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Reading: Class 10 Sanskrit Chapter 9 भूकम्पविभीषिका Hindi Translation(2023)
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Sanskrit Dhara Vahini > Class 10 > Class 10 Sanskrit > Class 10 Sanskrit Chapter 9 भूकम्पविभीषिका Hindi Translation(2023)
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Class 10 Sanskrit Chapter 9 भूकम्पविभीषिका Hindi Translation(2023)

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NCERT Solutions for Class 10 Chapter 9 भूकम्पविभीषिका Hindi Translation & English Translation

भूकम्पविभीषिका
Class 10 Sanskrit Chapter 9 भूकम्पविभीषिका Hindi Translation

भूकम्पविभीषिका :-प्रकृति ने जहाँ हमें अनेक प्रकार के भौतिक सुख-साधन उपलब्ध कराए हैं, वहीं अनेक आपदाएँ भी प्रदान की हैं। कभी किसी महामारी की आपदा, बाढ़ तथा सूखे की आपदा या तूफान के रूप में भयंकर प्रलय । ये सभी आपदाएँ देखते-ही-देखते महाविनाश करके मानव-जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती हैं। इन्हीं भयङ्कर आपदाओं में से एक है-भूकम्प

Contents
NCERT Solutions for Class 10 Chapter 9 भूकम्पविभीषिका Hindi Translation & English Translation भूकम्पविभीषिका Class 10 Sanskrit Chapter 9 Question Answer

भूकम्प में पृथ्वी अकस्मात् काँपने लगती है । फलस्वरूप विशालकाय निर्माण, बहुमंजिले भवन, सड़कें और बिजली के खम्भे आदि गिरकर महाविनाश का कारण बनते हैं । प्रस्तुत पाठ इसी आपदा पर आधारित है । इस पाठ के माध्यम से बताया गया है कि किसी भी आपदा में बिना किसी घबराहट के, हिम्मत के साथ किस प्रकार हम अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकते हैं ।

एकोत्तरद्विसहस्रखीष्टाब्दे (2001 ईस्वीये वर्षे) गणतन्त्र- दिवस -पर्वणि यदा समग्रमपि भारतराष्ट्रं नृत्य-गीत-वादित्राणाम् उल्लासे मग्नमासीत् तदाकस्मादेव गुर्जर राज्यं पर्याकुलं, विपर्यस्तम्, क्रन्दनविकलं, विपन्नञ्च जातम् । भूकम्पस्य दारुण-विभीषिका समस्तमपि गुर्जर क्षेत्रं विशेषेण च कच्छजनपदं ध्वंसावशेषु परिवर्तितवती । भूकम्पस्य केन्द्रभूतं भुजनगरं तु मृत्तिकाक्रीडनकमिव खण्डखण्डम् जातम् बहुभूमिकानि भवनानि क्षणेनैव धराशायीनि जातानि । उत्खाता विद्युद्दीप; स्तम्भाः विशीर्णाः गृहसोपान – मार्गाः ।

हिन्दी – अनुवाद:- सन् 2001 ईस्वी वर्ष में जब सारा भारत राष्ट्र गणतन्त्र-दिवस समारोह में नाचने गाने और बजाने की खुशी में डूबा हुआ था तब अचानक ही गुजरात नामक प्रदेश चारों ओर से बेचैन, अस्तव्यस्त, क्रन्दन – रुदन से व्याकुल तथा विपत्तिग्रस्त हो गया । भूकम्प की भयंकर घटना ने सम्पूर्ण गुजरात प्रान्त को विशेष रूप से कच्छ जिले को भग्नावशेषों-खण्डहरों में बदल दिया ।

धरती हिलने के मध्य भाग में (केन्द्र में) स्थित भुज नामक नगर तो मिट्टी के खिलौने की तरह टुकड़े टुकड़े हो गया । बहु-मंजिले मकान क्षण-भर में ही धराशायी हो गए अर्थात् गिर गए । बिजली के खम्भे उखड़ गए (और) झीने टूटकर बिखर गए अर्थात् मकानों में ऊपर जाने के लिए बनी सीढ़ियों के टुकड़े-टुकड़े हो गए।

फालद्वये विभक्ता भूमिः । भूमिगर्भादुपरि निस्सरन्तीभिः दुर्वारजलधाराभिः महाप्लावनदृश्यम् उपस्थितम् सहस्रमिताः प्राणिनस्तु क्षणेनैव मृताः । ध्वस्तभवनेषु सम्पीडिताः सहस्रशोऽन्ये सहायतार्थं करुणकरुणं क्रन्दन्ति स्म । हा दैव ! क्षुत्क्षामकण्ठाः मृतप्रायाः केचन शिशवस्तु ईश्वरकृपया एव द्वित्राणि दिनानि जीवनं धारितवन्तः ।

