Class 7 Sanskrit Chapter 5 सदाचार Hindi & English Translation
सदाचार Class 7 Sanskrit Chapter Solution | NCERT solutions for Class 7 Sanskrit Chapter 5 Hindi and English Translation || कक्षा 7 संस्कृत पाठ सदाचार सोल्यूशन || संस्कृत कक्षा 7 पाठ 5 सोल्यूशन
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः । नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ।। 1 ।।
हिन्दी अनुवाद-मनुष्यों के शरीर में रहने वाला आलस्य ही (उनका) सबसे बड़ा शत्रु होता है। परिश्रम जैसा दूसरा (हमारा) कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुःखी नहीं होता।
English translation – The laziness that resides in the body of human beings is (their) biggest enemy. There is no other friend who likes hard work because one who works hard is never sad.
श्वः कार्यमद्य कुर्वीत पूर्वाह्णे चापराह्निकम् । नहि प्रतीक्षते मृत्युः कृतमस्य न वा कृतम् । 1211
हिन्दी अनुवाद-कल जो काम करना है उसे आज ही कर लेना चाहिए और जो दोपहर बाद करने योग्य है उसे दोपहर से पहले ही कर लेना चाहिए । काम किया गया है अथवा नहीं किया गया है, मौत इस बात की प्रतीक्षा नहीं करती।
English Translation – The work which is to be done tomorrow should be done today itself and the work which is to be done after noon should be done before noon. Death does not wait for the work done or not done.
सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम् । प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः 11311
हिन्दी अनुवाद – (सदैव) सत्य (सच) बोलना चाहिए, प्रिय (अच्छा) लगने वाला सच बोलना चाहिए। कटु (कड़वा, अप्रिय, अच्छा न लगने वाला) सत्य नहीं बोलना चाहिए । प्रिय लगने वाला (मृदु) झूठ भी नहीं बोलना चाहिए । यही आदिकाल से (सदा से) चले आने वाला धर्म (कर्त्तव्य) है ।
English translation – (Always) the truth (truth) should be spoken, the truth which is dear (good) should be spoken. Bitter (bitter, unpleasant, unpleasant) truth should not be spoken. One who is dear should not even tell a soft lie. This is the religion (duty) that has been going on since time immemorial.
सर्वदा व्यवहारे स्यात् औदार्यं सत्यता तथा । ऋजुता मृदुता चापि कौटिल्यं न कदाचन।।4।।
हिन्दी अनुवाद – (मनुष्य के) व्यवहार में सदैव उदारता, सत्य का भाव, सरलता और कोमलता भी होनी चाहिए (परन्तु) कभी कुटिलता (टेढ़ापन) नहीं होनी चाहिए।
English translation – There should always be generosity, sense of truth, simplicity and tenderness in (man’s) behavior (but) there should never be crookedness.
श्रेष्ठं जनं गुरुं चापि मातरं पितरं तथा । मनसा कर्मणा वाचा सेवेत सततं सदा। 15।।
हिन्दी अनुवाद – श्रेष्ठ (उत्तम) व्यक्ति, गुरु, माता और उसी प्रकार पिता की भी मन से, वाणी से और कर्म से सेवा करनी चाहिए ।
English translation – One should serve the best (best) person, the Guru, the mother and similarly the father also with mind, speech and action.
मित्रेण कलहं कृत्वा न कदापि सुखी जनः । इति ज्ञात्वा प्रयासेन तदेव परिवर्जयेत् ।।6।।
हिन्दी अनुवाद – मित्र के साथ लड़ाई (झगड़ा) करके व्यक्ति कभी सुखी (प्रसन्न) नहीं होता है । ऐसा जानकर व्यक्ति को प्रयत्नपूर्वक उससे (कलह से) बचना चाहिए अर्थात् झगड़ने की प्रवृत्ति को त्याग देना चाहिए ।
English Translation – One never becomes happy by fighting with a friend. Knowing this, a person should try to avoid it (discord), that is, he should give up the tendency to quarrel.
