NCERT Solution for Class 10 Hindi kritika Chapter 1 Mata ka Anchal Questions Answers || माता का अंचल
इस पोस्ट में हमने NCERT Solutions for Class 10 th Hindi kritika Chapter 1 Mata ka Anchal में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Class 10 th Hindi Chapter 12 माता का अंचल के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 10th Hindi Chapter 1 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 10th All Subjects Solution |
2. | Class 10th Hindi Solution |
3. | Class 10th Sanskrit Solution |
4. | Class 10th Science Solution |
5. | Class 10th Social science Solution |
6. | Class 10th Math Solution |
7. | Class 10th English Solution |
प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है ?.
उत्तर- यह सही है कि कहानी में बच्चे का अपने पिता से ही अधिक जुड़ाव दिखाया गया है। वह उन्हीं के साथ उठता बैठता, सौता, नहाता-धीता, खाता और घूमता है । लेखक के हो शब्दों में उसका माता से केवल दूध पीने तक का हो नाता था । किन्तु भय की व्याकुलता में उसे केवल माँ की याद आई। वह पिता को पुकार को अनसुना करके सीधा माँ की गोद में जा छिपा । बच्चे के इस व्यवहार का कारण यही हो सकता है कि माँ के हृदय में संतान के प्रति अबाध और अकारण लाइ, दुलार, आश्वासन और भावनात्मक जुड़ाव होता है। उसके ममतापूर्ण कोमल स्पर्श में एक जादू होता है जो बच्चे के तन और मन की पीड़ा पर मरहम का काम करता है। प्यार तो पिता भी करते हैं लेकिन उस प्यार में अनुशासन और औपचारिकता का भी पुट रहता है। बच्चे को यह भी आशंका रही होगी कि अपनी शरारत के कारण हुई दुर्दशा को देखकर पिता उसे फटकार भी सकते थे। बच्चे की दशा को देख माँ का रो पड़ना हो इस प्रश्न का सारा समाधान कर देता है।
प्रश्न 2. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ?
उत्तर- भोलानाथ को अपने साथियों के साथ खेलने-कूदने और नाना प्रकार की शरारतें करने में बड़ा आनंद मिलता है। उन्हीं बाल सखाओं को सामने देखकर उसका मन उनके साथ मस्ती करने को मचलने लगता है। इसी कारण वह सिसकना भूलकर बाल मण्डली में शामिल हो जाता है ।
प्रश्न 3. आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए ।
उत्तर- मेरा बचपन गाँव में बीता है। वहाँ बच्चे खेल-कूद और मनोरंजन आदि में ऐसी तुकबंदी किया करते थे। एक मोटे साथी को चिढ़ाने के लिए कहते हैं।
प्रश्न 4. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर – भोलानाथ और उसके साथी ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे थे । उनके खेल और खेल सामग्री भी ग्रामीण वातावरण के अनुसार थो । वे बच्चे टूटी-फूटी वस्तुओं, मिट्टी, बेलों, घासफूस, चिथड़ों से ही अपनी खेल सामग्री सजा लेते थे । झुंड बनाकर गलियों में उछल-कूद करना, लोगों को चिढ़ाना, हलवाई की दुकान सजाना, बरात निकालना, खेती करना, चिड़ियों के पीछे भागना आदि उनके खेल थे । आज तो हमारे खेल और खेल-सामग्री पूरी तरह बदल चुके हैं। बच्चों को झुंड में देख पाना हो दुर्लभ हो गया है । आज के बच्चे लूडो, साँप सीढ़ी, कैरम, गेंद बल्ला आदि से खेलते हैं । उनको प्लास्टिक के खिलौने, बैटरी से चलने वाली कार, रिमोट से उड़ने वाले हैलीकोप्टर और हवाई जहाज दिलाए जाते हैं। आज बच्चों का प्रिय मनोरंजन वीडियो गेम्स और टी.वी. है। भोलानाथ की तरह गली में नंग-धड़ंग घूमने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज के शहरी बच्चों के बचपन में उस मस्ती और आजादी का नामोनिशान भी नहीं दिखता।
प्रश्न 5. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों ?
