RBSE Class 7 Social Science Chapter 5 शासक और इमारतें
RBSE Class 7 Social Science chapter 5
पाठ का सार
- कुत्बउद्दीन ऐबक ने लगभग 1199 ई. में कुतुबमीनार का निर्माण करवाया था।
- कुतुबमीनार पाँच मंजिली इमारत है। इस इमारत की पहली मंजिल का निर्माण ऐबक ने तथा शेष मंजिलों का निर्माण 1229 ई. के आस-पास इल्तुतमिश द्वारा करवाया गया।
- अकबर द्वारा निर्मित आगरा किले (Agra Fort) के निर्माण हेतु 2000 पत्थर काटने वालों, 2000 सीमेंट व चूना बनाने वालों तथा 8000 मजदूरों की आवश्यकता पड़ी।
- राजस्थान के बूँदी में स्थित अपनी स्थापत्य सुन्दरता के लिए विख्यात ‘रानीजी की बाबड़ी’ का निर्माण 1699 ईसवी में रानी नाथावत जी ने करवाया था, जो बूँदी के राजा अनिरुद्ध सिंह की रानी थी।
- शिव की स्तुति में बनाए गए कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण चंदेल राजवंश के राजा धंगदेव द्वारा 999 ईसवी में किया गया था।
- तंजावूर के राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण राजा राजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वरम् की उपासना हेतु किया था।
- हुमायूँ की बीबी हमीदा बानू बेगम ने 1562 व 1571 के बीच हुमायूँ का मकबरा निर्मित करवाया।
- आगरा में ताजमहल का निर्माण शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज की याद में करवाया। इसका निर्माण 1643 में पूरा हुआ।
- बारहवीं शताब्दी से फ्रांस में आरम्भिक भवनों की तुलना में अधिक ऊँचे व हल्के चर्चों के निर्माण के प्रयास शुरू हुए। वास्तुकला की यह शैली ‘गोथिक’ नाम से जानी जाती है।
BRSE CLASS 7 SOCIAL SCIENCE CHAPTER 5 SOLUTION
RBSE Class 7 Social Science शासक और इमारतें – पाठ्यपुस्तक अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. वास्तुकला का ‘अनुप्रस्थ टोडा निर्माण’ सिद्धान्त ‘चापाकार’ सिद्धान्त से किस तरह भिन्न है ?
उत्तर– सातवीं और दसवीं शताब्दी के मध्य में भवनों के कमरे, दरवाजे, खिड़कियाँ आदि दो ऊर्ध्वाधर खम्भों के आर पार एक अनुप्रस्थ शहतीर रखकर बनाए जाते थे। वास्तुकला की यह शैली ‘अनुप्रस्थ टोडा निर्माण’ कहलाती है। वहीं वास्तुकला के ‘ चापाकार’ सिद्धान्त के अन्तर्गत दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर की अधिरचना का भार कभी-कभी मेहराबों पर डाल दिया जाता था।
प्रश्न 2. ‘शिखर’ से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर– गर्भगृह के ठीक ऊपर बने मंदिर के शीर्ष को ‘शिखर’ कहा जाता है।
प्रश्न 3. ‘पितरा दूरा’ क्या है ?
उत्तर – उत्कीर्णित संगमरमर अथवा बलुआ पत्थर पर रंगीन, ठोस पत्थरों को दबाकर बनाए गए सुंदर तथा अलंकृत नमूने को पितरा-दूरा कहा जाता है।
प्रश्न 4. एक मुगल चारबाग की क्या खास विशेषताएँ हैं ?
उत्तर– मुगल काल में चारबाग बनाने की परम्परा अकबर के समय से शुरू हुई। देश में कुछ खूबसूरत चारबाग क्रमशः कश्मीर, आगरा और दिल्ली में जहाँगीर और शाहजहाँ ने बनवाए थे, जिनकी खास विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
चार समान हिस्सों में बँटे होने के कारण ये चारबाग
कहलाते थे।
ये बाग दीवारों से घिरे होते थे। -चारबाग कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभाजित आयताकार अहाते में स्थित थे।
आइए समझे
प्रश्न 5. किसी मंदिर से एक राजा की महत्ता की सूचना कैसे मिलती थी ?
उत्तर – राजा, मंदिरों का निर्माण अपनी शक्ति, धन संपदा और ईश्वर के प्रति निष्ठा के प्रदर्शन हेतु करते थे ग्यारहवीं शताब्दी के आरम्भ में जब चोल राजा राजेन्द्र प्रथम ने अपनी राजधानी में शिव मंदिर का निर्माण करवाया था तो उसने पराजित शासकों से जब्त की गई उत्कृष्ट प्रतिमाओं से इसे भर दिया। राजा राजदेव ने राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया, उसने इस तरह का नाम इसलिए रखा क्योंकि यह नाम मंगलकारी था और राजा स्वयं को ईश्वर के रूप में दिखाना चाहता था ।
प्रश्न 6. दिल्ली में शाहजहाँ के दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है-‘अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है ? यह धारणा कैसे बनी ?
