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Reading: संस्कृत कक्षा 7 रुचिरा पाठ 9 समवायो हि दुर्जय: हिंदी अनुवाद
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Sanskrit Dhara Vahini > Class 7 > Class 7 Sanskrit > संस्कृत कक्षा 7 रुचिरा पाठ 9 समवायो हि दुर्जय: हिंदी अनुवाद
Class 7Class 7 Sanskrit

संस्कृत कक्षा 7 रुचिरा पाठ 9 समवायो हि दुर्जय: हिंदी अनुवाद

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Sanskrit Class 7 Ruchira Chapter 9 समवायो हि दुर्जय: Hindi Translation & English Translation

इस पोस्ट में हमने संस्कृत-कक्षा 7 रुचिरा पाठ 9 समवायो हि दुर्जय: हिंदी अनुवाद में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Sanskrit Class 7th Ruchira Chapter 9 समवायो हि दुर्जय: के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 7th Sanskrit Chapter 9 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।

1.Class 7 All Subjects Solution
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6.Class 7 Science Solution
7.Class 7 Social Science Solution
समवायो हि दुर्जय:

संस्कृत गद्यांश

पुरा एकस्मिन् वृक्षे एका चटका प्रतिवसति स्म । कालेन तस्याः सन्ततिः जाता । एकदा कश्चित् प्रमत्तः गजः तस्य वृक्षस्य अधः आगत्य तस्य शाखां शुण्डेन अत्रोटयत् । चटकायाः नीडं भुवि अपतत् । तेन अण्डानि विशीर्णानि । अथ सा चटका व्यलपत् । तस्याः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूटः नाम खगः दुःखेन ताम् अपृच्छत्-“भद्रे, किमर्थं विलपसि ? इति ।

हिन्दी अनुवाद

हिन्दी अनुवाद-पुराने समय में एक वृक्ष पर एक गौरैया रहा करती थी (रहती थी) । समय (बीतने पर उसके सन्तान पैदा हुई। एक दिन किसी मतवाले हाथी ने उस वृक्ष के नीचे आकर उसकी डाली को सूँड़ से तोड़ दिया। गौरैया का घोंसला धरती पर गिर गया। उससे (उसके) अण्डे नष्ट हो गए। इसके बाद वह गौरैया विलाप करने लगी । उसके विलाप को सुनकर एक कठफोड़ा नाम के पक्षी ने खेद के साथ उससे पूछा ” भद्रे ! किसलिए रोती (विलाप करती) हो ।” ऐसा कहा ।

English Translation

English Translation – In ancient times, a sparrow used to live on a tree. As time passed, his children were born. One day a drunken elephant came under that tree and broke its branch with its trunk. The sparrow’s nest fell on the ground. It destroyed its eggs. After this the sparrow started mourning. Hearing her lamentation, a bird named Woodpecker asked her with regret, “Bhadre! Why are you crying?” He said this.

संस्कृत गद्यांश

चटकावदत्-“दुष्टेनैकेन गजेन मम सन्ततिः नाशिता । तस्य गजस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत् । ” ततः काष्ठकूटः तां वीणारवा-नाम्न्याः मक्षिकायाः समीपम् अनयत् । तयोः वार्तां श्रुत्वा मक्षिकावदत्- “ममापि मित्रं मण्डूकः मेघनादः अस्ति । शीघ्रं तमुपेत्य यथोचितं करिष्यामः । ” तदानीं तौ मक्षिकया सह गत्वा मेघनादस्य पुरः सर्वं वृत्तान्तं न्यवेदयताम् ।

हिन्दी अनुवाद

हिन्दी अनुवाद-चिड़िया बोली “एक दुष्ट हाथी ने मेरी सन्तान नष्ट कर दी । उस हाथी का वध (हत्या) कर देने पर ही मेरा दुःख दूर होगा। तब कठफोड़ा उसे वीणारवा नामक मक्खी के पास ले गया । उन दोनों की बात सुनकर मक्खी बोली- “मेरा भी मित्र मेघनाद (मेघ की तरह नाद करने वाला) नामक मेंढक है। शीघ्र ही उसके पास पहुँचकर जो उचित होगा, करेंगे । तब दोनों ने मक्खी के साथ जाकर मेघनाद के सामने सारा वृत्तांत निवेदन कर दिया ।

English Translation

English Translation – The bird said, “An evil elephant has destroyed my children. My sorrow will go away only if I kill that elephant. Then the woodpecker took it to a fly named Veenarava. Hearing both of them, the fly said – “I also have a friend, a frog named Meghnad (one who makes sounds like a cloud). We will reach him soon and do whatever is appropriate. Then both of them went along with Makkhi and narrated the entire story to Meghnad.