उत्तर- पाठ में ऐसे अनेक प्रसंग हैं जो दिल को छूने वाले हैं। भोलानाथ का दर्पण में अपना मुँह निहारना और पिता की नजर पड़ते ही लजाकर दर्पण को रख देना । पिता का भोलानाथ के साथ खिलवाड़ करना और उसका चुम्मा लेना । माता द्वारा भोलानाथ को बहलाकर भोजन कराना। पाठ का सबसे अधिक हृदय को छूने वाला प्रसंग, साँप से भयभीत होकर भोलानाथ का भागते हुए घर आना और माँ की गोद में जा छिपना है।
प्रश्न 6. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं।
उत्तर- आज की ग्रामीण संस्कृति में तीस के दशक की तुलना में बहुत परिवर्तन आ गए हैं। ग्रामीण जीवन पर शहरी सभ्यता का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। अब ग्रामीण बच्चे मौज-मस्ती करते दिखाई नहीं देते। माता-पिता बच्चों की शिक्षा पर अधिक ध्यान देते हैं। बच्चों का झुंडों में विचरना और पहले जैसे खेल खेलना यदा-कदा ही दिखाई देता है। खेती मैं भी ट्यूबवेल, ट्रेक्टर, थ्रेशर आदि यंत्रों का प्रयोग हो रहा है। कुओं का स्थान अब हैण्डपम्पों ने ले लिया है। ग्रामीण जीवन को सरसता और सादगी गायब होती जा रही है।
प्रश्न 7. पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।
उत्तर-संकेत: छात्र स्वयं लिखें ।
प्रश्न 8. यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर- ‘माता का अँचल’ पाठ में माता-पिता के वात्सल्य भाव का बड़ा हृदयस्पर्शी चित्रण हुआ है । भोलानाथ के पिता उसे अत्यन्त प्यार करते हैं। वह उसे अपने साथ ही सुलाते, जगाते, नहलाते और खाना खिलाते हैं। उसके माथे पर त्रिपुंड लगाकर उसे अपने साथ पूजा पर बिठाते हैं। उसे कंधे पर बिठाकर घुमाने ले जाते हैं। उसके साथ मित्र के समान अठखेलियाँ और चुहलबाजी करते हैं। उसके खेलों में भाग लेकर उसे उत्साहित करते हैं । उनके लाड़ में माता जैसी ही सरसता है।
भीलानाथ की माता भी उस पर बड़ा लाड़ करती है। उसे पिता द्वारा बच्चे को भोजन कराए जाने से संतोष नहीं ता। उसे बहला-बहलाकर अपने हाथ से भोजन कराती है। पेट भरा होने पर भी भोलानाथ उसके हाथ से खाना खाने में आनंद अनुभव करता है । यह उसके सच्चे लाड़-प्यार का ही प्रभाव है कि सदा पिता के साथ रहने वाला बच्चा संकट के समय पिता के पास न जाकर माँ की गोद में अपने को सुरक्षित समझता है। बच्चे को भयभीत देखकर माँ व्याकुल हो जाती है और उसकी ममता आँसू बनकर टपकने लगती है।
प्रश्न 9. ‘माता का अँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए ।
उत्तर- पाठ का शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है । रचना के शीर्षक का संबंध उसको मुख्य घटना या उसके संदेश से हुआ करता है। लेखक बच्चों पर माता की ममता और उसके लाड़-प्यार की महत्ता को सिद्ध करना चाहता है। पिता से अत्यन्त लगाव होने पर भी बच्चे को माँ की गोंद ही सबसे सुरक्षित और शांतिदायक स्थान लगती है। पिता पुकारते रह जाते हैं और बच्चा भागता हुआ माँ के अंचल में जा छिपता है। यही इस पाठ की प्रमुख घटना है और इसी में पाठ का संदेश भी निहित है अतः यह शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है। अन्य शीर्षक ‘मेरा बचपन’ हो सकता है ।
प्रश्न 10. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?
उत्तर- बच्चे माता-पिता के प्रति अपना प्रेम सदा उनके साथ रहकर, उनको अपने खेल से रिझाकर उनकी गोद में बैठ कर, मचलकर तथा उन्हें अपनी बाल -क्रीड़ाओं में सहभागी बनाकर अभिव्यक्त किया करते हैं।
प्रश्न 11. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है ?
उत्तर- ‘माता का अंचल’ पाठ में लेखक ने बच्चों की जिस दुनिया का वर्णन किया है वह हमारे बचपन की दुनिया से पूरी तरह भिन्न है। पाठ के बच्चों की दुनिया देहाती क्षेत्र की दुनिया है। वहाँ खेत हैं, मिट्टी है, टोले हैं, बाग-बगीचे है जहाँ बच्चे मुक्त भाव से विचरण करते हैं, खेल-तमाशे करते हैं। उनका खेल-जगत् उनकी कल्पना और बुद्धि की उपज है।
इसके विपरीत हमारी दुनिया शहरी वातावरण में बँधी-कसी है। उन बच्चों को माता-पिता का जो लाड़-प्यार मिलता था वह हमारे भाग्य में कहाँ पिता अपने काम-धन्धे में व्यस्त रहते हैं तो माता घर के काम के बोझ से थकी रहती हैं। तीन साल का होते ही मुझे बरता थमाकर स्कूल भेज दिया गया। तब से घर से स्कूल और स्कूल से घर, यही मेरे बचपन को कहानी बन गई । उन बच्चों जैसी मौज-मस्ती, उछल-कूद, सामूहिकता हमारे लिए एक सपने के समान थी हमारे खेल और खिलौने भी उनसे पूरी तरह भिन्न थे। उनकी तरह गली में नंग-धड़ंग घूमने को तो शहरी बच्चा सोच भी नहीं सकता। उसे तो सिर से पाँव तक कपड़ों से ढँका रखा जाता है।