NCERT Solutions for Class 10th Hindi Kshitij Chapter 10 ek kahaanee yah bhee || एक कहानी यह भी
इस पोस्ट में हमने NCERT Solutions for Class 10 th Hindi Kshitij Chapter 10 ek kahaanee yah bhee में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Class 10 th Hindi Chapter 10 एक कहानी यह भी के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 10th Hindi Chapter 10 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 10th All Subjects Solution |
2. | Class 10th Hindi Solution |
3. | Class 10th Sanskrit Solution |
4. | Class 10th Science Solution |
5. | Class 10th Social science Solution |
6. | Class 10th Math Solution |
7. | Class 10th English Solution |

प्रश्न 1. लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- लेखिका के व्यक्तित्व को प्रमुख रूप से दो व्यक्तियों ने गहराई से प्रभावित किया । एक थे उसके पिता और दूसरी थीं हिन्दी प्राध्यापिका शीला अग्रवाल । पिता का प्रभाव लेखिका के पिता ने लेखिका के व्यक्तित्व को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूप में प्रभावित किया। उन्होंने बेटी को राजनैतिक बहसों में शामिल करके उसे जागरूक बनाया। उसे रसोई तथा घर के काम से दूर रखकर उसको प्रतिभा को निखारने का अवसर प्रदान किया। कॉलेज में छात्राओं पर उसके प्रभाव की प्रशंसा करके उसे निर्भीक और नेतृत्व कुशल बनने को प्रोत्साहित किया । इसी के साथ उन्होंने अपने कठोर नियंत्रण से उसमें होनता की भावना को भी जन्म दिया । पिता से निरंतर मतभेद रहने के कारण वह हठी और विद्रोही भी बन गई ।
शीला अग्रवाल का प्रभाव- लेखिका की हिन्दी- प्राध्यापिका शीला अग्रवाल एक देशभक्त और क्रांतिकारी विचारों – वाली महिला थीं । उन्होंने लेखिका को अपनी जोशीली बातों से घर की चारदीवारी से बाहर आकर स्वतंत्रता आंदोलन में खुलकर भाग लेने की प्रेरणा दी। शीला जी ने लेखिका को आत्मविश्वासी और स्वतंत्र निर्णय लेने वाली बनाया ।
प्रश्न 2. इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है ?
उत्तर- ‘भटियारखाना’ शब्द का मूल अर्थ वह स्थान है जहाँ भट्ठी या चूल्हा जलता रहता है। खाना बनाने का काम करने वालों को भटियारा कहा जाता है। इस शब्द का सांकेतिक अर्थ है- वह स्थान जहाँ असभ्य लोग शोरगुल मचाते रहते है, अव्यवस्था छाई रहती है । पाठ में इस शब्द का पहला अर्थ ग्रहण किया गया है। रसोईघर में सिर्फ खाना बनाने का काम चलता रहता है। रसोईघर में व्यस्त रहने वाली लड़कियों की प्रतिभा व्यर्थ नष्ट हो जाती है। लेखिका के पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी रसोई तक ही सीमित रह जाए वह उसकी प्रतिभा और मौलिक गुणों को प्रकाशित होते देखना चाहते थे। उसे जागरूक बनाना चाहते थे । इसलिए रसोई को उन्होंने भटियारखाना कहकर बेटी की उससे दूर रहने को कहा था।
प्रश्न 3. वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आंखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर ?
