Sanskrit Class 9 Shemushi Chapter 8 जटायो शौर्यम् Hindi & English Translation 2023-24
जटायो शौर्यम् – यह पाठ आदिकवि वाल्मीकि प्रणीत रामायणम् के अरण्यकाण्ड से लिया गया है। इसमें रावण और जटायु के मध्य युद्ध का वर्णन किया गया है। पंचवटी जंगल में सीता का करूण विलाप सुनकर पक्षीराज जटायु उनकी रक्षा के लिए दौड़े। महाबली जटायु अपने तीखे नखों तथा पंजों से रावण के शरीर में अनेक घाव कर देते हैं तथा रावण को शस्त्र हीन कर घायल कर देते हैं।
सा तदा करुणा वाचो विलपन्ती सुदुःखिता। वनस्पतिगतं गृध्रं ददर्शायतलोचना ।
हिन्दी अनुवाद-तब उस बड़े-बड़े नेत्रों वाली, करुणामय वाणी से विलाप करती हुई अत्यन्त दुःखी सीताजी ने के वनों में स्थित जटायु नामक गिद्ध को देखा।
English translation-Then that big-eyed, deeply sorrowful Sitaji, who was lamenting with compassionate words, saw a vulture named Jatayu, situated in the forests.
जटायो पश्य मामार्य ह्रियमाणामनाथवत् । अनेन राक्षसेन्द्रेण करुणं पापकर्मणा ॥
हिन्दी अनुवाद- हे पूजनीय जटायु इस राक्षसराज (रावण) के द्वारा पापकर्म से अनाथ के समान अपहरण करके ले जाई जाती हुई, शोकग्रस्त मुझे (सीता को) देखो।
English Translation- O venerable Jatayu, look at me (Sita), sorrowful, abducted and carried away like an orphan by this demon king (Ravana).
तं शब्दमवसुप्तस्तु जटायुरथ शुश्रुवे । निरीक्ष्य रावणं क्षिप्रं वैदेहीँ च ददर्श सः ॥
हिन्दी अनुवाद-इसके बाद (सीता द्वारा आवाज दिये जाने पर) अल्प निद्रा में सोए हुए जटायु ने सीताजी के उन करुण शब्दों को सुना और उसने रावण को देखकर शीघ्र ही सीताजी को भी देखा.
English translation-After this (on being called by Sita), Jatayu, who was sleeping in a short sleep, heard those compassionate words of Sitaji and soon after seeing Ravana, he also saw Sitaji.
ततः पर्वतशृङ्गाभस्तीक्ष्णतुण्डः खगोत्तमः । वनस्पतिगतः श्रीमान्व्याजहार शुभां गिरम् ॥
हिन्दी अनुवाद- उसके बाद पर्वत के शिखर के समान कान्ति वाले, तीक्ष्ण (कठोर) चोंच वाले, पक्षियों में श्रेष्ठ जनसमूह में रहने वाले, शोभासम्पन्न (जययु) ने ये शुभवचन कहे।
English translation – After that, the one who is shining like the peak of the mountain, having sharp (hard) beak, living in the best group of birds, the one who is beautiful (Jayayu) said these auspicious words.
निवर्तय मतिं नीचां परदाराभिमर्शनात् । न तत्समाचरेद्धीरो यत्परोऽस्य विगर्हयेत् ॥
हिन्दी अनुवाद- (हे रावण !) पराई स्त्री के स्पर्श से नीच बनी हुई अपनी दुष्ट बुद्धि (दुष्कर्म) को रोको योंकि विवेकी मनुष्य को उस प्रकार का आचरण (दुराचार) नहीं करना चाहिए जिसकी दूसरे लोग निन्दा करते हैं।
English translation – (O Ravana!) Stop your evil mind (misdeeds) which has become despicable by the touch of a stranger’s woman, because a wise man should not behave (misbehavior) in such a way that others condemn.
वृद्धोऽहं त्वं युवा धन्वी सरथः कवची शरी । न चाप्यादाय कुशली वैदेहीं मे गमिष्यसि ॥
हिन्दी अनुवाद – (हे रावण) में वृद्ध हूँ और तुम युवा, धनुर्धर, रथसहित, कवच धारण किये हुए तथा बाणों से युक्त हो। तो भी मेरे रहते हुए तुम सकुशल सीताजी को लेकर नहीं जा सकते हो।
English translation – (O Ravana) I am old and you are young, archer, with a chariot, wearing armor and equipped with arrows. Even then, while I am alive, you cannot take Sitaji safely.
