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Class 10 Sanskrit Chapter 1 Suchi paryavaran Hindi & English Translation

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Contents
शुचिपर्यावरणम्Class 10 Sanskrit Chapter 1 Suchi paryavaran Questions AnswersClass 10 Sanskrit Chapter 1 Suchi paryavaran MCQ

शुचिपर्यावरणम्

पाठ-परिचय– निरन्तर बढ़ते हुए पर्यावरण प्रदूषण से आज सम्पूर्ण विश्व पीड़ित है । पृथ्वी, जल, वायु, आकाश एवं तेज सभी तो प्रदूषित हो गए हैं । मानव मन को शान्ति कहाँ मिले । विश्वव्यापी इसी समस्या से अनुप्रेरित होकर आधुनिक संस्कृत कवि हरिदत्त शर्मा ने यह कविता लिखी है । ‘शुचिपर्यावरणम्’ उनके ‘लसल्लतिका’ गीत-संग्रह में संकलित है ।

दुर्वहमत्र जीवितं जातं प्रकृतिरेव शरणम् । शुचि-पर्यावरणम् ॥  मनः शोषयत् तनुः पेषयद् भ्रमति सदा वक्रम् ॥ दुर्दान्तैर्दशनैरमुना स्यान्नैव जनग्रसनम् ॥ महानगरमध्ये चलदनिशं कालायसचक्रम् । शुचि……॥1॥

हिन्दी – अनुवाद:- इस संसार में जीवन दूभर हो गया है, अत: प्रकृति का शुद्ध- पर्यावरण ही (एकमात्र) सहारा है अर्थात् शुद्ध पर्यावरण की शरण में ही जाना चाहिए। (यह) लोहे का पहिया (यन्त्रजाल) दिन-रात महानगरों में चलता हुआ, मन का शोषण करता हुआ, शरीर को पीसता हुआ हमेशा टेढ़ा-मेढ़ा वक्रगति से घूमता है । इसके विकराल दाँतों द्वारा मानव का विनाश ही (किया जा रहा है) होगा । अतः शुद्ध पर्यावरण की शरण में ही जाना चाहिए ।

English Translation :- Life has become difficult in this world, so the pure environment of nature is the (only) support, that is, one should go to the shelter of the pure environment. (This) iron wheel (Yantrajaal) moving day and night in the metropolitan cities, exploiting the mind, grinding the body, always rotates in a zigzag curve. Human being will be destroyed (being done) by its dreadful teeth. That’s why one should go to the shelter of pure environment.

कज्जलमलिनं धूमं मुञ्चति शतशकटीयानम् । वाष्पयानमाला सन्धावति वितरन्ती ध्वानम् ॥  यानानां पङ्क्तयो ह्यनन्ताः, कठिनं संसरणम् । शुचि…… ॥ 2 ॥

हिन्दी – अनुवाद:- सैकड़ों मोटरगाड़ियाँ काजल-सा मलिन धुआँ अर्थात् काला काला धुआँ छोड़ती हैं। शोर करती हुई रेलगाड़ियों की पंक्ति: निरन्तर दौड़ रही है। वाहनों की पंक्तियाँ असीमित (अन्त न होने वाली) हैं इसलिए (रास्ते में) चलना भी दूभर हो गया है शुद्ध पर्यावरण की शरण में चलना चाहिए ।

English Translation:- Hundreds of motor vehicles emit black smoke like black smoke. Row of noisy trains: running continuously. The lines of vehicles are unlimited (non-ending), so even walking (on the way) has become difficult. One should walk in the shelter of pure environment.

