इस पोस्ट में हमने NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Class 11th Hindi Aroh Chapter 4 चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 11th Hindi Aroh Chapter 4 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 हिंदी आरोह भाग-1 चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती
कविता के साथ
प्रश्न 1. चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ते पर बजर गिरे ?
उत्तर- कलकत्ता एक महानगर है। कृषि की उपेक्षा और गाँवों में रोजगार की कमी के कारण ग्रामीण नवयुवक महानगरों की ओर रोजगार के लिए दौड़ते हैं। उससे परिवार टूटते हैं, महानगरी की चकाचौंध में फँसे ग्रामीण अपने गाँव नहीं लौट पाते। वे बुराइयों में फँसकर वहीं दम तोड़ देते हैं। चंपा नहीं चाहती कि उसका पति कलकत्ता जाये और उससे अलग हो जाय। अतः वह कलकत्ते के विनाश की कामना करती है।
2. चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गाँधी बाबा प्रश्न ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी ?
उत्तर- चंपा को कवि ने बताया था कि गाँधी बाबा बहुत अच्छे आदमी हैं। अच्छे आदमी तो सदा अच्छी बात कहा करते हैं। पढ़ना-लिखना चंपा की दृष्टि में एक कठिन और उबा देने वाला काम है। अतः उसे विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा लोगों से पढ़ने-लिखने जैसे काम को सीखने की बात कहेंगे।
प्रश्न 3. कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर- कवि ने चंपा की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया हैं-
निरक्षर-चंपा पढ़ी-लिखी नहीं है। वह पढ़ना चाहती भी नहीं है।
सुन्दर और परिश्रमी – चंपा सुन्दर है। वह परिश्रमी है। वह अपने पिता की गाय-भैंसों को चराने ले जाती है। नटखट – चंपा चंचल, शरारती और ऊधमी है। वह कवि के कागज और कलम छिपा देती है।
साक्षरता-विरोधी – पढ़ने-लिखने में उसका मन नहीं लगता। उसके लिए पढ़ना एक व्यर्थ काम है।
सच्ची स्नेही-चंपा में आत्मीयता है। वह लोगों से सच्चा स्नेह करती है। वह भोली-भाली है।
स्पष्टवादिनी – चंपा स्पष्ट बोलने वाली है, जो बात उसे ठीक लगती है, उसको मुँह पर ही स्पष्ट कह देती है।
महानगरों पर क्रुद्ध – परिवारों को खंडित कर देने वाले कलकत्ता जैसे नगरों से उसे घृणा है।
प्रश्न 4. आपके विचार से चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं दूँगी ?
उत्तर- चंपा पढ़ने-लिखने को अच्छी बात नहीं मानती। गाँव के जीवन में पिछड़ी जाति के और निर्धन लोग पढ़ने को महत्व नहीं देते। विशेषकर बच्चे तो पढ़ने-लिखने को एक बंधन मानते हैं। चरवाहे का काम करने वाली बालिका को भला-पढ़ाई-लिखाई से क्या लेना-देना। इसी कारण चंपा पढ़ाई के विरुद्ध है।
कविता के आस-पास
प्रश्न 1. यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो कवि से कैसे बातें करती ?
उत्तर- यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो कवि से इतने खुलेपन से बात नहीं कर पाती। वह मुँह पर ही स्पष्ट शब्दों में नहीं बोल पाती। वह समझ जाती कि कवि एक विद्वान व्यक्ति है। कवि के साथ उसका व्यवहार सम्मानजनक होता। उसके मन में सहज शालीनता होती और कवि के साथ खूब सोच-समझकर विनम्रता के साथ बात करती। यह बात स्पष्ट है कि पढ़ने-लिखने से उसके व्यवहार और बातचीत की नैसर्गिकता समाप्त हो जाती और उस पर बनावट का एक आवरण पड़ जाता।
प्रश्न 2. इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की किस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है ?
