NCERT Solutions for Class 11th: Hindi Aroh Chapter 7 ‘‘Jamun ka ped’’ ( जामुन का पेड़ ) Questions
हम आपके लिए NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 7 जामुन का पेड़ हिंदी Aroh Book के प्रश्न उत्तर लेकर आए हैं। यह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस कहानी का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि वे इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। इसके अलावा आप इस कहानी के अभ्यास प्रश्न भी पढ सकते हो। Jamun ka Tree Summary of NCERT solutions for Class 11th Hindi Vasant Chapter 7.
Class | 11th |
Subject | Hindi |
Book | NCERT |
Chapter | 7 |
Chapter Name | जामुन का पेड़ |
पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. “बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था ? और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं ?” (क) ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं ? (ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?
उत्तर-
(क) रात को आए आंधी-तूफान में जामुन का एक पेड़ सेक्रेटेरिएट के लॉन में गिर गया और उसके नीचे एक आदमी दब गया। जब यह बात माली ने चपरासी को चपरासी ने क्लर्क को बताई तो क्लर्क आपस में उस जामुन के पेड़ के बारे में ये संवाद कहते हैं।
(ख) इससे लोगों की संवेदनहीनता एवं स्वार्थी मानसिकता का पता चलता है। उन्हें दबे हुए आदमी की नहीं, उस जामुन के पेड़ की अधिक चिंता है, क्योंकि उस जामुन के पेड़ से उन्हें रसीली जामुन खाने को मिलती थीं, जो आदमी दब गया था उससे उन्हें क्या लेना-देना।
प्रश्न 2. दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली ? और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर-
माली जब उस दबे हुए आदमी के मुंह में खिचड़ी डालते हुए उसे बता रहा था कि कल सारे सचिवों की मीटिंग में तुम्हारा केस रखा जाएगा और उम्मीद है कि सब काम ठीक हो जाएगा। तब दबे हुए आदमी ने आह भरकर यह शेर बोला- ये तो माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन, खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक। माली ने अचंभे से मुंह में उंगली दबा ली और चकित भाव से पूछा, क्या तुम शायर हो ? दबे हुए आदमी ने हाँ में सिर हिलाया और फिर यह खबर माली ने चपरासी, चपरासी ने क्लर्क, क्लर्क ने हैडक्लर्क को बताई और इस प्रकार सारे सचिवालय में यह खबर फैल गई कि दबा हुआ आदमी कवि है।
सेक्रेटेरिएट की सब-कमेटी ने यह फैसला किया कि दबा हुआ आदमी कवि है, अतः इस फाइल का सम्बन्ध कल्चरल- डिपार्टमेंट से है। अतः कल्चरल डिपार्टमेंट से अनुरोध किया फाइल गया कि जल्द से जल्द फैसला लेकर कवि को जामुन के फलदार पेड़ से छुटकारा दिलाया जाए। कल्चरल डिपार्टमेंट के अनेक विभागों से गुजरती हुई साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी के पास पहुँची और वह दबे हुए आदमी का इंटरव्यू लेने जा पहुँचा, किन्तु उसने दबे हुए कवि को निकालने से यह कहकर इनकार कर दिया कि यह कलम-दवात का नहीं पेड़ काटने का मामला है। अतः तुम्हारी फाइल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को भेज रहा हूँ।
प्रश्न 3. कृषि विभाग वालों मामले को हार्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया ?
उत्तर-
कृषि विभाग ने तर्क दिया, क्योंकि जामुन का यह पेड़ फलदार था, इसलिए इसका सम्बन्ध हार्टीकल्चर विभाग से है। कृषि विभाग खेती-बाड़ी के मामलों में फैसला लेता है, फलदार वृक्षों के मामले में नहीं, अतः यह फाइल हार्टीकल्चर विभाग को सौंपी जाए।
प्रश्न 4. इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ में उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है ?
उत्तर-
इस पाठ में सरकार के अनेक विभागों की चर्चा है; यथा-व्यापार विभाग, कृषि विभाग, हार्टीकल्चर विभाग, मेडीकल विभाग, कल्चरल – विभाग, फॉरेस्ट विभाग, विदेश विभाग। इस पाठ से इन विभागों की कार्य-पद्धति के बारे में यह जानकारी मिलती है कि विभागों में आपसी समन्वय एवं तालमेल का अभाव है। निर्णय लेने में पर्याप्त देरी होती है तथा सभी विभाग जिम्मेदारी लेने से बचने का प्रयास करते हैं।
नियम-कायदों को इतनी विवेक-हीनता से लागू करने पर जोर दिया जाता है कि सारा किस्सा मखौल (उपहास) बन जाता है। विभागीय कर्मचारियों में पदानुक्रम से फाइल आगे बढ़ती है फिर भी फैसला नहीं हो पाता, यहाँ तक कि छोटे से विषय को प्रधानमंत्री तक पहुँचा दिया जाता है और जब तक वह उस पर कोई फैसला लेते हैं, तो इतनी देर हो चुकी होती है कि पेड़ के नीचे दबा व्यक्ति मर जाता है।
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1. कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता है ? और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस बजह से भंग होता है ?
