Sanskrit Dhara VahiniSanskrit Dhara VahiniSanskrit Dhara Vahini
Notification Show More
Font ResizerAa
  • Home
  • Class 12
  • Class 11
  • Class 10
  • Class 9
  • Class 8
  • Class 7
  • Class 6
  • Class 1-5
  • Grammar
    • Hindi Grammar
    • English Grammar
    • Sanskrit Vyakaran
  • Free Notes
Reading: NCERT Solutions for Class 10th: Chapter 2 तुलसीदास – हिंदी
Share
Sanskrit Dhara VahiniSanskrit Dhara Vahini
Font ResizerAa
  • Home
  • Class 12
  • Class 11
  • Class 10
  • Class 9
  • Class 8
  • Class 7
  • Class 6
  • Class 1-5
  • Grammar
  • Free Notes
Search Class notes, paper ,important question..
  • Classes
    • Class 12
    • Class 11
    • Class 10
    • Class 9
    • Class 8
  • Grammar
    • English Grammar
    • Hindi Vyakaran
    • Sanskrit Vyakaran
  • Latest News
Have an existing account? Sign In
Follow US
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Sanskrit Dhara Vahini > Class 10 > Class 10 Hindi > NCERT Solutions for Class 10th: Chapter 2 तुलसीदास – हिंदी
Class 10Class 10 Hindi

NCERT Solutions for Class 10th: Chapter 2 तुलसीदास – हिंदी

Share
20 Min Read
SHARE

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2 तुलसीदास हिंदी क्षितिज भाग 2 ( Tulasidas )

हम आपके लिए NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम-संवाद तुलसीदास हिंदी क्षितिज  Book के प्रश्न उत्तर लेकर आए हैं। यह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि इस पद का विषय क्या है। इसे पढ़कर आपको को मदद मिलेगी ताकि वे इस कहानी के बारे में अच्छी तरह से समझ सकें। इसके अलावा आप इस कहानी के अभ्यास प्रश्न भी पढ सकते हो।  Tulasidas Summary of NCERT solutions for Class 10th Hindi Kshitij Chapter 2.  

तुलसीदास
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2
Class10th
SubjectSanskrit Solution
SubjectEnglish Solution
SubjectMaths Solution
SubjectScience Solution
SubjectSocial Science Solution

तुलसीदास:- प्रस्तुत प्रसंग तुलसीकृत महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ के बालकांड से लिया गया है। सीता स्वयंवर में राम ने शिव धनुष को तोड़ देना और परशुराम को अत्यंत क्रोधित हुए का उल्लेख किया गया है।

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न- अभ्यास

प्रश्न 1. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण में धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए ? (CBSE 2015, 2017)

उत्तर- परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के कारण बताते हुए निम्नलिखित तर्क दिए- लक्ष्मण ने कहा कि धनुष बहुत पुराना था, वह तो राम के छूते ही टूट गया। इसमें राम का कोई दोष नहीं है। वैसे भी एक पुराने और अनुपयोगी धनुष को तोड़ने से हमें क्या लाभ हो सकता है और आपकी क्या हानि हो गई ? राम ने तो धनुष को नया जानकर परखा था। उनका धनुष तोड़ने का कोई विचार नहीं था।

प्रश्न 2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएं अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर- राम का स्वभाव – राम विचारशील, शान्त, गंभीर, मिनम्र और व्यवहारकुशल है यह गुरुजनों का आदर करते हैं। उनके हाव-भाव और पाणी से एक बड़प्पन का बोध होता है। परशुराम के अकारण क्रोध करने और कटु वचन कहने पर भी यह स्वयं को उनका दास कहते हैं । लक्ष्मण का स्वभाव लक्ष्मण का स्वभाव राम के ठीक विपरीत है। वह परशुराम के शब्द सुनकर भड़क उठते हैं। उनमें राम जैसी सहनशीलता और गंभीरता नहीं है। वह व्यंग्य करने में कुशल हैं। उनके स्वभाव में जैसे को तैसा की भावना है। उनकी वाचालता और आक्रामकता मर्यादा की सीमाएँ तोड़ती प्रतीत होती है। 

