Chitravarnam in Sanskrit on Kisan | किसान पर संस्कृत में चित्रवर्णम् | Kisan pr chitravarnam
इस पाठ में हम संस्कृत व्याकरण में Chitravarnam in Sanskrit on Kisan को पढ़ेंगे। Kisan pr chitravarnam संस्कृत में मंजूषा में एक शब्द को चुनकर चित्र देखकर वाक्यों की रचना करनी पड़ती है। आइए जानते हैं कैसे करें संस्कृत में चित्रवर्णम्।
ध्यान देने योग्य बाते चित्रवर्णम् करते समय
- वर्णन चित्र से सम्बंधित होना चाहिए।
- वाक्य अधिक विस्तृत नहीं होना चाहिए।
- वाक्यों की भाषा शैली सरल,रोचक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए।
- वाक्यों में परस्पर संबंध होना चाहिए।
वातावरणं, वृक्षान्, कूपस्य, बलिवर्दाभ्यां, कर्षति,, जलेन, वपति, कृषकः ।
(i) इदं क्षेत्रस्य चित्रमस्ति ।
(ii) अत्र कृषक: बलिवर्दाभ्यां क्षेत्रं कर्षति ।
(iii) क्षेत्रे विविधाः वृक्षाः सन्ति ।
(iv) कृषकः कूपस्य जलेन वृक्षान् सिञ्चति ।
(v) क्षेत्रस्य वातावरणं सूर्योदयकाले अतिसुन्दरं भवति।
हिंदी अनुवाद
(i) यह मैदान की तस्वीर है.
(ii) यहां किसान दो हलों से खेत की जुताई करता है।
(iii) क्षेत्र में विभिन्न पेड़ हैं।
(iv) किसान कुएँ के पानी से पेड़ों की सिंचाई करता है।
(v) सूर्योदय के समय क्षेत्र का वातावरण बहुत सुंदर होता है।
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