जनसंचार माध्यम टेलीविजन , समाचार
टेलीविजन जनसंचार का कैसा माध्यम है ?
टेलीविजन देखने और सुनने का माध्यम है अतः इसके लिए समाचार लिखते समय इस बात का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है कि शब्दों का चयन ऐसा हो जो परदे पर दिखाई पड़ने वाले दृश्य के अनुकूल हों।
टेलीविजन के लिए समाचार लेखन में कम से कम लेखन में अधिक से अधिक समाचार बताने की कला का प्रयोग होता है। इस प्रकार टेलीविजन के लिए समाचार लिखने की आवश्यक शर्त दृश्य के साथ लेखन है। दृश्य से तात्पर्य है कैमरे से लिए गए शॉट्स जिनके आधार पर समाचार तैयार किया जाता है। यदि शॉट्स मैदान का है तो मैदान की बात ही लिखी जानी चाहिए, न कि आसमान की। यदि आग लगी है तो हम उसी का वर्णन करेंगे न कि धूल का।
टेलीविजन पर खबरों को कितने चरणों में दर्शकों तक पहुंचती है?
टेलीविजन खबरों के प्रमुख चरण- टी.वी. में सूचनाएँ निम्न चरणों से होकर दर्शकों तक पहुँचती
(i) फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज
(ii) ड्राई एंकर
(iii) फौन-इन
(iv) एंकर विजुअल
(v) एंकर बाइट
(vi) लाइव
(vii) एंकर पैकेज ।
टेलीविजन पर लाइव का क्या अर्थ है?
लाइव – लाइव का अर्थ है- किसी समाचार का घटनास्थल से सीधा प्रसारण। सभी टी.वी. चैनलों का प्रयत्न होता है कि किसी महत्वपूर्ण या बड़ी घटना के दृश्य तुरंत उसी समय दर्शकों को दिखलायें। इसके लिए उस स्थान पर उपस्थित रिपोर्टर और कैमरामैन ओ.बी. वैन के माध्यम से घटना के बारे में सीधे दर्शकों को बताते और दिखाते हैं।
टेलीविजन पर एंकर बाइट का क्या अर्थ है?
एंकर बाइट- बाइट का अर्थ है- कथन। टेलीविजन पत्रकारिता में एंकर बाइट का काफी महत्व है। टेलीविजन में किसी भी समाचार को प्रमाणित करने के लिए इससे संबंधित बाइट दिखाई जाती है। किसी घटना को सूचित करने और उसके दृश्य दिखाने के साथ ही इस घटना के बारे में संबंधित व्यक्तियों अथवा प्रत्यक्ष देखने वालों का कथन सुनाकर एवं दिखाकर समाचार को प्रामाणिक बना दिया जाता है।
टेलीविजन पर फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज क्या होती है?
फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज– कोई सबसे बड़ा समाचार फ्लैश या ब्रेकिंग न्यूज के रूप में तुरन्त दर्शकों तक पहुँचाया जाता है।इसके अंतर्गत कम से कम शब्दों में मात्र सूचना दी जाती है। ड्राई एंकर- इसमें एंकर समाचार के बारे में दर्शकों को बताता है कि कहाँ, क्या, कब, कैसे हुआ। समाचार के दृश्य आने तक एंकर, दर्शकों को रिपोर्टर से प्राप्त जानकारियों के आधार पर सूचनाएँ पहुँचाता है।
टेलीविजन पर फौरन इन का क्या अर्थ है?
फौन-इन– इसके पश्चात् समाचार का विस्तार होता है और एंकर रिपोर्टर से फौन पर वार्तालाप करके सूचनाओं को दर्शकों तक पहुँचाता है। इसमें रिपोर्टर घटना स्थल पर उपस्थित रहकर वहाँ से अधिक से अधिक जानकारियाँ प्राप्त कर उन्हें दर्शकों को बताता है ।
टेलीविजन पर एंकर पैकेज क्या है?
एंकर पैकेज पैकेज किसी भी समाचार को पूर्णता के साथ प्रस्तुत करने का ढंग होता है। इसके अंतर्गत संबंधित घटना के दृश्य, इससे जुड़े लोगों की बाइट आदि आवश्यक सूचनाएँ होती हैं।
रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा और शैली में क्या अंतर है?
रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा और शैली रेडियो तथा टेलीविजन आम आदमी के लिए प्रमुख जनसंचार माध्यम हैं। भारत जैसे विकासशील देश में इसके श्रोताओं व दर्शकों में शिक्षित व्यक्तियों से लेकर निरक्षर तक, मध्यम वर्ग से लेकर किसान व मजदूर तक होते हैं। इन सभी लोगों की सूचना की आवश्यकता को पूरी करना ही इन दोनों का उद्देश्य है। स्पष्ट है कि लोगों तक पहुँचने का माध्यम भाषा है। अतः इन दोनों में प्रयुक्त होने वाली भाषा सरल हो, पर भाषा के स्तर और गरिमा के साथ समझौता नहीं होना चाहिए।
इस प्रकार रेडियो और टेलीविजन समाचार में आपसी बोलचाल की भाषा का प्रयोग ही होना चाहिए। इसके लिए वाक्य छोटे, सीधे और स्पष्ट लिखे जाने चाहिए। रेडियो और टेलीविजन समाचार में भाषा और शैली के स्तर पर अत्यंत सावधानी रखने की आवश्यकता होती है। निम्नलिखित, उपरोक्त, अधोहस्ताक्षरित तथा किन्तु, परन्तु जैसे कठिन शब्दों का प्रयोग समाचारपत्रों में होता है पर रेडियो और टेलीविजन के समाचारों में इनका प्रयोग नहीं किया जाता।
👉👉 जनसंचार के अन्य माध्यम
1 रेडियो
2 इंटरनेट