NCERT Solutions for Class 11 Hindi पाठ 7 सबसे खतरनाक – अवतार सिंह पाश प्रश्न उत्तर
इस पोस्ट में हमने NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 7 सबसे खतरनाक में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Class 11th Hindi Aroh Chapter 7 सबसे खतरनाक – अवतार सिंह पाश Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 11th Hindi Aroh Chapter 7 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
सबसे खतरनाक पाठ के प्रश्न-उत्तर/Sabse Khatarnak Class 11 Vyakhya/सबसे खतरनाक Class 11 MCQ/अवतार सिंह पाश Class 11 Vyakhya/Hindi Aroh Class 11 Avatar shing pash/ सबसे खतरनाक कविता/ Hindi Class 11th Chapter 7 सबसे खतरनाक हिंदी व्याख्या
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सबसे ख़तरनाक पाठ के प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1. कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना ?
उत्तर- कवि ने मेहनत की लूट को पुलिस की मार को तथा गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना है। ये बातें बुरी हैं, खतरनाक भी हैं परन्तु सबसे खतरनाक नहीं है। कवि मानता कि मेहनत का उचित फल नहीं मिला तो अच्छा नहीं हुआ परन्तु सदा ऐसा होगा यह जरूरी नहीं है। पुलिस की मार तथा लोभ-लालच भी हमेशा हमें नहीं सताते। ऐसा कभी-कभी ही होता है। इनका प्रभाव सीमित क्षेत्र में ही होता है। इससे हानि भी सीमित ही होती है। भविष्य में इनसे बचा जा सकता है। संसार में इनसे भी अधिक खराब बातें हैं, जिनका प्रभाव मनुष्य पर स्थायी होता है तथा जो दीर्घगामी प्रभाव उस पर छोड़ती हैं। उनकी तुलना में ये बातें कम खतरनाक हैं।
प्रश्न 2. सबसे खतरनाक शब्द के बार-बार दोहराये जाने से कविता में क्या असर पैदा हुआ ?
उत्तर- कवि ने कविता में ‘सबसे खतरनाक’ शब्द को बार-बार दोहराया है। कहीं उसने कहा है-‘बुरा तो है’, कहीं कहा है—’सबसे खतरनाक नहीं होती’ और कहीं कहा- ‘सबसे खतरनाक है’। इन कथनों से पाठक के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है। वह यह जानना चाहता है कि सबसे खतरनाक बात क्या है ? वह विभिन्न स्थितियों की आपस में तुलना करता है। तथा इस निष्कर्ष पर पहुँचना चाहता है कि सबसे खतरनाक बात क्या है ?
प्रश्न 3. कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ न कहकर ‘बुरा तो है’ कहा है। ‘तो’ के प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ नहीं कहा। उसने इसके स्थान पर ‘बुरा तो है’ कहा है। ‘तो’ शब्द के प्रयोग मात्र से कथन में तुलनात्मक प्रभाव उत्पन्न हो गया है। ‘झूठ बोलना बुरा है’ — कहने से उस बात में कोई सन्देह नहीं रहता कि झूठ बोलना बुराई है। परन्तु यदि कहा जाये- ‘झूठ बोलना बुरा तो हैं’ – तो इस कथन में सन्देह पैदा हो जाता है। बुरा है कहने से वाक्य तथा उस सूचना में सम्पूर्णता का भाव पाया जाता है परन्तु तो का प्रयोग होने से वाक्य तथा सूचना दोनों ही अपूर्ण रह जाते हैं। उदाहरण के लिए— ‘झूठ बोलना बुरा तो है’- इस अधूरे वाक्य को पूरा करने के लिए कह सकते हैं परन्तु झूठ कौन नहीं बोलता’, परन्तु आप आत्मरक्षा में झूठ बोल सकते हैं, परन्तु मैं झूठ नहीं बोलूंगा — इत्यादि । तो के प्रयोग मात्र से एक सतत् जिज्ञासा बनी रहती है।
प्रश्न 4. ‘मुर्दा शांति से भर जाना’ और ‘हमारे सपनों का मर ‘जाना’ – इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगति है और ये क्यों सबसे खतरनाक हैं ?
