NCERT Solutions for Class 9th Hindi Kshitij Bhag 1 Chapter 1 दो बैलों की कथा is of NCERT Solutions for Class 9th Hindi. Here we have given ncert solution for class 9 Hindi Kshitij Bhag 1
Board | all boards |
Textbook | NCERT |
Class | 9th |
Subject | Hindi |
Category | NCERT Solutions |
Class 9th | Sanskrit Solution |
Class 9th | Science Solution |
Class 9 Hindi Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा Questions and Answer
प्रश्न 1. काँजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी?
उत्तर – काँजीहौस में दूसरों के खेत में घुसकर फसल को हानि पहुँचाने वाले पशुओं को बन्द करा दिया जाता था। बन्द पशुओं का रिकार्ड एक रजिस्टर में दर्ज किया जाता था। यदि किसी पशु का मालिक उसको लेने आता था तो उस रिकार्ड के आधार पर पशु का मालिक उसको लेने आता था तो उस रिकार्ड के आधार पर पशु को जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता था। परन्तु जिन पशुओं के मालिक नहीं आते थे, उनकी नीलामी की जाती थी। अतः काँजीहौस में पशुओं की सही जानकारी रखने के लिए उनकी हाजिरी ली जाती होगी।
प्रश्न 2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?
उत्तर- छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। उसकी सौतेली माँ उसे मारती थी और उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती थी। वह माँ के बिछुड़ने का दर्द जानती थी। इसलिए हीरा-मोती की व्यथा देखकर उसके मन में उनके प्रति प्रेम उमड़ आया, क्योंकि उसे लगा कि वे भी उसी की तरह अभागे हैं।
प्रश्न 3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं?
उत्तर- प्रस्तुत कहानी में बैलों के माध्यम से निम्नलिखित नीति-विषयक मूल्य उभरकर सामने आये हैं-
(1) सरल-सीधा और अत्यधिक सहनशील नहीं होना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक सीधे इन्सान को ‘गधा’ कहा जाता है। इसलिए मनुष्य को अपने अधिकारों के प्रति संघर्षरत रहना चाहिए।
(2) मनुष्य को हमेशा स्वामिभक्ति, सहयोग, परोपकार, मित्रता और नारियों के प्रति सहयोग की भावना रखनी
(3) आजादी पाने के लिए मनुष्य को बड़े से बड़ा कष्ट उठाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
(4) मनुष्य को नारी जाति का सम्मान करने वाला, धर्म की मर्यादा मानने वाला तथा सच्ची आत्मीयता रखने वाला होना चाहिए।
प्रश्न 4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचन्द ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न कर किस नये अर्थ की ओर संकेत किया है?
उत्तर- प्रस्तुत कहानी में प्रेमचन्द ने गधे के लिए रूढ़ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न करके उसे सन्तोषी, सहनशील, सुख-दुःख में समान रहने वाला, क्रोधरहित एवं स्थिर व्यवहार वाला बताया है। इस आधार पर उसकी तुलना ऋषि- मुनियों के स्वभाव से की है। इस प्रकार कथाकार ने गधे के सहिष्णु, सद्गुणी एवं सन्तोषी स्वभाव वाले अर्थ की ओर संकेत किया है।
प्रश्न 5. किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?
