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Reading: Class 7 Sanskrit Chapter 2 दुर्बुध्दि विनश्यति 2023-24
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Sanskrit Dhara Vahini > Class 7 > Class 7 Sanskrit > Class 7 Sanskrit Chapter 2 दुर्बुध्दि विनश्यति 2023-24
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Class 7 Sanskrit Chapter 2 दुर्बुध्दि विनश्यति 2023-24

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NCERT Solutions Class 7 Chapter 2 दुर्बुध्दि विनश्यति Hindi & English Translation

Class 7 Sanskrit Chapter 2

Class 7 Sanskrit Chapter 2 दुर्बुध्दि विनश्यति | Sanskrit Class 7 Chapter 2 Hindi Translation | Class 7 Sanskrit Chapter 2 Question Answer

Contents
NCERT Solutions Class 7 Chapter 2 दुर्बुध्दि विनश्यति Hindi & English Translation Class 7 Sanskrit Chapter 2 Question Answer

दुर्बुध्दि विनश्यति :- इस पाठ में संकट और विकट दो हंसो और कम्बुग्रीव नामक कछुए की मित्रता के बारे में बताया गया है। इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने हित चाहने वालों सलाह पर ध्यान नहीं देता है ,वह कछुआ की तरह जान जोखिम में डालकर मृत्यु को प्राप्त कर सकते हैं।

Class7th
SubjectSanskrit
BookNCERT
Chapter2
Chapter Nameदुर्बुद्धि विनश्यति
Class 7thHindi Solution
Class 7thSocial science Solutions

अस्ति मगधदेशे फुल्लोत्पलनाम सरः । तत्र संकटविकटौ हंसौ निवसतः । कम्बुग्रीवनामकः तयोः मित्रम् एकः कूर्मः अपि तत्रैव प्रतिवसति स्म । अथ एकदा धीवराः तत्र आगच्छन्। ते अकथयन्- “वयं श्वः मत्स्यकूर्मादीन् मारयिष्यामः ।” एतत् श्रुत्वा कूर्मः अवदत्- “मित्रे! किं युवाभ्यां धीवराणां वार्ता श्रुता ? अधुना किम् अहं करोमि ?” हंसौ अवदताम् – “प्रातः यद् उचितं तत्कर्त्तव्यम्।” कूर्मः अवदत्- “मैवम् । तद् यथाऽहम् अन्यं हृदं गच्छामि तथा कुरुतम् ।” हंसौ अवदताम् “आवां किं करवाव ?” कूर्मः अवदत् – “अहं युवाभ्यां सह आकाशमार्गेण अन्यत्र गन्तुम् इच्छामि । “

हिन्दी अनुवाद -मगधदेश में फुल्लोत्पल नाम का तालाब है। वहाँ संकट और विकट (नाम के) दो हंस रहते हैं। कम्बुग्रीव नामक उन दोनों का मित्र एक कछुआ भी वहाँ रहता था । इसके बाद एक बार मछुआरे वहाँ आ गए । उन्होंने कहा- “हम कल मछली कछुआ आदि को मारेंगे ।” यह सुनकर कछुआ बोला- “मित्रो ! क्या तुमने धीवरों की बात सुनी ? अब मैं क्या करूँ ?” हंस बोले- “सुबह जो उचित (ठीक) होगा वही करना चाहिए।” कछुआ बोला – “ऐसा नहीं। तो जिससे मैं अन्य सरोवर (झील) में चला जाऊँ, ऐसा करो।” हंस बोले- “हम क्या करें ?” कछुआ बोला- “मैं तुम दोनों के साथ आकाश के रास्ते से अन्यत्र जाना चाहता हूँ।”

English translation – There is a pond named Fullotpal in Magadh Desh. There live two swans named Sankat and Vikat. A tortoise named Kambugreeva, a friend of both of them, also lived there. After this, once the fishermen came there. He said- “Tomorrow we will kill fish, turtle etc.” Hearing this, the tortoise said – “Friends! Have you listened to the fishermen?What should I do now?” The swan said – “Whatever is right should be done in the morning.” The tortoise said – “Not like that. So do this so that I can go to another lake.” Swan said – “What shall we do?” Tortoise said – “I want to go somewhere else with you both through the sky.”