तस्य तीक्ष्णनखाभ्यां तु चरणाभ्यां महाबलः । चकार बहुधा गात्रे व्रणान्पतगसत्तमः ॥
हिन्दी अनुवाद-महान् बलशाली पक्षिराज जटायु ने अपने तीक्ष्ण नाखूनों वाले पंजों से उस रावण के शरीर अनेक प्रकार से प्रहारजनित घाव कर दिए।
English translation – The great mighty bird king Jatayu with his sharp-nailed claws inflicted wounds on that Ravana’s body in many ways.
स भग्नधन्वा विरथो हताश्वो हतसारथिः । अङ्केनादाय वैदेहीं पपात भुवि रावणः ॥
हिन्दी-अनुवाद- (जटायु के प्रहारों से) वह टूटे हुए धनुष वाला, टूटे हुए रथ वाला, मारे गए घोड़ों तथा मारे गए रथि वाला रावण सीता को गोद में लेकर पृथ्वी पर गिर पड़ा।
English translation – Ravana with his broken bow, broken chariot, slain horses and slain chariot fell on the earth with Sita in his arms.
संपरिष्वज्य वैदेहीं वामेनाङ्केन रावणः । _तलेनाभिजघानाशु जटायु क्रोधमूर्च्छितः ॥
हिन्दी अनुवाद- (जटायु के प्रहारों से घायल होने के कारण) क्रोध से मूर्च्छित हुए रावण ने सीता की बाईं भु पकड़कर शीघ्र ही जटायु को थप्पड़ (प्राणघातक प्रहार करके) मार डाला।
English translation-(Because of being injured by Jatayu’s attacks) Ravana, unconscious of anger, quickly slapped Jatayu (with a fatal blow) by holding Sita’s left arm.
जटायुस्तमतिक्रम्य तुण्डेनास्य खगाधिपः । वामबाहून्दश तदा व्यपाहरदरिन्दमः ॥
हिन्दी अनुवाद-शत्रुओं का विनाश करने वाले, पक्षिराज जटायु ने तब (रावण द्वारा प्राणघातक आक्रमण करने पर) अपनी चोंच से उस रावण पर आक्रमण करके उसकी बाईं ओर की दसों भुजाओं को उखाड़ दिया। अर्थात् मरने से पूर्व जटायु ने अन्तिम सांस तक स्वामिभक्ति प्रदर्शित करते हुए रावण को भारी क्षति पहुँचाई.
English translation – The king of birds, Jatayu, the destroyer of enemies, then (on Ravana’s fatal attack) attacked Ravana with his beak and uprooted the ten arms on his left side. That is, before dying, Jatayu inflicted heavy damage on Ravana by showing devotion till his last breath.
NCERT Solutions for Class 9th Sanskrit Chapter Questions Answers
प्रश्न 1. एकपदेन उत्तर लिखत-
(क) आयतलोचना का अस्ति?
उत्तर सीता।
(ख) साकं ददर्श ?
उत्तर गृध्रम्।
(ग) खगोत्तमः कीदृशीं गिरं व्याजहार ?
उत्तर शुभाम्।
(घ) जटायु काभ्यां रावणस्य गात्रे व्रणं चकार ?
उत्तर तीक्ष्णनखाभ्यां चरणाभ्याम् ।
(ङ) अरिन्दमः खगाधिपः कति बाहून व्याहरत्?
उत्तर दश।
प्रश्न 2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-(अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत भाषा में लिखिए )
(क) “जटायो ! पश्य” इति का बदति?(“जटायु देखो” ऐसा कौन कहती है?)
उत्तरम् -“जायो ! पश्य” इति वैदेही वदति ।(“जटायु देखो”-ऐसा सीता कहती है)
(ख) जटायुः रावणं किं कथयति? (जटायु रावण से क्या कहता है?)
उत्तरम् -” रावण परदाराभिमर्शनात् नो-मति निवर्तय” इति। (“रावण! पराई स्त्री के स्पर्श से दुष्ट बनी हुई दुर्बुद्धि को छोड़ो।”)
(ग) क्रोधवशात् रावणः किं कर्तुम् उद्यतः अभवत्? (क्रोध के कारण रावण क्या करने को तत्पर हो गया?)