‘उत्तर-‘दो बैलों की कथा’ में कुछ घटनाएँ ऐसी हैं, जिनसे हीरा और मोती की गहरी दोस्ती का पता चलता है।
(1) वे एक-दसरे को सूंघ कर व चाटकर अपना प्रेम प्रकट करते थे।
(2) दोनों बैलगाड़ी या हल में जोते जाने पर ज्यादा से ज्यादा बोझ स्वयं ढोने का प्रयास करते थे।
(3) मटर के खेत में दोनों मस्त होकर, सींग मिलाकर एक-दूसरे को ढेलने लगे। तब हीरा को क्रोधित देखकर मोती ने उसके साथ कठोर व्यवहार किया और दोस्ती को दुश्मनी में नहीं बदलने दिया।
(4) गया द्वारा हीरा की निर्दयतापूर्वक पिटाई करने पर मोती का क्रोध भड़क उठा और वह हल, जुआ आदि लेकर भाग निकला और उनको तोड़- ताड़कर बराबर कर दिया।
(5) दोनों मित्रों ने सहयोगी रणनीति से सांड का मुकाबला कर उसे परास्त किया।
(6) मटर के खेत में मोती के पकड़े जाने पर हीरा भी उसके पास आ गया। रण वालों ने उसे भी पकड़ लिया।
(7) काँजीहौस में दीवार गिराने पर जब हीरा की रस्सी नहीं टूटी तो मोती भी अकेले बाहर नहीं गया। इस तरह के आचरण से दोनों में गहरी दोस्ती दिखाई दी।
प्रश्न 6. “लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।”-हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचन्द के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-हीरा के उक्त कथन के माध्यम से प्रेमचन्द का स्त्री जाति के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त हुआ है। भारतीय संस्कृति में ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:’ कथन से नारी को सम्मानित एवं पूज्या माना गया है। हमारे समाज में कुछ लोग स्त्री को केवल भोग्या तथा साधारण जीव मानते हैं, उसका शोषण-उत्पीड़न करते हैं, मारते-पीटते भी हैं, परन्तु प्रेमचन्द का ऐसा दृष्टिकोण नहीं रहा है। उन्होंने स्त्री को समता एवं सम्मान का पात्र बताया है
प्रश्न 7. किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी सम्बन्धों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
उत्तर- कहानी में किसान जीवन वाले समाज में मनुष्य और पशु का घनिष्ठ संबंध बताया गया है। वे एक-दूसरे के सहायक और पूरक रहे हैं। किसान पशुओं को घर का सदस्य मानकर उनसे प्रेम करता है और पशु भी अपने स्वामी के लिए जी-जान देने को तैयार रहते हैं। झूरी हीरा-मोती को घर के सदस्यों की तरह स्नेह करता था। इसीलिए हीरा-मोती दो बार उसकी ससुराल से भाग कर अपने थान पर खड़े हुए थे। उन्हें देखकर वह ही नहीं उसकी पत्नी भी आनन्द से भर उठी थी। इससे पता चलता है कि किसान अपने पशुओं से मानवीय व्यवहार करते हैं।
प्रश्न 8. ” इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे”-मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- इस कथन से ज्ञात होता है कि मोती स्वभाव से उग्र किन्तु दयालु बैल है। वह अत्याचार का विरोधी, पीड़ितों के प्रति सहानुभूति रखने वाला और आजादी का समर्थक है। इसीलिए वह काँजीहौस की दीवार तोड़कर बन्द पड़े पशुओं को आजाद कर देता है। उसे इस बात पर सन्तोष होता है कि अब चाहे कुछ भी हो। इतना तो हो गया कि मेरे प्रयास से नौ-दस प्राणियों की जान बच गयी।
प्रश्न 9. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
उत्तर- आशय-सामान्य पशु होते हुए भी हीरा और मोती एक-दूसरे के मनोभावों को समझ लेते थे तथा मूक- भाषा में विचार-विनिमय करते थे। इससे कथाकार का मानना है कि उन दोनों बैलों के पास अवश्य ही कोई गुप्त शक्ति थी जिसके माध्यम से मूक-भाषा में वे एक-दूसरे की मन की भावनाओं को समझ लेते थे। मनुष्य सभी जीवों में श्रेष्ठ है, परन्तु उसके पास ऐसी गुप्त शक्ति का अभाव है, जो बिना बोले ही दूसरों की भावनाओं को स्पष्टतया समझ सके।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शान्त होती, पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