हंसौ अवदताम् – “अत्र कः उपायः ?” कच्छपः वदति-“युवां काष्ठदण्डम् एकं चञ्च्वा धारयताम् । अहं काष्ठदण्ड- मध्ये अवलम्ब्य युवयोः पक्षबलेन सुखेन गमिष्यामि ।” हंसौ अकथयताम् – “सम्भवति एषः उपायः । किन्तु अत्र एकः अपायोऽपि वर्तते । आवाभ्यां नीयमानं त्वामवलोक्य जनाः किञ्चिद् वदिष्यन्ति एव। यदि त्वमुत्तरं दास्यसि तदा तव मरणं निश्चितम्। अतः त्वम् अत्रैव वस ।” तत् श्रुत्वा क्रुद्धः कूर्मः अवदत् – “किमहं मूर्खः ? उत्तरं न दास्यामि । किञ्चिदपि न वदिष्यामि । ” अतः अहं यथा वदामि तथा युवां कुरुतम् 

हिन्दी अनुवाद-हंस बोले “यहाँ (इसका क्या उपाय है?” कछुआ कहता है – “तुम दोनों एक लकड़ी (छड़ी) को चोंच से पकड़ लो । मैं छड़ी के मध्य (बीच) में लटककर तुम दोनों के पंखों के बल (जोर) पर आराम से (चला) जाऊँगा ।” हंसों ने कहा- “यह उपाय सम्भव है। (हो सकता है) । किन्तु यहाँ (इसमें) एक हानि भी है । हम दोनों द्वारा ले जाए जाते हुए तुमको देखकर लोग कुछ कहेंगे ही । यदि तुम उत्तर दोगे तो तुम्हारी मृत्यु निश्चित है । इसलिए तुम यहाँ ही रहो ।” इस बात को सुनकर क्रुद्ध हुआ कछुआ बोला – “क्या मैं मूर्ख हूँ ? उत्तर नहीं दूँगा । कुछ भी नहीं बोलूँगा । इसलिए जैसा मैं कहता हूँ वैसा तुम दोनों करो।”

English translation – Swan said “Here (what is the solution)?” Tortoise says – “You both hold a stick (stick) with the beak. I will hang in the middle of the stick (in the middle) on the wings of both of you (emphasis) But I will go comfortably.” The swans said- “This solution is possible.If you answer then your death is certain. That’s why you stay here.” Hearing this, the angry tortoise said – “Am I a fool? I will not answer I will not say anything. So you both do as I say.”

एवं काष्ठदण्डे लम्बमानं कूर्म पौराः अपश्यन् । पश्चाद् अधावन् अवदन् च “हंहो ! महदाश्चर्यम् हंसाभ्यां सह कूर्मोऽपि उड्डीयते ।” कश्चिद् वदति – “यद्ययं कूर्मः कथमपि निपतति तदा अत्रैव पक्त्वा खादिष्यामि ।” अपरः अवदत्- “सरस्तीरे दग्ध्वा खादिष्यामि।” अन्यः अकथयत्- “गृहं नीत्वा भक्षयिष्यामि ” इति । तेषां तद् वचनं श्रुत्वा कूर्मः क्रुद्धः जातः । मित्राभ्यां दत्तं वचनं विस्मृत्य सः अवदत् – “यूयं भस्म खादत ।” तत्क्षणमेव कूर्मः दण्डात् भूमौ पतितः । पौरैः सः मारितः । अत एवोक्तम्- सुहृदां हितकामानां वाक्यं यो नाभिनन्दति । स कूर्म इव दुर्बुद्धिः काष्ठाद् भ्रष्टो विनश्यति ।।

हिन्दी अनुवाद – इस प्रकार लकड़ी से लटकते हुए कछुआ को नागरिकों ने देखा। (‘वे सभी) पीछे दौड़े और बोले- “अहो, बड़े अचम्भे की बात है । हंसों के साथ कछुआ भी उड़ रहा है ।” कोई कहता है- “यदि यह कछुआ किसी प्रकार नीचे गिर जाता है तो यहीं पकाकर खा जाऊँगा ।” दूसरा बोला- “तालाब के किनारे पर भूनकर खाऊँगा ।” अन्य ने कहा- “घर ले जाकर खाऊँगा ।” उनके ऐसे वचन को सुनकर कछुआ नाराज हो गया । मित्रों को दिए हुए वचन को भूलकर वह बोला- “तुम सब राख (खाक) खाओ।” उसी समय (क्षण) कछुआ डण्डे से (छूटकर) धरती पर गिर गया। नागरिकों ने उसे मार दिया। इसीलिए कहा गयाहै- जो (व्यक्ति) हितैषी (हित चाहने वाले) मित्रों की बात को स्वीकार नहीं (नहीं मानता है) करता है वह दुष्ट बुद्धि वाले कछुए की तरह लकड़ी (डण्डे) से गिरा हुआ (पृथक् हुआ) नष्ट हो जाता है । (मर जाता है।)

