संस्कृत कक्षा 9 पाठ 6 लौहतुला हिन्दी अनुवाद और प्रश्न उत्तर
लौहतुला – यह पाठ विष्णु शर्मा द्वारा रचित ‘पंचतन्त्रम्’ नामक कथा-ग्रन्थ के ‘मित्रभेद’ नामक तन्त्र से लिया गया है। इस कथा में विदेश से लौटकर जीर्णधन व्यापारी अपनी धरोहर (तराजू) को सेठ से मांगता है। तराजू चूहे खा गए है । ऐसा सुनकर व्यापारी के पुत्र को नदी तट पर स्नान के बहाने ले जाकर गुफा में छुपा लेता है। सेठ द्वारा अपने पुत्र के बारे में पुछने पर व्यापारी ने कहा उसे बाज उठा ले गया। इस विवाद हो जाने पर दोनों न्यायालय पहुंचते हैं।
आसीत् कस्मिंश्चिद् अधिष्ठाने जीर्णधनो नाम वणिक्पुत्रः । स च विभवक्षयाद्देशान्तरं गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत्- यत्र देशेऽथवा स्थाने भोगा भुक्ताः स्ववीर्यतः । तस्मिन् विभवहीनो यो वसेत् स पुरुषाधमः ॥ तस्य च गृहे लौहघटिता पूर्वपुरुषोपार्जिता तुलासीत् । तां च कस्यचित् श्रेष्ठिनो गृहे निक्षेपभूतां कृत्वा देशान्तरं प्रस्थितः । ततः सुचिरं कालं देशान्तरं यथेच्छया भ्रान्त्वा पुनः स्वपुरमागत्य तं श्रेष्ठिनमुवाच- “भोः श्रेष्ठिन् ! दीयतां मे सा निक्षेपतुला।” स आह-“भोः! नास्ति सा, त्वदीया तुला मूषकैर्भक्षिता” इति ।
हिन्दी अनुवाद – किसी स्थान पर जीर्णधन नाम का कोई व्यापारी (बनिया का पुत्र) रहता था। धन के नष्ट हो जाने के कारण दूसरे देश में जाने की इच्छा करते हुए उसने सोचा कि— जिस देश अथवा स्थान पर अपने पराक्रम द्वारा अत्यधिक ऐश्वर्य का भोग किया हो, उसी स्थान पर जो मनुष्य धनहीन होकर रहता है तो वह अधम (नीच) मनुष्य माना जाता है। और उसके घर में पूर्वजों द्वारा अर्जित एक लोहे से बनी हुई तराजू थी। और उस तराजू को किसी सेठ के घर में धरोहर के रूप में रखकर वह दूसरे देश में चला गया। इसके बाद बहुत समय तक दूसरे देश में इच्छानुसार भ्रमण करके वह फिर से अपने नगर में आकर सेठ से बोला- “हे सेठजी ! मेरी वह धरोहर रूप में रखी हुई तराजू दीजिए।” वह बोला- “अरे! वह तराजू तो नहीं है, तुम्हारी तराजू को चूहे खा गए।”
English translation – At some place a businessman (son of a baniya) named Jirnadhan lived. Due to the destruction of wealth, while desiring to go to another country, he thought that- the person who lives without money in the country or place where he has enjoyed immense opulence through his prowess, he is a lowly person. It is believed. And in his house there was a balance made of iron acquired by the ancestors. And keeping those scales in a Seth’s house as a heritage, he went to another country. After this, after traveling in other countries for a long time, he again came to his city and said to Seth – “O Sethji! Give me that balance kept as a heritage.” He said – “Hey! It is not a scale, the rats have eaten your scales.”