उत्तर- आशय-गया के घर में हीरा-मोती के साथ अत्याचार होता था। गया उन्हें मारता था और खाने के लिए सूखा भूसा देता था। दोनों बैल इसे अपना अपमान समझते थे। सन्ध्या के समय उसी घर की एक छोटी सी बच्ची ने दो रोटियाँ लाकर उन दोनों को खिलायीं। एक-एक रोटी से उनकी भूख क्या शान्त होती, परन्तु छोटी बच्ची के प्रेमपूर्ण व्यवहार को देखकर उन दोनों में एक शक्ति का संचार हो गया, मानो उन्हें अच्छा भोजन मिल गया और उनके हृदय में यह भाव जागा कि यहाँ पर भी किसी सज्जन का वास है।
प्रश्न 10. गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि-
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी ।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था । (घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी ।
सही उत्तर के आगे (V) का निशान लगाइए ।
उत्तर- (ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था। रचना और अभिव्यक्ति-
प्रश्न 11. हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज उठाई, लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा- मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी में हीरा-मोती को स्वतन्त्रता आन्दोलन के क्रान्तिकारियों के प्रतीक रूप में रखा गया है। इन दोनों ने गया के घर जाने पर मातृभूमि के प्रति अपना प्रेम दर्शाने और अत्याचार-शोषण का विरोध करने में अपनी क्षमता का परिचय दिया। इस संघर्ष में उन्हें वहाँ प्रताड़ना मिली, मार भी खानी पड़ी और भूखा भी रखा गया, फिर भी वे अपने ढंग से उसका विरोध भी करते रहे। इस तरह गुलामी के बदले आजादी की लालसा में उन्होंने संघर्षरत रहने की अपनी बलवती भावना का परिचय दिया
प्रश्न 12. क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है?
उत्तर- अप्रत्यक्ष रूप से यह कहानी अंग्रेजों की दासता से मुक्ति की कहानी है और इसमें हीरा-मोती कान्तिकारियों के प्रतीक हैं। जिस समय यह कहानी लिखी गयी, उस समय भारत में स्वतन्त्रता आन्दोलन चल हा था। अपनी बात को खुलकर न कह सकने के कारण प्रेमचन्द ने दो बैलों के माध्यम से आजादी की लड़ाई की ओर संकेत किया। हीरा-मोती को लेकर कहानी में जो घटना क्रम एवं विचाराभिव्यक्ति दर्शायी गई है, वह सब आजादी की लड़ाई से मेल खाती है। जहाँ झूरी का घर स्वराज्य का और गया का घर पराधीनता का प्रतीक है वहीं रा अहिंसा का और मोती क्रान्ति का प्रतीक है। अन्त में इन दोनों की विजय बताई गयी है।
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प्रश्न 1. “नहीं, हमारी जाति का यह धर्म नहीं है।” यह किसने और किस आशय से कहा?
उत्तर- यह हीरा ने कहा। दोनों बैल जब हल लेकर भागे, तो गया अपने दो आदमियों के साथ लाठी लेकर आया। उस समय गया को देखकर मोती ने कहा कि मैं भी इसे कुछ मजा चखाता हूँ। तब हीरा ने कहा कि गया हमारे मालिक का साला है, वह इस समय हमारा मालिक जैसा है। अतः मालिक पर प्रहार करना या उसे शारीरिक नुकसान पहुँचाना हम सेवकों का धर्म नहीं है।
प्रश्न 2. दोनों बैलों ने आजादी का कब अनुभव किया?
उत्तर- दोनों बैलों की रस्सियाँ भँरो की लड़की ने चुपचाप खोल दी थीं। इस कारण वे दोनों वहाँ से भागने लगे। गया ने कुछ दूर तक उनका पीछा किया, परन्तु असफल रहा। तब हीरा और मोती दोनों ही अपनी भूख शान्त करने के लिए मटर के एक खेत में घुस गये। उन्होंने पेट भरकर हरी मटर खायी और मस्त होकर उछलने-कूदने लगे। उस समय इन दोनों बैलों को आजादी का अनुभव हुआ।
प्रश्न 3. बेदम होकर गिर पड़े साँड को लक्ष्य कर हीरा-मोती ने कौनसी नीति-विषयक बातें कही?
