हरि के शब्द रुप संस्कृत में | हरि: इकारांत पुल्लिंग शब्दरुपम्| Hari Shabd roop in sanskrit
हरि के शब्द रुप इस प्रकार ह्रस्व ‘इ’ पर समाप्त होने वाले सभी पुल्लिंग संज्ञा शब्द – हरि (विष्णु या किसी पुरुष का नाम), बह्नि (आग), यति, (संन्यासी), नृपति (राजा), भूपति (राजा), गणपति (गणेश), प्रजापति (ब्रह्मा), रवि (सूर्य), कपि (बन्दर), अग्नि (आग), मुनि, जलधि (समुद्र), ऋषि, गिरि (पहाड़), विधि (ब्रह्मा), मरीचि (किरण), सेनापति, धनपति (सेठ), विद्यापति (विद्वान्), असि (तलवार), शिवि (शिवि नाम का राजा), ययाति (ययाति नाम का राजा) और अरि (शत्रु) आदि के रूप चलते हैं।
विशेष- जिन शब्दों में र्, ऋ अथवा ष होता है, उनमें तृतीया एकवचन में व षष्ठी बहुवचन में ‘न्’ के स्थान पर ‘ण्’ हो जाता है। जैसे- हरि शब्द (रि में र् होने के कारण ) तृतीया एकवचन में ‘हरिणा’ होगा तथा षष्ठी बहुवचन में ‘हरीणाम्’ होगा किन्तु ‘कवि’ में र्, ऋ अथवा ष् नहीं होने के कारण ‘कविना’ तथा कवीनाम्’ ही हुए हैं।
विभक्ति | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
प्रथमा | हरि: | हरी | हरय: |
द्वितीया | हरिम् | हरी | हरीन् |
तृतीया | हरिणा | हरिभ्याम् | हरिभि: |
चतुर्थी | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्य: |
पंचमी | हरे: | हरिभ्याम् | हरिभ्य: |
षष्ठी | हरे: | हर्यो: | हरीणाम् |
सप्तमी | हरौ | हर्यो: | हरिषु |
सम्बोधन | हे हरि:! | हे हरी! | हे हरय:! |
कवि इकारांत पुल्लिंग शब्दरुपम्
राम अकारांत पुल्लिंग शब्दरुपम्
लता आकारांत स्त्रीलिंग शब्दरुपम्