NCERT Solutions for Class 10th Hindi Kshitij Chapter 9 lakhanavee andaaj Questions and Answer || लखनवी अंदाज
इस पोस्ट में हमने NCERT Solutions for Class 10 th Hindi Kshitij Chapter 9 lakhanavee andaaj में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Class 10 th Hindi Chapter 9 लखनवी अंदाज के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 10th Hindi Chapter 9 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 10th All Subjects Solution |
2. | Class 10th Hindi Solution |
3. | Class 10th Sanskrit Solution |
4. | Class 10th Science Solution |
5. | Class 10th Social science Solution |
6. | Class 10th Math Solution |
7. | Class 10th English Solution |
प्रश्न 1. लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं ?
उत्तर- कहानी लिखने के लिए एकान्त स्थान प्राप्त करने के विचार से लेखक ने एक छोटे सेकेण्ड क्लास के डिब्बे में प्रवेश किया परन्तु अनुमान के विपरीत पहले से ही नवाब साहब डिब्बे में मौजूद थे। लेखक ने गौर किया कि उसके अचानक आ जाने से नवाब साहब की आँखों में अपना एकांत भंग होने का असंतोष झलक रहा था । नवाब साहब ने अपनी तरफ से लेखक से परिचय बढ़ाने या बात करने का उत्साह नहीं दिखाया। वे लेखक के प्रति उपेक्षा दिखाने के लिए खिड़की से बाहर देखते रहे । नवाब साहब के इन हाव-भावों से लेखक को लगा कि वह उससे बातचीत करने के लिए जरा भी उत्सुक नहीं थे।
प्रश्न 2. नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सूंघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा ? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है ?
उत्तर- नवाब साहब लेखक पर अपनी खानदानी रईसी का प्रभाव जमाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने खोरे के आस्वादन का एक निहायत नया तरीका पेश किया। बड़े मनोयोग से खीरे तैयार करने के बाद उन्होंने उसकी फाँकों को केवल सूचकर ही उसके स्वाद का आनंद लेने का अभिनय किया । वह खानदानी रईसों की नजाकत, नफासत और तहजीब का प्रदर्शन करके लेखक को हीनता का अनुभव कराना चाहते थे । उनकी इन चेष्टाओं से प्रकट होता है कि वह खुद को आम आदमियों से विशिष्ट दिखावे की सनक से पीड़ित थे। उनके स्वभाव में खानदानी रईसी का मिथ्या दम्भ था ।
प्रश्न 3. बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है ? यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत है ?
उत्तर- यशपाल स्वयं एक कहानीकार है। वह कहानी की रचना के शिल्प और प्रक्रिया से भली-भाँति परिचित है । अतः ‘नई कहानी’ को विचित्र मान्यताओं पर व्यंग्य करना उनके लिए स्वाभाविक है। हम उनके इस विचार से सर्वथा सहमत हैं कि बिना विचार, घटना और पात्रों के कहानी की रचना संभव नहीं । अतः विचार, घटना और पात्र रहित रचना को लीक से हटकर कुछ लिखने का कौतुक ही कहा जा सकता है, उसे कहानी नहीं कहा जा सकता ।
प्रश्न 4. आप इस निबन्ध को और क्या नाम देना चाहेंगे ?
उत्तर- कहानी के कथ्य और उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इसे अन्य उपयुक्त शीर्षक भी दिए जा सकते हैं, जैसे – नवाबी शान, खानदानी रईस, नवाबी सनक, दिखावटी जिन्दगी इत्यादि ।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5. (क) नवाब साहब द्वारा खोरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए ।
(ख) किन-किन चीजों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं ?
उत्तर- (क) नवाब साहब ने कुछ समय अनिश्चय और असमंजस में रहने के बाद खीरे खाने का दृढ़ निश्चय किया। उन्होंने तौलिया अपने सामने बिछाया, फिर खीरों को लोटे के पानी से खिड़की के बाहर धोया। इसके बाद उन्होंने जेब से चाकू निकाला और खीरों के सिरों को काट दिया। खीरों को सिरे पर गोद-गोदकर उनका कड़वा भाग निकाल दिया। इसके बाद उन्होंने खीरों को सावधानी से छोला और उसको फाँके काटकर तौलिए पर करीने से रख दी। उन्होंने खीरेवाले द्वारा दी गई नमक, जीरे और लाल मिर्च की पुड़िया निकालकर खीरे की फाँकों पर बुरक दिया। यह सारी तैयारी करते हुए उनके हाव-भाव और जबड़े की हरकत से पता चल रहा था कि खीरे के स्वाद की कल्पना से उनके मुँह में पानी आ रहा था।
(ख) हम अनेक चीजों का स्वाद लेना चाहते हैं। प्रत्येक के रसास्वादन के लिए अलग-अलग तरह की तैयारी करनी होती है । फल खाने के लिए उसे धोकर काटना पड़ता है तथा मसाला छिड़कना पड़ता है। सब्जी खाने के लिए उसे साफ करना, धोना, तेल घी में छोंकना तथा पकाना पड़ता है। फल का रस पीना हो तो उसका जूस निकालना पड़ता है, रोटी खानी हो तो आटा पानी के साथ गूदना पड़ता है, उसकी लोई बनाकर बेलना पड़ता है फिर तबे और आग पर सेंकना पड़ता है, उसे श्री से चुपड़ना पड़ता है इत्यादि ।
प्रश्न 6. खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा किसी एक के बारे में लिखिए।
उत्तर- एक नवाब साहब के एक वंशज को कुल्फे की कढ़ी बहुत पसंद थी। एक बार कुल्फा न मिला तो उन्होंने पूरे शहर की सब्जी मण्डियों में कुल्फे की तलाश की। एक दुकान से कुल्फा लाकर कड़ी बनवाई। बनने के बाद उसे एक बड़े कटोरे में रखा और नाली में फेंक आए। इस कुल्फे ने मुझे पूरे शहर में घुमाया। इसकी अब यही सजा है।
प्रश्न 7. क्या सनक का कोइ सकारात्मक रूप भी हो सकता है ? यदि हाँ, तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- सनक के अनेक सकारात्मक पक्ष भी देखने में आते हैं। शूरवीरों के कीर्तिमान, पर्वतारोहियों की मृत्यु- संकट को चुनौती, अन्वेषकों के रोमांचकारी अभियान, वैज्ञानिकों के चमत्कारी अनुसंधान, स्वतंत्रता आन्दोलन के सेनानियों का आत्मबलिदान है।