NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 10 उमाशंकर जोशी || छोटा मेरा खेत व बगुले के पंख
उमाशंकर जोशी कवि परिचय
कवि परिचय :- उमाशंकर जोशी का जन्म सन् 1911 में गुजरात में हुआ। बीसवीं सदी की गुजराती कविता और साहित्य को नयी भंगिमा और नया स्वर देने वाले उमाशंकर जोशी का साहित्यिक अवदान पूरे भारतीय साहित्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। उनको परंपरा का गहरा ज्ञान था। कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम् और भवभूति के उत्तररामचरित का उन्होंने गुजराती में अनुवाद किया। ऐसे अनुवाद गुजराती साहित्य की अभिव्यक्ति क्षमता को बढ़ाने वाले थे।
बतौर कवि उमाशंकर जी ने गुजराती कविता को प्रकृति से जोड़ा, आम जिंदगी के अनुभव से परिचित कराया और नयी शैली दी। जीवन के सामान्य प्रसंगों पर सामान्य बोलचाल की भाषा में कविता लिखने वाले भारतीय आधुनिकतावादियों में अन्यतम हैं जोशी जी कविता के साथ-साथ साहित्य की दूसरी विधाओं में भी उनका योगदान बहुमूल्य है, खासकर साहित्य की आलोचना में निबंधकार के रूप में गुजराती साहित्य में बेजोड़ माने जाते हैं।
उमाशंकर जोशी उन साहित्यिक व्यक्तित्व में हैं जिनका भारत की आजादी की लड़ाई से रिश्ता रहा। आजादी की लड़ाई के दौरान वे जेल भी गए। उमाशंकर जोशी का निधन सन् 1988 में हुआ था।
प्रमुख रचनाएँ- विश्व शांति, गंगोत्री, निशीथ, प्राचीना, आतिथ्य, वसंत वर्षा, महाप्रस्थान, अभिज्ञा (एकांकी); सापनाभारा, शहीद (कहानी); श्रावणी मेणो, विसामो (उपन्यास); पारकांजण्या (निबंध); गोष्ठी, उघाड़ीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण (संपादन) सन् 1947 से संस्कृति पत्रिका का संपादन।
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सप्रसंग व्याख्याएँ
Class 12 Hindi Aniwaray छोटा मेरा खेत
1.
छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज का एक पन्ना,
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहाँ बोया गया।
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष;
शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव- पुष्पों से नमित हुआ विशेष
सन्दर्भ तथा प्रसंग– प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ में संकलित कवि उमाशंकर जोशी की कविता ‘छोटा मेरा खेत’ से लिया गया है। मूलत: यह कविता गुजराती भाषा में है, जिसका हिन्दी रूपान्तरण रघुवीर चौधरी ने किया है। इस अंश में कवि ने अपनी तुलना एक किसान से की है, जो कि अपने खेत में बीज बोकर, जल और खाद देकर फसलें उगाता है। कवि का कविता कर्म भी इसी के समान रचनात्मक है। वह कागज पर भावों की फसल उगाता है।
व्याख्या– कवि को आभास होता है कि वह जिस कागज पर लिख रहा है, वह उसका छोटा चौकोर खेत है। भावों की आँधी आने पर किसी क्षण विचारों के बीज उसमें बो दिए गए थे। कवि की कल्पनारूपी रसायन के संयोग से ये विचारों के बीज गलकर शब्दों के कोमल अंकुरों के रूप में फूट पड़े हैं। एक पौधे के रूप में विकसित होकर वे अब नए-नए पत्तों और फूलों से लद गए हैं। इनके भार से डालियाँ नीचे को झुक गई हैं।
विशेष– (i) कवि ने कविता रचने को कृषिकर्म के समान माना है।
(ii) पौधे को पुष्पित-पल्लवित होने के लिए जैसे खाद चाहिए वैसे ही कवि के मनोभावों को व्यंजित होने के लिए कल्पना शक्ति की जरूरत होती है।
(iii) भाषा आलंकारिक है। भावों को उपमानों द्वारा व्यक्त किया है। संस्कृत शब्दों की अधिकता है।
2.
