RBSE Class 7 Social Science Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पीजन
RBSE Class 7 Social Science पाठ का सार
- मध्य युग में विभिन्न प्रकार के नगर हुआ करते थे; जैसे-मंदिर नगर, प्रशासनिक नगर, वाणिज्यिक नगर, पत्तन नगर इत्यादि ।
- कावेरी नदी तट पर स्थित तंजावूर, चोल राजाओं की राजधानी के साथ-साथ एक प्रशासनिक नगर भी था।
- मध्य प्रदेश में विदिशा, गुजरात में सोमनाथ, तमिलनाडु में कांचीपुरम तथा मदुरै एवं आन्ध्र प्रदेश में तिरुपति मंदिर नगर है।
- तीर्थस्थल भी धीरे-धीरे नगरों के रूप में विकसित हो गए। वृंदावन (उत्तर प्रदेश), तिरुवन्नमलाई (तमिलनाडु), अजमेर एवं पुष्कर (राजस्थान) कुछ ऐसे ही तीर्थस्थल हैं, जो धीरे-धीरे नगरों में तब्दील हो गए।
- बड़े-बड़े गाँवों में आमतौर पर एक मंडपिका (बाद में जिसे ‘मंडी’ कहा जाने लगा होती थी, जहाँ पड़ोसी गाँव वालेअपनी उपज बेचने के लिए लाते थे। इन बड़े गाँवों की गलियों में दुकानें एवं बाजार थे, जिन्हें हट्ट (बाद में हाट कहा जाने लगा) कहा जाता था।
- कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों की घाटी में स्थित हम्पी नगर (1336 में स्थापित) विजय नगर साम्राज्य का केन्द्र स्थल था।
- सत्रहवीं शताब्दी में सूरत एक सर्वदेशीय व्यापारिक नगर था, इस नगर में पुर्तगालियों, डचों एवं अंग्रेजों के कारखाने एवं मालगोदाम थे।
- 1668 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने बम्बई (वर्तमान मुंबई) में अपना मुख्यालय स्थापित कर लिया था।
- अठारहवीं शताब्दी में बम्बई, कलकत्ता और मद्रास जैसे नगरों का उदय हुआ जो वर्तमान में प्रमुख महानगर हैं।
- पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा 1498 में भारत (कालीकट) पहुँचा और अगले वर्ष ही पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन लौट आए।
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RBSE Class 7 Social Science Chapter 6 पाठ्यपुस्तक अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(क) राजराजेश्वर मंदिर…….. में बनाया गया था।
(ख) अजमेर सूफी संत……. से सम्बन्धित है।
(ग) हम्पी……. साम्राज्य की राजधानी थी।
(घ) हॉलैण्डवासियों ने आन्ध्र प्रदेश में…….. बस्ती बसाई।
उत्तर– (क) ग्यारहवीं सदी, (ख) ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती, (ग) विजयनगर, (घ) मसूलीपट्टनम ।
प्रश्न 2. बताएँ क्या सही है और क्या गलत
(क) हम राजराजेश्वर मंदिर के मूर्तिकार (स्थापित ) का नाम एक शिलालेख से जानते हैं।
(ख) सौदागर लोग काफिलों में यात्रा करने की बजाय अकेले यात्रा करना अधिक पसंद करते थे।
(ग) काबुल हाथियों के व्यापार का मुख्य केन्द्र था ।
(घ) सूरत बंगाल की खाड़ी पर स्थित एक महत्वपूर्ण
व्यापारिक पत्तन था ।
उत्तर (क) सही, (ख) गलत, (ग) गलत, (घ) गलत। प्रश्न
3. तंजावूर नगर को जल की आपूर्ति कैसे की जाती
थी ?
उत्तर – तंजावूर नगर को जल की आपूर्ति कुँओं और तालाबों से की जाती थी।
प्रश्न 4. मद्रास जैसे बड़े नगरों में स्थित ‘ब्लैक टाउन्स’ में कौन रहता था ?
उत्तर– मद्रास जैसे बड़े नगरों में स्थित ‘ब्लैक टाउन्स’ में भारतीय विशेषकर देशी व्यापारी तथा शिल्पकार, कारीगर, मजदूर आदि रहते थे।
आइए समझे
प्रश्न 5. आपके विचार से मंदिरों के आस-पास नगर क्यों ‘विकसित हुए ?
उत्तर– मंदिर अकसर समाज और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए ही अत्यन्त महत्वपूर्ण होते थे। मंदिर नगरों के विकसित होने के निम्नलिखित कारण हैं
(i) राजा लोग मंदिरों को भूमि एवं धन अनुदान में देते थे।
(ii) मंदिरों के कर्ता-धर्ता मंदिर के धन को व्यापार एवं साहूकारी में लगाते थे।
(iii) दर्शनार्थी भी दान-दक्षिणा दिया करते थे।
(iv) मंदिरों को मिले धन से तीर्थयात्रियों तथा पुरोहित-पंडितों को भोजन कराया जाता था।
(v) समय के साथ-साथ धीरे-धीरे बड़ी संख्या में पुरोहित • पुजारी, कामगार, शिल्पी, व्यापारी आदि मंदिर तथा उसके दर्शनार्थियों एवं तीर्थयात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा . करने के लिए मंदिर के आस-पास बसते गए। ऐसे में मंदिर नगरों का आविर्भाव हुआ।
प्रश्न 6. मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन कितने महत्वपूर्ण थे ?
