Vyakaran | ‘व्याकरण’ का शाब्दिक अर्थ |
Vyakaran | व्याकरण
भाषा एक व्यवस्था है। भाषा के विभिन्न अंगों, वर्ण, शब्द, पद, वाक्य आदि में निश्चित और नियमबद्ध संबंध होते हैं। आशय यह है कि किसी वर्ण का उच्चारण-स्थान, उसकी प्रकृति, शब्द-भंडार, उत्पत्ति, संधि, पदों का निर्माण, वाक्य, निर्माण, वाक्य-विश्लेषण आदि का अध्ययन व्याकरण के अंतर्गत होना है। भाषा को शुद्ध रूप में बनाए रखने के लिए तथा उसका मानक रूप निर्धारित करने के लिए नियमों की आवश्यकता रहती है। इन्हीं नियमों को योजनाबद्ध रूप में लिखे जाने पर उसे व्याकरण की संज्ञा दी गई है।
व्याकरण की परिभाषा
‘व्याकरण’ का शाब्दिक अर्थ है-विश्लेषण करना। आशय यह है कि व्याकरण भाषा का विश्लेषण कर रचना को स्पष्ट करता है। व्याकरण की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है-
” व्याकरण वह शास्त्र है, जो हमें किसी भाषा के शुद्ध रूप को लिखने तथा बोलने के नियमों का ज्ञान कराता है। “
वस्तुत: व्याकरण से भाषा के नियमों में स्थिरता आती है। नियमों की स्थिरता से भाषा में एक प्रकार की मानकता स्थापित होती है। यही मानकता भाषा को परिनिष्ठित रूप प्रदान करती है। अतः व्याकरण ही ऐसा शास्त्र है जो भाषा को सर्वमान्य, शिष्ट-सम्मत एवं स्थायी रूप प्रदान करता है।
व्याकरण के अंग-
‘भाषा की मूल ध्वनियों के लिखित चिह्नों को वर्ण कहते हैं। वर्णों मेल से शब्द और पद बनते हैं। इनसे वाक्य का निर्माण होता है इस प्रकार व्याकरण के चार अंग हैं-
1. वर्ण विचार – इसके अंतर्गत वर्णों से संबंधित उनके आकार, उच्चारण, वर्गीकरण तथा उनके मेल से शब्द निर्माण प्रक्रिया का उल्लेख किया जाता है।
2. शब्द – विचार – इसमें शब्द के भेद, उत्पत्ति, व्युत्पत्ति व रचना आदि के साथ शब्द के प्रकारों का उल्लेख होता है।
3. पद विचार – इसमें शब्द से पद निर्माण प्रक्रिया, पद के विविध रूपों का वर्णन होता है।
4. वाक्य विचार – इसके अंतर्गत वाक्य से संबंधित उसके भेद, अन्वय, विश्लेषण, संश्लेषण, रचना-अवयव तथा वाक्य निर्माण प्रक्रिया की जानकारी दी जाती है।’
Rbse Class 12 Hindi Aniwaray Bhasha | भाषा
भाषा के विषय को पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें
👉👉 भाषा