प्रश्न3. लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा से अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए ।

उत्तर- परशुराम जिसने भी यह शिव धनुष तोड़ा है वह अलग खड़ा हो जाए अन्यथा सारे राजा मारे जाएंगे। लक्ष्मण (मुसकुराते हुए) मुनिवर । बचपन में हमने न जाने कितनी अनुपियाँ तोड़ डाली हाँगो तब तो आपने कभी क्रोध नहीं दिखाया। इस धनुष पर ही आपको इतनी ममता क्यों है ? परशुराम अरे राजपुत्र । लगता है तू काल के वश हो गया है तभी तू बिना सोचे-समझे बोल रहा है। क्या भगवान शिव का धनुष उन धनुषियों के समान है ? लक्ष्मण हे देव हमारी समझ से तो धनुष धनुष सब एक जैसे होते हैं। राम ने तो इसे नया समझकर परखा था किन्तु यह तो उनके छूते ही टूट गया। इसमें राम का क्या दोष है ?

परशुराम (फरसे की और देखकर) अरे मूर्ख ! तूने मेरा स्वभाव नहीं सुना है। चालक जानकर तुझे छोड़ रहा हूँ तूमुझे साधारण मुनि समझ रहा है। में बाल-ब्रह्मचारी और बड़ा ोधी हूँ। मैंने अपनी भुजाओं के बल से धरती को क्षत्रिय राजाओं से रहित किया है और उनकी भूमि को बार-बार ब्राह्मणों को दान किया है। लक्ष्मण (हँसते हुए) हा मुनीश्वर । आप वास्तव में बड़े भारी योद्धा है। आप बार-बार फरसा दिखाकर मुझे डराना चाहते हैं। हम कोईमुई के पौधे नहीं है जो आपके गर्जन-सर्जन को सुनकर कुम्हला जाएँ आपको भृगुवंशी और ब्राह्मण जानकर मैं आपके कठोर वचनों को, क्रोध रोककर सुन रहा हूँ। 

प्रश्न 4. परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए –

बाल ब्रह्मचारी अति कोही बिस्वबिदित क्षत्रिय कुल द्रोही ।।

भुजबल भूमि भूप विन कीन्ही । विपुल वार महिदेवर दोन्ही ।।

सहसबाहुभुज छेदनिहारा । परसु बिलोकु महीप कुमारा मातु पितहि जनि सोचस करसि महीसकिसोर ।।

गर्भन के अर्भक दलन, परसु मोर अति घोर । (CBSE 2008)

उत्तर- परशुराम ने गर्व सहित कहा मैं बाल-ब्रह्मचारी और बड़ा क्रोधी हूँ। सारा संसार जानता है कि मैं क्षत्रिय कुल मैंने अपनी भुजाओं के बल पर धरती को क्षत्रिय राजाओं से रहित कर डाला है और उनकी भूमि को ब्राह्मणों को दान कर दिया है। अरे राजपुत्र । तनिक मेरे इस फरसे को देख ले। यह राजा सहस्रबाहु की भुजाओं को काटने वाला है। अरे राजकुमार अपने माता-पिता को क्यों शोकमग्न करना चाहता है। मेरे इस भयंकर फरसे को देखकर क्षत्राणियों के ग गिर जाते हैं।

प्रश्न 5. लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई ?(CBSE 2008, 2015, 2016

अथवा

राम-परशुराम-लक्ष्मण संवाद के आधार पर संक्षेप में लिखिए कि परशुराम की क्रोधपूर्ण बातें सुनकर लक्ष्मण उन्हें शूरवीर की क्या पहचान बताई? (CBSE 2017/

उत्तर- लक्ष्मण ने बताया कि वीर योद्धा युद्ध भूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन किया करते हैं, वे अपने बल-पौरुष डॉग नहीं हाँकते । वीर पुरुष में पराक्रम के साथ-साथ सहनशीलता भी होनी चाहिए। उसे अपने पौरुष का अहंकार नही होना चाहिए । युद्धभूमि में शत्रु को सामने पाकर अपनी वीरता की प्रशंसा करने वाले कायर कहलाते हैं। 

