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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 उषा

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उषा – Class 12 Hindi Aaroh Chapter 5 Solution | Class 12 Hindi Aaroh Chapter 5 उषा Questions and Answer

उषा कविता – कक्षा 12 हिंदी आरोह पाठ 5 सोल्यूशन (Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 Usha) उषा कविता के प्रश्न उत्तर (NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 उषा)

Contents
उषा – Class 12 Hindi Aaroh Chapter 5 Solution | Class 12 Hindi Aaroh Chapter 5 उषा Questions and Answer NCERT Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तरी Class 12 Hindi Aniwaray Chapter 5 उषा Important Questions Rbse Class 12 hindi Aniwaray Chapter 7 Important Questions
उषा
कवि-शमशेर बहादुर सिंह

कवि परिचय :- कवि शमशेर बहादुर सिंह का जन्म सन् 1911 ई. में देहरादून में हुआ था। आठ वर्ष की आयु में उनकी माँ का देहावसान हो गया। 18 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। उनकी पत्नी भी छः वर्षों के बाद क्षयरोग से पीड़ित होकर चल बसी। इन पीड़ादायक अनुभवों और अभावों से गुजरने पर भी उनका आत्मविश्वास नहीं डगमगाया। इन संकटों ने उनकी कविता को और भी हृदयस्पर्शी बनाया।

कवि शमशेर सिंह अपने अनूठे कल्पना-चित्रों के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। वह प्रगतिशील विचारक थे और कविता में नए-नए प्रयास भी करते रहे। वह सुन्दरता को नए-नए और लुभावने रूपों में प्रस्तुत करते रहे।

रचनाएँ – शमशेर सिंह की प्रमुख रचनाएँ हैं-‘कुछ कविताएँ’, ‘कुछ और कविताएँ’, चुका भी नहीं हूँ मैं’, ‘इतने पास अपने’, ‘बात बोलेगी’, तथा ‘काल तुझसे है होड़ मेरी’। आपकी साहित्यिक सेवाओं के लिए आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मई, 1993 में अहमदाबाद में आपका निधन हो गया।

सप्रसंग व्याख्याएँ

पद्यांश 1

सन्दर्भ तथा प्रसंग– प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘उषा’ से उद्धृत है। कवि ने इसमें भोर के समय का एक अनूठा शब्द-चित्र अंकित किया है।

व्याख्या– कवि कहता है कि सबेरे के झुटपुटे में आकाश बहुत नीले शंख जैसा था। वह ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी ने अपने रसोईघर (के फर्श) को राख से लीप दिया हो। कुछ समय पूर्व ही लीपने के कारण वह अभी तक गीला पड़ा हो। झुटपुटे में प्रकाश की कमी से नीला आकाश कुछ काला- सा दिखाई देता है।

विशेष– (i) कवि ने प्रातः काल के दृश्य को एक घरेलू बिम्ब (शब्द चित्र) के द्वारा प्रस्तुत किया है। 

(ii) प्रातः के आकाश के लिए कवि द्वारा रंगों का चुनाव वास्तविकता के निकट है। 

(iii) कवि की दी गई उपमाएँ नए प्रयोग हैं। 

(iv) आकाश को ‘नीले शंख जैसा’ और ‘राख के लिपे चौका’ जैसा बताने में उत्प्रेक्षा अलंकार है 

(v) भाषा सरल और शैली बिम्ब विधायिनी है।

पद्यांश 2

सन्दर्भ तथा प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘उषा’ से लिया गया है। कवि अनूठे उपमानों से प्रातःकाल के आकाश के शब्द-चित्र प्रस्तुत कर रहा है।

व्याख्या – सबेरे के झुटपुटे के कारण प्रकाश की कमी से नीला आकाश कुछ काला सा लग रहा है और उषा की लालिमा उस पर पड़कर सुन्दर दृश्य उपस्थित कर रही है। ऐसा लग रहा है जैसे बहुत काली सिल पर लाल केसर पिसकर धुल गई हो। यहाँ आकाश काली सिल है

तथा उषा की लालिमा लाल केसर है। यह दृश्य ऐसा लग रहा है जैसे काली स्लेट पर किसी ने लाल रंग की चाक मल दी हो। काली स्लेट आकाश तथा लाल चाक-उषा की लालिमा को व्यंजित करते हैं।