3 

वायुमण्डलं भृशं दूषितं न हि निर्मलं जलम् । कुत्सितवस्तुमिश्रितं भक्ष्यं समलं धरातलम् ॥ करणीयं बहिरन्तर्जगति तु ब हु शुद्धीकरणम् । शुचि…… ॥ 2 ॥

हिन्दी अनुवाद:- वायुमण्डल अत्यधिक दूषित हो गया है, क्योंकि पानी भी स्वच्छ नहीं है । खाने की वस्तुएँ भी दूषित पदार्थों से युक्त हैं । धरती मैली अर्थात् गन्दगीयुक्त है । अतएव बाह्य एवं आन्तरिक जगत् में अत्यधिक शुद्धीकरण करना चाहिए। शुद्ध पर्यावरण ही एकमात्र आश्रय है ।

English Translation:- The atmosphere has become highly polluted, because even the water is not clean. Food items also contain contaminants. The earth is dirty, that is, full of filth. Therefore, a lot of purification should be done in the external and internal world. Pure environment is the only shelter.

कञ्चित् कालं नय मामस्मान्नगराद् बहुदूरम् ।  प्रपश्यामि ग्रामान्ते निर्झर-नदी- पयःपूरम् ॥  एकान्ते कान्तारे क्षणमपि मे स्यात् सञ्चरणम् । शुचि ……. ॥4॥

हिन्दी अनुवाद:- कुछ समय के लिए मुझे इस शहर से बहुत दूर ले चलो। गाँव की सीमा पर (मैं) जल से पूर्ण झरने और नदी को देख रहा हूँ। (उस) निर्जन शान्त वन में मेरा एक क्षण भी घूमना हो जाए अर्थात् मैं यहाँ क्षणभर घूमना चाहता हूँ। अतः शुद्ध पर्यावरण ही एकमात्र आश्रय है।

English Translation:- Take me far away from this city for a while. On the border of the village (I) see the spring and the river full of water. (That) I want to wander even for a moment in that secluded forest, that is, I want to roam here for a moment. Therefore pure environment is the only shelter.

हरिततरुणां ललितलतानां माला रमणीया । कुसुमावलिः समीरचालिता स्यान्मे वरणीया ॥ नवमालिका रसालं मिलिता रुचिरं संगमनम् । शुचि ….. ॥5॥

हिन्दी अनुवाद:- हरे-भरे वृक्षों और सुन्दर बेलों की पंक्ति (और) वायु द्वारा हिलाई जाती हुई फूलों की पंक्ति मेरे लिए वरण करने योग्य होनी चाहिए। नवमल्लिका आम के वृक्ष के साथ मिलकर सुन्दर संगम प्राप्त कर रही है। अतः स्वच्छ वातावरण ही एकमात्र आश्रय है।

English Translation:- Rows of lush green trees and graceful vines (and) rows of flowers moved by the wind should be worthy of my choice. Navamallika is getting a beautiful confluence with the mango tree. Therefore clean environment is the only shelter.

अयि चल बन्यो खगकुलकलरव गुज्जितवनदेशम् पुर-कलरव सम्भमितजनेभ्यो पृतसुखसन्देशम् ॥ चाकचिक्यजालं नो कुर्याज्जीवितरसहरणम् । शुचि….. 116 ||

हिन्दी अनुवाद– कुछ समय के लिए मुझे इस शहर से बहुत दूर ले चलो। गाँव की सीमा पर (मैं) जल से पूर्ण झरने और नदी को देख रहा हूँ। (उस) निर्जन शान्त वन में मेरा एक क्षण भी घूमना हो जाए अर्थात् मैं वहाँ क्षणभर घूमना चाहता हूँ । अतः शुद्ध पर्यावरण ही एकमात्र आश्रय है।

English Translation:- Take me far away from this city for a while. On the border of the village (I) see the spring and the river full of water. I wish to wander in (that) lonely forest for even a moment, that is, I wish to roam there for a moment. Therefore pure environment is the only shelter.

प्रस्तरतले लतातरुगुल्मा नो भवन्तु पिष्टाः ।  पाषाणी सभ्यता निसर्गे स्यान्न समाविष्टा ॥  मानवाय जीवनं कामये नो जीवन्मरणम् । शुचि ….. ॥ 7 ॥

हिन्दी अनुवाद:- लता, वृक्ष और झाड़ियाँ पत्थरों के तल पर नष्ट नहीं होनी चाहिए । अर्थात् पाषाणकालीन सभ्यता प्रकृति में समाविष्ट नहीं होनी चाहिए मैं मानव के जीवन की कामना करता हूँ, जीवन के नष्ट होने की नहीं । अतः शुद्ध पर्यावरण की शरण में जाना चाहिए ।

English Translation:- Creepers, trees and shrubs should not be destroyed on the bottom of the stones. That is, stone age civilization should not be included in nature. I wish for human life, not for destruction of life. That’s why one should go to the shelter of pure environment.