संस्कृत गद्यांश

मेघनादः अवदत्- “यथाहं कथयामि तथा कुरुतम्। मक्षिके । प्रथमं त्वं मध्याहने तस्य गजस्य कर्णे शब्द कुरु, पैन सः नयने निमील्य स्थास्यति । तदा काष्टकूट नयने स्फोटयिष्यति। एवं सः गजः अन्यः भविष्यति। तृषार्तः सः जलाशयं गमिष्यति । मार्गे महान् गर्त्तः अस्ति । तस्य अन्तिके अहं स्थास्यामि शब्द च करिष्यामि । मम शब्देन तं गत जलाशयं मत्वा स तस्मिन्नेव गर्ने पतिष्यति मरिष्यति च । अथ तथा कृते सः गजः मध्याहने मण्डूकस्य शब्दम् अनुसृत्य महतः गर्तस्य अन्तः पतितः मृतः च । तथा चोक्तम्- ‘बहूनामप्यसाराणां समवायो हि दुर्जयः’ ।

हिन्दी अनुवाद

हिन्दी अनुवाद – मेघनाद ने कहा- “जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो। हे मक्खी ! पहले तुम दोपहर में उस हाथी के कान में आवाज करो, जिससे वह आँख बन्द करके रहेगा । तब काष्ठकूट (कठफोड़ा) चोंच से उसकी आँखें फोड़ देगा। इस प्रकार वह हाथी अन्धा हो जाएगा । प्यास से व्याकुल वह तालाब पर जाएगा । रास्ते में बहुत बड़ा गड्ढा है।

उसके पास मैं रहूँगा और आवाज करूँगा। मेरी आवाज से उस गड्ढे को तालाब समझकर (मानकर) वह उसी गड्ढे में गिर जाएगा और मर जाएगा ।” इसके बाद वैसा करने पर वह हाथी दोपहर में मेंढक की आवाज का अनुसरण करके महान् गड्ढे के अन्दर गिर गया और मर गया। अतः कहा गया है- “बहुत से निर्बल (लोगों) का संगठन भी दुर्जय (कठिनता से जीतने योग्य) होता है ।”

English Translation

English Translation – Meghnad said – “Do as I say. Hey fly! First you sound in the ear of that elephant in the afternoon, due to which he will close his eyes. Then the woodpecker will tear out his eyes with his beak. This Thus, that elephant will become blind. Distressed with thirst, he will go to the pond. There is a big pit on the way.

I will stay near him and make noise. Considering my voice to be a pond, he will fall into the same pit and die.” After doing so, the elephant followed the frog’s voice in the afternoon and fell into the great pit and died. So it was said. It is – “The organization of many weak (people) is also invincible (capable of being conquered with difficulty).”

अभ्यास प्रश्न

  1. प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत- (प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखिए – )

(क) वृक्षे का प्रतिवसति स्म ? (वृक्ष पर कौन रहती थी ?)
उत्तर चटका।

(ख) वृक्षस्य अधः कः आगतः ? (वृक्ष के नीचे कौन आया ? )
उत्तर गजः।

(ग) गजः केन शाखाम् अत्रोटयत् ? (हाथी ने किससे डाली को तोड़ा ? )
उत्तर शुण्डेन।

(घ) काष्ठकूटः चटकां कस्याः समीपम् अनयत् ? (कठफोड़ा चिड़िया को किसके पास ले गया ? )
उत्तर मक्षिकायाः ।

(ङ) मक्षिकायाः मित्रं कः आसीत्? (मक्खी का मित्र कौन था ? )
उत्तर मेघनादः मण्डूकः ।

  1. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत- (रेखाङ्कित पदों के आधार पर प्रश्न निर्माण करो-)

(क) कालेन चटकायाः संततिः जाता । (समय (बीतने) पर चिड़िया के सन्तान पैदा हुई।)
उत्तर कालेन कस्याः संततिः जाता ?

(ख) चटकायाः नीडं भुवि अपतत् । (चिड़िया का घोंसला पृथ्वी पर गिर गया।)
उत्तर चटकायाः किं भुवि अपतत् ?

(ग) गजस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत् । (हाथी के मरने से ही मेरा दुःख दूर होगा। )
उत्तर कस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत् ?

(घ) काष्ठकूटः चञ्च्वा गजस्य नयने स्फोटयिष्यति । (कठफोड़ा चोंच से हाथी की आँखों को फोड़ेगा । )
उत्तर काष्ठकूटः कया गजस्य नयने स्फोटयिष्यति ?

