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Class 10 Sanskrit Chapter 5 सुभाषितानि Hindi Translation

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Ncert Solution for Class 10 Sanskrit Chapter 6 सुभाषितानि Hindi & English Translation

सुभाषितानि

सुभाषितानि Class 10 Sanskrit पाठ-परिचय-‘सु’ उपसर्गपूर्वक ‘भाष्’ (बोलना) धातु में ‘क्त’ प्रत्यय जुड़कर ‘सुभाषित’ शब्द बनता है, जिसका अर्थ है – अच्छी तरह बोला हुआ अर्थात् सत्य, कल्याणकारी । संस्कृत साहित्य में यत्र-तत्र सर्वत्र उदात्त भावों एवं सार्वभौम सत्य को व्यक्त करने वाली ये अमृतवाणियाँ प्रचुर रूप में विद्यमान हैं इन्हीं अमृतमय वाणियों को संस्कृत में सुभाषित कहा गया है । प्रस्तुत पाठ में विभिन्न संस्कृत-ग्रन्थों से ऐसे ही दस सुभाषितों का संकलन किया गया है। इनमें परिश्रम की महत्ता, क्रोध के दुष्प्रभाव, सभी वस्तुओं की उपादेयता और बुद्धि की विशेषता आदि जीवनोपयोगी जीवन-मूल्यों का वर्णन है व्यावहारिक जीवन में इनका प्रयोग करके व्यक्ति न केवल अपना, अपितु प्राणिमात्र का कल्याण कर सकता है ।

Contents
Ncert Solution for Class 10 Sanskrit Chapter 6 सुभाषितानि Hindi & English Translation Sanskrit Class 10 Chapter 5 Subhashitani Questions Answer NCERT solutions class 10 Sanskrit Chapter 5 सुभाषितानि Questions Answers

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः । नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ।।1।।

हिन्दी – अनुवादः – कवि कहता है कि निश्चित ही आलस्य मनुष्यों के शरीर में स्थित महान् शत्रु है। परिश्रम के समान कोई बन्धु नहीं है, जिसे करके (मनुष्य) दुःखी नहीं होता ।

English Translation: – Poet is the word which is definitely the great enemy situated in the body of the East. There is no friend like hard work, doing which (man) does not feel sad.

गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणो, बली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बलः । पिको वसन्तस्य गुणं न वायसः, करी च सिंहस्य बलं न मूषकः 11211

हिन्दी अनुवाद यह श्लोक मूलतः भर्तृहरिकृत नीति शतक से सङ्कलित है। इस श्लोक में कवि कहता है कि गुणवान् ही गुण को और बलवान ही बल को जान सकता है जैसे वसन्त को कोयल जान सकती है न कि कौआ ।

English translation This verse is originally compiled from Bhartriharikrit Niti Shatak. In this verse, the poet says that only the virtuous can know the virtues and only the strong can know the strength, just like the cuckoo can know the spring and not the crow.

निमित्तमुद्दिश्य हि यः प्रकुप्यति, ध्रुवं स तस्यापगमे प्रसीदति। अकारणद्वेषि मनस्तु यस्य वै, कयं जनस्तं परितोषयिष्यति ||3||

हिन्दी – अनुवादः – कवि कहता है कि जो मनुष्य कारण को आधार बनाकर अर्थात् किसी कारणवश अत्यधिक क्रोध करता है, वह उस कारण के समाप्त हो जाने पर अवश्य ही प्रसन्न हो जाता है (परन्तु ) जिसका मन बिना किसी कारण के द्वेष करने वाला होता है उसको लोक कैसे सन्तुष्ट करेगा ?

English Translation: – The poet says that the person who becomes excessively angry on the basis of a reason i.e. because of some reason, he definitely becomes happy when that reason ends (but) whose mind is hateful without any reason How will the people satisfy him?

उदीरितोऽर्थः पशुनापि गृह्यते, हयाश्च नागाश्च वहन्ति बोधिताः ।  अनुक्तमप्यूहति पण्डिताजनः, परेङ्गितज्ञानफला हि बुद्धयः |14|

हिन्दी अनुवाद:- पशु भी कहे हुए के आशय को ग्रहण कर लेता है। हाथी-घोड़े भी बताए जाने पर बोझा ढोते हैं, परन्तु विद्वान् मनुष्य बिना कहे ही अनुमान लगा लेते हैं (समझ लेते हैं) क्योंकि बुद्धिमान् लोग सङ्केतरूपी ज्ञानजन्य फल वाले होते हैं ।

English translation:- Even the animal accepts the meaning of what is said. Elephants and horses also carry the burden when told, but learned people guess (understood) without being told, because intelligent people are the ones who have the fruits of knowledge in the form of symbols.

क्रोधो हि शत्रुः प्रथमो नराणां, देहस्थितो देहविनाशनाय । यथास्थितः काष्ठगतो हि वह्निः, स एव वह्निर्दहते शरीरम् 11511

हिन्दी अनुवाद:- मनुष्यों के शरीर का विनाश करने के लिए पहला शत्रु शरीर में स्थित क्रोध है। लकड़ियों में रहने वाली अग्नि जैसे लकड़ी को जला देती है उसी प्रकार देह में स्थित क्रोध शरीर को जला देता है ।

English Translation:- The first enemy to destroy the human body is anger located in the body. Just as the fire in the wood burns the wood, in the same way the anger in the body burns the body.

