NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 4 उत्साह और अट नहीं रही है क्षितिज भाग -2 हिंदी
हम आपके लिए NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 4 – उत्साह/अट नहीं रही है हिंदी क्षितिज Book के प्रश्न उत्तर लेकर आए हैं। यह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस पाठ का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि वे Utsaah/ At nhi rhi hai Summary of NCERT solutions for Class 10th Hindi Kshitij Chapter 4.
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प्रश्न 1. कवि बादल से पुकार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरज’ के लिए कहता है, क्यों ? (CBSE 2008, 2009, 2019)
उत्तर- बादल के दो रूप है- 1. रिसाला कोमल सुन्दर रूप तथा 2. गरजने वाला करारी रूप कवि समाज में व्याप्त दुःख, भूख, शोषण और उत्पीड़न को मिटाना चाहता है इसलिए उसको बादल के गहने वाले परिवर्तन लाने वाले रूप का आह्वान करना हो उचित प्रतीत हो रहा है। सामाजिक परिवर्तन के लिए क्रान्ति है और गरजता हुआ बादल ही फ्रान्ति का संदेशवाहक है ।
प्रश्न 2. कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ क्यों रखा गया है ?
उत्तर- कवि ने इस रचना को ‘उत्साह’ शीर्षक प्रदान किया है।दों को हलचल और उनका गर्जन कवि के मन में किसी नई काव्य-रचना को प्रेरणा जगा रहा है। बादलों के गर्जन में उसे प्रो के स्वर सुनाई दे रहे हैं। कवि चाहता है कि वह ऐसी कविता लिखे और रूढ़िग्रस्त स्वरूप को बदलकर उसको नया प्रगतिशील रूप प्रदान कर सके।
प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है ?
उत्तर- कवि ने बादल को कई अर्थों में प्रयुक्त किया है-
● ‘पैर-पैर और गंगन में’ कवि ने बादल को एक उत्साही और पुरुष का रूप प्रदान किया है ।
● कवि ने उसे नवजीवन को प्रेरणा देने वाले एक कवि के रूप में प्रस्तुत किया है।
● कवि ने बादल को एक परोपकारी, उदार हृदय और समृद्ध व्यक्ति को शव भी प्रदान की है तथा उससे आ किया है कि वह संतापों से पीड़ित जगत के समस्त जनों को सुख-शांति प्रदान करे ।
प्रश्न 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है । ‘उत्साह’ कविता में ऐसे कौन-से शब्द है जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें ।
उत्तर- निम्नलिखित शब्दों में दस विद्यमान है
- घेरे घेरे घोर गगन
- ललित ललित काले घुंघराले
- बाल कल्पना के से पाले ।
- विकल विकल उन्मन थे उन्मन
अट नहीं रही है
प्रश्न 1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना । कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है ? लिखिए ।
उत्तर-
‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने प्रकृति को मानव-भावों की सहभागिनी बनाया है ।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो ।
उड़ने को नभ में तुम,
पर पर कर देते हो ।
प्रकृति का मानवीकरण करके कवि ने उसमें मानवीय मनोभावों को प्रतिबिम्बित किया है । कवि अपने हृदय के आह्लाद की छाया प्रकृति में देख रहा है ।
प्रश्न 2. कवि की आंख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है ?
उत्तर फागुन मास की प्राकृतिक शोभा इतनी विविध और मनोहारी है कि कवि उस पर मुग्ध हो गया है। उसका मन उस शोभा को निरंतर देखते रहने को कर रहा है। घर-घर को महकाता पवन आकाश में अथेलियाँ करते पक्षी, पों से डालियाँ और मंद सुगंध से परिपूर्ण पुष्प-समूह, इन सारे दृश्यों ने कवि की आँखों को मंत्रमुग्ध-सा कर दिया है। यही कारण है कि उसकी दृष्टि इस प्राकृतिक वैभव से हटाए नहीं हट रही है.
प्रश्न 3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है ?
