NCERT Solutions for Class 10th Hindi Kshitij Chapter 11 Naubatakhaane mein ibaadat यतीन्द्र मिश्र
इस पोस्ट में हमने NCERT Solutions for Class 10 th Hindi Kshitij Chapter 11 naubatakhaane mein ibaadat में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Class 10 th Hindi Chapter 11 नौबतखाने में इबादत के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 10th Hindi Chapter 11 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 10th All Subjects Solution |
2. | Class 10th Hindi Solution |
3. | Class 10th Sanskrit Solution |
4. | Class 10th Science Solution |
5. | Class 10th Social science Solution |
6. | Class 10th Math Solution |
7. | Class 10th English Solution |
प्रश्न 1. शहनाई की दुनिया में डुमरांव को क्यों याद किया जाता है ?
उत्तर- डुमराँव प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्ला खाँ की जन्मभूमि है और यहाँ की सोन नदी के तट पर नरकट घास मिलते है जिससे शहनाई की रोड बनाई जाती है। यही कारण है कि शहनाई की दुनिया में डुमराँव को याद किया जाता है।
प्रश्न 2. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है ?
उत्तर- शहनाई मंगलमय अवसरों पर बजाया जाने वाला वाद्य है। बिस्मिल्ला खाँ देश के महानतम शहनाई वादक रहे हैं। उनकी जोड़ का कोई दूसरा शहनाई वादक नहीं है। अत: बिस्मिल्ला को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा गया है।
प्रश्न 3. सुषिर वाद्यों से क्या अभिप्राय है ? शहनाई को ‘सुधिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी ?
उत्तर- संगीत शास्त्र के अनुसार फूँककर बजाए जाने वाले वाद्यों को सुधिर वाद्य कहा जाता है। शहनाई अरब देशों की देन मानी जाती है । वहाँ नाड़ी या रोड से युक्त वाद्य को ‘नय’ कहा जाता है। शहनाई की ध्वनि सबसे मधुर होने के कारण शाहेनय’ अर्थात् ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ कहा गया । ‘शाहेनय’ शब्द ही कालान्तर में ‘शहनाई’ हो गया।
प्रश्न 4. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) ‘फटा सुरन । सुगिया का क्या है, आज फटी है तो कल सी जाएगी।’
(ख) ‘मेरे मालिक सुरबख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकार आएँ ।’
उत्तर- (क) फटी लुंगी पहनने पर अपनी शिष्या द्वारा टोके जाने पर बिस्मिल्ला खाँ ने यह बात कही। उन्होंने ईश्का से यही दुआ माँगी कि उनकी शहनाई से कभी कोई बेसुरी ध्वनि न निकले। फटी लुंगी तो सिली जा सकती है लेकिन फटे स्वर से मिली बदनामी को मिटाना मुश्किल होगा खाँ साहब को मिली पहचान और सारे सम्मान उनके सुरीले शहनाई वादन के कारण थे न कि उनकी वेश-भूषा के कारण ।
(ख) खाँ साहब ख़ुदा से याचना करते हैं कि वह उनके शहनाई वादन में ऐसा सच्चा सुर ऐसा मार्मिक प्रभाव उत्पन्न कर दें जिससे सुनने वालों की आँखों से सहज ही आनंद के आँसू टपकने लगे । श्रोता उनको शहनाई सुनकर गद्गद् हो जाएँ।
(ग) काशी को आनन्द कानन यानि आनन्द से पूर्ण वन इसलिए कहा गया है कि काशी के पास सुर और लय की तमीज रखने वाले उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ जैसा नायाब हीरा था।
प्रश्न 5. काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे ?
उत्तर- खाँ साहब देख रहे थे कि बाजार से मलाई बरफ बेचने वाले गायब हो गए देशी घी से बनी कचौड़ी जलेबी में पहले वाला स्वाद नहीं रहा गायक लोग संगत करने वालों का उचित सम्मान नहीं करते। घंटों रियाज़ करने वाले संगीतकारों को पूछ नहीं रही और काशी से संगीत, साहित्य और अदब की अनेक भव्य परंपराएँ भी लुप्त हो गई । इन्हीं परिवर्तनों को देखकर उनके मन को व्यथा होती थी।
प्रश्न 6. पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि-
(क) विस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे ।
(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इंसान थे ।
उत्तर- (क) बिस्मिल्ला खाँ हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों के मेल-जोल के प्रत्यक्ष उदाहरण थे। एक ओर वह इस्लाम में पूर्ण आस्था रखने वाले सच्चे मुसलमान थे। मुसलमानों के सभी धार्मिक आयोजनों, त्योहारों और पर्वो में पूरी श्रद्धा से भाग लेते थे । पाँचों वक्त की नमाज अदा करते थे। दूसरी ओर वह हिन्दुओं की आस्था के प्रतीकों को भी पूरा सम्मान देते थे। वह काशी में निवास करना अपना सौभाग्य मानते थे । बाबा विश्वनाथ और बालाजी के मंदिरों में वह शहनाई बजाते थे। गंगा उनके भी लिए ‘मैया’ समान थी। हिन्दू संस्कृति से उनका यह लगाव श्रद्धा और सम्मान से प्रेरित था, दिखावे से नहीं। काशी से बाहर रहने पर भी वह इसे नहीं भूलते थे। अपना शहनाई वादन आरम्भ करने से पूर्व वह बालाजी मंदिर की दिशा में मुँह करके कुछ समय शहनाई बजाते थे। इस प्रकार वह मिली-जुली संस्कृति के जीते-जागते प्रतीक थे।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ एक महान कलाकार होने के साथ ही एक सच्चे इंसान भी थे । उनका हृदय हर प्रकार के कट्टरपन और पूर्वाग्रह से मुक्त था। उनके विचारों और व्यवहार में उदारता और कृतज्ञता झलकती थी। उन्होंने स्वयं को काशी की परंपराओं से एकाकार कर लिया था। ‘भारतरत्न’ जैसा सर्वोच्च सम्मान पाकर भी उनका जीवन सादगी और संवेदनशीलता से पूर्ण रहा। अहंकार उनको छू तक नहीं गया था। उन्होंने अपनी कला को लोगों को आनंदित करने का साधन माना और ईश्वर से केवल कला में निखार की प्रार्थना की धन-वैभव की नहीं । इस प्रकार बिस्मिल्ला खाँ में एक सच्चे इंसान के सभी गुण विद्यमान थे
प्रश्न 7. बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया।
उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ के मन में संगीत के प्रति लगाव उत्पन्न करने और उनकी संगीत साधना को समृद्ध बनाने में अनेक लोगों का योगदान रहा । रसूलनबाई तथा बतूलनबाई को तुमरी, दो और दादरा सुन-सुनकर उनको संगीत में रुचि जागी। वह अपने नाना को शहनाई बजाते सुनते थे। माम अलोवख्श के शहनाई वादन में सम आने पर वह जमीन पर पत्थर पटकर दाद देते थे।