प्रश्न 6. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए । (CBSE 2016

उत्तर- साहस और शक्ति वीरता के भूषण हैं। यदि इनके साथ व्यक्ति में विनम्रता भी हो तो सोने में सुहाग जैसी ब है। वह मनुष्य को अहंकारी और निरंकुश होने से बचाती है। लक्ष्मण और परशुराम दोनों में साहस और शक्ति की कमी न है किन्तु विनम्रता के अभाव में दोनों अहंकारी और निरंकुश हो गये हैं। श्रीराम साहस और शक्ति में दोनों से कम नहीं है। किन्तु वह अपनी विनम्रता के कारण सारी सभा की प्रशंसा के पात्र हैं। उनका आचरण बड़ा मर्यादित और एक सच्चे पुरुष के अनुकूल है।

प्रश्न 7 भाव स्पष्ट करों

बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।

पुनि-पुनि मोहि देखाव कुरू । चहत उड़ावन फूंकि पारू ।।

उत्तर- लक्ष्मण ने हँसते हुए कोमल वाणी में कहा- अहो ! मुनीश्वर आपके महान योद्धा होने का क्या कहते है ? आप बार-बार मुझे कुवर (फरसा) दिखाकर डराना चाहते हैं। आप फूंक मारकर पहाड़ को उड़ा देना चाहते हैं। यह लक्ष्मण परशुराम के गर्जन-तर्जन और आत्मप्रशंसा का उपहास कर रहे हैं। वह स्वयं को पर्वत के समान और परशुराम वीरता को फेंक के समान कोरी वाचालता बता रहे हैं।

(ख) इकुम्बतिया को नहीं। रजनी देखि मरि जाहीं ॥ देखि कुटा सरासन बाना मैं कछु कहा सहित अभिमाना ।।

उत्तर- परशुराम के क्षत्रिय-वेश का उपहास करते हुए लक्ष्मण कह रहे हैं है मुनिवर ! यदि आप स्वयं को भारी यो समझते हैं तो हम भी कोई निर्बल व्यक्ति नहीं है जो आपको तर्जनी अंगुली को देखकर भय से सिकुड़ जाएँगे। आपको अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित देखकर मुझे आपके क्षत्रिय-योद्धा होने का भ्रम हो गया इसीलिए मैंने आपसे कुछ अहंकारपूर्ण कह दी। पर आप तो भृगुवंशी ब्राह्मण निकले, अब आप पर क्या वीरता दिखाएँ ।

प्रश्न 8. पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा-सौन्दर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए ।

उत्तर- तुलसी का भाषा पर अपूर्व अधिकार है। उनका शब्द चयन बड़ा सटीक और प्रभावशाली है। आपने अव भाषा को साहित्यिक स्वरूप प्रदान करते हुए रामचरितमानस जैसे महाकाव्य की रचना की है आपकी भाषा प्रौढ़ औ वाक्चातुर्य से सुखम्बित है । आपने दोहा और चौपाई छंदों में भाषा को सजाकर उसे गेय और लोकप्रिय बनाया है। तुलस की संवाद-योजना तो अतुलनीय है।

संवादों में उनका भाषा पर पूर्ण अधिकार का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। संस्कृत के तत्सम शब्दों को यथावत् प्रयोग करने के साथ ही उन्हें तद्भव रूप प्रदान करके कोमल और श्रुति-मधुर भी बनाया है । तुक मिलारे लिए अनेक शब्दों को दी दिखाई देता है। इस प्रकार तुलसी की भाषा भाव अभिव्यक्ति में पूर्ण सफल और प्रभावशाली है। मुहावरों और लोक-साथ अलंकारों के सहज प्रयोग ने उसे बड़ा आकर्षक किया है।