मृगाः मृगैः सङ्गमनुव्रजन्ति, गावश्च गोभिः तुरगास्तुरमैः। मूर्खाश्च मूर्खे: सुधियः सुधीभिः समान- शील- व्यसनेषु सख्यम् 116 11

हिन्दी अनुवाद:- हरिण हरिणों के साथ और गायें गायों के साथ, घोड़े घोड़ों के साथ, मूर्ख मूखों के साथ (और) विद्वान् विद्वानों के साथ अनुगमन करते हैं। (क्योंकि) मित्रता समान आचरण और स्वभाव वालों में ही होती है

English translation:- Stags follow with stags and cows with cows, horses with horses, fools with fools (and) scholars with scholars. (because) friendship is only between those who have similar behavior and nature.

सेवितव्यो महावृक्षः फलच्छायासमन्वितः ।  यदि दैवात् फलं नास्ति, छाया केन निवार्यते ।।7।।

हिन्दी – अनुवाद:- फलों और छाया से युक्त विशाल पेड़ का ही आश्रय लेना चाहिए । भाग्य से यदि फल (परिणाम) न मिले तो छाया को कौन रोक सकता है अर्थात् छाया तो मिलती ही है।

English Translation:- One should take shelter of a huge tree full of fruits and shade. If there is no result due to luck, then who can stop the shadow, that is, the shadow is definitely found.

अमन्त्रमक्षरं नास्ति, नास्ति मूलमनौषधम् । अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकस्तत्र दुर्लभः 118।।

हिन्दी – अनुवादः – मनन करने योग्य (विवेकहीन) कोई अक्षर नहीं है औषधीय गुणों से रहित कोई जड़ नहीं है। (कोई) मनुष्य अज्ञानी नहीं है । वहाँ (इन विषयों में तो) जोड़ने वाले (संयोजक) की आवश्यकता है अर्थात् वहाँ जोड़ने वाला ही दुष्प्राप्य है ।

English Translation: – There is no letter worth pondering (directionless), there is no root without medicinal properties. (No) man is not ignorant. There (in these subjects) there is a need for a linker, that is, there the linker is scarce.

सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता । उदये सविता रक्तो रक्तश्चास्तमये तथा | 19 ||

हिन्दी अनुवाद – महापुरुषों की स्थिति समृद्धि एवं संकट में एक जैसी होती है। जिस प्रकार सूर्य उदय होने पर लाल होता है और अस्त होने पर भी लाल ही होता है ।

English translation – The condition of great men is the same in prosperity and in distress. Just as the sun is red when it rises and remains red even when it sets.

विचित्रे खलु संसारे नास्ति किञ्चिन्निरर्थकम् । अश्वश्वेद् घावने वीर भारस्य वहने खराः 111011

हिन्दी अनुवाद:- (इस) अद्भुत संसार में निश्चित ही कुछ भी अनुपयोगी नहीं है। घोड़ा यदि दौड़ने की कला में कुशल (योग्य) है, तो गधा भार ढोने में योग्य होता है।

English Translation:- (In this) wonderful world, certainly nothing is useless. If a horse is skilled in the art of running, then a donkey is capable of carrying a load

Sanskrit Class 10 Chapter 5 Subhashitani Questions Answer

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत

(क) मुनष्याणां महान रिपुः कः ?

(ख) गुणी किं वेत्ति ?

(ग) केषां सम्पत्तौ च विपत्तौ च एकरूपता?

(घ) पशुना अपि कीदृशः ग्रह्यते ?

(ङ) उदयसमये अस्तसमये च कः रक्तः भवति ?

उत्तराणि – (क) आलस्यम् (ख) गुणम् (ग) महताम् (घ) उदीरितः (ङ) सविता

प्रश्न 2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत 

(क) केन समः बन्धुः नास्ति ?

उत्तरम् – उद्यमेन समः बन्धुः नास्ति ।

(ख) वसन्तस्य गुणं कः जानाति ? 

उत्तरम् – पिको वसन्तस्य गुणं जानाति ।

(ग) बुद्धयः कीदृश्यः भवन्ति ?

उत्तरम् – परेङ्गितज्ञानफला: हि बुद्धयः ।

(घ) नराणां प्रथमः शत्रुः कः ?

उत्तरम् – नराणां क्रोधो हि प्रथमः शत्रुः ।

(ङ) सुधियः सख्यं केन सह भवति ?

उत्तरम् – सुधियः सख्यं सुधीभिः सह भवति ।

(च) अस्माभिः कीदृशः वृक्षः सेवितव्यः ?

