Rbse Class 12 Geography Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र
Rbse Class 12 GEOGRAPHY मानव का प्राकृतीकरण – मानव: प्राकृतिक वातावरण के अन्तर्सम्बन्धों की आरम्भिक अवस्था में आदिम मानव समाज अपने प्राकृतिक वातावरण से अत्यधिक प्रभावित रहा था एवं मानव के सभी क्रियाकलापों पर प्राकृतिक वातावरण का पूर्ण नियंत्रण था। जिसका प्रमुख कारण यह था कि आदिम मानव समाज की प्रौद्योगिकी का स्तर अति निम्न था तथा मानव के सामाजिक विकास की अवस्था भी आदिम थी।प्रौद्योगिकी विकास की उस अवस्था में मानव अपने प्राकृतिक वातावरण के साथ पूर्णत: दास रूप में कार्य करता था एवं प्राकृतिक शक्तियों को एक शक्तिशाली बल, पूज्यनीय एवं सत्कार योग्य मानता था। साथ ही अपने सतत पोषण के लिए मानव अपने प्राकृतिक वातावरण पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर था। इस प्रकार आदिम मानव ने अपने आपको प्रकृति के आदेशों के अनुरूप ढाल लिया। इसी प्रक्रिया को मानव का प्राकृतीकरण कहा जाता है।जर्मन भूगोलवेत्ताओं ने आदिम मानव समाज तथा प्रकृति की प्रबल शक्तियों के मध्य इस प्रकार के अन्तर्सम्बन्धों को पर्यावरण निश्चयवाद का नाम दिया। कु, सेंपल ने इस विचारधारा के संदर्भ में लिखा है कि-“मनुष्य पृथ्वी तल की उपज है, इसका अर्थ यह नहीं कि वह पृथ्वी का बच्चा मात्र है वरन् यह पृथ्वी उसकी माता है, इसने मानव का भरण-पोषण करने के साथ उसे मातृत्व प्रदान किया है, मानव के कार्यों को निर्देशित कर, समस्याओं को उत्पन्न कर, शारीरिक बल एवं बुद्धि को बढ़ाया है।