उत्तर-बेदम होकर गिरे सांड को लक्ष्य करके हीरा ने कहा कि ‘गिरे हुए बैरी पर सींग नहीं चलाना चाहिए।’ अर्थात् हारे हुए शत्रु पर शक्ति का प्रयोग करना धर्म-युद्ध के विपरीत माना जाता है। मोती ने फिर कहा कि ‘यह सब ढोंग है, बैरी को ऐसा मारना चाहिए कि फिर न उठे।’ अर्थात् दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना चाहिए, उसके प्रति सदाशयता या श्रमा भाव नहीं रखना चाहिए। इस प्रकार हीरामोती ने साँड को लक्ष्य कर सुन्दर नीति-विषयक बातें कही
प्रश्न 4. “जीर तो मारता ही जाऊँगा, चाहे कितने ही बन्धन पड़ते जाएँ।” इस वाक्य के माध्यम से लेखक
उत्तर-यह वाक्य हीरा का कथन है। वह कांजीहीस की दीवार तोड़ने के सम्बन्ध में अपने दृढ़ संकल्प को व्य करता है। उसके माध्यम से लेखक ने स्वतंत्रता आन्दोलन में जो क्रान्तिकारी अंग्रेजों की कैद में थे, उनकी भावनाओं की व्यंजना की है। गुलामी की जंजीरों को जोड़ने के लिए संघर्ष और दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है। कष्टों की चिन्ता किये बिना निरन्तर संघर्ष करते रहने से ही गुलामी की जंजीरें टूट सकती हैं।
प्रश्न 5. हीरा और मोती के स्वभाव में क्या अन्तर दिखाई देता है? कहानी के आधार पर बताइए।
उत्तर-मोती स्वभाव से कुछ उग्र, अन्याय व अत्याचार का विरोध करने में ‘जैसे को तैसा’ सिद्धान्त को मानने खाला, परोपकारी व दयालु है। होरा भी अन्याय का विरोधी है लेकिन मोती की तरह उम्र नहीं है। इस तरह हीरा के मुकाबले मोती का स्वभाव अधिक स्वाभाविक प्रतीत होता है।
प्रश्न 6. ” मर जाऊँगा, पर उसके काम न आऊँगा।” यह किसने और किस आशय से कहा ?
उत्तर- यह भीती ने हीरा से कहा, क्योंकि उसकी निगाह में कसाई शोषणकारी और हिंसक था। ऐसे व्यक्ति की गुलामी में रहना, उसकी खातिर अपना जीवन बलिदान करना या अन्याय का विरोध न करना अनुचित है। ऐसे व्यक्ति के काम में आने की बजाय प्राणों का बलिदान करना उचित है।
प्रश्न 7. हीरा-मोती ने दूसरी बार गया के घर भेजे जाने का किस प्रकार विरोध किया? कहानी के आधार पर बताइए।
उत्तर-हीरा और मोती गया के घर नहीं जाना चाहते थे लेकिन भेजे जाने पर पहले तो मोती ने गाड़ी को सड़क की खाई में गिराना चाहा परन्तु हीरा ने उसे संभाल लिया गया द्वारा सूखा भूसा डालना उन्होंने अपना अपमान समझा उसे नहीं खाया। गया द्वारा हीरा की नाक पर डंडेर बरसाये जाने पर मोती ने हल, रस्सी, जुआ, जोत, सब तोड़-ताड़कर बराबर कर दिये। इसके बाद वे फिर से गया के घर से भागे। इस प्रकार उन दोनों ने गया के घर भेजे जाने का विरोध किया।
प्रश्न 8. ‘दो बैलों की कथा’ पाठ में गुप्त-शक्ति से लेखक का क्या तात्पर्य है?