उत्तरम् – अस्माभिः फलच्छाया-समन्वितः महावृक्षः सेवितव्यः । 

प्रश्न 3. अधोलिखिते अन्वयद्वये रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत

(क) यः………….. . उद्दिश्य प्रकुप्यति तस्य . सः ध्रुवं प्रसीदति ।

यस्य मनः अकारणद्वेषि अस्ति, तं कथं ……… परितोषयिष्यति ? 

उत्तरम् – यः निमित्तम् उद्दिश्य प्रकुप्यति तस्य अपगमे सः ध्रुवं प्रसीदति । यस्य मनः अकारणद्वेषि अस्ति, तं कथं जनः परितोषयिष्यति ?

(ख) …… खलु संसारे………निरर्थकं नास्ति । अश्वः चेत्…वीरः, खरः………..। 

उत्तरम-विचित्रे खलु संसारे किञ्चित् निरर्थकम् नास्ति । अश्वः चेत् धावने वीरः, खरः भारस्य वहने (वीरः) (भवति) ।

प्रश्न 4 अधोलिखितानां वाक्यानां कृते समानार्थक श्लोकाशान् पाठात् चित्वा लिखत

(क) विद्वान् स एव भवति यः अनुक्तम् अपि तथ्यं जानाति ।

(ख) मनुष्यः समस्वभायैः जनैः सह मित्रतां करोति । ।

(ग) परिश्रम कुर्वाणः नरः कदापि दुःखं न प्राप्नोति

(घ) महान्तः जनाः सर्वदैव समप्रकृतयः भवन्ति ।

उतरम् (क) अनुक्रमप्रति पण्डितेोजनः । 

(ख) समान-शील व्यसनेषु सख्यम् ।

(ग) नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति । 

(घ) सम्पती च विपत्तौ च महतामेकरूपता ।

प्रश्न 5. यथानिर्देश परिवर्तन विधाय वाक्यानि रचयत

(क) गुणी गुणं जानाति । (बहुवचने)

(ख) पशुः उदीरितम् अर्थ गृह्णाति । (कर्मवाच्ये)

(ग) मृगा: मृगैः सह अनुव्रजन्ति । (एकवचने)

(घ) कः छायां निवारयति ? (कर्मवाच्ये)

उत्तरम—

(क) गुणिनः गुणान् जानन्ति । 

(ख) पशुना उदीरितः अर्थः गृह्यते ।

(ग) मृग: मृगेण सह अनुव्रजति ।

(घ) केन छाया निवार्यते ।

(ङ) तेनैव क्रोधः शरीरं दह्यते।

प्रश्न 6. (अ) सन्धि / सन्धिविच्छेदं कुरुत

(क) न + अस्ति + उद्यमसमः

(ख) तस्यापगमे

(ग) अनुक्तम् +अपि+ ऊहति

(घ) गावश्च

(ङ) नास्ति

(च) रक्तः + च + अस्तमये

(छ) योजकस्तत्र

उत्तरम् (क) न अस्ति + उद्यमसमः नास्त्युद्यमसमः (ख) तस्य अपगमे तस्यापगमे (ग) अनुक्तम् + अपि + ऊहति अनुक्तमप्यूहति (घ) गावः च गावश्च (ङ) न + अस्ति नास्ति (च) रक्तः + च + अस्तमये रक्तश्चास्तमये (छ) योजकः + तत्र – योजकस्तत्र । 

(आ) समस्तपदं / विग्रहं लिखत

(क) उद्यमसमः

(ख) शरीरे स्थितः

(ग) निर्बलः

(घ) देहस्य विनाशनाय

(ङ) महावृक्षः

(च) समानं शीलं व्यसनं येषां तेषु

(छ) अयोग्यः

उत्तरम् –

(क) उद्यमेन सदृशः

(ख) शरीरस्थितः

(ग) निर्गतः बलः येषाम्

(च) समानशील- व्यसनेषु

(ङ) महान चासौ वृक्षः

(छ) नः योग्यः ।

प्रश्न 7. (अ) अधोलिखितानां पदानां विलोमपदानि पाठात् चित्वा लिखत

(क) प्रसीदति

(ख) मूर्खः

(ग) बली

(घ) सुलभः

(च) अस्ते

(ङ) सम्पत्तौ

(छ) सार्थकम्

उत्तरम् – विलोम पद

अवसीदति (दुःख पाता है)

पण्डितः(विद्वान्)

निर्बल:(कमजोर)

दुर्लभः(दुष्प्राप्य)

विपत्तौ (संकट में)

उदये(उदय होने पर)

निरर्थकम्(व्यर्थ)

(आ) संस्कृतेन वाक्यप्रयोगं कुरुत

(क) वायसः

(ख) निमित्तम्

(ग) सूर्य:

(घ) पिकः

(ङ) वह्निः

उत्तर–

(क) वसन्तस्य गुणं वायसः न जानाति ।

(ख) यः निमित्तम् उद्दिश्य प्रकुप्यति सः तस्य अपगमे

प्रसीदति ।

(ग) सूर्यः प्रातःकाले पूर्वस्यां दिशि उदेति ।

(घ) पिकः मधुरस्वरेण कूजति ।

(ङ) वह्निः काष्ठं दहति ।

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