुकड़ी नदी – यह लूनी की सहायक नदी है। जो अन्त प्रवाह की सबसे बड़ी नदी है,इस जिले की।
- लूनी नदी के किनारे बालोतरा जिले में तिलवाड़ा सभ्यता बची हुई है।
बालोतरा जिले की झिलें
पंचपदरा झील :- पचपदरा झील राजस्थान की एक खारे पानी की झील है जो राज्य के बालोतरा ज़िला ज़िले के पचपदरा तहसील में स्थित है।
- पचपदरा झील देश की सबसे खारे पानी की झील है।
- पचपदरा झील बालोतरा जिले के पास पचपदरा (पचभद्रा) नामक स्थान पर स्थित है।
- इसका निर्माण पंचा भील ने करवाया था।
- खारवाल जाति के लोग मोरली झाड़ी की टहनियाँ का उपयोग नमक के स्फटिक बनाने में करते हैं।
- उत्तम किस्म का नमक तैयार होता है जिसमें 98 प्रतिशत तक सोडियम क्लोराइड (NaCl) की मात्रा पाई जाती है।
- इस नमक का उपयोग सर्वाधिक खाने के लिए किया जाता है।
पचपदरा रिफाइनरी
श्रीमती सोनिया गांधी ने 22 सितम्बर 2013 को पचपदरा के साजियावाली गाँव में रिफाईनरी का शिलान्यास किया था। इस रिफाइनरी का निर्माण हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) और राजस्थान सरकार द्वारा किया जा रहा है।
- 16 जनवरी 2018 को शुभारंभ हुआ।
- यह भारत की 26वीं रिफाइनरी है।
- HPCl और राजस्थान सरकार के बीच 17 अगस्त 2017 में 74:26 का समझौता हुआ था।
- इस रिफाइनरी से प्रतिवर्ष 9 मिलियन मैट्रिक का उत्पादन होगा।
विशेष :- सर्वप्रथम भारत में रिफाइनरी की स्थापना सन् 1901 में डिग्बोई में की गई थी।
उद्योग
बालोतरा में कपड़ा उद्योग प्रमुख उद्योग है। यह शहर कपास और पॉलिएस्टर कपड़ों की रंगाई और छपाई के लिए भी जाना जाता है। बालोतरा को ‘वस्त्र नगरी’ के नाम से भी जाना जाता है । यह शहर हाथ ब्लॉक प्रिंटिंग और कपड़ा उद्योग के लिए भी जाना जाता है
- बालोतरा रंगाई और छपाई के लिए प्रसिद्ध है।
- अजरक प्रिंट – बालोतरा
- मलीर प्रिंट – बालोतरा
प्रमुख फसलें
बालोतरा जिले क्षेत्र उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें
- बाजरा
- तिल
- मीरा
- मोंठ
- मुंग
- जीरा
विशेष:- बालोतरा जिले के आसपास क्षेत्रों में बाजरा की फसल सबसे अधिक होती है।
प्रमुख मंदिर
बालोतरा नाकोड़ा (मेवानगर) पार्श्वनाथ मंदिर है, इस मंदिर में तेबीसवें जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजित है। भक्तों द्वारा इन्हें ‘हाथ का हजूर’ एवं ‘जागती जोत’ भी कहा जाता है। एक किंवदंति के अनुसार यह प्रतिमा जिनदत्त नामक जैन श्रावक को सिणधरी गाँव के तालाब से प्राप्त हुई थी और आचार्य श्री उदयसागर जी के द्वारा इसकी प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी।
- स्थापना:- 1511 में आचार्य कीर्तिरतन सूरी नाकोड़ा भैरव की की स्थापना।
- इस मंदिर के पास रणछोड़ जी, भगवान शिव और हनुमान का प्रसिद्ध मंदिर है।
रानी भटियानी माता मंदिर जसोल (बालोतरा)
बालोतरा में माता भटियानी का अति प्राचीन मंदिर बना हुआ। यहां हर सालों लाखों श्रद्धालु देवी दर्शन करने आते हैं।
ब्रह्मा मंदिर : आसोतरा – बालोतरा
आसोतरा एक गांव है जहां विश्व का दूसरा ब्रह्मा मन्दिर बना हुआ है। जिनका निर्माण ब्रह्मऋषि संत खेतारामजी महाराज ने करवाया था। यह भारत का दूसरा ब्रह्मा मंदिर है।
विशेष:- विश्व का प्रथम ब्रह्मा मंदिर पुष्कर (राजस्थान) में बना हुआ है।
रणछोड़ राय जी मन्दिर खेड़
यह वैष्णव सम्प्रदाय का तीर्थ स्थल है । लूनी नदी के किनारे स्थित श्री रणछोड़ राय जी का मंदिर है ।
रूपा दे मंदिर – पालिया गाँव (बालोतरा )
- यह लूनी नदी के किनारे।
- इन्हें बरसात की लोक देवी कहा जाता है।