उत्तर-‘दो बैलों की कथा’ नामक कहानी में मुंशी प्रेमचन्द ने बताया कि जानवरों में गुप्त शक्ति होती है। उनमें दूसरे के मनोभावों को भाँपने की ताकत होती है। इसी कारण जब दड़ियल आदमी ने दोनों बैलों के शरीर को टटोल- टटोल कर देखने की चेष्टा की तो वे दोनों बैल उसकी बदनीयत को समझ गये। उन्हें पता चल गया कि यह आदमी हत्यारा है, यह उनका मित्र नहीं हो सकता। इससे हमारा अनर्थ हो सकता है।
प्रश्न 9. दोनों बैलों के साथ कैसा व्यवहार हो रहा था?
उत्तर- -झूरी अपने दोनों बैलों के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करता था, परन्तु उसके घर को छोड़कर अन्य सब जगहों पर उनके साथ शोषण और अन्याय का व्यवहार किया जा रहा था। गया उन्हें अपने खेतों पर जबरदस्ती जोतता था, चारा कम देता था। रास्ते में साँड ने उन पर बेवजह आक्रमण कर दिया था। काँजीहौस में तो अन्य जानवरों के साथ उन पर अन्याय हो रहा था। वहाँ पर चारा-पानी कुछ नहीं दिया जा रहा था। दड़ियल व्यक्ति कसाई था, वह उन्हें काट देना चाहता था। उसका व्यवहार अत्यन्त निर्मम था ।
प्रश्न 10. काँजीहौस में हीरा-मोती ने किस तरह एकता दिखाई थी?
उत्तर- काँजीहौस के अन्दर अनेक भैंसें, बकरियाँ, घोड़े, गधे आदि पशु बन्द थे। भूख-प्यास के कारण वे बेहाल थे और एकदम मरियल बने हुए थे। ऐसे में हीरा-मोती ने काँजीहौस की दीवार को सींग मार-मार कर तोड़ डाला। इससे वहाँ के सारे पशु आजाद हो गये। गधे वहाँ से भागने को तैयार नहीं थे। तब हीरा-मोती ने उन्हें भी खदेड़कर बाहर कर दिया था। इस तरह काँजीहौस में हीरा-मोती ने एकता और साहस का परिचय दिया, परन्तु अन्ततः वे पूरी तरह सफल नहीं हुए।
प्रश्न 11. ‘दो बैलों की कथा’ के आधार पर बताइए कि क्या-क्या आरोप लगाकर भारतीयों को अमेरिका में नहीं घुसने दिया जाता था?
उत्तर- प्रस्तुत कहानी में बताया गया है कि अमेरिका के लोग भारतीयों की सरलता, सहनशीलता, सादगी एवं अहिंसा के कारण नीचा मानते थे। वे केवल संघर्षशील लोगों को तथा खुले दिल से खर्च करने वालों को सम्मान देते थे। भारतीय लोग शराब नहीं पीते थे, चार पैसे कमाकर कुसमय के लिए बचाकर रखते थे और जी-तोड़ काम करते थे। किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं। भारतीयों के ऐसे स्वभाव को देखकर अमेरिकावासी उन्हें वहाँ घुसने नहीं देते थे ।
प्रश्न 12. ‘दो बैलों की कथा’ में लेखक ने सच्चे मित्रों की क्या पहचान बतायी है?
उत्तर- प्रस्तुत कहानी में लेखक ने हीरा-मोती बैलों के माध्यम से सच्चे मित्रों की यह पहचान बतायी है कि सच्चे मित्र आपस में खूब मेल-जोल से रहते हैं। वे कभी आपस में कुछ धौल-धप्पा, शरारत या कुलेल-क्रीड़ा भी करते हैं, परन्तु उससे उनका प्रेम बढ़ता है। सच्चे मित्र हर समय एक-दूसरे की सहायता-सहयोग करते हैं। जैसे हीरा-मोतं एक साथ हल या गाड़ी को खींचते थे, नाँद में खली-भूसा एक साथ खाते थे और विपदा आने पर एक साथ उसका सामना करते थे।
प्रश्न 13. झूरी की पत्नी ने हीरा-मोती को पहले नमकहराम क्यों कहा? बाद में उनका माथा क्यों चूम ?