उत्तर- कॉलेज की प्रिंसिपल लेखिका की नेतागीरी से बहुत परेशान थी। उसने एक दिन लेखिका के पिता को कॉलेज बुलवाया। पिता को लगा कि उनकी पुत्री ने कॉलेज में अवश्य कोई गम्भीर शरारत की है अब उनको प्रिंसिपल के सामने शर्मिन्दा और अपमानित होना पड़ेगा। इन विचारों के आने से वह अत्यन्त घबरा गए और बड़े तनाव में कॉलेज पहुँचे । प्रिंसिपल ने लेखिका के सारे कारनामे पिता को सुनाए । उसने कहा कि उसे कॉलेज चलाना मुश्किल हो रहा है। बेटी की इस वीरगाथा का पिता पर उल्टा ही प्रभाव पड़ा । उन्हें अपनी पुत्री के रौब-दाब पर बड़ा गर्व अनुभव हुआ । उन्होंने प्रिंसिपल के सामने खेद प्रकट करने के बजाय कह दिया कि यह आन्दोलन तो वक्त की पुकार है। किसी को उससे जुड़ने से कैसे रोका जा सकता है। घर आकर उन्होंने बड़े गर्व के साथ लेखिका को सारी बातें बताई । बेटी के लिए उनके हृदय में प्रशंसा का भाव उमड़ रहा था। उनका कंठ गद्गद् हो रहा था। यह देख और सुनकर लेखिका चकित रह गई । उसने तो सोचा था कि कॉलेज से लौटकर पिता उस पर खूब बरसेंगे। हो सकता था कि उसका कॉलेज जाना ही बंद कर दें। परन्तु इसके विपरीत अपनी प्रशंसा सुनकर उसे अपनी आँखों और कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था ।
प्रश्न 4. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर- लेखिका और उसके पिता के मतभेदों और टकराहट का मुख्य कारण उनके विचारों का परस्पर विरोधी होन था । लेखिका के पिता चाहते थे कि उनकी बेटी देश और समाज के हालातों से परिचित हो । प्रगतिशील सोचवाली बने लेकिन वह उसे घर की चारदीवारी तक ही सीमित रखना चाहते थे । लेखिका को पिता की यह सीमा स्वीकार नहीं थी पिता के लिए यह असह्य था कि उनकी बेटी लड़कों के साथ शहर की सड़कों पर नारे लगाती, हड़ताल कराती और जुलूस निकालती घूमे । इनके अतिरिक्त लेखिका का पिता की इच्छा के विरुद्ध राजेन्द्र यादव से विवाह करना भी कटुता का कारण बना।
प्रश्न 5. इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आन्दोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए ।
उत्तर- इस आत्मकथ्य में लेखिका ने 1946-47 के मध्य भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की एक झलक प्रस्तुत की है। उस समय सारा देश आज़ादी की चाह में मतवाला हो रहा था। समाज का कोई भी वर्ग इस स्वाधीनता के यज्ञ में अपनी आहुति डालने में पीछे नहीं रहना चाहता था। विशेष रूप से देश का युवा वर्ग तो पूरी तरह आन्दोलन को समर्पित था । देश के हर छोटे-बड़े नगर में प्रभातफेरी, जुलूस, हड़ताले, भाषण, नारे लगाते युवक-युवतियाँ यही दृश्य दिखाई देते थे। छात्रों ने स्कूलों, कॉलेजों का बहिष्कार-सा कर दिया था । लेखिका के शब्दों में उस समय सारा देश आज़ादी की उत्तेजना से खौल रहा था ।
लेखिका ने भी अपनी सम्पूर्ण क्षमता से इस आन्दोलन में भाग लिया। सबसे पहले उसने अपने कॉलेज की छात्राओं को आन्दोलन में सम्मिलित किया। कॉलेज प्रशासन की धमकियों की परवाह न करते हुए उसने छात्राओं में देश-प्रेम और आज़ादी की भावना भर दी। लेखिका के पिता को लेखिका का सक्रिय रूप से आन्दोलन में भाग लेना पसंद नहीं था। लेकिन लेखिका ने पिता के विरोध की उपेक्षा करते हुए आन्दोलन में पूरे जोश से भाग लिया। वह अन्य लड़कों के साथ शहर में नारे लगाती, हड़ताल कराती और भाषण देती घूमती थी। उसके धुआंधार भाषण से लोगों की भीड़ में उत्साह भर जाता था।