हिन्दी अनुवाद:- धरती दो भागों में बँट गई । बँटी हुई धरती के अन्दर से निकलती हुई न रोके जाने योग्य पानी की धाराओं से भयंकर बाढ़ का सा दृश्य उपस्थित हो गया था। हजारों की संख्या में जीवधारी (प्राणी) तो पल-भर में ही मारे गए । गिरे हुए (ध्वस्त) भवनों में पीड़ित हजारों दूसरे सहयोग के लिए (सहायता के लिए) करुणापूर्ण क्रन्दन कर रहे थे हाय विधाता ! भूख से दुर्बल कण्ठ (स्वर) वाले मरणासन्न कुछ बालक तो ईश्वर की कृपा से ही दो-तीन दिन प्राणों (जीवन) को धारण किए रहे अर्थात् जीवित रहे ।

इयमासीत् भैरवविभीषिका कच्छभूकम्पस्य । पञ्चोत्तरद्विसहस्रख्रीष्टाब्दे (2005 ईस्वीये वर्षे) अपि कश्मीरप्रान्ते पाकिस्तानदेशे च धरायाः महत्कम्पनं जातम् । यस्मात्कारणात् लक्षपरिमिताः जनाः अकालकालकवलिताः । पृथ्वी कस्मात्प्रकम्पते वैज्ञानिकाः इति विषये कथयन्ति यत् पृथिव्या अन्तर्गर्भे विद्यमानाः बृहत्यः पाषाणशिला यदा संघर्षणवशात् त्रुट्यन्ति तदा जायते भीषणं संस्खलनम्, संस्खलनजन्यं कम्पनञ्च । तदैव भयावहकम्पनं धराया उपरितलमप्यागत्य महाकम्पनं जनयति येन महाविनाशदृश्यं समुत्पद्यते ।

हिन्दी – अनुवाद:- यह कच्छ क्षेत्र में आई भूकम्प की भयंकर आपदा (घटना) थी सन् 2005 ई. में भी कश्मीर प्रान्त में और पाकिस्तान देश में पृथ्वी का बहुत अधिक कम्पन हुआ, जिससे लाखों की संख्या में लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए अर्थात् असमय में ही मर गए । धरती किस कारण से काँपती है।

मौसम विज्ञान के जानकार इस विषय में कहते हैं कि पृथ्वी के आन्तरिक (भीतरी) भाग में विद्यमान बड़ी-बड़ी पत्थर की शिलाएँ जब आपस में टकराने से टूटती हैं (टुकड़े-टुकड़े होती हैं) तब भयंकर स्खलन होता है । स्खलन से कम्पन उत्पन्न होता है । तभी भयानक कम्पन पृथ्वी के ऊपरी तल पर आकर अत्यधिक कम्पन उत्पन्न करता है, जिससे अत्यधिक विनाश का दृश्य पैदा होता है ।

ज्वालामुखपर्वतानां विस्फोटैरपि भूकम्पो जायत इति

कथयन्ति भूकम्पविशेषज्ञाः । पृथिव्याः गर्भे विद्यमानोऽग्निर्यदा खनिजमृत्तिकाशिलादिसञ्चयं क्वथयति तदा तत्सर्वमेव लावारसताम् उपेत्य दुर्वारगत्या धरां पर्वतं वा विदार्य बहिर्निष्क्रामति धूमभस्मावृतं जायते तदा गगनम् । सेल्सियस ताप – मात्राया अष्टशताङ्कता- मुपगतोऽयं लावारसो यदा नदीवेगेन प्रवहति तदा पार्श्वस्यग्रामा नगराणि वा तदुदरे क्षणेनैव समाविशन्ति निहन्यन्ते च विवशाः प्राणिनः । ज्वालामु‌द्गरन्त एते पर्वता अपि भीषणं भूकम्पं जनयन्ति ।

हिन्दी – अनुवाद:- ज्वालामुखी पर्वतों के विस्फोटों से भी धरती काँपती (हिलती) है, ऐसा भूमि के काँपने के रहस्य को जानने वाले कहते हैं। धरती के गर्भ में स्थित आग जब खनिज, मिट्टी, शिला आदि के संचय (समूह) को उबालती (तपाती) है, तब वह सब ही लावा-द्रवत्व को प्राप्त होकर अनियन्त्रित वेग (गति) धरती अथवा पहाड़ को फाड़कर (चीरकर) बाहर निकलता है ।