उत्तर-झूरी की पत्नी ने दोनों बैल अपने भाई गया के घर हल चलाने के लिए भिजवाये थे। परन्तु दोनों बैल वहाँ से भाग आये, तो शूरी की पत्नी को अच्छा नहीं लगा और अपने भाई का अपमान मानकर उसने हीरा-मोती को गुस्से में नमकहराम कहा। बाद में कसाई के बन्धन से भागते हुए जब दोनों बैल अपने थान पर पहुंचे, तो झूरी की पत्नी के मन का मैल दूर हो गया। वह हीरामोती को सच्चा स्वामिभक्त मानने लगी। कई दिनों के बाद बैलों के लौट आने से उसने खुशी से उनका माथा चूम लिया।
प्रश्न 14. ‘दो बैलों की कथा’ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि एकता में ही शक्ति है।
उत्तर- गया के घर से दूसरी बार भागने पर हीरा-मोती रास्ता भटक गये। वे दोनों एक खेत में मटर खाने घुसे, तो वहाँ उनका मुकाबला एक बड़े भयानक साँड से हुआ। तब हीरा-मोती ने योजना बनाई कि कैसे साँड का मुकाबला करें। सांड जब एक को आगे से मारता, तो उसी समय दूसरा उस पर पीछे से सींग से प्रहार करता। इस तरह वे दोनों उरु साँड का मुकाबला करते रहे। हीरा मोती ने योजनानुसार साँड के हमले को विफल कर दिया। इससे साँड बेदम होकर गिर पक्ष तब हीरा-मोती ने उसे छोड़ दिया। यदि वे दोनों मिलकर सौंड का मुकाबला नहीं करते, तो जान से हाथ धो बैठते इससे सिद्ध होता है कि एकता में ही शक्ति है।
प्रश्न 15. हीरा-मोती किस प्रकार सहयोग एवं प्रेम करते थे? इससे क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर- हीरा-मोती एक साथ ही नींद में मुँह डालते थे, एक साथ खली-भूसा खाते थे और आपस में एक-दूसरे को चाटकर या सींग मिलाकर प्रेम प्रकट करते थे। हल या गाड़ी पर जोते जाने पर दोनों की यह चेष्टा रहती थी कि ज्यादा से ज्यादा बोझ मेरी गर्दन पर ही रहे। इसी प्रकार मुसीबत आने पर वे एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते थे। कांजीहाँस में मोती हीरा की रस्सी तोड़ने का प्रयास करता रहा, परन्तु वह अकेला वहाँ से बाहर नहीं आया। इस प्रकार हीरा- मोती के परस्पर सहयोग एवं प्रेम को देखकर शिक्षा मिलती है कि आपस में अटूट प्रेम, मित्रता एवं सहयोग रखना चाहिए।
प्रश्न 16. दोनों बैलों की आँखों में विद्रोहमय स्नेह क्यों झलक रहा था?
उत्तर-हीरा-मोती को गया के घर जाना ठीक नहीं लगा। वे वहाँ से विद्रोही बनकर, पगहे उखाड़कर वापस शूरी के घर आ गये थे। तब शूरी ने उन्हें गले लगाया, प्रेमालिंगनं एवं चुम्बन किया। उस समय गया के घर मिले अपमान को लेकर तथा झूरी के स्नेह को देखकर हीरा और मोती की आँखों में विद्रोहमय स्नेह अर्थात् मिला-जुला भाव झलक रहा था। उनका गया के प्रति विद्रोह तथा झूरी के प्रति प्रेम व्यक्त हो रहा था।
प्रश्न 17. ‘लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूले जाते हो’- इस कथन से लेखक ने समाज की किस विडम्बना पर आक्षेप किया है?