उत्तर-
पहली बार तो माली ने यह प्रस्ताव रखा कि यदि सुपरिंटेंडेंट साहब हुक्म दें तो मैं पन्द्रह-बीस माली, चपरासी और क्लर्क लगाकर पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकाल सकता हूँ, किन्तु सुपरिंटेंडेंट ने रोक दिया कि पहले मैं अण्डर सेक्रेटरी से पूछ लूँ। वह इस बात की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था कि मेरे कहने से पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकाला गया।
दूसरी बार लंच के समय दबे हुए आदमी के चारों ओर बहुत भीड़ हो गई थी और कुछ मनचले क्लकों ने समस्या को खुद ही सुलझाना चाहा। सरकार के फैसले का इन्तजार किए बिना वे पेड़ को स्वयं हटा देने का निश्चय कर रहे थे कि सुपरिंटेंडेंट भागा भागा आया और यह कहकर उन्हें रोक दिया कि हम व्यापार विभाग के लोग हैं, जबकि पेड़ की समस्या कृषि विभाग की है। इस पर फैसला लेने का अधिकार उनका है। अतः हम फाइल उन्हें भेज रहे हैं। इस प्रकार दोनों बार लोगों का पेड़ हटाने का संकल्प भंग हो गया।
प्रश्न 2. यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अन्तर्धारा है ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर-
‘जामुन का पेड़’ नामक कृश्नचन्दर की यह कहानी हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अन्तर्धारा लिए हुए है, क्योंकि सरकारी विभागों की कार्यपद्धति जहाँ पूरी कहानी में हास्य की सृष्टि करती है वहीं पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति की परवाह न करने से सरकारी कर्मचारियों की संवेदनहीनता उजागर होती है। जिससे पाठकों के मन में उस दबे हुए व्यक्ति के प्रति करुणा जाग्रत होती है।
लोग कितने स्वार्थी हैं कि उन्हें जामुन के पेड़ गिरने का अफसोस है, उसके नीचे दबे व्यक्ति की चिन्ता नहीं है। यह करुणा तब और प्रखर हो जाती है जब एक व्यक्ति पेड़ को बचाने के लिए आदमी को काटकर निकालने का सुझाव देता है। इसलिए यह कहना उपयुक्त है कि पूरी कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की अन्तर्धारा प्रवाहित हो रही है।
प्रश्न 3. यदि आप माली की जगह होते तो हुकूमत के फैसले का इन्तजार करते या नहीं ? अगर हाँ तो क्यों ? और नहीं तो क्यों।
उत्तर-
पक्ष में तर्क- मैं यदि माली की जगह होता तो हुकूमत के फैसले का इन्तजार किए बिना पेड़ को हटवाकर दबे व्यक्ति को निकालकर उसकी जीवन रक्षा करता, क्योंकि मेरे लिए एक इन्सान की जीवन रक्षा करना बड़ी बात है, दूसरी सब बातें इसके सामने महत्त्वहीन हैं।
विरोधी तर्क- मैं माली के स्थान पर होता तो मुझे भी हुकूमत के फैसले का इन्तजार करना पड़ता, क्योंकि माली एक छोटा कर्मचारी है, फैसले लेने का अधिकार बड़े अफसरों का है। उसका काम तो घटना की रिपोर्ट करने का है, फैसले लेने का नहीं। यदि मैं माली के रूप में फैसला लेकर दवे व्यक्ति को निकाल देता तो मुझे अपनी नौकरी जाने का खतरा होता । इसलिए हुकूमत के फैसले का इन्तजार करना मेरी मजबूरी होती ।
बोधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. जामुन का पेड़ गिरा देखकर क्लर्क ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की ?
उत्तर-
जामुन का पेड़ गिरा देखकर क्लर्क ने अफसोस जाहिर किया कि यह रसीले जामुन का पेड़ था। इसके जामुन मेरे बच्चे बड़े चाव से खाते थे। उस जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी की उसे रंचमात्र भी चिन्ता नहीं थी मानो वह कोई कीड़ा-मकोड़ा हो।
प्रश्न 2. इस कहानी में कौन-कौन से व्यंग्य निहित हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
1. सरकारी कार्यालयों की कार्य-पद्धति पर व्यंग्य किया गया है।
3. सरकारी कर्मचारियों की संवेदनहीनता पर व्यंग्य है। सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विभागों में पारस्परिक समन्वय के अभाव पर व्यंग्य है।
4. छोटे से मामले में भी निर्णय लेने की क्षमता विभागों में नहीं है। जामुन के गिरे पेड़ की समस्या पर प्रधानमन्त्री की राय लेना कितना बेतुका है।
5. सरकारी विभाग फैसले लेने में अत्यधिक विलम्ब करते तथा अपनी जिम्मेदारी एवं जवाबदेही से बचना चाहते हैं।
प्रश्न 3. लेखक ने कवियों पर क्या व्यंग्य किया है ?
उत्तर-
लेखक ने कवियों पर यह व्यंग्य किया है कि उन्हें मरते हुए कवि को बचाने की चिंता नहीं है, अपनी कविता सुनाने और उस पर उसकी राय लेने की अभिलाषा अधिक है। आदमी चाहे मर रहा हो पर ये कवि अपनी कविता सुनाने से बाज नहीं आते।
प्रश्न 4. ‘फाइल पूर्ण हो गई’ में निहित व्यंग्य को आप किन शब्दों में व्यक्त करेंगे ?
उत्तर-
सरकारी कार्यालयों में छोटे से विषय को भी लटका दिया जाता है और फैसला लेने में इतना विलम्ब होता है कि जब तक फाइल पूरी होती है तब तक व्यक्ति के प्राण ही निकल जाते हैं। सरकारी कार्यालयों की कार्य-प्रणाली पर करारा व्यंग्य इस कहानी में किया गया है, साथ ही सरकारी कर्मचारियों की संवेदनशून्यता को भी लेखक ने अपने व्यंग्य का लक्ष्य बनाया है।