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Class 10 Sanskrit Chapter 1 Suchi paryavaran Questions Answers

प्रश्न । एकपदेन उत्तरं लिखत

(क) अत्र जीवितं कीदृशं जातम् ?

(ख) अनिशं महानगरमध्ये किं प्रचलति ?

(ग) कुत्सितवस्तुमिश्रितं किमस्ति ? 

(घ) अहं कस्मै जीवनं कामये ?

(ङ) केषां माला रमणीया ?

उत्तरम् – (क) दुर्वहम्। (ख) कालायसचक्रम्। (ग) भक्ष्यम्। (घ) मानवाय । (ङ) हरिततरूणां ललितलतानाम् ।

प्रश्न 2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

(क) कविः किमर्थं प्रकृतेः शरणम् इच्छति ?

उत्तरम् – कवि महानगरस्य दुर्वहं जीवनं दृष्ट्वा तस्मात् भीतः शुद्धपर्यावरणाय प्रकृतेः शरणम् इच्छति ।

(ख) कस्मात् कारणात् महानगरेषु संसरणं कठिनं वर्तते ?

उत्तरम् – अहर्निशं लौहचक्रस्य सञ्चरणात् यानानां बाहुल्यात् च महानगरेषु संसरणं कठिनं वर्तते ।

(ग) अस्माकं पर्यावरणे किं किं दूषितम् अस्ति ?

उत्तरम् – अस्माकं पर्यावरणे वायुमण्डलं, जलं, भक्ष्यं, धरातलं च दूषितम् अस्ति ।

(घ) कविः कुत्र संचरणं कर्तुम् इच्छति ?

उत्तरम् – कविः ग्रामान्ते एकान्ते कान्तारे सञ्चरणं कर्तुम् इच्छति । 

(ङ) स्वस्थजीवनाय कीदृशे वातावरणे भ्रमणीयम् ?

उत्तरम् – स्वस्थजीवनाय शुचि – वातावरणे (पर्यावरणे) भ्रमणीयम् । 

(च) अन्तिमे पद्यांशे कवेः का कामना अस्ति ?

उत्तरम् – अन्तिमे पद्यांशे कवेः कामना अस्ति यत् निसर्गे पाषाणी सभ्यता समाविष्टा न स्यात् ।

प्रश्न 3. सन्धिं / सन्धिविच्छेदं कुरुत –

(क) प्रकृतिः + प्रकृतिरेव ।

(ख) स्यात् + ……..+ ……..स्यान्नैव ।

(ग) ……..+ अनन्ताः = ह्यनन्ताः ।

(घ) बहि: + अन्तः + जगति = ………..

(ङ)…….+ नगरात् = अस्मान्नगरात् । 

(च) सम् + चरणम।  = ………..

(छ) धूमम् + मुञ्चति=……..

उत्तरम् – (क) प्रकृतिः + एव = प्रकृतिरेव । (ख) स्यात् + न + एव = स्यान्नैव। (ग) हि + अनन्ताः = ह्यनन्ताः । (घ) बहि: + अन्तः+ जगति = बहिरन्तर्जगति । (ङ) अस्मात् + नगरात् अस्मान्नगरात् । (च) सम् + चरणम् सञ्चरणम् । (ङ) धूमम् मुञ्चति धूमं मुज्वति ।

प्रश्न 4 अधोलिखितानाम् अव्ययानां सहायतया रिक्तस्थानानि पूरयत

(भृशम्, यत्र, तत्र, अत्र, अपि. एव. सदा, बहि)