उत्तर-गया के घर में छोटी बच्ची को उसकी सौतेली माँ भारती-पीटती थी। इस बात पर मोती ने लड़की की सवाने वाली औरत पर अपना सींग चलाने की इच्छा व्यक्त की। तब उसे हीरा ने ऐसा करना गलत बताया। इस प्रसंग से समाज पर आक्षेप किया गया है कि औरत को कदम-कदम पर पुरुष के हाथों अपमानित होना पड़ता है तथा मार-पीट सहनी पड़ती है। औरत स्वयं को अबला मानकर सब कुछ सहती है। पुरुष वर्ग द्वारा औरतों के साथ ऐसा आचरण जानवरों से भी बदतर और निन्दनीय है।
प्रश्न 18. सिद्ध कीजिए कि हीरा नरम विचारों तथा मोती गरम विचारों वाला क्रान्तिकारी है।
उत्तर-प्रस्तुत कहानी में हीरा और मोती के कार्यों एवं उनकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर हीरा नरम दल का तथा मोती गरम दल का क्रान्तिकारी प्रतीत होता है। होरा अपने कार्यों से सहनशीलता, अहिंसा, विनम्रता की अभिव्यक्ति करता है, तो मोती उग्रता, प्रतिकार, बदला लेने एवं बलिदानी भावना को व्यक्त करता है। हीरा गया की मार खाकर भी नरम रहने की बात कहता है। काँजीहौस में मोती पूरी ताकत से दीवार गिराकर सभी पशुओं को भागने का मौका देता है। इस प्रकार मोती गरम विचारों का क्रान्तिकारी प्रतीत होता है।
प्रश्न 19. ‘स्वतन्त्रता सहज में नहीं मिलती, उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है।’ ‘दो बैलों की कथा’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मुंशी प्रेमचन्द ने ‘दो बैलों की कथा’ के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि आजादी बिना संघर्ष के नहीं मिलती है। उसके लिए परस्पर एकता व सहयोग रखकर, संघर्ष एवं बलिदान-त्याग का मार्ग अपनाकर आगे बढ़ना पड़ता है। होरा और मोती दोनों बैल गया के अत्याचार से, कांजीहौस रूपी जेल से, दढ़ियल कसाई के बन्धन से तभी मुक्त होते हैं. जब वे संघर्ष करते हैं, अनेक कष्ट झेलकर भी वे हार नहीं मानते हैं। देश को पराधीनता से मुक्ति भी एकता, सहयोग एवं संघर्ष से मिल सकी, यही उद्देश्य प्रस्तुत कहानी में व्यंजित हुआ है।
प्रश्न 20. जानवरों में भी मानवीय संवेदनाएँ होती हैं-‘दो बैलों की कथा’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मुंशी प्रेमचन्द ने प्रस्तुत कहानी में हीरा-मोती को ऐसा चित्रित किया है कि वे मनुष्यों की तरह परस्पर सुख-दुःख का अनुभव करते हैं तथा आपस में प्रेम एवं सहयोग रखते हैं। वे गया के घर से भागकर अपने परिचित थान पर आते हैं और रोटियाँ खिलाने वाली छोटी लड़की के स्नेह को भली-भाँति समझते हैं। वे प्यार का बदला प्यार प्रेम से देते हैं। वे गया और दढ़ियल आदमी के कठोर भावों को अच्छी तरह समझते हैं। उनमें उग्रता, गुस्सा, विद्रोह, आत्मीयता तथा परस्पर सहयोग जैसी सभी मानवीय संवेदनाएँ स्पष्ट दिखाई देती हैं।
प्रश्न 21. ‘दो बैलों की कथा’ कहानी का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘दो बैलों की कथा’ कहानी के माध्यम से प्रेमचन्द ने भारतीय कृषक समाज और पशुओं के भावात्मक सम्बन्ध का वर्णन किया है। इसका मूल भाव यह है कि सहनशीलता, सरलता, सीधापन आदि गुणों का आज के परिवेश कोई महत्व नहीं है। भारतीयों का पराधीनता काल में इसी कारण शोषण उत्पीड़न हुआ। संघर्षशील और शक्तिशाली का सदा सम्मान होता है। जापान और अमेरिका ने इसी आधार पर सम्मान अर्जित किया है। अत्याचार और अन्याय का शिकार न होकर सदा संघर्ष करने से सम्मान भी मिलता है और आजादी भी हासिल होती है।
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