उत्तर- शांति का अर्थ निष्क्रियता नहीं होता । मृत व्यक्ति में जीवन का या सक्रियता का कोई लक्षण नहीं होता। अतः मुर्दा शांति का अर्थ है— व्यक्ति का निराशा और उदासीनता से भर जाना। परम शान्ति तो मरने पर ही मिलती है, परन्तु जीते-जी इस शान्ति से मरने का आशय है— बुराई के प्रति प्रतिक्रिया न होना, अच्छाई-बुराई में किसी का पक्ष न लेना, तटस्थता, बुराई को देखकर सुनकर भी उसका विरोध न करना, अच्छाई के पक्ष में दृढ़ता से खड़ा न होना। इसी प्रकार ‘हमारे सपनों का मर जाना’ का अर्थ है— जीवन को उद्देश्य के लिए न जीना अर्थात् लक्ष्यरहित जीवन जीना; भविष्य के प्रति आशा और आकांक्षाओं का मन में न रहना; जाति और देश के उत्थान के लिए कुछ करने की भावना ही मन में न होना; एक नीरस और उद्देश्यहीन जीवन जीना। ये दोनों बातें समान हैं। इनमें परस्पर गहरी संगति है। ये दोनों ही बातें सबसे खतरनाक हैं, क्योंकि इन पर हमारा, हमारी भावी पीढ़ी तथा हमारे देश का भविष्य टिका हुआ है।
प्रश्न 5. ‘सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है/जो आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो आपकी निगाह में रुकी होती है। ‘ इन पंक्तियों में घड़ी शब्द की व्यंजना से अवगत कराइए।
उत्तर घड़ी एक यन्त्र है जो समय बताता है। इसे हाथ की कलाई पर बाँधा जाता है। घड़ी लगातार चलती है और समय निरन्तर आगे बढ़ रहा है – यह सन्देश देती है। घड़ी यहाँ जीवन का प्रतीक है, जीवन भी घड़ी की तरह चल रहा है। समय के महत्व पर ध्यान न देना, समय के साथ कदम मिलाकर न चलना मनुष्य को बहुत हानि पहुँचा सकता है। चलती घड़ी को रुका मान लेना, समय की उपेक्षा है। एक ढर्रे पर चलती जिंदगी बिताने की आदत मनुष्य के लिए बहुत घातक हो सकती है। यथास्थिति में भरोसा करने वाले लोगों को कवि ने विवेकहीन माना है। उनका जीवन चल रहा है, परन्तु फिर भी ये प्रकृति के इस सत्य को झुठलाना चाहते हैं। सुमित्रानन्दन पन्त ने लिखा है- आज बचपन का कोमल गात, जरा का पीला पात। चार दिन सुखद चाँदनी रात, और फिर अन्धकार अज्ञात ।
प्रश्न 6.वह चाँद सबसे खतरनाक क्यों होता है ? जो हर हत्याकाण्ड के बाद आपकी आँखों में मिचों की तरह नहीं गड़ता है।
उत्तर- हत्याकाण्ड के पश्चात् भी चाँद हत्याकाण्ड वाले मकान के आँगन में चाँदनी बिखेरता है। उसमें परिस्थिति के अनुरूप कोई अंतर नहीं आता। लोग पीड़ित के परिजनों से सहानुभूति तो व्यक्त करते हैं पर उसे ईश्वर की मर्जी कहकर सांत्वना बँधाते हैं। वे अमानवीय कृत्य पर क्रोध में उसके परिजनों के साथ दृढ़ता से खड़े नहीं होते। इस तरह की निरर्थक सहानुभूति अमानवीय के विरुद्ध क्षोभ और आक्रोश नहीं उत्पन्न होने देती ।
Sabse Khatarnak Another Question
प्रश्न 1. ‘मेहनत की लूट’ का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- मेहनत की लूट का तात्पर्य है— श्रमिक का शोषण होना। जब श्रमिक को उसके श्रम का उचित मूल्य नहीं मिलता तो उसको मेहनत की लूट कहते हैं। पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में श्रमिकों को उनके श्रम के अनुरूप मजदूरी नहीं दी जाती और उनकी मजबूरियों का लाभ उठाया जाता है। कवि ने इसको ही श्रम की लूट कहा है।
प्रश्न 2. कवि ने शोषण को सबसे खतरनाक क्यों नहीं माना है ?