जीर्णधन अवदत्-” भोः श्रेष्ठिन् ! नास्ति दोषस्ते, यदि मूषकैर्भक्षितेति । ईदृगेवायं संसारः । न किञ्चिदन शाश्वतमस्ति । परमहं नद्यां स्नानार्थं गमिष्यामि। तत् त्वमात्मीयं शिशुमेनं धनदेवनामानं मया सह स्नानोपकरणहस्तं प्रेषय ” इति । स श्रेष्ठी स्वपुत्रमुवाच – ” वत्स ! पितृव्योऽयं तव, स्नानार्थं यास्यति, तद् गम्यतामनेन सार्धम्” इति । अथासौ वणिक्शिशुः स्नानोपकरणमादाय प्रहृष्टमनाः तेन अभ्यागतेन सह प्रस्थितः । तथानुष्ठिते स वणिक् स्नात्वा तं शिशुं गिरिगुहायां प्रक्षिप्य, तद्द्वारं बृहच्छिलयाच्छाद्य सत्त्वरं गृहमागतः ।
हिन्दी-अनुवाद-जीर्णधन बोला- “हे सेठजी ! तुम्हारा दोष नहीं है, यदि चूहों के द्वारा तराजू को खा लिया गया है है, लौटने तो। यह संसार इसी प्रकार का ही है। यहाँ कुछ भी स्थिर नहीं है। किन्तु मैं नदी पर स्नान करने के लिए जाऊँगा। इसलिए पर सेठ तुम अपने इस पुत्र धनदेव नाम वाले को मेरे साथ स्नान की सामग्री के साथ भेज दीजिए।” वह सेठ अपने पुत्र से बोला- “पुत्र! तुम्हारे चाचा स्नान के लिए जायेंगे, इसलिए तुम भी इनके साथ जाओ।” इसके बाद वह व्यापारी का पुत्र स्नान की सामग्री को हाथ में लिए हुए प्रसन्न मन से उस अतिथि के साथ चला गया। वैसा ही होने पर उस व्यापारी ने स्नान करके उस बालक को पर्वत की गुफा में फेंककर (छोड़कर), उसके दरवाजे को एक बड़े शिलाखण्ड से ढककर शीघ्र ही वह घर आ गया
English Translation demon-dwindhan said- “O Sethji! It is not your fault, if the scales have been eaten by mice, then this world is the same. Nothing is stable here. But I am not stable here. But I am on the river on the river I will go to bathe. So Seth, you send this son Dhandev named Dhandev with me with the material of bathing. ” That Seth said to his son- “Son! Your uncle will go for bathing, so you also go with them.” After this, he went with the guest of the businessman’s son with a happy heart with a happy heart. In the same way, the businessman took a bath and threw the child into the cave of the mountain (except), covering his door with a big rock, he soon came home.
सः श्रेष्ठी पृष्टवान्-” भोः ! अभ्यागत! कथ्यतां कुत्र में शिशुर्यस्त्वया सह नदीं गतः “? इति । स आह-“नदीतटात्स श्येनेन हृतः” इति। श्रेष्ठ्याह- “मिथ्यावादिन्। किं क्वचित् श्येनो बालं हर्तुं अवनीति? तत् समर्पय मे सुतम् अन्यथा राजकुले निवेदयिष्यामि।” इति ।स आह-” भोः सत्यवादिन् ! यथा श्येनो बाल न नयति, तथा मूषका अपि लौहघटितां तुलां न भक्षयन्ति। तदर्पय मे तुलाम्, यदि दारकेण प्रयोजनम् ।” इति । एवं विवदमानौ तौ द्वावपि राजकुलं गतौ । तत्र श्रेष्ठी तारस्वरेण प्रोवाच – ” भोः ! अब्रह्मण्यम् ! अब्रह्मण्यम्! मम शिशुरनेन चौरेणापहतः” इति
हिन्दी अनुवाद – और उस व्यापारी ने पूछा- “हे अतिथि! कहो, मेरा पुत्र कहाँ है, जो कि तुम्हारे साथ नदी पर या था?” वह बोला- ‘नदी के तट से उसे बाज पक्षी हरण करके (उठाकर ले गया।” सेठ बोला- “अरे झूठे ! क्या कहीं बाज पक्षी बालक का हरण कर सकता है? इसलिए मेरे पुत्र को लौटा दो, अन्यथा मैं राजदरबार में निवेदन करूँगा।” वह बोला – ” हे सत्यवादि! जिस प्रकार बाज बालक को नहीं ले जाता है, उसी प्रकार चूहे भी लोहे से बनी हुई राजू को नहीं खाते हैं। इसलिए मेरी तराजू लौटा दीजिए यदि तुम्हें पुत्र से कोई प्रयोजन है तो। ” इस प्रकार झगड़ा करते हुए वे दोनों ही राजदरबार में चले गये। वहाँ सेठ जोर से बोला- “अरे! घोर अन्याय, र अन्याय ! मेरे बालक का इस चोर ने अपहरण कर लिया है।”
English translation – And the merchant asked – “O guest! Say, where is my son, who was with you at the river?” He said – ‘The eagle bird took him away from the river bank.” Seth said – “You liar! Can an eagle bird kidnap a child? ” He said – ” O truthful! Just as the eagle does not take away the child, similarly the rats do not eat Raju made of iron. So return my scales if you have any need for the son. While quarreling, both of them went to the royal court. There Seth said loudly – “Hey! Terrible injustice, injustice! My child has been kidnapped by this thief.”