English translation – This is how the citizens saw the tortoise hanging from the wood. (‘They all) ran back and said- “Oh, it is a matter of great surprise. The tortoise is also flying along with the swans.” Someone says- “If this turtle somehow falls down, I will cook and eat it here.” The other said – “I will take it home and eat it.” The tortoise got angry after hearing such a word from him. Forgetting the promise given to his friends, he said-“You all eat ashes.” At the same time (moment) the tortoise fell on the earth (leaving it) from the stick. The citizens killed him. That is why it has been said – The one who does not accept (does not accept) the advice of well-wishers (well-seeking) friends, he gets destroyed (separated) when he is thrown from a stick (stick) like a turtle with an evil mind. (dies.)

👉 इन्हें भी पढ़ें :- Class 7 Sanskrit Chapter 3 Hindi Translation

  • सुभाषितानी पाठ 1 सोल्यूशन
  • दुर्बुद्धि विनश्यति पाठ 2 सोल्यूशन
  • स्वावलंबनम् पाठ 3 सोल्यूशन
  • पण्डिता रमाबाई पाठ 4 सोल्यूशन
  • सदाचार पाठ 5 सोल्यूशन
  • सकल्प: सिद्धिदायक पाठ 6 सोल्यूशन

Class 7 Sanskrit Chapter 2 Question Answer

प्रश्न 1. उच्चारणं कुरुत- (उच्चारण कीजिए – )

फुल्लोत्पलम्, अवलम्ब्य, पक्त्वा, कम्बुग्रीवः, आवाभ्याम्, भक्षयिष्यामि, उक्तवान्, हृदम्, सुहृदाम्, भवद्भ्याम्, उड्डीयते, भ्रष्टः ।

2. एकपदेन उत्तरत

(क) कूर्मस्य किं नाम आसीत् ? (कछुआ का क्या नाम था ? )

उत्तर  कम्बुग्रीवः (कम्बुग्रीव) ।

(ख) सरस्तीरे के आगच्छन् ? (तालाब के किनारे कौन थे?)

उत्तर धीवरा: (मछुआरे)।

(ग) कूर्मः केन मार्गेण अन्यत्र गन्तुम् इच्छति ? (कछुआ किस मार्ग से दूसरी जगह जाना चाहता था ? )

उत्तर आकाशमार्गेण (आकाश मार्ग से ) ।

(घ) लम्बमानं कूर्मं दृष्ट्वा के अधावन् ? (लटकते हुए कछुए को देखकर कौन दौड़े ? )

उत्तर पौराः (नागरिक) ।

प्रश्न 3. अधोलिखितवाक्यानि कः कं प्रति कथयति इति लिखत- (निम्नलिखित वाक्यों को कौन किससे कहता है, लिखिए-)

(क) अहं भवद्भ्यां सह आकाशमार्गेण गन्तुम् इच्छामि ।

(ख) अत्र कः उपायः ? 

(ग) अहम् उत्तरं न दास्यामि। 

(घ) यूयं भस्म खादत । 

उत्तरम्-

(क) कूर्मः = हंसौ प्रति

(ख) हंसौ = कूर्मं प्रति 

(ग) कूर्मः = हंसौ प्रति

(घ) कूर्मः = पौरान् प्रति

प्रश्न 4. मञ्जूषातः क्रियापदं चित्वा वाक्यानि पूरयत- (मञ्जूषा से क्रियापद चुनकर वाक्य पूरा करिए – )

अभिनन्दति, भक्षयिष्यामः, इच्छामि, वदिष्यामि, उड्डीयते, प्रतिवसति स्म

(क) हंसाभ्यां सह कूर्मोऽपि……………।

(ख) अहं किञ्चिदपि न ………………।

(ग) यः हितकामानां सुहृदां वाक्यं न………।

(घ) एक: कूर्मः अपि तत्रैव……………..।

(ङ) अहम् आकाशमार्गेण अन्यत्र गन्तुम्” …..।

(च) वयं गृहं नीत्वा कूर्मं……….।

उत्तर (क) उड्डीयते, (ख) वदिष्यामि, (ग) अभिनन्दति,

(घ) प्रतिवसति स्म, (ङ) इच्छामि, (च) भक्षयिष्यामः ।

प्रश्न 5. पूर्णवाक्येन उत्तरत (पूरे वाक्य में उत्तर दीजिए)-

(क) कच्छपः कुत्र गन्तुम् इच्छति ? 