उत्तर- कवि ने शोषण को सबसे खतरनाक नहीं माना है। कवि मानता है कि शोषण का दुष्प्रभाव स्थायी नहीं होता। इससे होने वाली क्षति की पूर्ति भी हो सकती है। इस समस्या का निदान भी संभव है। श्रम कानून के तहत इसका उपचार किया भी जा रहा है।
प्रश्न 3. ‘बैठे बिठाए पकड़े जाना’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर- ‘बैठे बिठाये पकड़े जाना’ का आशय है-अकारण दण्ड का पात्र बनना। कवि का आशय अपराध न करने पर भी अथवा अकारण ही पुलिस द्वारा पकड़ लिए जाने से है। पुलिस की दोषपूर्ण कार्य-प्रणाली में ऐसा होना असंभव भी नहीं है।
प्रश्न 4. ‘सहमी-सी चुप’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर- सहमने का अर्थ है—भयभीत होना। जब कोई व्यक्ति किसी भय के कारण चुप रहता है तथा सत्य कहने से परहेज करता है, तो उसको सहमी-सी चुप कहा जा सकता है। ऐसा प्रायः देखने में आता है कि किसी शक्तिशाली व्यक्ति के अपराध को जानकर भी उसके भय के कारण हम प्रकट नहीं कर पाते हैं।
प्रश्न 5. ‘जुगनू की लौ’ का प्रतीकार्थ क्या है ?
उत्तर- जुगनू एक कीट है। वर्षा ऋतु के बाद वह हरियाली में दिखाई देता है। उससे एक प्रकार का प्रकाश निकला करता है, जिसे वह अपने साथी को आकर्षित करने के लिए छोड़ता है। यह प्रकाश धीमा और क्षणिक होता है। यहाँ इसका प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया है जो जरा सी चमक-दमक देख आकर्षित हो जाता है या अल्पज्ञानी व्यक्ति का अनुयायी बन जाता है।
प्रश्न 6. मुट्ठियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘मुट्ठियाँ भींचकर वक्त निकाल लेने का आशय यह है कि किसी पर अत्याचार होते देखकर मन में अत्याचारी का विरोध करने की इच्छा उत्पन्न हो किन्तु उसका विरोध सक्रिय रूप से न किया जाये, केवल कुछ आंगिक क्रियाएँ जैसे मुट्ठी भींचना आदि ही प्रकट में दिखाई दें।
प्रश्न 7. मुर्दा शान्ति का क्या अर्थ है ?
उत्तर- मुर्दा शान्ति का अर्थ है-किसी मरे हुए मनुष्य की तरह शान्त और निष्क्रिय हो जाना। जब मनुष्य के मन में बुराई के प्रतिकार के भाव उठना बंद हो जायें, बुरी बातें उसको बुरी न लगे, बुराई के विरोध में वह न कुछ कहे, न सुने और न कुछ करे, तो इसको हम मुर्दा शान्ति कहेंगे।
प्रश्न 8. तड़प शब्द का प्रयोग कवि ने किस मनोभाव के लिए किया है ?
उत्तर- तड़प का अर्थ है – बेचैनी । अपने सामने बुरा काम होते देखकर मनुष्य के मन में उसके प्रतिकार की भावना पैदा होकर उसको व्याकुल कर देती है। वह बुराई का विरोध करने के लिए तैयार हो जाता है। बुराई को रोकने तक उसका मन बेचैन रहता है। यह मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। कवि ने यहाँ तड़प शब्द को बुराई के विरोध के लिए व्याकुल होने की भावना के लिए किया है।
प्रश्न 9. कवि ने किस वस्तु को सबसे खतरनाक बताया है ?
उत्तर- कवि के अनुसार बीत रहे समय पर ध्यान न देना या समय के अनुकूल अपने को न ढाल पाना, उसके जीवन के लिए एक अभिशाप के समान होता है।
प्रश्न 10. हाथ की कलाई पर बँधी हुई और चलती हुई, घड़ी किस बात का प्रतीक है ?
उत्तर- हाथ की कलाई पर बँधी हुई घड़ी चल रही है जो यह प्रगट कर रही है कि संसार में जीवन चल रहा है। कलाई पर बँधी हुई घड़ी जीवन के चलते रहने का प्रतीक है।
प्रश्न 11. सबसे खतरनाक किस आँख को बताया गया है ?
उत्तर- जो आँख अत्याचार अनाचार होते हुए देखती रहती है परन्तु जमी हुई बर्फ के समान चेतनाहीन होती है वह सबसे खतरनाक होती है। इसका संकेतात्मक अर्थ है- बुराई को होते हुए देखकर भी उसका विरोध न करना सबसे खतरनाक बात है