Avyayibhav samas
इस समास में पहला पद अव्यय होता है तथा वही महत्त्वपूर्ण होता है। दूसरा पद संज्ञा या कुछ भी हो सकता है। प्रथम पद के साथ मिल जाने पर समस्त पद ही अव्यय बन जाता है। अव्ययीभाव समास को समझने से पूर्व अव्यय या अविकारी शब्दों का ज्ञान आवश्यक है।
अव्यय शब्द वे शब्द हैं जिन पर काल, वचन, पुरुष, लिंग आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता अर्थात् जिनका रूप परिवर्तन नहीं होता। ये शब्द जहाँ भी प्रयुक्त किए ते हैं. वहाँ उसी रूप में ही रहेंगे। जैसे यथा, प्रति, आ, हर, बे, नि आदि।यथारूप – रूप के अनुसार
अव्ययीभाव समास के 20 उदाहरण
- यथासंभव – जैसा संभव हो
- यथायोग्य – जितना योग्य हो
- यथास्थिति – जैसी स्थिति है –
- यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
- यथोचित – जैसा उचित है वैसा
- प्रतिक्षण – हर क्षण
- प्रतिदिन – हर दिन
- प्रत्येक – एक-एक
- समक्ष – अक्षि के सामने
- दिनोंदिन -कुछ ही दिन में/
- प्रत्यंग – हर (प्रति) अंग
- रातों-रात – रात ही रात में
- अनुदिन – दिन पर दिन
- अभूतपूर्व – जो पूर्व में नहीं हुआ है,
- निरन्ध्र – रन्ध्र से रहित
- आजानुबाहु – जानु (घुटने) से बाहु तक,
- सकुशल – कुशलता के साथ
- प्रत्युत्तर – उत्तर के बदले उत्तर
- यथार्थ – अर्थ के अनुसार
- नासमझ – बिना समझ के
- सपरिवार – परिवार के साथ
- घर–घर हर घर
- नालायक़ – जो लायक नहीं
- अनजाने – जाने बिना
- विशुद्ध – विशेष रूप से शुद्ध
- अनुवंश – वंश के अनुकूल
- दरहकीकत – हकीकत में
- हरसाल – प्रत्येक साल
- पल-पल – प्रत्येक पल हर
- रोज – प्रत्येक रोज
- चेहरे चेहरे – हर चेहरे पर
- अतिरिक्त – रिक्त से अलग, अलावा
- नित्य प्रति– प्रतिदिन
- प्रत्यारोप – आरोप के बदले आरोप
- अत्यधिक-अधिक से भी अधिक
- नीरोग – रोगरहित
- निडर – बिना डर के
- अनुदान-दान की तरह का दान
- नियोग– ठीक तरह से योग
- अनुबंध-बंध की तरह का बंध
- नियमन – ठीक तरह से यमन
- साफ-साफ – बिल्कुल साफ
- सार्थक – अर्थ के सहित
- यथेच्छ – इच्छा के अनुसार
- सावधान – अवधान के साथ
- सेवार्थ – सेवा के अर्थ (लिए)
- यथामति – मति के अनुसार
- व्यर्थ – बिना अर्थ के
- निर्विरोध– बिना विरोध के
- मरणोपरांत मरण के उपरांत
- नीरव – रव (ध्वनि) रहित
- निर्विकार– बिना विकार के
- लाइलाज – बिना इलाज के
- अतिवृष्टि– वृष्टि की अति
- जीवनभर-पूरे जीवन या जीवन पर्यंत