उत्तर- कवि ने इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों के जीवन की विडंबना का वर्णन किया है। ये स्त्रियाँ अनपढ़ होती हैं। अपने गाँव या आस-पास काम न मिलने पर उनके पति रोजगार की तलाश में कलकत्ता आदि महानगरों में चले जाते हैं। स्त्रियों को घर पर अकेले पति से दूर रहना पड़ता है। उन्हें अनेक पारिवारिक तथा आर्थिक संकटों से जूझना पड़ता है। बच्चों और बूढ़े सास-ससुर इत्यादि की देख-रेख करनी होती है। दूर होने के कारण तथा निर्धनता के कारण उनके पति जल्दी घर नहीं आ पाते। उन स्त्रियों को अपने पति के वियोग का कष्ट सहना होता है। अनपढ़ होने के कारण पत्र-व्यवहार भी नहीं कर पाती हैं।
प्रश्न 3. संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को किस वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर- लड़की यदि पढ़ी-लिखी नहीं होती तो स्वाभाविक ही है कि वह न तो अपना सन्देश किसी को भेज सकती है और न किसी का भेजा संदेश ग्रहण ही कर सकती है। बिना पढ़ी-लिखी लड़की ससुराल में अपने कष्टों की बात अपने माता-पिता तक नहीं पहुँचा सकती। वह अपने मन की पीड़ा अपने पति को भी नहीं लिख पाती। पत्र लिखवाने के लिए उसको कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति तलाश करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति से पत्र लिखवाते समय भी वह अपने मन की पूरी बातें नहीं लिखवा पाती। उन बातों को तो उसे पति के घर आने तक मन में ही रखना पड़ता है। इस प्रकार उसे विरह का महान कष्ट सहन करना होता है। यहाँ सन्देश भेजने और ग्रहण करने के साधन रूप में पत्र-व्यवहार पर ही विचार किया गया है। आज टेलीफोन और मोबाइल के प्रयोग ने इस समस्या को कुछ हद तक दूर कर दिया है।
विषयवस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कवि पढ़ने-लिखने के लिए चंपा को किस प्रकार प्रोत्साहित करता है ?
उत्तर- कवि चंपा को पढ़ने-लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है। वह कहता है कि पढ़ाई-लिखाई गाढ़े समय (बुरे वक्त में काम आती है। गाँधी बाबा की भी इच्छा है कि देश के सभी लोग पढ़ें-लिखें। तुम बड़ी हो जाओगी। तुम्हारा ब्याह होगा और तुम अपनी ससुराल जाओगी। तुम्हारा पति कुछ दिन तुम्हारे साथ रहकर कलकत्ता चला जायेगा। तुम पढ़-लिख लोगी तो उसको सन्देश भेज सकोगी और उसका पत्र आने पर उसकी कुशलता जान सकोगी।
प्रश्न 2. चंपा पढ़ने-लिखने के सम्बन्ध में दिए गए कवि के तर्कों को किस प्रकार काटती है ?
उत्तर- चंपा को पढ़ाई-लिखाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कवि ‘चंपा एक हठीली बालिका है’ स्पष्ट कीजिए। ने उससे कहा कि यह गाँधी बाबा की इच्छा है। चंपा ने उत्तर दिया कि तुम तो कहते हो कि गाँधी बाबा अच्छे आदमी हैं, फिर वह पढ़ने-लिखने के लिए क्यों कहेंगे ? पढ़-लिखकर तो आदमी स्वार्थी और धोखेबाज बन जाता है। पति के कलकत्ता चले जाने पर उसे सन्देश भेजने के लिए तथा उसका पत्र पढ़ने के लिए पढ़ाई को जरूरी बताने पर चंपा ने कवि से कहा कि वह अपने पति को सदा अपने साथ रखेगी। वह उसे दूर कलकत्ता जाने ही नहीं देगी। इस प्रकार चंपा ने कवि के तर्कों को अपनी कुशाग्र बुद्धि से काट दिया। चंपा के विचार से पढ़ाई अच्छा काम नहीं है।
प्रश्न 3. भाव स्पष्ट कीजिए- ‘चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती । ‘
उत्तर- पढ़ाई-लिखाई के लिए अक्षर ज्ञान आवश्यक होता है। स्याही से लिखे जाने के कारण अक्षर काले होते हैं। इस तरह पढ़ाई-लिखाई में काले अक्षरों की पहचान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। चंपा काले-काले अच्छरों को नहीं चीन्हती कहकर कवि यह बताना चाहता है कि चंपा निरक्षर है। कवि ने अक्षर के लिए ‘अच्छर’ का प्रयोग किया है तथा ‘चीन्हती’ क्रिया का प्रयोग किया है। यह चंपा की निरक्षरता को प्रकट करने के लिए ही किया है।
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