उत्तरम् – कच्छपः अन्यं हृदं (सरं) गन्तुम् इच्छति। 

(ख) कच्छपः कम् उपायं वदति ? 

उत्तरम् – कच्छप: उपायं वदति – “युवां काष्ठदण्डम् एकं चञ्च्वा धारयतम् । अहं काष्ठदण्डमध्ये अवलम्ब्य युवयोः पक्षबलेन सुखेन गमिष्यामि ।” 

(ग) लम्बमानं कूर्मं दृष्ट्वा पौराः किम् अवदन् ? 

उत्तरम् – लम्बमानं कूर्मं दृष्ट्वा पौराः अवदन् – “हंहो ! महदाश्चर्यम् । हंसाभ्यां सह कूर्मोऽपि उड्डीयते । यदि अयं कूर्मः निपतति तदा वयं भक्षयिष्यामः” इति । 

(घ) कूर्मः मित्रयोः वचनं विस्मृत्य किम् अवदत् ? (कछुआ मित्रों के वचन को भूलकर क्या बोला ? )

उत्तरम् – कूर्मः मित्रयोः वचनं विस्मृत्य अवदत् – “यूयं भस्म खादत।” (कछुआ मित्रों के वचन को भूलकर बोला- “तुम सब राख खाओ।”)

6. घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि लिखत- (घटनाक्रम के अनुसार वाक्यों को लिखिए) –

(क) कूर्म: हंसयो: सहायतया आकाशमार्गेण अगच्छत् ।

(ख) पौराः अकथयन् – वयं पतितं कूर्मं खादिष्यामः ।

(ग) कूर्म: हंसौ च एकस्मिन् सरसि निवसन्ति स्म ।

(घ) केचित् धीवराः सरस्तीरे आगच्छन् ।

(ङ) कूर्मः अन्यत्र गन्तुम् इच्छति स्म । 

(च) लम्बमानं कूर्मं दृष्ट्वा पौराः अधावन् ।

(छ) कूर्मः आकाशात् पतितः पौरैः मारितश्च । 

(ज) ‘वयं श्वः मत्स्यकूर्मादीन् मारयिष्यामः’ इति धीवराःअकथयन् ।

उत्तरम् – (क) कूर्म : हंसौ च एकस्मिन् सरसि निवसन्ति . स्म । 

(ख) केचित् धीवराः सरस्तीरे आगच्छन् । 

(ग) ‘वयं श्वः मत्स्यकूर्मादीन् मारयिष्यामः’ इति धीवराः अकथयन् । 

(घ) कूर्मः अन्यत्र गन्तुम् इच्छति स्म । 

(ङ) कूर्मः हंसयो: सहायतया आकाशमार्गेण अगच्छत्।

(च) लम्बमानं कूर्मं दृष्ट्वा पौराः अधावन् । 

(छ) पौराः अकथयन् – वयं पतितं कूर्मं खादिष्यामः।

(ज) कूर्मः आकाशात् पतितः पौरैः मारितश्च ।

7. मञ्जूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (मञ्जूषा से शब्दों को चुनकर रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए – ) 

जलाशयम्, अचिन्तयत्, वृद्ध:, दुःखिताः,कोटरे, वृक्षस्य, सर्पः, आदाय, समीपे

उत्तरम्—एकस्य वृक्षस्य शाखासु अनेके काका: वसन्ति स्म । तस्य वृक्षस्य कोटरे एकः सर्पः अपि अवसत् । काकानाम् अनुपस्थितौ सर्पः काकानां शिशून् खादति स्म । काका: दुःखिताः आसन् । तेषु एकः वृद्धः काकः उपायम् अचिन्तयत् । वृक्षस्य समीपे जलाशयः आसीत् । तत्र एका राजकुमारी स्नातुं जलाशयम् आगच्छति । शिलायां स्थितं तस्याः आभरणम् आदाय एकः काकः वृक्षस्य उपरि अस्थापयत् । राजसेवकाः काकम् अनुसृत्य वृक्षस्य समीपम् अगच्छन् । तत्र ते तं सर्प च अमारयन् । अतः एवोक्तम् उपायेन सर्वं सिद्धयति ।

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सुभाषितानि पाठ 1 का सोल्यूशन

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