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Reading: गुण संधि (Gun Sandhi) ‘आद् गुण’ – परिभाषा, नियम और उदाहरण – संस्कृत
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Sanskrit Dhara Vahini > Latest News > गुण संधि (Gun Sandhi) ‘आद् गुण’ – परिभाषा, नियम और उदाहरण – संस्कृत
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गुण संधि (Gun Sandhi) ‘आद् गुण’ – परिभाषा, नियम और उदाहरण – संस्कृत

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संस्कृत गुण संधि – ‘आद् गुण’ | Gun Sandhi | गुण संधि संस्कृत में – परिभाषा और उदाहरण

गुण संधि (Gun Sandhi) संस्कृत भाषा में एक विशेष प्रकार की व्याकरणिक संधि है जिसमें दो वर्णों के मिलन से एक नया वर्ण उत्पन्न होता है। इस संधि में प्राथमिक वर्ण के गुण या उच्चारण में परिवर्तन होता है। गुण संधि का मुख्य उद्देश्य भाषा की सुधार और उच्चारण को सुगम बनाना है।

Contents
संस्कृत गुण संधि – ‘आद् गुण’ | Gun Sandhi | गुण संधि संस्कृत में – परिभाषा और उदाहरण गुण संधि की परिभाषागुण संधि के नियमगुण संधि के शौर्ट नियमगुण संधि के उदाहरण
Gun Sandhi
Gun Sandhi

गुण संधि की परिभाषा

गुण संधि ‘‘आद्गुण:’’ सूत्र द्वारा संहिता के विषय में अ/आ वर्ण से परे इ/ई, उ/ऊ, ऋ/ऋ, लृ वर्णों में से कोई वर्ण होने पर पूर्व पर वर्णों के स्थान पर गुण एकादेश (अ, ए, ओ) होता है। जैसे:- गज+इन्द्र: = गजेन्द्र:, पर+उपकार: = परोपकार:, महा+उदय: = महोदय: आदि।

गुण संधि के नियम

जब अ/आ के बाद इ/ई आये तो ‘ए’ बन जाता है।
जब अ/आ के बाद उ/ऊ आये तो ‘ओ’ बन जाता है।
जब अ/आ के बाद ऋ/ऋ आये तो ‘अर्’ बन जाता है।
जब अ/आ के बाद लृ आये तो ‘अल्’ बन जाता है।


गुण संधि के शौर्ट नियम

गुण संधि:- सूत्र – आद् गुण
1. अ/आ + इ/ई = ए/ऐ
2. अ/आ + उ/ऊ = ओ/औ
3. अ/आ + ऋ = अर्
4. अ/आ + लृ = अल्
Gun Sandhi

गुण संधि के उदाहरण

गणेश: = गण+ईश: (अ+ई = ए)
ऊपर दिए गए गणेश उदाहरण का संधि विच्छेद किया तब प्रथम पद ‘गण’ के अन्तिम वर्ण में ‘अ’ और दूसरे पद ‘ईश:’ के प्रथम पद में ‘ई’ वर्ण आने पर दोनों मिलकर ‘ए’ बन गया है तब ‘गणेश:’ बना है।

महोदय: = महा+उदय: (आ+उ = ओ)
ऊपर दिए गए महोदय: उदाहरण का संधि विच्छेद किया तब प्रथम पद ‘महा’ के अन्तिम वर्ण में ‘आ’ और दूसरे पद ‘उदय:’ के प्रथम पद में ‘उ’ वर्ण आने पर दोनों मिलकर ‘ओ’ बन गया है तब ‘महोदय:’ बना है।

महर्षि: = महा+ऋषि: (आ+ऋ = अर्)
ऊपर दिए गए महर्षि: उदाहरण का संधि विच्छेद किया तब प्रथम पद ‘महा’ के अन्तिम वर्ण में ‘आ’ और दूसरे पद ‘ऋषि:’ के प्रथम पद में ‘ऋ’ वर्ण आने पर दोनों मिलकर ‘अर्’ बन गया है तब ‘महर्षि:’ बना है।

तवल्कार: = तव+लृकार: (अ+लृ = अल्)
ऊपर दिए गए तवल्कार: उदाहरण का संधि विच्छेद किया तब प्रथम पद ‘तव’ के अन्तिम वर्ण में ‘अ’ और दूसरे पद ‘लृकार:’ के प्रथम पद में ‘लृ’ वर्ण आने पर दोनों मिलकर ‘अल्’ बन गया है तब ‘तवल्कार:’ बना है।

1. अ+इ/ई = ए
उप+इन्द्र: = उपेन्द्र:
गज+इन्द्र: = गजेन्द्र:
न+इति = नेति
देव+इन्द्र: = देवेन्द्र:
विकल+इन्द्रिय: = विकलेन्द्रिय:
गण+ईश: = गणेश:
सर्व+ईश: = सर्वेश:
सुर+ईश: = सुरेश:
दिन+ईश: = दिनेश:
Gun Sandhi
2. आ+इ/ई = ऐ
महा+इन्द्र: = महेंद्र:
तथा+इति = तथेति
यथा+इच्छम् = यथेच्छम्
यथा+इष्ट = यथेष्ट
रमा+ईश: = रमेश:
गङ्गा+ईश्वरः = गङ्गेश्वर:
उमा+ईशः = उमेश:
महा+ईशः = महेश:
Gun Sandhi
3. अ+उ = ओ
सूर्य+उदय: = सूर्योदय:
पर+उपकार: = परोपकार:
वृक्ष+उपरि = वृक्षोपरि
हित+उपदेश: = हितोपदेश:
पुरुष+उत्तम: = पुरुषोत्तम:
Gun Sandhi
4. आ+ऊ = औ
अत्यन्त+ऊर्ध्वम् = अत्यन्तोर्ध्वम्
एक+ऊन: = एकोन:
गगन+ऊर्ध्वम् = गगनोर्ध्वम्
मायया+ऊर्जस्वि = माययोर्जस्वि
महा+ऊर्णम्
Gun Sandhi
5. अ/आ+ऋ = अर्
कृष्ण+ऋद्धि: = कृष्णर्द्धि:
ग्रीष्म+ऋतु: = ग्रीष्मर्तु:
वसन्त+ऋतु: = वसन्तर्तु:
राज+ऋषि: = राजर्षि:
महा+ऋषि: = महार्षि:
ब्रह्मा+ऋषि: = ब्रह्मर्षि:
देव+ऋषि: = देवर्षि:
Gun Sandhi
6. अ/आ+लृ = अल्
तव+लृकार: = तवल्कार:
मम+लृकार: = ममल्कार:
तव+लृदन्त: = तवल्दन्त:
Gun Sandhi

👉 इन्हें भी देखें – दीर्घ संधि

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