अथ धर्माधिकारिणस्तमूचुः – “भोः ! समर्प्यतां श्रेष्ठिसुतः”। स आह-“किं करोमि? पश्यतो मे नदीतटाच्छ्येनेन अपहृतः शिशुः ” । इति । तच्छ्रुत्वा ते प्रोचुः- भोः! न सत्यमभिहितं भवता-किं श्येनः शिशुं हर्तुं समर्थो भवति ? स आह-भोः भोः! श्रूयतां मद्वच:-तुलां लौहसहस्त्रस्य यत्र खादन्ति मूषकाः । राजन्तत्र हरेच्छ्येनो बालकं नात्र संशयः ॥ ते प्रोचुः – ” कथमेतत् ” ।ततः स श्रेष्ठी सभ्यानामग्रे आदितः सर्व वृत्तान्तं निवेदयामास । ततस्तैर्विहस्य द्वावपि तौ परस्परं संबोध्य तुला- शिशु-प्रदानेन तोषितवत् ।
हिन्दी अनुवाद-इसके बाद न्यायाधीशों ने उस व्यापारी से कहा कि-‘अरे! इस सेठ का पुत्र दे दीजिए।’ वह बोला-‘मैं क्या करता? मेरे देखते-देखते नदी के किनारे से बाज बालक को उठा ले गया।’ यह सुनकर वे न्यायाधीश बोले-अरे! आपने सत्य नहीं कहा है, क्या बाज बालक का अपहरण करने में समर्थ ता है? वह बोला- हे सभ्यजनो! मेरी बातें सुनिए— जहाँ एक टन (हजार किलोग्राम) की लोहे की तराजू को चूहे खा सकते हैं, हे राजन्! वहाँ पर बाज भी बालक का हरण कर सकता है, इसमें कोई सन्देह नहीं है वे बोले-“यह कैसे सम्भव है?” इसके बाद उस सेठ (व्यापारी पुत्र) ने धर्माधिकारियों के सामने आरम्भ से लेकर सम्पूर्ण वृत्तान्त सुनाया। तब उन धर्माधिकारियों ने हँसते हुए उन दोनों को आपस में समझाकर तथा परस्पर में तुला एवं बालक को प्रदान करके सन्तुष्ट कर दिया।
English translation – After this the judges said to that businessman – ‘Hey! Give this Seth’s son.’ He said – ‘What would I have done? In my very sight, the eagle carried away the child from the bank of the river. Hearing this, the judge said – Hey! You have not told the truth, is the eagle capable of kidnapping a child? He said – O civilized people! Listen to my words – where rats can eat iron scales of one ton (thousand kg), O Rajan! There is no doubt that even an eagle can kidnap a child. They said – “How is this possible?” After this, that Seth (merchant’s son) narrated the entire story from the beginning to the religious authorities. Then those religious officials laughingly satisfied both of them by explaining to each other and giving them to each other the Libra and the child.
Sanskrit Class 9 chapter 6 Questions Answers
प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
(क) वणिक्पुत्रस्य किं नाम आसीत्?
उत्तर जीर्णधन:।
(ख) तुला कैः भक्षिता आसीत्?
उत्तर मूषकै:।
(ग) तुला कीदृशी आसीत्?
उत्तर लौहघटिता।
(घ) पुत्र केन हतः इति जीर्णधनः वदति?
उत्तर श्येन।
(ङ) विवदमानौ तौ द्वावपि कुत्र गतौ ?
उत्तर राजकुलम्।
प्रश्न 2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत- (अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में लिखिए – )
(क) देशान्तरं गन्तुमिच्छन् वणिक्पुत्रः किं व्यचिन्तयत् ?
