NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aaroh Lesson 2( मियां नसीरुद्दीन ) Miyan Naseeruddin. All textbook questions and comprehension questions of Class 11 Hindi Lesson 2 Miyan Naseeruddin(मियां नसीरुद्दीन) are in this blog post which students can read and memorize. इस पोस्ट में हम आपके लिए NCERT Class 11 Hindi Aroh Bhag 1 Book के Chapter 2 मियाँ नसीरुद्दीन का पाठ सार लेकर आए हैं। यह सारांश आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस कहानी का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि वे इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। इसके अलावा आप इस कहानी के अभ्यास प्रश्न भी पढ सकते हो। Miya Nasiruddin Summary of NCERT Class 11 Hindi Aroh Bhag-1 Chapter 2.
Class | 11th |
Subject | Hindi |
Book | NCERT |
Chapter | 2 |
Chapter Name | मियां नसीरुद्दीन |
Class 11 Hindi Aroh Chapter 2 मियां नसीरुद्दीन ( Miyan Naseeruddin) Questions and Answer
प्रश्न 1. मियाँ नसीरुद्दीन को ‘नानबाइयों का मसीहा’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन खानदानी नानबाई थे तथा इस कला में पूरी तरह पारंगत थे। कई पीढ़ियों से उनके यहाँ नानबाई का कार्य होता रहा था। वे सब प्रकार की रोटियाँ बनाने में कुशल थे और शहर के सबसे बड़े नानवाई के रूप में जाने जाते थे। प्रसिद्ध नानबाई होने के कारण ही उन्हें ‘नानबाइयों का मसीहा’ कहा गया है।
प्रश्न 2. लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं ?
उत्तर- लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास कुछ सवाल पूछने गई थीं। वह जानना चाहती थीं कि ‘नानबाई’ की कला उन्होंने कहाँ से सीखी है ? रोटियाँ कितने प्रकार की बनती हैं तथा उन्हें नानबाई के रूप में इतनी प्रसिद्धि क्यों और कैसे मिली ? वस्तुतः वह प्रसिद्ध नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्त्व एवं हुनर के बारे में जानने के लिए उनके पास गई थीं।
प्रश्न 3. बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी ?
उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका को यह बताया कि उनके बुजुर्ग बादशाह के ‘नानबाई’ रहे हैं। जब लेखिका ने उस बादशाह का नाम जानना चाहा तो मियाँ नसीरुद्दीन कोई ठीक-ठाक उत्तर न दे सके, क्योंकि उन्हें स्वयं इस सम्बन्ध में कुछ पता न था इसलिए बादशाह के नाम का प्रसंग आने पर लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी खत्म होने लगी।
प्रश्न 4. मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अन्धड़ के आसार देख यह मजमून न छेड़ने का फैसला किया-इस कथन के पहले और बाद के प्रसंग का उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- लेखिका ने जब बब्बन मियाँ के बारे में पूछा कि ये कौन हैं ? तो मियाँ नसीरुद्दीन ने रुखाई से कहा- ‘अपने कारीगर, और कौन होंगे ?’ लेखिका के मन में आया कि पूछ लें- आपके बेटे-बेटियाँ हैं? पर मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अन्धड़ के आसार देखकर यह मजमून न छेड़ने का फैसला किया अर्थात् लेखिका समझ गयीं कि मियाँ नसीरुद्दीन बेऔलाद हैं।
अतः इस तकलीफदेह विषय पर बातचीत करने का इरादा छोड़ दिया। नसीरुद्दीन ने बताया कि मियाँ शागिर्द ही नहीं हैं, उन्हें पूरी मजदूरी दी जाती है। यदि बब्बन मियाँ नसीरुद्दीन के बेटे होते तो उन्हें मजदूरी क्यों दी जाती ? अतः लेखिका उनके कथन से ही सब कुछ समझ गयी। प्रसंग बदलते हुए उसने प्रश्न पूछा कि आपके यहाँ कौन-कौन सी रोटियाँ बनती हैं ? प्रसंग बदल जाने से नसीरुद्दीन सहज हो गए।
प्रश्न 5. पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्द-चित्र लेखिका ने कैसा खींचा है ?
उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन 70 वर्ष के एक वृद्ध व्यक्ति थे जो मशहूर नानबाई थे। उनकी दुकान मटियामहल के गढ़या मोहल्ले में थी। छप्पन तरह की रोटियाँ उनकी दुकान पर बनती थीं। जब लेखिका ने उनकी दुकान में झाँका तो पाया कि मियाँ नसीरुद्दीन चारपाई पर बैठे बीड़ी का मजा ले रहे थे। मौसमों की मार से पका चेहरा आँखों में काइयाँ भोलापन और पेशानी पर मँजे हुए कारीगर के तेवर, मुँह में कुछ ही दाँत शेष बचे थे। यही शब्द-चित्र ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ का लेखिका ने खींचा है।
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1. मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?
उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन की ये बातें हमें अच्छी लगी-
(1) उन्हें अपने काम से प्यार है। वे अपने पेशे को कला का दर्जा देते हैं।
(2) नानबाई का हुनर उन्हें अच्छी तरह आता है। इस कला की सभी बारीकियों से वे वाकिफ हैं। उन्होंने यह कला अपने मरहूम पिता से सोखी है।
(3) नानबाई की इस कला को सीखने के लिए उन्होंने बर्तन धोना, भट्ठी बनाना, भट्टी सुलगाना और आटा गूंथना भी अच्छी तरह सीखा है, क्योंकि बिना ये सब सीखे कोई अच्छा मानवाई नहीं बन सकता।
(4) मियाँ नसीरुद्दीन ने अपने खानदानी व्यवसाय को ही पेशे के रूप में अपनाया है। उन्हें अपने काम पर गर्व है।
प्रश्न 2. तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है-यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है ? क्या आप दूसरी बार तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं ? लिखिए।
उत्तर- तालीम की तालीम का अर्थ है-शिक्षा की शिक्षा लेना अर्थात् नानबाई बनने की शिक्षा लेना। एक-एक सीढ़ी चढ़कर ही व्यक्ति ऊपर पहुँचता है, सीढ़ियाँ फलांग कर नहीं। दूसरी बार प्रयुक्त तालीम के स्थान पर ‘जानकारी’ या ‘शिक्षा’ शब्द का प्रयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 3. मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं, जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारम्परिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों ?
उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका को बताया कि उनके दादा साहब थे आला नानबाई मियाँ कल्लन और उनके वालिद थे मियाँ बरकत शाही नानबाई गढ़या वाले। नानबाई का पेशा उनका परम्परागत व्यवसाय था। मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिन्होंने ‘नानबाई’ का यह खानदानी व्यवसाय अपनाया हुआ है। वर्तमान समय में लोग अपने खानदानी व्यवसाय को न अपनाकर नये-नये व्यवसाय अपना रहे हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि पुराने व्यवसाय में अब कमाई ज्यादा नहीं हो पाती। अधिक कमाई के लिए वे नये-नये व्यवसाय अपना रहे हैं। साथ ही खानदानी व्यवसाय से उन्हें अरुचि भी हो गई है।
प्रश्न 4. मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो। यह तो खोजियों की खुराफात है। अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें।
उत्तर- अखबारनवीस (पत्रकार) नई-नई खबरों की खोज में रहते हैं। आजकल के पत्रकार चटपटी खबरों की खोज में रहते हैं, जिससे उसे छापकर अपनी पाठक संख्या में वृद्धि कर लें। बहुत सारे लोग पत्रकारों से इसलिए दूर रहते हैं कि कहीं उनकी किसी बात का बतंगड़ बनाकर अखबारों में न छाप दिया जाए। संभवतः इसी कारण मियाँ नसीरुद्दीन भी अखबार वालों से बचना चाहते थे।
आज भी बहुत सारे लोग पत्रकारों से अनौपचारिक बात करना तो पसन्द करते हैं, किन्तु औपचारिक रूप से पत्रकारों के कैमरे के सामने नहीं आना चाहते।
पकवानों को जानें
प्रश्न- पाठ में आए रोटियों के अलग-अलग नामों की सूची बनाएँ और उनके बारे में जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर- पाठ में अनेक प्रकार की रोटियाँ के नाम आए हैं यथा-1. रूमाली, 2. बाकरखानी, 3. शीरमाल, 4. ताफतान, 5. बेसनी, 6. खमीरी, 7. गाव, 8. दीदा, 9. गाजेबान,10. तुनकी, 11. तन्दूरी आदि ।
भाषा की बात
प्रश्न 1. तीन-चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें।
(क) पंचहजारी अन्दाज से सिर हिलाया।
(ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए।
(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर।
उत्तर- (क) सब बच्चे परेशान थे, इस पहेली का हल कैसे किया जाए? वे सब अपनी समस्या लेकर दादा जी के पास पहुँचे। दादा जी ने पहेली सुनकर पंचहजारी अन्दाज से सिर हिलाया मानो वे इस पहेली का उत्तर पहले से जानते हैं।
(ख) मास्टर जी ने कक्षा में एक कठिन सवाल पूछा, जब कोई बच्चा उसका उत्तर न दे सका तो प्रश्न का उत्तर जानने के लिए अपनी आँखों के कंचे हम पर फेर दिए।
(ग) जब मोहन को कोई ढंग की नौकरी न मिली तो आ बैठे पिताजी के ठीये पर। पिताजी की अच्छी-खासी कपड़े की दुकान जो थी।
प्रश्न 2. बिटर- बिटर देखना-यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है ? देखने सम्बन्धी इस प्रकार के चार क्रिया-विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए ।
उत्तर- (1) वह मेरी ओर घूरकर देखने लगा।
(2) उसने लड़की को तिरछी नजर से देखा।
(3) वह उसे कनखियों से देख रहा था।
(4) वह मेरी ओर निर्निमेष दृष्टि से देखने लगा।
प्रश्न 3. नीचे दिए गए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द क्रम परिवर्तित किया गया है। सामान्यतः इन वाक्यों को किस क्रम में लिखा जाता है ? लिखें।
(क) मियाँ मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए।
(ख) निकाल लेंगे वक्त थोड़ा।
(ग) दिमाग में चक्कर काट गई है बात।
(घ) रोटी जनाब पकती है आँच से।
उत्तर- (क) मियाँ छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए मशहूर हैं।
(ख) थोड़ा वक्त निकाल लेंगे।
(ग) बात दिमाग में चक्कर काट गई है।
(घ) जनाब! रोटी आँच से पकती है।
बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ” किस्म-किस्म की रोटी पकाने का इल्म आपने कहाँ से सीखा ?” इस प्रश्न का उत्तर मियाँ नसीरुद्दीन ने किस तेवर से और क्या दिया ?