प्रश्न 9. इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौन्दर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- लक्ष्मण परशुराम संवाद व्यय का अनूठा सौन्दर्य है। शिव धनुष भंग होने पर परशुराम अत्यन्त कृषित होते हैं। घोषणा करते हैं कि धनुष भंग करने वाला सामने आ जाय नहीं तो सभी राजा मारे जायेंगे। परशुराम अपनी वीरता का करते हैं स्वयं को क्षत्रिय द्रोही बताते हैं। वह अपने फरसे को दिखाकर लक्ष्मण को धमकाते हैं। परशुराम के बोलेपन, आत्मप्रशंसा और क्रोध का उत्तर लक्ष्मण ने अपने पैने व्यंग्यपूर्ण वचनों से दिया है। लक्ष्मण की बापटुता आदि के कारण उनके व्यंग्य अत्यन्त सुन्दर तथा प्रभावशाली बन पड़े हैं।

इस संवाद के कुछ महत्वपूर्ण व्यंग्य वचन निम्नलिखित है 

1. बहु धनु तोरी लरिकाई कबहुँ न असि रस कीन्हि गोई ।

2. देव धनुष समाना

3. पुनि पुनि-मोहि देखाव कुरू चहत उड़ावन फूंकि पारू । 

4. कोटि कुलिम समय तुम्हारा व्यर्थ धर धनुबान कुठारा।

5. सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आयु

6. भृगुवर पर देखा मोही विप्र विचार व नृपद्रोही।

प्रश्न 10. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए –

(ख) कोटि कुलिम सम बचन तुम्हारा ।

(क) बालक बोलिवनी उत्तर- 

(क) तथा ‘ह’ वर्णों की आवृति के कारण अनुप्रास अलंकार है। (ख) ‘क’ वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है तथा लखन और कुलिस की तुलना किए जाने से उपमा अलंकार है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 11. “सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि कोच न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुंचाए जाने वाले बहुत से कष्टों को चिर निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए ।

उत्तर- पक्ष में मत कोष को गणना प्रायः नकारात्मक मनोभावों में की जाती है। किन्तु क्रोध का एक सकारात्मक पक्ष भी है। यदि क्रोध न आए तो मनुष्य के मन में अत्याचार और अन्याय के प्रतिकार की भावना ही उत्पन्न नहीं होगी । क्रोध मनुष्य के साहस और आत्मबल को जगाता है। किसी निर्दोष को पिटते देखकर किसी स्त्री का सम्मान लुटते देखकर किसी बालक पर क्रूरता होते देखकर जिस मनुष्य के हृदय में अन्यायी और अत्याचारी के प्रति क्रोध भी न जागे तो वह मनुष्य नहीं निर्जीव पुतला है। उचित समय पर क्रोध करना मनुष्य का धर्म है।

विपक्ष में मत क्रोध एक नकारात्मक मनोविकार है। ऋषि मुनि और विद्वान सदा से लोभ, मोह, काम, क्रोध आदि पर नियंत्रण रखने का उपदेश करते आए हैं। अत्याचार का सामना क्रोध से नहीं विवेक के साथ बल का प्रयोग करने से होता है। क्रोध में मनुष्य की बुद्धि और विवेक नष्ट हो जाते हैं। वह ऐसे-ऐसे अनर्थ कर बैठता है जिन पर उसे जीवन भर पश्चाताप होता है।

प्रश्न 12. अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर मेरा एक प्रिय मित्र है। हम बचपन में सहपाठी भी रहे हैं। उसके स्वभाव की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित है-

1. मेरा मित्र अत्यन्त सरल, उदार, विनम्र तथा सहनशील है। वह मधुरभाषी है। 

2. यह अत्यन्त परिश्रमी है। अपने श्रम से ही उसने अपना जीवन सफल बनाया है।

3. यह अत्यन्त बुद्धिमान तथा विवेकशील है।

👉 इन्हें भी पढ़ें

  • सूरदास पाठ 1 सोल्यूशन

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. राम और परशुराम के बीच क्या बातें हुई? ‘लक्ष्मण परशुराम संवाद’ पाठ के आधार लिखिए।

उत्तर- जब परशुराम ने स्वयंवर सभा में आकर पूर्ण कि यह शिव का धनुष किसने तोड़ा है, तो राम ने उत्तर दिया कि धनुष तोड़ने वाला उनका (परशुराम का) कोई दाम ही होगा। यह सुनकर परशुराम क्रोधित हो गए और कहा कि सेवक तो सेवा करने वाला होता है। धनुष तोड़ने वाला तो उनका शत्रु है। अतः यह राजाओं के बीच से अलग खड़ा हो जाए मारे राजा मारे जाएंगे।

प्रश्न 2. लक्ष्मण ने परशुराम की अवज्ञा करते हुए, धनुष तोड़े जाने के बारे में क्या कहा और परशुराम ने क्रोधित होकर क्या उत्तर दिया ?