उत्तर– दिल्ली में शाहजहाँ ने यमुना नदी के किनारे लाल
किला बनवाया। इस किले के अंदर निर्मित
दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है- “अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है। दीवान-ए-खास का सिंहासन जिस मंच पर रखा था उसे प्रायः किबला (नमाज के दौरान मुसलमानों के सामने की दिशा) कहा जाता था। क्योंकि जिस समय मुगल दरबार चलता था, उस समय प्रत्येक व्यक्ति उस ओर ही मुँह करके बैठता था । इन वास्तुकलात्मक अभिलक्षणों का इस ओर इशारा था कि राजा पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि था।
प्रश्न 7. मुगल दरबार से इस बात का कैसे संकेत मिलता था कि बादशाह से धनी, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर सभी को न्याय मिलेगा ?
उत्तर – मुगल दरबार में बादशाह के सिंहासन के पीछे पितरा-दूरा के जड़ाऊ काम की एक श्रृंखला बनाई गई थी, जिसमें पौराणिक यूनानी देवता आर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था। ऐसा माना जाता था कि आर्फियस का संगीत आक्रामक जानवरों को शांत कर सकता है और वे शांतिपूर्वक एक-दूसरे के साथ रहने लगते हैं। इस प्रकार मुगल दरबार से यह संकेत मिलता था कि न्याय करते समय राजा ऊँचे और निम्न सभी प्रकार के लोगों के साथ समान व्यवहार करेगा अर्थात् धनी, निर्धन, शक्तिशाली कमजोर सभी को समान न्याय मिलेगा।
प्रश्न 8. शाहजहाँनाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की क्या भूमिका थी ?
उत्तर -शाहजहाँनाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की महत्वपूर्ण भूमिका थी, जो निम्नलिखित है
(i) शाही महल यमुना नदी पर स्थित था।
(ii) यमुना नदी के किनारे केवल विशिष्ट कृपा प्राप्त अभिजात को ही आवास बनवाने की सुविधा थी।
● लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. 1562-1571 के बीच निर्मित हुमायूँ के मकबरे की विशेषता बताइए ।
उत्तर – हुमायूँ के मकबरे की वास्तुकलात्मक विशेषताएँ
निम्नलिखित हैं
(i) हुमायूँ का मकबरा औपचारिक चार बाग में स्थित था।
(ii) हुमायूँ के मकबरे में बना केन्द्रीय गुम्बद तथा मेहराबदार प्रवेश द्वार मुगल वास्तुकला के महत्वपूर्ण अंग बन गए।
(iii) हुमायूँ के मकबरे का केन्द्रीय कक्ष आठ कमरों से घिरा हुआ है।
(iv) हुमायूँ का मकबरा लाल बलुआ पत्थर से बना था तथा इसके किनारे सफेद संगमरमर से बने थे।
प्रश्न 2. ‘चिहिल सुतुन’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर– आगरा और दिल्ली के लाल किले में सार्वजनिक और व्यक्तिगत सभा हेतु समारोह कक्षों (दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम) की योजना बहुत सावधानीपूर्वक बनाई जाती थी। एक विशाल आँगन में स्थित ये दरबार ‘चिहिल सुतुन’ अथवा चालीस खम्भों के सभा भवन भी कहलाते थे।
प्रश्न 3. शाहजहाँ के ‘नदी तट-बाग’ योजना के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर– शासन के आरम्भिक वर्षों में शाहजहाँ की राजधानी आगरा थी। इस शहर में विशिष्ट वर्गों ने अपने घरों का निर्माण यमुना नदी के तटों पर करवाया था। इन घरों का निर्माण चार बाग की रचना के ही समान औपचारिक बागों के बीच में हुआ था। इस तरह के बाग में निवास स्थान चार बाग के बीच में स्थित न होकर नदी तटों के पास बाग के बिल्कुल किनारे पर होता था। इस प्रकार चार बाग योजनान्तर्गत बने इस तरह के अन्य बागों को इतिहासकारों ने नदी-तट-बाग कहा है।
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प्रश्न 4. शाहजहाँ के शासनकाल में निर्मित मुगल वास्तुकला पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर– इतिहासकारों ने शाहजहाँ को मुगल वास्तुशिल्पी कहा है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसके शासनकाल में कितनी महत्वपूर्ण इमारतों का निर्माण हुआ। शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया जो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की अनूठी इमारतों में से एक है। ताजमहल 1643 ई. में बनकर तैयार हुआ। इसके बाद शाहजहाँ ने दिल्ली में लाल किला तथा जामा मस्जिद बनवायी। इतना ही नहीं शाहजहाँ ने लाल किले के अंदर दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास का निर्माण भी करवाया।