उत्तर व्यचिन्तयत्-“पत्र पूर्व भोगाः भुक्ताः तत्र विभवहीनः सन् न वसेत्
(ख) स्वल याचमानं जीर्णधनं श्रेष्ठी किं अकथयत्?
उत्तरम्-जोर्णधनं श्रेही अकथयत्” भोः ! नास्ति तुला सा तु मूषकैः भक्षिता।
(ग) जीर्णधनः गिरिगुहाद्वारं कया आच्छाद्य गृहमागतः ।
उत्तरम् – जीर्णधनः गिरिगुहाद्वारे महत्या शिलया आच्छाद्य गृहमागतः।
(घ) स्नानानतरं पुत्रविषये पृष्टः वणिक्पुत्रः श्रेष्ठिनं किम् अवदत् ?
उत्तरम् – वणिक्पुत्रः अवदत्-“भोः! तव पुत्रः नदीतटयत् श्येनेन हतः”।
(ङ) धर्माधिकारिणः जीर्णधनश्रेष्ठिनौ कथं तोषितवन्तः ?
उत्तरम् – धर्माधिकारिणः तौ परस्परं तुला- शिशु-प्रदानेन तोषितवन्तः ।
प्रश्न 3. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) जीर्णधनः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत् ।
उत्तरम्-कः विभवक्षयात् देशान्तरं गन्तुमिच्छन् व्यचिन्तयत् ?
(ख) श्रेष्ठिनः शिशुः स्नानोपकरणमादाय अभ्यागतेन सह प्रस्थितः।
उत्तरम् श्रेष्ठिनः शिशुः स्नानोपकरणमादाय केन सह प्रस्थितः ?
(ग) वणिक् गिरिगुहां बृहच्छिलया आच्छादितवान् ।
उत्तरम्-वणिक् गिरिगुहां कया आच्छादितवान्?
(घ) सभ्यै तौ परस्परं संबोध्य तुला- शिशु-प्रदानेन सन्तोषितौ ।
उत्तरम्-सभ्यैतौ परस्परं संबोध्य कथं सन्तोषितौ ?
प्रश्न 4. अधोलिखितानां श्लोकानाम् अपूर्णोऽन्वयः प्रदत्तः पाठमाधृत्य तम् पूरयत-
उत्तरम् – (क) यत्र देशे अथवा स्थाने स्ववीर्यतः भोगाः भुक्ता तस्मिन् विभवहीनः यः वसेत् स पुरुषाधम:।
(ख) राजन् ! यत्र लौहसहस्रस्य तुलां मूषकाः खादन्ति तत्र श्येनः बालकं हरेत् अत्र संशय: न।
प्रश्न 5. तत्पदं रेखाङ्कितं कुरुत यत्र-
(क) ल्यप् प्रत्ययः नास्ति
विहस्य, लौहसहलस्य, संबोध्य, आदाय।
उत्तरम् – लौहसहस्रस्य ।
(ख) यत्र द्वितीया विभक्तिः नास्ति
श्रेष्ठिनम्, स्नानोपकरणम्, सत्वरम्, कार्यकारणम्
उत्तरम् -सत्वरम्।
(ग) यत्र षष्ठी विभक्तिः नास्ति
पश्यतः, स्ववीर्यतः, श्रेष्ठिनः सभ्यानाम्
उत्तरम् – स्ववीर्यतः ।
प्रश्न 6. सन्धिना सन्धिविच्छेदेन वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
(क) श्रेष्ठ्याह श्रेष्ठी + आह
(ख) द्वावपि द्वौ + अपि
(ग) पुरुषोपार्जिता पुरुष + उपार्जिता
(घ) यथेच्छया यथा + इच्छया
(ङ) स्नानोपकरणम् स्नान उपकरणम्
(च) स्नानार्थम् स्नान+अर्थम्
प्रश्न 7. समस्तपदं विग्रहं वा लिखत-
उत्तरम् – विग्रहः समस्तपदम्
(क) स्नानस्य उपकरणम् स्नानोपकरणम्
(ख) गिरेः गुहायाम् गिरिगुहायाम्
(ग) धर्मस्य अधिकारी धर्माधिकारी
(घ) विभवेन हीनाः विभवहीनाः