उत्तर-मध्य युग के मंदिर एक प्रकार से शिल्प उत्पादन के केन्द्र थे। शिल्पीजनों में विशेषकर सुनार, लोहार, कसेरे, राजमिस्त्री, बढ़ई आदि मंदिरों के निर्माण से लेकर उनके रखरखाव का कार्य करते थे। किसी पर्व अथवा उत्सव के समय मंदिरों के लिए झंडे-झंडियाँ बनाने का काम तथा खूबसूरत कांस्य मूर्तियाँ एवं सुंदर घंटा, धातु के दीप बनाने का काम भी शिल्पीजन ही करते थे।
प्रश्न 7. लोग दूर-दूर के देशों-प्रदेशों से सूरत क्यों आते थे ?
उत्तर- लोगों के दूर-दूर के देशें प्रदेशों से सूरत आने के निम्नलिखित कारण थे
(i) सूरत ओरमुज की खाड़ी से होकर पश्चिमी एशिया के
साथ व्यापार करने के लिए मुख्य द्वार था।
(ii) सूरत में पुर्तगालियों, डचों और अंग्रेजों के कारखाने एवं मालगोदाम थे।
(iii) सूरत को मक्का का प्रस्थान द्वार भी कहा जाता था क्योंकि बहुत से हज यात्री जहाज से यहीं से रवाना होंते थे।
(iv) सूरत के वस्त्र पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बाजारों में बेचे जाते थे ।
(v) सूरत में बड़ी-बड़ी साहूकारी कम्पनियाँ थीं, सूरत से जारी की गई हुंडियों को काहिरा (मिस्र), बसरा (इराक) और एंटवर्प (बेल्जियम) के बाजारों में मान्यता प्राप्त थी।
प्रश्न 8. कलकत्ता जैसे नगरों में शिल्प उत्पादन तंजावूर जैसे नगरों के शिल्प उत्पादन से किस प्रकार भिन्न था ?
उत्तर – तंजावूर एक मंदिर नगर था, जो शिल्प उत्पादन का केन्द्र था। इस नगर का आविर्भाव कोलकाता से बहुत पहले ही हो गया था। तंजावूर नगर में कांस्य मूर्तियाँ, धातु के दीपदान, आभूषण, मंदिर के घंटे आदि का निर्माण बड़े पैमाने पर होता था जबकि कोलकाता नगर में मुख्यतः सूती, रेशमी वस्त्र व जूट का उत्पादन होता था।
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● लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. मंडपिका और हट्ट से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर– आठवीं शताब्दी से ही उपमहाद्वीप में अनेक छोटे-छोटे नगरों का प्रादुर्भाव बड़े-बड़े गाँवों से होने लगा था । उनमें एक मंडपिका होती थी, जहाँ आस-पास के गाँव वाले अपनी उपज बेचने के लिए लाते थे, जिन्हें बाद में मंडी कहा जाने लगा। उन्हीं गलियों में कुछ दुकानें एवं बाजार थे जिन्हें हट्ट कहा जाता था, जिन्हें बाद में हाट कहा जाने लगा।
प्रश्न 2. मध्य युग के व्यापारिक समूहों का उल्लेख करें।
उत्तर-मध्य युग में व्यापारी अपने हितों की रक्षा के लिए व्यापार संघ बनाते थे। इसके अलावा चेट्टियार और मारवाड़ी ओसवाल जैसे समुदाय भी थे जो आगे चलकर देश के प्रधान व्यापारी समूह बन गए। गुजराती व्यापारियों में हिन्दू बनिया और मुस्लिम बोहरा दोनों समुदाय शामिल थे।
प्रश्न 3. राजस्थान से प्राप्त दसवीं शताब्दी के अभिलेख के अनुसार उन करों का उल्लेख कीजिए, जो मंदिर प्राधिकारियों द्वारा वसूले जाते थे।
उत्तर – राजस्थान से प्राप्त दसवीं शताब्दी के अभिलेख में मंदिर प्राधिकारियों द्वारा वसूलने जाने वाले ‘कर’ का उल्लेख है। ये ‘कर’ वस्तुओं के रूप में वसूले जाते थे, जो निम्न हैं शक्कर, गुड़, रंग, धागा, रुई, नारियल, नमक, सुपारी, मक्खन,तिल का तेल और कपड़े आदि पर कर लगाए जाते थे।
इसके अतिरिक्त व्यापारियों पर धातु की चीजें बेचने वालों, आसवकों, तेल, पशुचारे और अनाज के बोरों पर भी कर लगाए जाते थे। इनमें से कुछ कर वस्तु के रूप में तथा कुछ अन्य नकद रूप में वसूले जाते थे।
प्रश्न 4. विजय नगर के शासकों द्वारा किए गए जल प्रबन्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर– विजय नगर के शासकों ने अपने शासनकाल में कई जलाशयों तथा नहरों का निर्माण करवाया। मालदेवी नदी के ऊपर 1.37 किमी. लम्बे मिट्टी के बाँध वाले अनंतराज सागर जलाशय का निर्माण हुआ।
कृष्णदेव राय ने दो पहाड़ियों के बीच एक विशाल प्रस्तर बाँध का निर्माण विजयनगर के निकट एक विशाल झील के निर्माण के लिए किया, जहाँ से जल को जलसेतु और नहरों द्वारा बगीचों और खेतों तक सिंचाई के लिए पहुँचाया जाता था।