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Reading: Sanskrit Class 7th Chapter 8 विश्वबन्धुत्वम् हिंदी अनुवाद
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Sanskrit Class 7th Chapter 8 विश्वबन्धुत्वम् हिंदी अनुवाद

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NCERT Solutions for Class 7th Sanskrit Chapter 8 विश्वबन्धुत्वम् Hindi Translation & Questions Solutions

इस पोस्ट में हमने Sanskrit Class 7th Chapter 8 विश्वबन्धुत्वम् हिंदी अनुवाद में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Sanskrit Class 7th Ruchira Chapter 8 विश्वबन्धुत्वम् के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 7th Sanskrit Chapter 8 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।

1.Class 7th All Subject Solution
2.Class 7th Sanskrit Solution
3.Class 7th Hindi Solution
4.Class 7th English Solution
5.Class 7th Science Solution
6.Class 7th Social Science Solution
7.Class 7th Maths Solution
विश्वबन्धुत्वम्

उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, दैनन्दिनव्यवहारे यः सहायतां करोति सः बन्धुः भवति । यदि विश्वे सर्वत्र एतादृशः भावः भवेत् तदा विश्वबन्धुत्वं सम्भवति ।

परन्तु अधुना निखिले संसारे कलहस्य अशान्तेः च वातावरणम् अस्ति । मानवाः परस्परं न विश्वसन्ति । ते परस्य कष्टं स्वकीयं कष्टं न गणयन्ति । अपि च समर्थाः देशा: असमर्थान् देशान् प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति, तेषाम् उपरि स्वकीयं प्रभुत्वं स्थापयन्ति। संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य, शत्रुतायाः, हिंसायाः च भावना दृश्यते । देशानां विकासः अपि अवरुद्धः भवति ।

हिन्दी अनुवाद – उत्सव, संकट (आपत्ति), अकाल, राष्ट्रीय आपदा और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है वह मित्र (बन्धु) होता है। यदि संसार में सब जगह ऐसी भावना हो तब विश्व-बन्धुत्व (का भाव) सम्भव होता है । परन्तु आज सारी दुनिया में लड़ाई-झगड़े और अशान्ति का माहौल है । मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं । वे दूसरे के कष्ट को अपना कष्ट नहीं गिनते हैं और समर्थ देश असमर्थ देशों के प्रति उपेक्षा (अनादर) का भाव दिखाते हैं, उनके ऊपर अपनी प्रभुता जमाते हैं। संसार में सब जगह द्वेष, दुश्मनी और हिंसा की भावना दिखाई देती है । देशों का विकास भी अवरुद्ध होता है ।

English Translation – One who helps in celebration, crisis, famine, national calamity and daily dealings is a friend. If there is such a feeling everywhere in the world then the feeling of universal brotherhood is possible. But today there is an atmosphere of fighting and unrest all over the world. Human beings do not trust each other. They do not consider the sufferings of others as their own sufferings and the capable countries show disregard (disrespect) towards the incapable countries and establish their dominance over them. The feeling of hatred, enmity and violence is visible everywhere in the world. The development of countries also gets hampered.

इयम् महती आवश्यकता वर्तते यत् एकः देशः अपरेण देशेन सह निर्मलेन हृदयेन बन्धुतायाः व्यवहारं कुर्यात् । विश्वस्य जनेषु इयं भावना आवश्यकी । ततः विकसिताविकसितयोः देशयोः मध्ये स्वस्था स्पर्धा भविष्यति । सर्वे देशाः ज्ञानविज्ञानयोः क्षेत्रे मैत्रीभावनया सहयोगेन च समृद्धिं प्राप्तुं समर्थाः भविष्यन्ति ।

हिन्दी अनुवाद – यह बहुत बड़ी जरूरत है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय से भाई-चारे का व्यवहार करे । संसार के लोगों में यह भावना जरूरी है। तब विकसित और अविकसित देशों के बीच स्वस्थ होड़ (मुकाबला) होगी, सभी देश ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में मित्रता की भावना और सहयोग से समृद्धि को प्राप्त करने में समर्थ होंगे ।

English Translation – It is a great need that one country should treat another country with brotherhood with a pure heart. This feeling is necessary among the people of the world. Then there will be healthy competition between developed and underdeveloped countries, all countries will be able to achieve prosperity with the spirit of friendship and cooperation in the field of knowledge and science.

सूर्यस्य चन्द्रस्य च प्रकाशः सर्वत्र समानरूपेण प्रसरति । प्रकृतिः अपि सर्वेषु समत्वेन व्यवहरति । तस्मात् अस्माभिः सर्वैः परस्परं वैरभावम् अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम् । अतः विश्वस्य कल्याणाय एतादृशी भावना भवेत्- अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।।

हिन्दी अनुवाद – सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश (उजाला) सब जगह समान रूप से फैलता है। प्रकृति (कुदरत) भी सब पर समान भाव से व्यवहार करती है। इसलिए हम सभी को आपसी वैरभाव त्यागकर विश्व-बंधुत्व की स्थापना करनी चाहिए।

अतः (इसलिए) संसार के कल्याण (हित) के लिए इस प्रकार की भावना होनी चाहिए । यह अपना है अथवा यह पराया है, यह सोच तो संकीर्ण (क्षुद्र) हृदय लोगों की है। उदार (विशाल) हृदय (आचरण वाले) लोगों के लिए तो यह सम्पूर्ण धरती एक परिवार (के समान) है ।

English Translation – The light of the Sun and the Moon spreads equally everywhere. Nature also treats everyone equally. Therefore, we all should give up mutual enmity and establish world brotherhood.

