जयपुर के टॉप 10 पर्यटन स्थल | जयगढ़ किला | नाहरगढ़ किला | आमेर किला | जलमहल | सिटी पैलेस | हवामहल | बिड़ला मंदिर
जयपुर के टॉप 10 पर्यटन स्थल बहुत रोचक और आकर्षण का केंद्र बिंदु माना जाता है। जिसमें देखने योग्य पर्यटन स्थल जैसे:- जयगढ़ का किला, नाहरगढ़ का किला, आमेर का किला, जलमहल, सिटी पैलेस, हवामहल, अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, बिड़ला मंदिर, गलता जी मंदिर, आमेर महल आदि।
नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको जयपुर के वे सारे महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलो के बारे विस्तार से जानकारी देने वाला हूं।
जयपुर के टॉप 10 पर्यटन जयगढ़ का किला/Jaigarh fort
मध्ययुगीन भारत की प्रमुख सैनिक इमारतों में से एक जयगढ दुर्ग की खास बात यह कि इसमें तोपें ढालने का विशाल कारखाना था, जो शायद ही किसी अन्य भारतीय दुर्ग में रहा है। इस किले में रखी ‘जयबाण’ तोप को एशिया की सबसे बड़ी तोप माना जाता है। जयगढ़ अपने विशाल पानी के टांकों के लिये भी जाना जाता है। जल संग्रहण की खास तकनीक के अन्तर्गत जयगढ़ किले के चारों ओर पहाड़ियों पर बनी पक्की नालियों से बरसात का पानी इन टांकों में एकत्र होता रहा है।
इस किले का निर्माण एवं विस्तार में विभिन्न कछवाहा शासकों का योगदान रहा है, परन्तु इसे वर्तमान स्वरूप सवाई जयसिंह ने प्रदान किया। जयगढ़ को रहस्यमय दुर्ग भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें कई गुप्त सुरंगे हैं। इस किले में राजनीतिक बन्दी रखे जाते थे। ऐसा माना जाता है कि मानसिंह ने यहाँ सुरक्षा की दृष्टि से अपना खजाना छिपाया था। वर्तमान में जयगढ़ किले में मध्यकालीन शस्त्रास्त्रों का विशाल संग्रहालय है। यहाँ के महल दर्शनीय हैं।
जयपुर के टॉप 10 पर्यटन नाहरगढ़ का किला/Nargharh fort
जयपुर के पहरेदार के रूप में प्रसिद्ध इस किले का निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था। इस किले को सुदर्शनगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण सवाई जयसिंह ने मराठों के विरुद्ध सुरक्षा की दृष्टि से करवाया था। इस किले में सवाई माधोसिंह ने अपनी नौ पासवानों के नाम पर एक समान नौ महल बनवाये।
नाहरगढ़ किले के लिए सम्पूर्ण जानकारी के लिए इसे पढ़े।
आमेर का किला/ Amer fort
यह दुर्ग अपने स्थापत्य की दृष्टि से अन्य दुर्गों से सर्वथा भिन्न है। पाय: सभी दुर्गों में, जहाँ राजप्रासाद प्राचीर के भीतर समतल भू-भाग पर बने पाये जाते हैं, वहीं आमेर दुर्ग में राजमहल ऊँचाई पर पर्वतीय ढलान पर इस तरह बने हैं कि इन्हें ही दुर्ग का स्वरूप दिया लगता हैं। इस किले की सुरक्षा व्यवस्था काफी मजबूत थी, फिर भी कछवाहा शासकों के शौर्य और मुगल शासको से राजनीतिक मित्रता के कारण यह दुर्ग बाहरी आक्रमणों से सदैव बचा रहा। आमेर दुर्ग के नीचे मावठा तालाब और दौलाराम का बाग खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। इस किले में बने शिलादवी जगतशिरोमणि और अम्बिकेश्वर महादेव के मन्दिरों का ऐतिहासिक काल से ही महत्त्व रहा है।
जलमहल/ Jal Mahal
जल महल जयपुर के मानसागर झील के बीचों बीच महाराजा जयसिंह द्वितीय ने इसका निर्माण करवाया था। पर्यटन की दृष्टि से भव्य स्थल है। राजस्थान की पहचान मरुधरा के रूप में की जाती है। इसके बावजूद भी यहाँ जल स्थापत्य का विकास हुआ। कुँए, कुंड, बावडियाँ, टांके यहाँ के जल स्थापत्य की पहचान है। इनका इतिहास और सौन्दर्य अनूठा है। जल की महत्ता तो विश्वभर में स्वीकार की जाती है परन्तु यहाँ रेगिस्तानी प्रदेश होने के कारण प्यासे को पानी पिलाना पुण्य का कार्य माना जाता है।
हवामहल/Hava Mahal
जयपुर में स्थित इस महल का निर्माण सवाई प्रतापसिंह द्वारा 1799 ई. में करवाया गया है। इसके सामने का भाग पिरामिडीय आकृति की चौड़ी पाँच मंजिली दीवार के रूप में है। पश्चिम से जाने पर आनन्द पोल आता है। पहले चौक से दूसरे चौक पर जाने पर चन्द्रपोल दरवाजा आता है। हवामहल के पाँच मंजिलों के नाम-शरद मंदिर, रतन मंदिर, विचित्र मंदिर, प्रकाश मंदिर तथा हवा मंदिर • हैं। वर्तमान में यह संरक्षित स्मारक है।
चन्द्र महल/Chandr mahal
जयपुर के वास्तुकार विद्याधर द्वारा ही सात मंजिले चन्द्रमहल का निर्माण करवाया गया है। महल की साज सज्जा मानसिंह द्वितीय ने जर्मन कलाकार ए. एच. मूलर से करवाई थी। चन्द्रमहल की दूसरी मंजिल को सुख निवास कहते हैं। सवाई जयसिंह की रानी सुख कँवर के नाम पर इसका नाम रखा गया है। महल की तीसरी मंजिल को रंग मंदिर कहा जाता है। चौथी मंजिल शोभा निवास, पाँचवीं मंजिल को छवि निवास, छठी मंजिल श्रीनिवास तथा सातवीं को मुकुट मंदिर कहा जाता है।
चन्द्रमहल के पास ही प्रीतम निवास तथा माधोनिवास नामक सुन्दर महल हैं। चन्द्रमहल के पास जयनिवास उद्यान भी बना हुआ है।