उत्तर- कवि ने कविता के शीर्षक से ही यह जता दिया है कि फागुन को शोभा दशों दिशाओं में व्याप्त हो रही है। यह परिवेश को सीमाओं में समा नहीं पा रही है। जिधर भी दृष्टि जाती है उधर ही प्रकृति का कोई नवीन रूप सामने आ जाता है। कहाँ वह सुगंधित पवन के रूप में जन-जन की साँसों को सुवासित कर रही है तो कहाँ ताल हरे पत्तों से लदी डालियों मैं मांग मौन्दर्य के दर्शन करा रही है।
ऊपर नजर उठाएँ तो आकाश में पक्षियों के रंग-बिरंगे पंख छाए हुए हैं। वनों, उपवनों और वाटिकाओं में मंद-मंद गंध वाले फूल खिले हैं जो पुष्प मालाएं पहने हुए सुंदरियों का भ्रम उत्पन्न करते हैं। प्रकृति का यह व्यापक रूप न केवल बाह्य जगत तक सीमित है बल्कि मनोजगत में भी समाया हुआ है तभी तो कवि की सौन्दर्य- लोलुप दृष्टि इस सर्वव्यापिनी शोभा से हटाए नहीं हट रही है।
प्रश्न 4. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है ?
उत्तर- फागुन वर्ष की सबसे मधुर, मादक और प्राकृतिक शोभा से भरपूर वसंत ऋतु का अंग है। वसंत को राज कहा गया है। ग्रीष्म ऋतु की तपन, आंधी, तू आदि, वर्षा की कीचड़, बाढ़, आवागमन में बाधा तथा शीत ऋतु की न हिमपात आदि जन जीवन को त्रस्त करने वाली है, लेकिन वसंत इन सभी से मुक्त है। फागुन में प्रकृति को नया जीवन मिलता है। वृक्षों पर नये पत्ते, फूल और फल लगते हैं। मंद, शीतल, सुगंधित वायु चलती है। पशु-पक्षी मस्त होकर चहकते हैं। मनुष्य भी उल्लास से भर जाते हैं। इसी माह में होली का मस्ती भरा उत्सव होता है। इन सब विशेषताओं के कारण फागुन का महीना बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है।
प्रश्न 5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर- ‘उत्साह’ तथा ‘अट नहीं रही है’ कविताओं के आधार पर निराला जी के काव्य-शिल्प की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है–
1. प्रकृति-चित्रण निराला ने प्रकृति का सजीव चित्रण किया है। उसके कोमल तथा कठोर दोनों ही स्वरूपों का दिन हुआ है। उनको प्रकृति सजीव है तथा मानव की सहचरी है। प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।
कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नम में तुम, पर-पर कर देते हो। (अट नहीं रही है)
ललित ललित, काले रा, बाल कल्पना के से पाले (उत्साह)
2. काव्य शैली – कवि ने गीति शैली को अपनाया है। संक्षिप्तता, प्रवाह तथा गीति तत्व निराला के काव्य की विशेष है। कवि ने प्रतीकों तथा विम्बों का सहारा लेकर अपनी बात को सफलता के साथ व्यक्त किया है। कवि ने अपने मनोभावों को निबंध व्यक्त करने के लिए मुक्त छंद का प्रयोग किया है। कवि की भाषा खड़ी बोली में तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है तथा उसमें प्रवाह है।
3. उत्पीड़न शोषण का चित्रण – कवि ने समाज में व्याप्त उत्पीड़न तथा शोषण को सफलता से व्यक्त किया है । कवि परिवर्तन का पक्षधर है। वह बादल से गरजने का आह्वान इसी कारण कर रहा है-
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 6. होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर- होली के आसपास प्रकृति में अनेक परिवर्तन दिखाई देते हैं- सर्दी की ऋतु समाप्त हो जाती है, ठिठुरन, पाला उत्तर- और कोहरे का प्रकोप मिट जाता है, मौसम सुहावना हो जाता है। वृक्षों पर नये पत्ते और फूल-फल लगने लगते हैं । खेतों में फसलें पक जाती है। हवा तेज चलने लगती है तथा पेड़ों के पुराने पीले पत्ते झड़कर नीचे गिरने लगते हैं। ऋतु परिवर्तन होने से मनुष्य, पशु-पक्षी तथा वनस्पतियाँ सभी प्रसन्न दिखाई देते हैं