विशेष– (i) आकाश के लिए ‘काली सिल’ तथा ‘स्लेट’ अनूठे और सटीक उपमान हैं। नीले आकाश में उषा की हल्की लालिमा के दृश्य को अंकित करने के लिए ‘लाल केसर से धुला होना’ तथा स्लेट पर ‘लाल खड़िया मला होना’ भी जाने-पहचाने घरेलू बिम्ब हैं। 

(ii) भाषा सरल है और वर्णन शैली बिम्ब अंकित करने वाली है। 

(iii) आकाश में ‘बहुत काली………….. घुल गई हो’ तथा ‘स्लेट पर …..किसी ने’ अंशों में उत्प्रेक्षा तथा संदेह अलंकार भी है। 

(iv) काव्यांश में प्रयोगवादी काव्य की झलक है।

पद्यांश 3

सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि शमशेर सिंह की कविता ‘उषा’ से लिया गया है। इस अंश में कवि सूर्य के निकलने से पहले नीले पूर्वी आकाश में छा रहे सुनहले प्रकाश के दृश्य का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या– भोर के नीले आकाश पर उषा की हल्की लालिमा पड़ रही है। वह ऐसी प्रतीत हो रही है जैसे नीले पानी में किसी सुन्दरी का गोरा झिलमिलाता शरीर हिल रहा हो। सूर्य उदय होते ही उपाकालीन यह जादू भरा दृश्य समाप्त हो जाता है। अर्थात् सूर्य का प्रकाश फैलने से उषा का हर क्षण परिवर्तित होने वाला रंग-बिरंगा दृश्य दिखाई देना बन्द हो जाता है।

विशेष– (i) कवि ने नीले आकाश का नीला सरोवर और सूर्योदय से पूर्व सूर्य की किरणों से उत्पन्न पीली या सुनहली आभा को, एक गोरी रमणी की जल में झिलमिल करती देह बताया है। 

(ii) लग रहा है सूर्योदय के समय भी पीली ज्योति रूपी सुंदरी नीले आकाश रूपी जल में स्नान कर रही है। उसकी झिलमिलाती गोरी देह जल के साथ हिलती प्रतीत हो रही है। 

(iii) बिम्ब-विधान अद्भुत और मनमोहक है। 

(iv) भाषा सरल है। शब्दों का चयन विषय के अनुरूप है। 

(v) वर्णन शैली में कवि की शब्द-चित्र अंकित करने की कुशलता प्रमाणित हो रही है। 

(vi) काव्यांश में ‘नील जल हिल रही हो’। कथन में उत्प्रेक्षा अलंकार है।

NCERT Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तरी 

प्रश्न 1. कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है ?

उत्तर– ‘उषा’ कविता गाँव की सुबह का गतिशील चित्र है। कविता में प्रयुक्त उपमानों को देखकर यह बात सुनिश्चित ढंग से कही जा सकती है। भोर के नीले आकाश के लिए ‘राख से लीपा हुआ गीला चौका’, ‘केसर से धुली काली सिल’ तथा ‘लाल खड़िया चाक मली हुई स्लेट’ आदि उपमान प्रयुक्त हुए हैं।

राख से लिपा चौका (रसोईघर) तथा ‘काले रंग की सिल (मसाला पीसने का पत्थर) ‘ ग्रामीण जीवन से लिए गए उपमान हैं। शहरी जीवन में = इनका कोई स्थान नहीं है। स्लेट पर चाक से गाँव के बच्चे ही लिखते हैं, शहर के नहीं। चौके का लीपा जाना, सिल पर मसाला पीसा जाना तथा बच्चे द्वारा स्लेट पर लिखा जाना में एक क्रम है। इस कारण भोर का यह चित्र ग्राम जीवन से सम्बन्धित तथा गतिशील

प्रश्न 2. भोर का नभ

राख से लीपा हुआ चौका 

(अभी गीला पड़ा है)

नयी कविता में कोष्ठक, विराम चिह्नों और पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है ? समझाइए ।
उत्तर– नई कविता में नए-नए प्रयोगों का विशेष महत्त्व है। इसके लिए कविता में कोष्ठक, विराम चिह्नों तथा पंक्तियों के बीच के स्थान को भी विशेष अर्थ प्रकट करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस अंश में कोष्ठक में ‘अभी गीला पड़ा है’ लिखकर कवि ने अपने उपमान को पूर्णता प्रदान की है। उसने आकाश को गीली राख जैसा बताना चाहा है। इससे कवि यह व्यक्त करना चाहता है कि पूर्ण प्रकाश न होने से नीला आकाश अभी कुछ काला सा लग रहा है।

Class 12 Hindi Aniwaray Chapter 5 उषा Important Questions

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