उत्तर- लक्ष्मण ने परशुराम का उपहास करते हुए कहा कि उन्होंने बचपन में अनेक धनुपियाँ तोड़ डाली थी तब परशुराम ने क्रोध क्यों नहीं किया? इस धनुष से उनको इतनी ममता क्यों है। इस पर परशुराम क्रुद्ध होकर बोले-अरे राजकुमार बिना सोचे-समझे बोल रहा है। लगता है तू काल के वशीभूत हो गया है भरला सारे संसार में प्रसिद्ध शिव का धनुष उन रणधनुषियों के समान हो सकता है? 

प्रश्न 3. लक्ष्मण ने राम के बचाव में क्या कहा और परशुराम पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर- लक्ष्मण ने कहा कि एक पुराने धनुष के तोड़ देने से न तो किसी की हानि हुई है न किसी को लाभ हुआ। राम ने इसे नया जानकर इसे परखना चाहा था परन्तु यह तो उनके छूते ही टूट गया। “हे मुनि आप बिना बात के इतना क्रोध क् कर रहे हैं?” यह सुनते ही परशुराम ने क्रोधित होकर लक्ष्मण से कहा कि वह उन्हें कोई साधारण मुनि समझने की भूल करें। साथ ही उन्होंने अपने बल, अपनी विजयों और यश का बखान करना आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 4. लक्ष्मण ने परशुराम को देखकर अभिमानपूर्ण वातें करने का क्या कारण बताया और परशुराम से किस कारण क्षमा मांगने का दिखावा किया?

उत्तर- लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि उन्हें फरसा और धनुषवाण धारण किए देखकर उन्हें क्षत्रिय समझा, इस कारण कुछ अभिमानपूर्ण बातें कह दी। अब पता चला कि वह भृगवंशी ब्राह्मण हैं। इसीलिए वह उनकी बातें क्रोध को रोककर सहन कर रहे हैं। रघुवंशी लोग देवताओं, ब्राह्मणों, भक्तों और गार्यो पर वीरता नहीं दिखाते। अतः आप से युद्ध करना उचित नहीं है। आपको मारने से पाप लगेगा और हार जाने पर अपयश मिलेगा। इसलिए मेरे अनुचित वचनों को आप क्षमा कर दें। आप तो महान मुनि और धैर्यवान हैं। 

प्रश्न 5. ‘लक्ष्मण परशुराम संवाद’ प्रसंग में कविवर तुलसी की किस काव्यगत विशेषता के दर्शन होते हैं? संक्षेप में लिखिए। 

उत्तर- ‘लक्ष्मण परशुराम संवाद’ प्रसंग कविवर तुलसीदास की काव्यगत प्रतिभा का अनूठा उदाहरण है। इस प्रसंग में कवि नै संवादपरक वर्णन शैली में अपनी कुशलता का पूरा प्रमाण दिया है। संवादों की भाषा पात्र और परिस्थिति के अनुरूप है। संवाद बड़े सटीक और चुटीले हैं। संवादों से पात्रों के चरित्र पर पूर्ण प्रकाश पड़ा है। संवादों की रोचक योजना ने इस प्रसंग को बड़ा नाटकीय बना दिया है।

प्रश्न 6. ‘ लक्ष्मण परशुराम संवाद’ के तीनों पात्रों-राम, लक्ष्मण और परशुराम के स्वभाव की एक एक विशेषता बताइए।

