एनसीईआरटी समाधान Class 7th Hindi Chapter 8 Raheem ke Dohe || रहीम के दोहे Questions and Answer
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कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत ।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत ।।
व्याख्या/भावार्थ- कवि रहीम जी कहते हैं-धन-दौलत के रहते बहुत से मित्र बन जाते हैं। कई प्रकार से धनवान व्यक्ति से अपना संबंध बना लेते हैं, परंतु जो मित्र विपत्ति में मनुष्य का साथ दे, उसकी सहायता करे, वही मित्रता की कसौटी पर खरा उतरता है।
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह ।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह ।।
व्याख्या/भावार्थ – कवि रहीम कहते हैं कि जाल के पड़ने (जल में डालने) पर जल मछली को जाल में छोड़कर बह (चला) जाता है किंतु मछली जल का साथ नहीं छोड़ना चाहती। इसीलिए जल के अभाव में तड़प-तड़पकर मर जाती है।
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान ।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान ।।
व्याख्या/भावार्थ – रहीम जी परोपकार के बारे में बताते हुए कहते हैं कि पेड़ और तालाब परमार्थी हैं। हमेशा परमार्थ में लगे रहते हैं। पेड़ अन्य प्राणियों को फल देता है जबकि स्वयं इसका एक दाना भी नहीं लेता। इसी प्रकार तालाब हमारे लिए पानी का संचय करता है स्वयं इसका पान नहीं करता। इसी प्रकार सज्जन अथवा अच्छे व्यक्ति अपनी संपत्ति का संचय परमार्थ (दूसरों के हित) के लिए करते हैं।
थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात ।
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात ।।
व्याख्या/भावार्थ – कवि रहीम के अनुसार धनवान व्यक्ति गरीब हो जाने पर पिछले दिनों को याद करके पछतावा करते रहते हैं, उसी प्रकार जैसे कि क्वार के बादल बिना जल के उमड़-घुमड़ करते रहते हैं।
धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह ।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह ।।.
व्याख्या/भावार्थ – रहीम जी कहते हैं कि मनुष्य का शरीर धरती (पृथ्वी) के समान होना चाहिए। हमारी धरती सर्दी, गर्मी और बरसात को समान रूप से सहन कर लेती है उसी प्रकार हमें शरीर को ऐसा बनाना चाहिए कि वह गर्मी, सर्दी और बरसात (विषम परिस्थिति) को समान (धैर्यपूर्वक) रूप से सहन करने के लिए सक्षम हो।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
- सच्चा मित्र वह होता है जो –
(क) धन होने पर साथ देता है
(ख) जो सदा हमारी प्रशंसा करता है
(ग) जो खेल-कूद में साथ रहता है
(घ) जो विपत्ति के समय साथ नहीं छोड़ता है । - सज्जन लोग धन एकत्र करते हैं-
(क) सुख भोगने के लिए
(ख) प्रतिष्ठा पाने के लिए
(ग) परोपकार के लिए
(घ) शक्तिशाली बनने के लिए। - शीत, गर्मी और वर्षा सहने वाली धरती शिक्षा देती है-
(क) बलवान बनने की
(ख) सहनशील बनने की
(ग) बुद्धिमान बनने की
(घ) कठोर बनने की ।
उत्तर-1. (घ), 2. (ग), 3. (ख) ।
रिक्त स्थान भरिए –
- कहि रहीम परकाज हित……… सचहिं सुजान। (धन दौलत/संपति)
- धनी पुरुष निर्धन भए, करें…… बात। (पाछिली/पुरानी)
- धरती की-सी रीत है,……. औ मेह। (सीत, घाम/वसन्त, शिशिर)
- रहिमन मछरी …….को, , तऊन छाँड़ति छोह । (नीर/तीर)
उत्तर- 1. संपति, 2. पाछिली, 3. सीत, धाम, 4. नीर।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कवि ने सच्चे मित्र की क्या पहचान बताई है ?
उत्तर-सच्चा मित्र संकट में साथ देता है । स्वार्थी मित्र केवल संपत्ति होने पर ही साथ देते हैं ।
प्रश्न 2. मछली का जल से सच्चा प्रेम होता है। इसका कवि ने क्या प्रमाण दिया है ?
उत्तर-जब मछली जाल में फँस जाती है तो जल उसे छोड़ जाता है, लेकिन मछली इतने पर भी उसके वियोग में प्राण त्याग देती है।
प्रश्न 3. वृक्ष और तालाब से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर- वृक्ष और तालाब से हमें परोपकार की शिक्षा मिलती है । वृक्ष के फल और तालाब का जल दूसरों के ही काम आते हैं ।
प्रश्न 4, कवि ने क्वार के बादलों की क्या विशेषता बताई है ?
उत्तर-क्वार मास के बादल थोथे अर्थात् जल से रहित होते’ हैं । वे गरजंकर केवल अपने पिछले रूप की याद दिलाते हैं, बरस नहीं सकते ।
प्रश्न 5. कवि ने धरती की क्या विशेषता बताई है?
उत्तर- धरती ठंड, गर्मी और वर्षा सभी को धैर्यपूर्वक सहन करती रहती है ।