Sanskrit Class 7 Chapter 5 Questions and Answer 2023-24
1. सर्वान् श्लोकान् सस्वरं गायत । (सभी श्लोकों को सस्वर गाइए।) उत्तरम् – छात्र स्वयं करें ।
2. उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत । (उपयुक्त कथनों के सामने ‘आम्’ (हाँ) और अनुपयुक्त कथनों के सामने ‘न’ (नहीं) लिखिए ।)
(क) प्रातः काले ईश्वरं स्मरेत् । (प्रातः काल ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। )
(ख) अनृतं ब्रूयात् । (झूठ बोलना चाहिए।)
(ग) मनसा श्रेष्ठजनं सेवेत । (श्रेष्ठ जनों की मन से सेवा करनी चाहिए।)
(घ) मित्रेण कलहं कृत्वा जनः सुखी भवति । (मित्र के साथ झगड़ा करके व्यक्ति सुखी होता है।)
(ङ) श्वः कार्यम् अद्य कुर्वीत । (कल करने योग्य कार्य को आज करना चाहिए।)
उत्तरम् – (क) आम् (ख) न (ग) आम् (घ) न (ङ) आम्।
3. एकपदेन उत्तरत- (एक शब्द में उत्तर दीजिए-)
(क) कः न प्रतीक्षते ? (कौन प्रतीक्षा नहीं करता ?)
उत्तर मृत्युः ।
(ख) सत्यता कदा व्यवहारे स्यात् ? (सत्यता कब व्यवहार में होनी चाहिए ? )
उत्तर सर्वदा।
(ग) किं ब्रूयात् ? (क्या बोलना चाहिए ?)
उत्तर सत्यम्।
(घ) केन सह कलहं कृत्वा नरः सुखी न भवेत् ? (किसके साथ झगड़ा करके व्यक्ति सुखी नहीं होता ? )
उत्तर मित्रेण
(ङ) कः महारिपुः अस्माकं शरीरे तिष्ठति ? (कौन-सा महान् शत्रु हमारे शरीर में स्थित है ?)
उत्तरम् – आलस्यम् ।
4. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत- (रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न निर्माण कीजिए-)
(क) मृत्युः न प्रतीक्षते । (मृत्यु प्रतीक्षा नहीं करती।)
उत्तरम् – (क) कः न प्रतीक्षते ?
(ख) कलहं कृत्वा नरः दुःखी भवति । (झगड़ा करके व्यक्ति दुःखी होता है।)
उत्तरम् किं कृत्वा नरः दुःखी भवति ?
(ग) पितरं कर्मणा सेवेत । (माता-पिता की कर्म से सेवा करनी चाहिए।)
उत्तरम् कम् कर्मणा सेवेत ?
(घ) व्यवहारे मृदुता श्रेयसी । (व्यवहार में कोमलता अच्छी होती है।)
उत्तरम् व्यवहारे का श्रेयसी ?
(ङ) सर्वदा व्यवहारे ऋजुता विधेया । (हमेशा व्यवहार में सरलता उचित है।)
उत्तरम् कदा व्यवहारे ऋजुता विधेया ?
5. प्रश्नमध्ये त्रीणि क्रियापदानि सन्ति । तानि प्रयुज्य सार्थक वाक्यानि रचयत-
उत्तरम् – (क) सत्यं प्रियं च ब्रूयात् ।
(ख) मनसा मातरं पितरं च सेवेत ।
(ग) अनृतं प्रियं च न ब्रूयात् ।
(घ) व्यवहारे सर्वदा औदार्य स्यात् ।
(ङ) श्रेष्ठजनं कर्मणा सेवेत ।
(च) व्यवहारे कदाचन कौटिल्यं न स्यात् ।
(छ) वाचा गुरुं सेवेत ।
(ज) सत्यम् अप्रियं च न ब्रूयात् ।
6. मञ्जूषातः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-(मंजूषा से अव्यय शब्द चुनकर रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए – )
तथा, न, कदाचन, सदा, च, अपि
(क) भक्त: सदा ईश्वरं स्मरति।
(ख) असत्यं न वक्तव्य।
(ग) प्रियं च सत्यं वदेत्।
(घ) लता मेधा तथा विद्यालयं गच्छत:।
(ड़) अपि कुशली भवान्।
(च) महात्मागांधी कदाचन अहिंसा न अत्यजत्
7. चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषातः पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत- (मंजूषा से चित्र देखकर और शब्दों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए – )
लिखति, कक्षायाम्, श्यामपट्टे, लिखन्ति, स:, पुस्तिकायाम्, शिक्षक:, छात्रा:, उत्तर आणि,प्रश्नम्,ते
उत्तरम् – (क) सः शिक्षक: कक्षायाम् श्यामपट्टे प्रश्नम् लिखति । (वह शिक्षक कक्षा में श्यामपट्ट पर प्रश्न लिखता है। )
(ख) छात्राः पुस्तिकायाम् उत्तराणि लिखन्ति । (छात्र उत्तरपुस्तिका में उत्तर लिखते हैं।)
(ग) ते श्यामपट्टम् पश्यन्ति। (वे श्यामपट्ट को देखते हैं।)