झूमने लगे फल,
रस अलौकिक,
अमृत धाराएँ फूटती
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती ।
रस का अक्षय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चौकोना
सन्दर्भ तथा प्रसंग– प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ में संकलित कवि उमाशंकर जोशी की कविता ‘छोटा मेरा खेत’ से लिया गया है। मूलतः यह कविता गुजराती भाषा में है, जिसका हिन्दी रूपान्तरण रघुवीर चौधरी ने किया है। इस अंश में कवि ने अपनी तुलना एक किसान से की है, जो कि अपने खेत में बीज बोकर, जल और खाद देकर फसलें उगाता है।
व्याख्या – पेड़ पर फूल आने के बाद वह रस भरे फलों से लद गया है। उनका रस अमृत के समान है। उस बीज को किसी एक समय में रोपा गया था अब जो फसल पैदा हुई है उसे बार-बार काटने पर भी वह कम नहीं होती। जब कवि के मनोभाव कविता के रूप में प्रकट हो जाते हैं तो उस काव्य की सरसता सभी को आनन्दित करने लगती है।
कविता से मिलने वाले इस रस का स्रोत कभी सूखता नहीं है। रस की धारा अनवरत बहती है। काव्य के इस रस को जितना ही बाँटा जाता है, यह उतना ही बढ़ता तथा लोगों को आनन्दित करता रहता है। मेरा यह छोटा चौकोर खेत रस से भरा ऐसा बर्तन है, जिसमें भरा रस कभी सूखता नहीं है।
विशेष– (i) कवि ने कविता की तुलना अनंत काल तक रस देने वाले फल के रूप में की है। यह तुलना सटीक, सुंदर और सार्थक है।
(ii) मुक्त छंद है। अर्थ-लय में सौन्दर्य निहित है। संस्कृत-निष्ठ भाषा का प्रयोग हुआ है।
नभ में पाँती – बँधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जाती वे मेरी आँखें।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तेरती साँझ की सतेज श्वेत काया ।
हौले-हौले जाती मुझे बाँध निज माया से ।
उसे कोई तनिक रोक रक्खो।
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें
नभ में पाँती – बँधी बगुलों की पाँखें ।
सन्दर्भ तथा प्रसंग– प्रस्तुत काव्यांश ‘आरोह’ में संकलित कवि उमाशंकर जोशी की कविता ‘बगुलों के पंख’ से लिया गया है। गुजराती भाषा की इस कविता का हिन्दी रूपान्तरण रघुवीर चौधरी ने किया है। इस अंश में कवि कजरारे काले बादलों की छाई घटा में शाम के समय उड़ते हुए बगुलों की पंक्तियों की छटा का वर्णन कर रहा है।
व्याख्या – कवि कहता है कि आकाश में बगुले पंक्ति बनाकर उड़ रहे हैं। कवि की आँखें उनको देखकर उनकी ओर खिंची चली जा रही हैं। वह टकटकी लगाकर उनको देख रहा है। आकाश में काले बादलों की छाया फैली हुई है। उनमें बगुलों के सफेद पंख संध्या के प्रकाशवान् श्वेत शरीर के समान तैरते प्रतीत हो रहे हैं।
यह दृश्य कवि को अपने आकर्षण के जाल में धीरे-धीरे बाँध रहा है। कवि चाहता है कि कोई उस श्वेत वक पंक्ति को रोककर रखे, जिससे वह इस सुन्दर दृश्य को देर तक देख सके। आकाश में तैरती बगुलों की यह पंक्ति कवि की दृष्टि को चुराए लिए जा रही है।
विशेष– (i) आकाश में पंक्तिबद्ध उड़ते बगुलों, कजरारे बादलों के वर्णन में कवि ने सजीव शब्द चित्र प्रस्तुत किया है।
(ii) भाषा प्रवाहपूर्ण है। संस्कृत, तद्भव तथा लोक प्रचलित शब्दों का मनोरम मिश्रण है। गतिशील बिम्बों के प्रयोगों का सौन्दर्य निहित है। मुहावरे तथा अलंकारों के प्रयोग ने भाषा की प्रभावशीलता में वृद्धि की है।
Class 12 Hindi Aniwaray पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
कविता के साथ
प्रश्न 1. छोटे चौकोने खेत को कागज का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है ?
उत्तर– कवि ने चौकोर खेत को कागज का पन्ना कहा है। इस रूपक के माध्यम से कवि ने कवि-कर्म को कृषि कर्म के समान बताया है। कागज भी खेत जैसा ही चौकोर है। खेत में किसान बीज बोता है, जो अंकुरित होकर पल्लवित और पुष्पित होते हैं।
कवि भी किसी भावावेश में अपने विचारों के बीजों को कागज पर अंकित करता है। भाव ही धीरे-धीरे एक काव्य-रचना का स्वरूप ग्रहण करते हैं। पाठक उनके रस से अनन्त समय तक आनन्दित होते हैं।
प्रश्न 2. रचना के संदर्भ में ‘अंधड़’ और ‘बीज’ क्या हैं ? उत्तर– रचना के संदर्भ में ‘ अंधड़’ कवि के मन में उठने वाले विचारों और भावों का वेग है। इसी मानसिक अवस्था में कवि काव्य की रचना करता है।
‘बीज’ किसी रचना का आधार बनने वाले वे भाव हैं जो बाद में अभिव्यक्ति का स्वरूप धारण करते हैं।
प्रश्न 3. रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है ?
उत्तर– संसार में कृषि उत्पादन उपभोग करने पर एक निश्चित समय बाद समाप्त हो जाते हैं परन्तु काव्य-रस अनन्त होता है, वह सभी कालों तथा देशों में लोगों को आनन्द देता है। इस प्रकार साहित्यिक रचना एक ऐसा बर्तन है जिसमें भरे हुए पदार्थ (रस) का कभी भी क्षय नहीं होता।
प्रश्न 4. व्याख्या करें
1.
शब्द के अंकुर फूटे,
पल्लव- पुष्पों से नमित हुआ विशेष ।
2. रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती
Rbse Class 12 Hindi Aroh Chapter 10 Important Questions
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