उस समय आकाश धुएँ और राख से ढक जाता है। ताप के परिमाण की मात्रा 800° सेल्सियस तक पहुँचा हुआ यह लावा जब नदी के वेग से बहता है, उस समय आस-पास के गाँव अथवा शहर उसके पेट में (गर्भ में) क्षणमात्र में समाविष्ट (विलीन) हो जाते हैं । विवश (बेबस) जीव-जन्तु मारे जाते हैं। आग पर्वत भी भयंकर भूकम्प को पैदा करते हैं ।

यद्यपि दैवः प्रकोपो भूकम्पो नाम, तस्योपशमनस्य न कोऽपि स्थिरोपायो दृश्यते प्रकृति समक्षमद्यापि विज्ञानगर्वितो मानवः वामनकल्प एव तथापि भूकम्परहस्यज्ञाः कथयन्ति यत् बहुभूमिकभवननिर्माणं न करणीयम् तटबन्धं निर्माय बृहन्मात्र नदीजलमपि नैकस्मिन् स्थले पुञ्जीकरणीयम् अन्यथा असन्तुलनवशाद् भूकम्पस्सम्भवति । वस्तुतः शान्तानि एव पञ्चतत्त्वानि क्षितिजलपावकसमीरगगनानि भूतलस्य योगक्षेमाभ्यां कल्पन्ते अशान्तानि खलु तान्येव महाविनाशम् उपस्थापयन्ति ।

सन्दर्भ-प्रसङ्गश्च – यह गद्यांश हमारी ‘शेमुषी’ पाठ्य पुस्तक के ‘भूकम्पविभीषिका‘ पाठ् से उद्धृत है। इस गद्यांश में भूकम्प के अन्य कारणों को दर्शाया है।

हिन्दी – अनुवादः – यद्यपि धरती का हिलना एक ईश्वरीय प्रकोप है, तथापि उसको शान्त करने का कोई स्थायी उपचार दिखाई नहीं देता है। प्रकृति के सामने आज भी मनुष्य बौने के समान ही है। फिर भी ध भारती हिलने के रहस्य को जानने वाले (लोग) कहते हैं कि हमें बहुमंजिले मकान नहीं बनाने चाहिए (और) बाँधों का निर्माण करके अत्यधिक मात्रा में नदी का जल भी एक जगह इकट्ठा नहीं करना चाहिए, नहीं तो असन्तुलन होने के कारण या सन्तुलन के अभाव में धरती का हिलना सम्भव है ।

वास्तव में पाँचों प्रशान्त तत्त्व- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा आकाश पृथ्वी तल के योग (अप्राप्त की प्राप्ति) और क्षेम (प्राप्त की रक्षा) की रचना करते हैं; अर्थात् उपर्युक्त पाँचों तत्त्वों के शान्तिपूर्ण सन्तुलन में ही पृथ्वी की कुशलता निहित है। अशान्त होने पर वास्तव में वे ही तत्त्व पृथ्वी पर महाविनाश उपस्थित कर देते हैं ।

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भूकम्पविभीषिका Class 10 Sanskrit Chapter 9 Question Answer

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत-

(क) कस्य दारुण विभीषिका गुर्जरक्षेत्रं ध्वंसावशेषेषु परिवर्तितवती ? ?

उत्तर भूकम्पस्य।

(ख) कीदृशानि भवनानि धाराशायीनि जातानि 

उत्तर बहुभूमिकानि।

(ग) दुर्वार-जलधाराभिः किमुपस्थितम् ?

उत्तर महाप्लावनदृश्यम्

(घ) कस्य उपशमनस्य स्थिरोपायः नास्ति ?

उत्तर भूकम्पस्य

(ङ) कीदृशाः प्राणिनः भूकम्पेन निहन्यन्ते ?

उत्तर विवशा।

प्रश्न 2. अधोलिखिताना प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-

(क) समस्तराष्ट्रं कीदृक् उल्लासे मग्नम् आसीत् ?

उत्तरम् – समस्तराष्ट्रं नृत्य गीतवादित्राणाम् उल्लासे मग्नम् आसीत् ।

(ख) भूकम्पस्य केन्द्रभूतं किं जनपदः आसीत् ?

उत्तरम् – भूकम्पस्य केन्द्रभूतं कच्छजनपदः आसीत् ।

(ग) पृथिव्याः स्खलनात् किं जायते ?

उत्तरम्- पृथिव्याः स्खलनात् बहुभूमिकानि भवनानि क्षणेनैव पतन्ति ।विद्युद्दीपस्तम्भाः पतन्ति । गृहसोपानमार्गाः विशीर्यन्ते । भूमिः फालद्वये विभक्ता भवति ।भूमिगर्भादुपरि निस्सरन्तीभिः दुर्वारजलधाराभिः महाप्लावनदृश्यम् उपतिष्ठति ।

(घ) समग्रो विश्वः कैः आतङ्कितः दृश्यते ?