  1. मञ्जूषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत- (मंजूषा से क्रियापदों को चुनकर रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए – )

करिष्यामि, गमिष्यति, अनयत्, पतिष्यति, स्फोटयिष्यति, त्रोटयति

(क) काष्ठकूटः चञ्च्वा गजस्य नयने स्फोटयिष्यति।
(ख) मार्गे स्थितः अहमपि शब्द करिष्यति।
(ग) तृषार्त: गजः जलाशयं गमिष्यति।
(घ) गज: गर्ते पतिष्यति।
(ङ) काष्ठकूटः तां मक्षिकायाः समीपं अनयत्।
(च) गजः शुण्डेन वृक्षशाखा: त्रोटयति।

  1. प्रश्नानाम् उत्तराणि एकवाक्येन लिखत- (प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखो – )

(क) चटकायाः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूटः तां किम् अपृच्छत् ?(चिड़िया के विलाप को सुनकर कठफोड़ा ने उससे क्या पूछा ?)
उत्तरम् – चटकायाः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूटः ताम् अपृच्छत्- ‘भद्रे ! किमर्थं विलपसि ?”

(ख) चटकायाः काष्ठकूटस्य च वार्तां श्रुत्वा मक्षिका किम् अवदत् ? (चिड़िया और कठफोड़ा की बातचीत को सुनकर मक्खी क्या बोली ? )
उत्तरम् – तयोः वार्तां श्रुत्वा मक्षिका अवदत्- “ममापि मित्रं मण्डूकः मेघनादः अस्ति । शीघ्रं तमुपेत्य यथोचितं करिष्यामः।”

(ग) मेघनादः मक्षिकां किम् अवदत् ? (मेघनाद मक्खी से क्या बोला ? )
उत्तरम् – मेघनादः मक्षिकाम् अवदत्-“मक्षिके ! प्रथमं त्वं मध्याह्ने तस्य गजस्य कर्णे शब्द करु, येन सः नयने निमील्य स्थास्यति।

(घ) चटका काष्ठकूट किम् अवदत् ? (चिड़िया कठफोड़ा से क्या बोली।)
उत्तर चटका अवदत्- “एकेन दुष्टेन गजेन मम सन्ततिः नाशिता । तस्य गजस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत् ।

  1. उदाहरणमनुसृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत (उदाहरण का अनुसरण कर रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए -)

उत्तरम् –
पुरुष: एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
(क) प्रथमपुरुषः पतिष्यति पतिष्यतः पतिष्यन्ति
प्रथमपुरुषः मरिष्यति मरिष्यतः मरिष्यन्ति
यथाः मध्यमपुरुषःगमिष्यसि गमिष्यथः गमिष्यथ
(ख) मध्यमपुरुषः धाविष्यसि धाविष्यथः धाविष्यथ
मध्यमपुरुषः क्रीडिष्यसि क्रीडिष्यथः क्रीडिष्यथ
यथाः उत्तमपुरुषः लेखिष्यामि लेखिष्यावः लेखिष्यामः
(ग) उत्तमपुरुषः हसिष्यामि हसिष्यावः हसिष्यामः
उत्तमपुरुष: द्रक्ष्यामि द्रक्ष्यावः द्रक्ष्यामः

  1. उदाहरणानुसारं ‘स्म’ शब्द योजयित्वा भूतकालिकक्रियां रचयत- (उदाहरण के अनुसार ‘स्म’ जोड़कर भूतकालिक क्रिया बनाइए -)

अपठत्, अत्रोटयत्, अपतत्, अपृच्छत्, अवदत्, अनयत् ।

उत्तरम् – अपठत् – पठति स्म।
अपृच्छत् – पृच्छति स्म ।
अत्रोटयत् – त्रोटयति स्म ।
अवदत् – वदति स्म।
अपतत् – पतति स्म ।
अनयत् – नयति स्म ।

  1. कोष्ठकात् उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत (कोष्ठक से उचित पद चुनकर रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए – )

(क) एका बालिका मधुरं गायति। (एकम्, एका, एकः)
(ख) चत्वार: कृषकाः कृषिकर्माणि कुर्वन्ति । (चत्वारः, चतस्रः, चत्वारि)
(ग) तानि पत्राणि सुन्दराणि सन्ति । (ते, ताः,तानि)
(घ) धेनवः दुग्धं ददाति । (ददाति, ददति, ददन्ति)
(ङ) वयं संस्कृतम् अपठाम। (अपठम्, अपठन्, अपठाम)

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