उत्तर- लेखिका ने मियाँ से जब यह पूछा कि नानबाई का इल्म उन्होंने कहाँ से सीखा तो उन्होंने कुछ आक्रामक अन्दाज में उत्तर दिया कि एक नानबाई इस इल्म को सीखने कहाँ जाएगा ? क्या वह किसी नगीना जड़ने वाले के पास जाएगा ? या फिर आइना बनाने वाले, मीना का काम करने वाले, कपड़े रफू करने वाले, कपड़े रँगने वाले, तेल निकालने वाले या पान बेचने वाले के पास जाएगा ? मियाँ ने बताया कि वह उनका खानदानी पेशा था और इसकी शिक्षा उन्होंने अपने पिता से प्राप्त की थी।
प्रश्न 2. ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ नामक पाठ के आधार पर नसीरुद्दीन के चरित्र की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन ‘शब्द-चित्र’ कृष्णा सोबती के संग्रह ‘हम हशमत’ से लिया गया है। इसमें खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्त्व और स्वभाव का शब्द-चित्र अंकित किया गया है। उनके चरित्र की सामान्य विशेषताओं का निरूपण निम्न शीर्षकों में किया जा सकता है-
1. परिचयात्मक विवरण- मियाँ नसीरुद्दीन खानदानी नानबाई हैं। उनकी दुकान मटियामहल के गढ़या मोहल्ले में थी, जहाँ वे अपनी चारपाई पर बैठे बीड़ी पी रहे थे। उनकी उम्र लगभग 70 साल थी। उनके दादा आला नानबाई कल्लन मियाँ थे और वालिद (पिता) थे मियाँ बरकत शाही नानबाई गदैया वाले मियाँ नसीरुद्दीन की कोई औलाद नहीं है।
2. पेशे को कला समझने वाले-मियाँ नसीरुद्दीन अपने इस नानबाई के पेशे को कला समझते हैं और इसे ‘हुनर’ कहते हैं। उन्होंने इस हुनर की शिक्षा अपने वालिद साहब से प्राप्त की और इसके लिए उन्होंने एक-एक करके सब सीखा – बर्तन धोना, भट्ठी सुलगाना, आटा गूंथना । रोटी पकाने की कला की सभी बारीकियाँ उन्हें आती हैं।
3. छप्पन किस्म की रोटियों के जानकार- – मियाँ नसीरुद्दीन मशहूर हैं छप्पन किस्म की रोटियाँ बनाने के लिए। इनमें से कुछ किस्म की रोटियों के नाम हैं–रूमाली, बाकरखानी, शीरमाल, ताफतान, बेसनी, खमीरी, गाव, दीदा, गाजेबान, तुनकी, तन्दूरी आदि ।
4. शाही नानबाई – उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनके बुजुर्ग बादशाह सलामत के बावर्ची खाने के शाही नानबाई रहे है। किन्तु जब बादशाह का नाम जानने का आग्रह किया गया तो वे असहज होकर टाल गए, क्योंकि उन्हें खुद नहीं पता कि किस बादशाह के बावर्चीखाने में उनके बुजुर्गों ने काम किया था? वे तो बस सुनी-सुनाई बात कह रहे थे।
5. कद्रदानों की कमी से हताश-मियाँ को लगता है कि अब उनके हुनर की कद्रदानी करने वाले लोग नहीं रहे। कहने लगे-उतर गए वे जमाने और गए वे कद्रदान जो पकाने खाने की कद्र करना जानते थे। मियाँ अब क्या रखा है -निकाली तन्दूर से निगली और हजम ।
उक्त विवेचन से स्पष्ट है कि लेखिका ने इस शब्द-चित्र में मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्त्व एवं चरित्र के सभी पहलुओं को उजागर करने में सफलता प्राप्त की है।