उत्तरम् – समग्रो विश्वः भूकम्पैः आतङ्कितः दृश्यते ।

(ङ) केषां विस्फोटैरपि भूकम्पो जायते ?

उत्तरम् – ज्वालामुखपर्वतानां विस्फोटैरपि भूकम्पो जायते

प्रश्न 3. रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माण कुरुत-

(क) भूकम्पविभीषिका विशेषेण कच्छजनपदं ध्वंसावशेषेषु

परिवर्तितवती ।

उत्तरम् – भूकम्पविभीषिका विशेषेण कच्छजनपदं केषु परिवर्तितवती ?

(ख) वैज्ञानिकाः कथयन्ति यत् पृथिव्याः अन्तर्गर्भे, पाषाणशिलानां संघर्षणेन कम्पनं जायते ।

उत्तरम् – के कथयन्ति यत् पृथिव्याः अन्तर्गर्भे, पाषाणशिलानां संघर्षणेन कम्पनं जायते ?

(ग) विवशाः प्राणिनः आकाशे पिपीलिकाः इव निहन्यन्ते ।

उत्तरम् – विवशाः प्राणिनः कस्मिन् स्थाने (कुत्र) पिपीलिकाः इव निहन्यन्ते ?

(घ) एतादृशी भयावहघटना गढवालक्षेत्रे घटिता ।

उत्तरम् कीदृशी भयावहघटना गढवालक्षेत्रे घटिता ?

(ङ) तदिदानीम् भूकम्पकारणं विचारणीयं तिष्ठति ।

उत्तरम् – तदिदानीम् किं विचारणीयं तिष्ठति ?

प्रश्न 4. ‘भूकम्पविषये’ पञ्चवाक्यमितम् अनुच्छेदं लिखत-

उत्तरम् – भूकम्पेन प्रकृतेः सन्तोलनं नश्यति । प्रकृतेः असन्तोलनस्य भीषणः परिणामः भवति । भूकम्पेन बहुभूमिकानि भवनानि क्षणमात्रेण ध्वस्तानि भवन्ति । पतितेषु भवनेषु बहवः प्राणिनः मृत्युं प्राप्नुवन्ति । एवं भूकम्पेन भीषणा क्षतिः भवति ।

प्रश्न 5. कोष्ठकेषु दत्तेषु धातुषु निर्देशानुसार परिवर्तन विधाय रिक्तस्थानानि

पूरयत-

(क) समग्रं भारतं उल्लासे मग्नः…………. (अस् + लट् लकारे)।

(ख) भूकम्पविभीषिका कच्छजनपदं विनष्टं ……… (कृ’ + क्तवतु + ङीप् )।

(ग) क्षणेनैव प्राणिनः गृहविहीनाः……..(भू + लङ, प्रथमपुरुष, बहुवचन)।

(घ) शान्तानि पञ्चतत्त्वानि भूतलस्य योगक्षेमाभ्याम्…….(भू + लट्, प्रथमपुरुष, बहुवचन)।

(ङ) मानवाः……….धत् बहुभूमिकभवननिर्माणं करणीयं न वा ? (पृच्छ् + लट्, प्रथमपुरुष, बहुवचन)

(च) नदीवेगेन ग्रामाः तदुदरे ……..(सम् + आ + विश् + विधिलिङ, प्रथमपुरुष, एकवचन)।

उत्तर:-(क) अस्ति (ख) कृतवती (ग) अभवन् (घ) भवन्ति (ङ) पृच्छन्ति (च) समाविशेत् ।

प्रश्न 6. (अ) सन्धि / सन्धिविच्छेद च कुरुत-

(अ) परसवर्णसन्धिनियमानुसारम्-

उत्तरम् – (क) किञ्च = किं + च ।

(ख) नगरन्तु = नगरम् + तु ।

(ग) विपन्नञ्च = विपन्नम् + च ।

(घ) किन्नु = किम् + नु ।

(ङ) भुजनगरन्तु = भुजनगरम् + तु ।

(च) सञ्चयः = सम् + चयः ।

(आ) विसर्गसन्धिनियमानुसारम्

उत्तरम् – (क) शिशवस्तु = शिशवः + तु 

(ख) विस्फोटैरपि = विस्फोटैः + अपि ।

(ग) सहस्रशोऽन्ये = सहस्रशः + अन्ये ।

(घ) विचित्रोऽयम् विचित्रः + अयम् ।

(ङ) भूकम्पो जायते = भूकम्पः + जायते

(च) वामनकल्प एव = वामनकल्पः + एव

भूकम्पविभीषिका
भूकम्पविभीषिका

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