So (therefore) there should be this kind of feeling for the welfare of the world.

Whether it is ours or whether it is someone else’s is the thinking of narrow hearted people. For people with generous (large) heart (conduct), this entire earth is (like) a family.

अभ्यास प्रश्न

  1. उच्चारणं कुरुत- (उच्चारण कीजिए-)

दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, विश्वबन्धुत्वम्, विश्वसन्ति, उपेक्षाभावम्, विद्वेषस्य, ध्यातव्यम्, दुःखभाक्, प्रदर्शयन्ति ।

  1. मञ्जूषातः समानार्थकपदानि चित्वा लिखत- (मंजूषा से समानार्थी शब्द छाँटकर लिखिए-)

परस्य, दुःखम्, आत्मानम्, बाधितः, परिवार:, सम्पन्नम्, त्यक्त्वा, सम्पूर्णे

उत्तरम् – स्वकीयम् – आत्मानम्
अवरुद्ध : – बाधितः
अपहाय – त्यक्त्वा
समृद्धम् – सम्पन्नम्
कुटुम्बकम् – परिवार:
अन्यस्य – परस्य
कष्टम् – दुःखम्
निखिले – सम्पूर्णे ।

  1. रेखाङ्कितानि पदानि संशोध्य लिखत- (रेखांकित पदों को शुद्ध करके लिखिए – )

(क) छात्राः क्रीडाक्षेत्रे कन्दुकात् क्रीडन्ति ।
उत्तर छात्रा: क्रीडाक्षेत्रे कन्दुकेन क्रीडन्ति
(ख) ते बालिकाः मधुरं गायन्ति ।
उत्तर ताः बालिकाः मधरं गायन्ति।
(ग) अहं पुस्तकालयेन पुस्तकानि आनयामि ।
उत्तर अहं पुस्तकालयात् पुस्तकानि आनयामि ।
(घ) त्वं किं नाम ?
उत्तर तव किं नाम?
(ङ) गुरुं नमः ।
उत्तर गुरवे नमः।

  1. मञ्जूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत- (मंजूषा से विलोम पद चुनकर लिखिए – )

अधुना, मित्रतायाः, लघुचेतसाम्, गृहीत्वा, दुःखिनः, दानवाः शत्रुतायाः, उदारचरितानाम्, पुरा, सुखिनः, मानवाः, अपहाय ।

उत्तरम्-
शत्रुताया: – मित्रतायाः
उदारचरितानाम् – लघुचेतसाम्
पुरा – अधुना
सुखिन: – दुःखिनः
दानवाः – मानवाः
अपहाय – गृहीत्वा

  1. अधोलिखितपदानां लिङ्ग, विभक्तिं वचनञ्च लिखत- (निम्नलिखित पदों के लिंग, विभक्ति और वचन लिखिए – )
    बन्धुः, देशान्, घृणायाः, कुटुम्बकम्, रक्षायाम्, ज्ञान-विज्ञानयोः

उत्तरम् –
पदानि लिङ्गम् विभक्तिः वचनम्
बन्धुः पुल्लिंग प्रथमा एकवचनम्
देशान् पुल्लिंग द्वितीया बहुवचनम्
घृणाया: स्त्रीलिंग षष्ठी/ पञ्चमी एकवचनम्
कुटुम्बकम् नपुंसकलिंग प्रथमा/द्वितीया एकवचनम्
रक्षायाम् स्त्रीलिंग सप्तमी एकवचनम्
ज्ञान विज्ञानयोः नपुंसकलिंग षष्ठी/सप्तमी द्विवचनम्

  1. कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु समुचितां विभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (कोष्ठकों में दिए शब्दों में उचित विभक्ति जोड़कर रिक्तस्थान की पूर्ति कीजिए)

(क) विद्यालयम् उभयतः वृक्षाः सन्ति । (विद्यालय)
कृष्णम् उभयतः गोपालिकाः । (कृष्ण)
(ख) ग्रामं परितः गोचारणभूमिः । (ग्राम)
मन्दिरम् परितः भक्ताः । (मन्दिर)
(ग) सूर्याय नमः। (सूर्य)
गुरवे नमः। (गुरु)
(घ) वृक्षस्य उपरि खगाः । (वृक्ष)
अश्वस्य उपरि सैनिकः । (अश्व)

  1. कोष्ठकात् समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (कोष्ठक से उचित पद को चुनकर रिक्तस्थान की पूर्ति कीजिए – )

(क) हरये नमः । (हरिं/हरये)
(ख) ग्रामम् परितः कृषिक्षेत्राणि सन्ति। (ग्रामस्य/ग्रामम्)
(ग) अम्बायै नमः । (अम्बायाः /अम्बायै)
(घ) मंचस्य उपरि अभिनेता अभिनयं करोति (मञ्चस्य/मञ्चम्)
(ङ) पितरम् उभयतः पुत्रौ स्तः । (पितरम्/पितुः)

👉 इन्हें भी पढ़ें

  • विद्याधनम् पाठ 10 सोल्यूशन

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