उत्तर- इस प्रसंग के पात्र राम शान्त और संवत स्वभाव वाले हैं। वह उत्तेजित नहीं होते। शिष्ट और विनम्रतापूर्ण भाषा का प्रयोग करते हैं। मर्यादाओं का पालन करते हैं। इनके विपरीत स्वभाव लक्ष्मण का है। वह उग्र स्वभाव के युवक है। उनकी वाणी में व्यंग्य और आक्रामकता रहती है। तीसरे पात्र परशुराम अहंकारी स्वभाव वाले हैं। वह आत्मप्रशंसा करने वाले और अपने सामने सभी को तुच्छ समझने वाले हैं।

प्रश्न 7. ‘लक्ष्मण परशुराम संवाद’ के आधार पर लक्ष्मण के व्यवहार का मूल्यांकन कीजिए। 

उत्तर- काव्यांश के आधार पर लक्ष्मण एक बीर, चतुराईपूर्ण तुरंत उत्तर देने में निपुण और सहज ही उत्तेजित हो जाने बाले युवक सिद्ध होते हैं। परशुराम के बड़बोलेपन और धमकियों पर वह निरंतर व्यंग्य बाणों की वर्षा करते दिखाई देते हैं। लक्ष्मण का यह व्यवहार उन्हें क्रोधी और स्वाभिमानी सिद्ध करता है।

प्रश्न 8. लक्ष्मण को परशुराम को मारने पर पाप और अपयश की सम्भावना क्यों थी?

उत्तर- परशुराम ब्राह्मण थे। वह अपनी अहंकारपूर्ण बातों और धमकियों से लक्ष्मण को उत्तेजित करना चाह रहे थे। लक्ष्मण उनसे युद्ध नहीं करना चाहते थे क्योंकि यदि परशुराम मारे जाते तो लक्ष्मण पर ब्रह्महत्या का पाप लगता और यदि जित हो जाते तो उन्हें अपयश झेलना पड़ता।

You Might Also Like

Rbse Class 10 Science Model paper Pdf

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 4 उत्साह व अट नहीं रही है हिंदी

Class 10 Sanskrit Chapter 1 Suchi paryavaran Hindi & English Translation

Sanskrit Class 10 Chapter 10 अन्योक्तिय: Hindi Translation

Class 10 Sanskrit Chapter 7 विचित्र साक्षी Hindi Translation

TAGGED:Class 10 Hindi Chapter 1 SolutionClass 10 Hindi Chapter 2 notes pdfClass 10 Hindi Chapter 2 Questions and AnswerClass 10 Hindi Chapter 2 SolutionNCERT solutions for Class 10th Hindi Kshitij Chapter 2 तुलसीदासTulasidas Summary class 10 chapter 2
Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp LinkedIn Telegram Email Copy Link
Previous Article सूरदास NCERT Solutions for Class 10th: पाठ-1 सूरदास (पद) – हिंदी
Next Article आत्मकथ्य NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 3 आत्मकथ्य हिंदी

Follow US

Find US on Social Medias
2.7k Like
547 Follow
1.9k Subscribe
1.2k Follow
Also Read
RRB NTPC Admit Card 2025

RRB NTPC Admit Card 2025: Sarkari Result Link, Release Date, Official Download & CBT 1 Details

RBSE Class 10 download 5 years old paper
राजस्थान बोर्ड कक्षा 11वी की अर्धवार्षिक परीक्षा का टाइम टेबल जारी 2024, RBSE 11th Class Time Table 2024: यहां से डाउनलोड करें
RBSE Class 11th Time Table Download 2024,जिलेवार कक्षा 11वीं वार्षिक परीक्षा समय सारणी डाउनलोड करें-
NEET MDS Results 2024 Download Check scorecard, नीट एमडीएस का रिजल्ट इस तारीख को होगा जारी

Find Us on Socials

Follow US
© SanskritDharaVahni. All Rights Reserved.
  • Home
  • NCERT Books
  • Half Yearly Exam
  • Syllabus
  • Web Story
  • Latest News
adbanner
AdBlock Detected
Our site is an advertising supported site. Please whitelist to support our site.
Okay, I'll Whitelist
Welcome Back!

Sign in to your account