तमप् प्रत्यय की परिभाषा | तमप् प्रत्यय संस्कृत में | तमप् प्रत्यय के उदाहरण
तमप् प्रत्यय जहां दो या दो से अधिक की तुलना या अधिकता प्रकट होती है वहां तमप् प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है। तमप् प्रत्यय का प्रयोग विशेषण शब्दों के समान होता है।
संस्कृत तमप् प्रत्यय की परिभाषा
तमप् प्रत्यय के अन्तिम वर्ण ‘प्’ की इत्संज्ञा अर्थात लोप हो जाता है तथा केवल ‘तम्’ शेष रहता है। तमप् प्रत्यय तीनों लिंगों में रुप चलते हैं। पुल्लिंग में बालक: , स्त्रीलिंग में लता और नपुंसकलिंग में ज्ञान के समान रुप चलते हैं।
संस्कृत तमप् प्रत्यय की पहचान :- तमप् प्रत्यय हमेशा शब्दों से जुड़ता है । नीचे दी गई सारणी के अनुसार आप इसकी पहचान याद कर लें । पुल्लिंग में शब्दों के अन्त में तम:,व स्त्रीलिंग में तमा, और नपुंसकलिंग में तमम् जोड़कर नया शब्द बनाया जाता है।
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | नपुंसकलिंग |
तम: | तमा | तमम् |
उदाहरण तमप् प्रत्यय
मूलशब्द: | पुल्लिंग रुपम् | स्त्रीलिंग रुपम् | नपुंसकलिंग रुपम् |
लघु: | लघुतम: | लघुतमा | लघुतमम् |
गुरु: | गुरुतम: | गुरुतमा | गुरुतमम् |
कृश | कृशतम: | कृशतमा | कृशतमम् |
दृढ़ | दृढ़तम: | दृढ़तमा | दृढ़तमम् |
मधुर | मधुरतम: | मधुरतमा | मधुरतमम् |
पटु | पटुतम: | पटुतमा | पटुतमम् |
कुशल | कुशलतम: | कुशलतमा | कुशलतमम् |
निपुण | निपुणतम: | निपुणतमा | निपुणतमम् |
श्रेष्ठ | श्रेष्ठतम: | श्रेष्ठतमा | श्रेष्ठतमम् |
निकृष्ट | निकृष्टतम: | निकृष्टतमा | निकृष्टतमम् |
मृदु | मृदुतम: | मृदुतमा | मृदुतमम् |
जड़ | जड़तम: | जड़तमा | जड़तमम् |
ह्रस्व | ह्रस्वतम: | ह्रस्वतमा | ह्रस्वतमम् |
दीर्घ | दीर्घतम: | दीर्घतमा | दीर्घतमम् |
कृष्ण | कृष्णतम: | कृष्णतमा | कृष्णतमम् |
शुक्ल | शुक्लतम: | शुक्लतमा | शुक्लतमम् |
महत् | महत्तम: | महत्तमा | महत्तमम् |
कनिष्ठ | कनिष्ठतम: | कनिष्ठतमा | कनिष्ठतमम् |
वरिष्ठ | वरिष्ठतम: | वरिष्ठतमा | वरिष्ठतमम् |