प्रमुख मेले और उत्सव
मल्लीनाथ पशु मेला
- यह मेला तिलवाङा (बालोतरा) में स्थित है।
- यह मेला वीर योद्धा रावल मल्लीनाथ की स्मृति में आयोजित होता है।
- इस मेले का संचालन पशुपालन विभाग करवाता है।
- यह मेला चैत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक भरता है।
- यह राजस्थान का सबसे प्राचीनतम पशुमेला है। जो लूनी नदी के किनारे पर लगता है।
- यह पशु मेला गाय की थारपारकर नस्ल के लिए प्रसिद्ध है।
- यह मेला मालानी नस्ल के घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है।
- इस मेले में ऊंट,गाय, बैल, घोड़ों का क्रय-विक्रय होता है।
सिवाणा दुर्ग – बालोतरा
बालोतरा के छप्पन का पहाड़ी नामक पर्वतीय क्षेत्र में स्थित सिवाणा दुर्ग का इतिहास प्रसिद्ध है। इसे दुर्ग को ‘अणखलों सिवाणों’ दुर्ग भी कहते हैं। यह सिवाना तहसील में स्थित है। यह एक ऊंची हल्देश्वर की पहाड़ी पर बसा हुआ है। यह राजस्थान के दुर्गों में से सबसे में सबसे पुराना दुर्ग है। इस पर कूमट नामक झाड़ी बहुतायत में मिलती थी जिससे इसे ‘कूमट दुर्ग’ भी कहते हैं। प्राचीन काल में इस तक पहुँचने का मार्ग अत्यंत दुर्गम था। अल्लाउद्दीन खिलजी के काल में यह दुर्ग जालौर के राजा कान्हड़दे के भतीजे सातलदेव के अधिकार में था।
- यह गिरी दुर्ग की श्रेणी में आता है।
- वीर नारायण पंवार ने 946 ईस्वी में निर्माण करवाया था।
- इसी दुर्ग में अजीत सिंह का दरवाजा है।
- इसके पास भांडेराव तालाब है।
- यह हल्देश्वर पहाड़ी पर स्थित है।
- इसको मारवाड़ की संकटकालीन राजधानी भी कहते हैं।
- इस दुर्ग में दो शाके हुए हैं।
- प्रथम साका 1308 ई. में सातलदेव व अलाउद्दीन के संघर्ष के दौरान एवं द्वितीय साका वीर कल्ला रायमलोत व अकबर के संघर्ष के दौरान हुआ।
- इस दुर्ग पर अल्लाउद्दीन ने आक्रमण किया था। अपने अधिकार में कर लिया।
- राव मालदेव ने गिरि सुमेल युद्ध (1544 ई.) के बाद शेरशाह की सेना द्वारा पीछा किए जाने पर सिवाणा दुर्ग में आश्रय लिया था।
- चन्द्रसेन ने मुगलों (अकबर) से युद्ध भी सिवाणा को केन्द्र बनाकर किया।
- जोधपुर के राठौड़ नरेशों के लिये भी यह दुर्ग विपत्ति काल में शरण स्थली के रूप में काम आता था।
- 1308 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाणा दुर्ग को जीतकर उसका नाम ‘खैराबाद’ रख दिया।
- दुर्ग में कल्ला रायमलोत का थड़ा
- महाराजा अजीतसिंह का दरवाजा
- हलदेश्वर महादेव का मंदिर
तिलवाङा सभ्यता
यह सभ्यता लुनी नदी के किनारे तिलवाङा बालौतरा मे स्थित है । यह मध्यपाषाण कालीन सभ्यता है । यहाँ कृषि व पशूपालन के अवशेष प्राप्त हुए है ।
बालौतरा जिले के अन्य प्रसिद्ध स्थल
- बालोतरा का प्राचीन नाम – खेड़ा
- जलवायु – अर्धशुष्क
- बजरंग पशु मेला – सिणधरी(बालोतरा)।
- घोड़ों का तीर्थस्थल – मालाणी (बालोतरा)
- संत पीपा जी का मंदिर (समदडी,बालोतरा)
- बाँकीदास जन्म (भान्डियावास,पंचपदरा), इन्हें मारवाड़ का बीरबल भी कहा जाता है।
- कनाना गावं की गैर प्रसिद्ध है।
- मालाणी नस्ल के घोङे प्रसिद्ध
- रेलवे अनुसंधान एवं परीक्षण केन्द्र पचपद्रा मे स्थित है ।
- बटाडू का कुआ:-बायतू
- जोगासर गाँव बायतू पेट्रोलियम के लिए प्रसिद्ध है।
- प्रमुख फसलें – अनार, मुंग, मोठ, बाजरा
- पीपलूद दुर्ग – बालोतरा
- सिवाना दुर्ग – बालोतरा
- मारवाड़ का लघु माउन्ट – पीपलूद
- छप्पन की पहाड़ियाँ – बालोतरा
- पश्चिमी राजस्थान का लघु माउन्ट – हल्देश्वर महादेव मंदिर पीपलूद, सिवाना (बालोतरा)
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