NCERT Solutions for Class 9th: Chapter 5 सांवले सपनों की याद हिंदी क्षितिज भाग-1 / Saanvale Sapane kee yaad
हम आपके लिए NCERT Solutions for Class 9th: पाठ 4 – सांवले सपनों की याद हिंदी क्षितिज Book के प्रश्न उत्तर लेकर आए हैं। यह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस पाठ का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि वे saanvale sapane kee yaad Summary of NCERT solutions for Class 9th Hindi Kshitij Chapter 4.
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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया ?
उत्तर एक बार बचपन में सालिम अली की एयरगन से – एक गौरैया घायल होकर गिर पड़ी। इस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और वे पक्षियों की देखभाल, सुरक्षा और खोजबीन में जुट गए। उनकी रुचि पूरे पक्षी संसार की ओर हो गई जिससे वे पक्षी-प्रेमी बन गए ।
प्रश्न 2. सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से सम्बन्धित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं ?
उत्तर सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह को बताया था कि रेगिस्तान की गर्म हवाओं के आने के कारण केरल की साइलेंट वैली के झुलसने की संभावना है। इससे जीव-जन्तुओं का जीवन भी खतरे में पड़ जायेगा । यह सुनकर चौधरी चरणसिंह की आँखें नम हो गईं।
प्रश्न 3. लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती हैं ?”
उत्तर लॉरेंस की पत्नी क्रीडा जानती थी कि लॉरेंस को से बहुत प्रेम था। वे अपना ज्यादा समय गौरिया के साथ व्यतीत करते थे जिससे गौरैया भी उनके साथ अंतरंग मित्र जैसा व्यवहार करती थी। उनके पक्षी-प्रेम को उद्घाटित करने के लिए उन्होंने यह वाक्य कहा होगा ।
प्रश्न 4, आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
उत्तर – अंग्रेजी के कवि डी.एच. लॉरेंस प्रकृति के प्रेमी थे । उनका जीवन प्रकृतिमय हो चुका था । उन्हीं की भाँति सालिम अली भी अपने को प्रकृति के लिए समर्पित कर चुके थे । यहाँ तक कि ये स्वयं प्रकृति की भाँति सहज-सरल, भोले और निश्छल हो चुके थे ।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा ।
उत्तर – सालिम अलीरूपी पक्षी मृत्यु की गोद में सो चुका है । अतः अब अगर कोई अपने दिल की धड़कन उसके दिल में भर भी दे और अपने शरीर की हलचल उसके शरीर में डाल भी दे, तो भी वह पक्षी फिर से वैसा नहीं हो सकता, क्योंकि उसके सपने अपने ही शरीर और अपनी ही धड़कन से जन्मे थे। किसी और के प्रयास से सालिम अली के सपने साकार नहीं हो सकते ।
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे ।
उत्तर सालिम अली प्रकृति के खुले संसार में जानकारियाँ – एकत्र करने के लिए निकले। उन्होंने अपने आपको किसी सीमा में बंद नहीं किया। वे एक टापू की तरह किसी स्थान या पशु-पक्षी विशेष से नहीं बँध गए। उन्होंने अथाह सागर की तरह प्रकृति में जो-जो अनुभव आए, उन्हें सँजोया । उनका कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत था ।
प्रश्न 5. इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर-‘साँवले सपनों की याद’ नामक पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली सम्बन्धी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं–
1. मिश्रित शब्दावली का प्रयोग इस पाठ में उर्दू, तद्भव और संस्कृत शब्दों का सम्मिश्रण है । उदाहरण-ज़िंदगी, परिंदा, खूबसूरत, हुजूम संस्कृत शब्दों का प्रयोग भी प्रचुरता से हुआ है। जैसे- संभव, अंतहीन, पक्षी, वर्ष, इतिहास ।
2. जटिल वाक्यों का प्रयोग – जाबिर हुसैन की वाक्य रचना बंकिम और जटिल है। वे सरल-सोधे वाक्यों का प्रयोग नहीं करते। कलात्मकता उनके हर वाक्य में है। उदाहरण- ‘सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की तरफ अग्रसर है ।’
3. अलंकारों का प्रयोग-जाबिर हुसैन अलंकारों की भाषा में लिखते हैं । उपमा, रूपक उनके प्रिय अलंकार हैं।
4. भावानुरूप भाषा जाबिर हुसैन भाव के अनुरूप शब्दों और वाक्यों की प्रकृति बदल देते हैं। उदाहरणतया, कभी वे छोटे-छोटे वाक्य प्रयोग करते हैं- आज सालिम अली नहीं हैं ।
प्रश्न 6. इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है, उसे अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर सालिम अली अनन्य प्रकृति-प्रेमी थे । उन्हें पक्षियों से विशेष लगाव था । लेखक के शब्दों में, “उन जैसा ‘बर्ड-वाचर’ शायद ही कोई हुआ हो।” वे हमेशा आँखों या गले में दूरबीन लटकाए रहते थे। उन्हें दूर आकाश में उड़ते पक्षियों की खोज करने तथा उनकी सुरक्षा के उपाय खोजने की असीम लगन थी। वे स्वभाव से अत्यन्त घुमक्कड़ और सैलानी थे । व्यवहार में वे सरल-सीधे और भोले इन्सान थे।
प्रश्न 7. ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर – ‘साँवले सपनों की याद’ एक प्रतीक प्रधान रचना है। सालिम अली जीवन-भर सुनहरे पक्षियों की खोज के सपनों में खोए रहे । ये सपने हर किसी को नहीं आते, हर कोई पक्षी प्रेम में नहीं खो सकता । इसलिए आज जब सालिम अली नहीं रहे तो लेखक को उन साँवले सपनों की याद आती है जो सालिम अली की आँखों में रहते थे । अतः पाठ का यह शीर्षक सार्थक प्रतीत होता है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8. प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं ?
उत्तर – पर्यावरण संरक्षण/पर्यावरण को बचाने में हम निम्नलिखित प्रकार से योगदान कर सकते हैं-
(क) पर्यावरण संरक्षण हेतु हमें अपने आस-पास की हरियाली की सुरक्षा करनी चाहिए।
(ख) अपनी क्षमतानुसार पशु-पक्षियों के भोजन का प्रबन्ध करना चाहिए।
(ग) पशुओं/वन्य जीवों के साथ क्रूरता का व्यवहार कदापि नहीं करना चाहिए।
(घ) कूड़े-कचरे का निस्तारण उपयुक्त स्थान पर ही करना चाहिए