उत्तरम् – क्रोधोन्मत्त रावण: जटायुं तलेन अभिजघान ।(क्रोध से पागल हुए रावण ने जटायु को थप्पड़ से ही मार डाला।)
(घ) पतगेश्वरः रावणस्य कीदृशं चापं सशरं बभञ्ज? (पक्षिराज ने रावण के किस प्रकार के धनुष को बाण सहित तोड़ डाला?)
उत्तरम् – पतगेश्वरः रावणस्य मुक्तामणि विभूषितं सशरं चापं बभञ्ज । (पक्षिराज ने रावण के मुक्तामणियों से सुसज्जित बाण सहित धनुष को तोड़ डाला ।)
(ङ) जटायुः केन वामबाहुं दंशति? (जटायु किससे बायीं भुजा को काटता है?)
उत्तरम् – जटायुः तुण्डेन वामबाहुं दंशति । (जटायु चोंच से बायीं भुजा को काटता है।)
प्रश्न 3. उदाहरणमनुसृत्य णिनि-प्रत्ययप्रयोगं कृत्वा पदानि रचयत-
(क) | कवच+णिनि | कवचिन् |
(ख) | शर+णिनि | शरिन् |
(ग) | कुशल+णिनि | कुशलिन् |
(घ) | धन+णिनि | धनिन् |
(ड़) | दण्ड+णिनि | दण्डिन् |
(अ) रावणस्य जटायोश्च विशेषणानि सम्मिलितरूपेण लिखितानि तानि पृथक् पृथक् कृत्वा लिखत्।
युवा,सशर:,वृध्द:,हतश्व:,महाबल:,पतगसत्तम:,भग्नधन्वा,महागृध्र:,खगाधिप:,क्रोधमूर्च्छित:,पतगेश्वर:,सरथ:,कवची,शरी
रावण: | जटायु: |
सशर: | महाबल: |
हताश्व: | पतगसत्तम: |
भग्नधन्वा | महागृध्र: |
क्रोधमूर्च्छित: | खगाधिप: |
सरथ: | पतगेश्वर: |
कवची | शरी |
प्रश्न 4. ‘क’ स्तम्भे लिखितानां पदानां पर्यायाः ‘ख’ स्तम्भे लिखिताः । तान् यथासमक्षं योजयत-
क | ख |
कवची | कवचधारी |
आशु | शीघ्रम् |
विरथ: | रथविहीन: |
पपात | अपतत् |
भुवि | पृथिव्याम् |
पतगसत्तम: | पक्षिश्रेष्ठ: |
प्रश्न 5. अधोलिखितानां पदानां विलोमपदानि मञ्जूषायां दनेषु पदेषु चित्वा यथासमक्षं लिखत-
उतर | पदिनि | विलोमशब्दा: |
(क) | विलपन्ती | हसन्ती |
(ख) | आर्य | अनार्य |
(ग) | राक्षसेन्द्रेण | देवेन्द्रेण |
(घ) | पापकर्मणा | पुण्यकर्मणा |
(ड़) | क्षिप्रम् | मन्दम् |
(च) | विगर्हयेत् | प्रशंसेत् |
(छ) | वृध्द: | युवा |
(ज) | वामेन | दक्षिणेन |
(झ) | अतिक्रम्य | अनतिक्रम्य |
प्रश्न 6. ( अ ) अधोलिखितानि विशेषणपदानि प्रयुज्य संस्कृतवाक्यानि रचयत-
विशेषणम् | वाक्यम् |
शुभाम् | स: शुभां कन्याम् अपश्यत्। |
खगाधिप: | खगाधिप: जटायु: शौर्यं प्रकटितवान्। |
हतसारथि | हतसारथि: सेनापति: भुवि अपतत्। |
वामेन | स: वामेन हस्तेन कार्यं करोति। |
कवची | संग्रामे कवची सैनिक: युध्दं करोति। |
(आ) उदाहरणमनुसृत्य समस्तं पदं रचयत-
(क) पंचानां वटानां समाहर: | पंचवटी |
(ख) सप्तानां पदानां समाहार: | सप्तपदी |
(ग) अष्टानां भुजानां समाहार: | अष्टभुजी |
(घ) चतुर्णां मुखानां समाहार: | चतुर्मुखी |