इस पोस्ट में हमने NCERT Solutions for Class 9th Hindi Kritika Chapter 2 mere sang kee auraten में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Class 9th Hindi Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 9th Hindi Chapter 2 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 9th All Subject Solution |
2. | Class 9th Hindi Solution |
3. | Class 9th Sanskrit Solution |
4. | Class 9th English Solution |
5. | Class 9th Science Solution |
6. | Class 9th Math Solution |
7. | Class 9th Social Science Solution |
NCERT Solutions for Class 9th Hindi Kritika Chapter 2 mere sang kee auraten Question Answer – मेरे संग की औरतें
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उसके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं ?
उत्तर लेखिका ने अपनी नानी को यद्यपि देखा नहीं था, फिर भी उनके विषय में अपनी माँ, पिताजी आदि से सुन तो रखा ही था। वह अपनी नानी के व्यक्तित्व से प्रभावित थी, उसके निम्नलिखित कारण हैं
(1) लेखिका की नानी घर में पर्दा करती थीं परन्तु अपनी बेटी की शादी उस नौजवान से करना चाहती थीं जो स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा जैसा ही ‘आजादी का सिपाही’ हो । उनके मन में देश की आजादी के लिए जुनून था।
(2) लेखिका की नानी ममतामयी माँ भी थीं ।
(3) परिवार के अन्य सदस्यों के साथ भले ही वे परंपरागत तरीके से रहती थीं, परंतु निजी जीवन में वे काफी आजाद ख्यालों वाली महिला थीं ।
(4) नानी के पति (नाना) विलायती ढंग से जीवन बसर करते थे, परंतु नानी ने उनके जीवन में कोई दखल न दिया और न उसमें साझेदारी ही की । नानी के व्यक्तित्व के इन गुणों के कारण ही लेखिका उनसे प्रभावित थी ।
प्रश्न 2. लेखिका की नानी की आज़ादी के आन्दोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही ?
उत्तर – लेखिका की नानी एक परम्परा का पालन करने वाली, अनपढ़ और पर्दानशीं औरत थीं। जब उनकी बेटी की उम्र पन्द्रह वर्ष हुई और उनको आभास हुआ कि वह जीवन के अन्तिम दौर में हैं तो उन्होंने अपने पति से कहकर उनके मित्र प्रसिद्ध क्रान्तिकारी प्यारेलाल शर्मा को बुलाया कहा कि वे उनकी पुत्री के लिए कोई स्वतंत्रता सेनानी वर ढूँढ़कर उसकी शादी करा दें। आजादी के आन्दोलन में नानी का यह अप्रत्यक्ष योगदान था ।
प्रश्न 3. लेखिका की माँ परम्परा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी । इस कथन के आलोक में-
(क) लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए ।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए ।
उत्तर – (क) लेखिका की माँ की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं—
(i) लेखिका की माँ आजीवन गाँधीजी के सिद्धांतों का पालन करते हुए सादा जीवन जीती रहीं और खादी की ही साड़ी पहनती रहीं।
(ii) लेखिका की माँ में खूबसूरती, नजाकत, गैर-दुनियादारी के साथ ईमानदारी और निष्पक्षता इस प्रकार मिली-जुली थी कि वे परीजात-सी जादुई लगती थीं।
(iii) लेखिका की माँ के मन में आजादी का भरपूर जुनून था और उसे भरपूर निभाती भी थीं।
(iv) लेखिका की माँ कभी झूठ नहीं बोलती थीं। अतः सभी उनका आदर करते थे।
(v) लेखिका की माँ एक की गोपनीय बात दूसरे से नहीं कहती थीं। इस कारण उन्हें बाहर वाले अपना दोस्त मानते थे ।
(vi) लेखिका की माँ का व्यक्तित्व ऐसा प्रभावी था कि घर के कार्यों में उनसे राय ली जाती थी ।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र-
(1) लेखिका की दादी के घर का माहौल अन्य परिवारों से भिन्न था। परिवार के सदस्यों को बँधी बँधाई परंपरा से हटकर चलने की छूट थी। उन्होंने अनावश्यक वस्त्रों का संचय नहीं किया ।
(2) लेखिका की दादी के घर में लड़के-लड़कियों में भेद नहीं किया जाता था। घर की महिलाओं को भी उचित सम्मान दिया जाता था। घर के महत्त्वपूर्ण कार्यों में उनकी राय ली जाती थी।
(3) दादी के परिवार का माहौल धार्मिक था ।
(4) दादी के परिवार का वातावरण दबावमुक्त था। परिवार के किसी सदस्य पर कोई अपनी राय बलपूर्वक नहीं थोपता था ।
(5) प्रत्येक व्यक्ति को अपना निजत्व बनाए रखने की पूरी छूट थी। कोई किसी के पत्र के आने पर उससे उस विषय में कुछ नहीं पूछता था।
प्रश्न 4. आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी ?