(क) इदानीं वायुमण्डलं ….. प्रदूषितमस्ति ।

(ख) ……. जीवनं दुर्वहम् अस्ति ।

(ग) प्राकृतिक वातावरणे क्षणं सञ्चरणम् …..लाभदायकं भवति । 

(घ) पर्यावरणस्य संरक्षणम् …. ‘प्रकृतेः आराधना ।

(ड़) ……… समयस्य सदुपयोगः करणीयः ।

(च) भूकम्पित-समये ……..गमनमेव उचितं भवति ।

(छ) हरीतिमा शुचि पर्यावरणम् ।

उत्तरम् – 

(क) इदानीं वायुमण्डलं भृशं प्रदूषितमस्ति ।

(ख) अत्र जीवनं दुर्वहम् अस्ति ।

(ग) प्राकृतिकवातावरणे क्षणं सञ्चरणम् अपि लाभदायकं भवति । 

(घ) पर्यावरणस्य संरक्षणम् एव प्रकृतेः आराधना ।

(ङ) सदा समयस्य सदुपयोगः करणीयः ।

(च) भूकम्पित-समये बहिः गमनमेव उचितं भवति ।

(छ) यत्र हरीतिमा तत्र शुचि पर्यावरणम् ।

प्रश्न 5. (अ) अधोलिखितानां पदानां पर्यायपदं लिखत (क) सलिलम् (ख) आम्रम् (ग) वनम् (घ) शारीरम् (ङ) कुटिलम् (च) पाषाणम् ।

उत्तरम् – (क) सलिलम् जलम् (ख) आम्रम् रसालम् (ग) वनम् – काननम् (कान्तारम्) (घ) शरीरम् तनुः (देहम्) (ङ) कुटिलम् – वक्रम् (च) पाषाणाम् प्रस्तरम् ।

(आ) अधोलिखितापदानां विलोमपदानि पाठात् चित्वा लिखत ।

विलोमपद  पद

(क) सुकरम्-दुष्करम् (ख) दूषितम् – शुचि

(ग) गृहणन्ती-वितरन्ती (ङ) दानवाय – मानवाय 

(च) सान्ताः – अनन्ताः

प्रश्न 6. उदाहरणमनुसृत्य पाठत् चित्वा समस्तपदानि समासनाम च लिखत

विग्रहपदानि            समस्तपद            समास नाम

यथा- (क) मलेन सहितम् – समलम्        अव्ययीभाव

(ख) हरिताः च ये तरवः (तेषां)

(ग) ललिताः च याः लताः (तासाम्)

(घ) नवा मालिका

(ङ) धृतः सुखसन्देशः येन (तम्)

(च) कज्जलम् इव मलिनम्

(छ) दुर्दान्तैः दशनैः

उत्तरम् –

(ख) हरिततरूणाम् (ग) ललितलतानाम् 

(घ) नवमालिका (ङ) धृतसुखसन्देशम् 

(च) कज्जलमलिनम् (छ) दुर्दान्तदर्शनैः ।

प्रश्न 7. रेखाङ्कितपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) शकटीयानम् कज्जलमलिनं धूमं मुञ्चति ।

(ख) उद्याने पक्षिणां कलरवं चेतः प्रसादयति । 

(ग) पाषाणीसभ्यतायां लतातरुगुल्माः प्रस्तरतले पिष्टाः सन्ति ।

(घ) महानगरेषु वाहनानाम् अनन्ताः पङ्क्तयः धावन्ति ।

(ङ) प्रकृत्याः सन्निधौ वास्तविकं सुखं विद्यते ।

उत्तरम् – 

(क) शकटीयानं कीदृशं धूमं मुञ्चति ?

(ख) उद्याने केषां कलरवं चेतः प्रसादयति ?

(ग) पाषाणीसभ्यतायां के प्रस्तरतले पिष्टाः सन्ति ?

(घ) कुत्र वाहनानाम् अनन्ताः पङ्क्तयः धावन्ति ? 

(ङ) कस्याः सन्निधौ वास्तविकं सुखं विद्यते ?

Class 10 Sanskrit Chapter 1 Suchi paryavaran MCQ

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