उत्तर – लेखिका की परदादी ने मंदिर में जाकर मन्नत माँगी थी कि उनकी पतोहू के प्रथम संतान लड़का न होकर लड़की हो । इसका कारण यह था कि उनके मन में बेटे तथा बेटी में भेद नहीं था। इसी कारण नातिन को खिलाने की कल्पना से वह प्रसन्न थीं । परदादी धार्मिक विचारों की थीं । नातिन के बड़ी होने पर उसका विवाह करके वे एक धार्मिक कर्त्तव्य का पालन करना चाहती थीं।
प्रश्न 5. डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है- पाठ के आधार पर तर्कसहित उत्तर दीजिए ।
उत्तर हर समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सही मार्ग से भटककर गलत राह पर चल पड़ते हैं। ऐसे लोगों को सुधारने के दो तरीके अपनाए जाते हैं- एक दण्ड देना तथा दूसरा उपदेश देना । इन दोनों से हटकर तीसरा उपाय भी है, वह है सहज, स्वाभाविक आचरण द्वारा भटके हुए व्यक्ति का मार्ग-दर्शन करना । लेखिका की परदादी ने भी चोर को डाँटने-डपटने अथवा सदाचार का उपदेश देने के स्थान पर उसको लोटा देकर पानी मँगवाया । आधा पानी स्वयं और आधा उसको पिलाकर उसको अपना बेटा बना लिया और चोरी करने अथवा खेती करने का निर्णय उसके विवेक पर छोड़कर उसको सही रास्ता दिखा दिया ।
प्रश्न 6. ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’ इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए। आपको इससे क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर लेखिका कर्नाटक के छोटे-से कस्बे बागलकोट में रहती थी। परन्तु वहाँ कोई भी अच्छा स्कूल नहीं था। उसने पास के कैथोलिक बिशप से कस्बे में एक प्राइमरी स्कूल खोल देने की प्रार्थना की। पर गाँव में ईसाई जनसंख्या कम होने के कारण बिशप ने लेखिका की प्रार्थना स्वीकार नहीं की । शिक्षा बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार मानकर लेखिका ने तय किया कि वह बच्चों के लिए अँग्रेजी, हिन्दी और कन्नड़ तीन भाषाएँ सिखाने के लिए स्कूल स्वयं खोलेगी। स्कूल को कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलाएगी। लेखिका का यह व्रत लोगों की मदद से पूरा हुआ। लेखिका तथा अन्य अफसरों के बच्चे उस स्कूल में पढ़े और बाद में अलग-अलग शहरों में प्रसिद्ध विद्यालयों में दाखिला भी पा सके। इस बात से यह शिक्षा मिलती है कि यदि कोई व्यक्ति किसी काम को करने का प्रण कर ले तो वह काम पूरा हो ही जाता है।
प्रश्न 7. पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धाभाव से देखा जाता है? पाठ के आधार पर बताये।
उत्तर गुणों वाले इंसान अधिक श्रद्धेय होते हैं लीक छोड़कर चलने वाले जो मनुष्य परम्परा से हटकर अपना मार्ग स्वयं अपने प्रयास और परिश्रम से बनाते हैं, वे श्रद्धेय होते हैं। जैसे- लेखिका की नानी, परदादी, माँ तथा बहनें। सत्यवादी तथा गोपनीयता के रक्षक सत्य बोलने, जीवन – में सत्याचरण रखने वाले तथा दूसरों की गोपनीयता को किसी पर व्यक्त न करने वाले भी श्रद्धा पाते हैं । जैसे लेखिका की माता । दृढ़ संकल्प वाले दृढ़ संकल्प वाले लोग भी जन-जन के श्रद्धेय बन जाते हैं । लेखिका की नानी ने अँग्रेज तथा अंग्रेजियत से दूर रहने का संकल्प निभाया । त्यागी और स्नेही जीवन में त्याग करने वाले तथा दूसरों से स्नेह रखने वाले भी श्रद्धा पाते हैं। लेखिका की परदादी केवल दो धोतियों से ही अधिक होने पर दूसरों को दे देती थीं। वे चोर जैसे व्यक्ति से भी स्नेह का व्यवहार करके उसे सन्मार्ग की प्रेरणा देती थीं । देश-प्रेमी देश से प्रेम करने वाले सदैव श्रद्धेय होते हैं। लेखिका की नानी, माता तथा पिता देश की आजादी के लिए लड़ने वाले थे और इसी गुण के कारण श्रद्धा के पात्र थे।
कक्षा 9 हिंदी क्षितिज के अन्य पाठ नीचे दिए गए हैं
Chapter 1 | इस जल प्रलय में |
Chapter 3 | रीढ़ की हड्डी |