NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 10 अन्योक्तिय: Hindi & English Translation
इस पोस्ट में हमने Sanskrit Class 10th Chapter 10 अन्योक्तिय: हिंदी अनुवाद में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Sanskrit Class 10th Chapter 10 अन्योक्तिय: के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 10th Sanskrit Chapter 10 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 10th All Subjects Solution |
2. | Class 10th Sanskrit Solution |
3. | Class 10th Hindi Solution |
4. | Class 10th English Solution |
5. | Class 10th Science Solution |
6. | Class 10th Social science Solution |
7. | Class 10th Maths Solution |
एकेन राजहंसेन या शोभा सरसो भवेत् । न सा बकसहस्रेण परितस्तीरवासिना ।।1।।
हिन्दी- -अनुवाद:- एक (ही) हंस से तालाब की जो शोभा होनी चाहिए, चारों ओर किनारे पर रहने वाले हजारों बगुलों से वह शोभा नहीं होती ।
English Translation:- The pond should be adorned by one (only) swan, it is not adorned by thousands of herons living on the banks all around.
भुक्ता मृणालपटली भवता निपीता न्यम्बूनि यत्र नलिनानि निषेवितानि । मेरे राजहंस ! वद तस्य सरोवरस्य, कृत्येन केन भवितासि कृतोपकारः ।।2।।
हिन्दी अनुवाद:- जहाँ आपके द्वारा कमलनालों का समूह खाया गया, जल भलीभाँति पिया गया, कमलों का सेवन किया गया है राजहंस ! उस तालाब का किस कार्य से प्रत्युपकार करने वाले होंगे अर्थात् उसका प्रत्युपकार किस कार्य से करेंगे।
English translation:- Where you have eaten a group of lotuses, drank water well, lotuses have been consumed by flamingos! By what work will they be reciprocating that pond, that is, by what work will they reciprocate it.
तोयैरल्पैरपि करुणया भीमभानौ निदाघे, मालाकार ! व्यरचि भवता या तरोरस्य पुष्टिः । सा किं शक्या जनयितुमिह प्रावृषेण्येन वारां, धारासारानपि विकिरता विश्वतो वारिदेन |13||
हिन्दी अनुवाद:- अरे माली ! सूर्य के अत्यधिक तपने वाले ग्रीष्मकाल में थोड़े पानी से भी आपके द्वारा करुणा के साथ इस वृक्ष का जो पोषण किया गया है (किया जाता है) वर्षा-कालिक जल की सभी ओर से जलधाराओं के प्रवाह से भी जल बरसाते हुए बादल के द्वारा इस संसार में उस पोषण को पैदा करने में समर्थ है क्या ?
English translation:- Hey gardener! This tree which has been nurtured by you with compassion even with a little water in the sun’s scorching summers, rain-water flowing from all sides of the water-streams is also brought to this world by the rain-dropping cloud. Am I capable of producing that nutrition?
आपेदिरेऽम्बरपथं परितः पतङ्गाः, भृङ्गा रसालमुकु लानि समाश्रयन्ते । सङ्कोचमञ्चति सरस्त्वयि दीनदीनो, मीनो नु हन्त कतमां गतिमभ्युपैतु ।।4।।
हिन्दी अनुवाद:- (सरोवर के सूख जाने पर) पक्षी चारों ओर आकाश मार्ग को प्राप्त कर लेते हैं अर्थात् आकाश में उड़ जाते हैं। भौरे आम की मञ्जरी का आश्रय ले लेते हैं (प्राप्त कर लेते हैं) हे तालाब ! तुम्हारे संकुचित हो जाने पर (सूख जाने पर खेद है बेचारी मछलियाँ किस गति को प्राप्त करें (करेंगी) ।
English translation:- (When the lake dries up) the birds attain the path of the sky all around, that is, they fly in the sky. Bhaure takes shelter of mango tree (gets) O pond! When you are shriveled (sorry about being dried up), what speed will the poor fish attain.
एक एव खगो मानी वने वसति चातकः ।पिपासितो वा म्रियते याचते वा पुरन्दरम् ।।5।।
हिन्दी अनुवाद:- एक ही स्वाभिमानी पक्षी पपीहा वन में निवास करता है (वह) या तो प्यासा (ही) मर जाता है अथवा इन्द्र से याचना करता है (किसी अन्य से नहीं) ।
English translation:- Only one self-respecting bird resides in Papiha forest (he) either dies of thirst (himself) or begs Indra (not anyone else).
आश्वास्य पर्वतकुलं तपनोष्णतप्तमुद्दामदाव- विधुराणि च काननानि । नानानदीनदशतानि च पूरयित्वा, रिक्तोऽसि यज्जलद ! सैव तवोत्तमा श्रीः 116 11
हिन्दी अनुवाद:– सूर्य की गर्मी से तपे हुए पर्वतों के समूह को सन्तुष्ट करके और ऊँचे काष्ठों अर्थात् वृक्षों से रहित वनों को आश्वस्त करके अनेक नदियों और सैकड़ों नदों को भरकर हे मेघ ! जो तुम बलहीन (खाली) हो गए हो, वही तुम्हारी उत्तम शोभा है।
English translation:- O cloud filling many rivers and hundreds of rivers by pacifying the group of mountains scorched by the heat of the sun and by reassuring the high woods i.e. forests devoid of trees! That you have become powerless (empty), that is your best beauty.
रे रे चातक ! सावधानमनसा मित्र क्षणं श्रूयता- सम्भोदा बहवो हि सन्ति गगने सर्वेऽपि नैतादृशाः । केचिद् वृष्टिभिरार्द्रयन्ति वसुधां गर्जन्ति केचिद् वृथा, यं यं पश्यसि तस्य तस्य पुरतो मा ब्रूहि दीनं वचः ।17।।
हिन्दी अनुवाद:- हे मित्र पपीहे ! सावधान मन से (ध्यान से) क्षणभर सुनिए कि आकाश में बहुत से बादल हैं (परन्तु) सभी इस प्रकार के नहीं हैं। कुछ तो पानी बरसाकर धरती को गीला कर देते हैं (और) कुछ व्यर्थ ही गर्जते हैं। तुम जिस जिस को देखो उस उसके सामने दीन वचन मत बोलो अर्थात् याचना मत करो ।
English translation:- Hey friend Papihe! Listen for a moment with a careful mind that there are many clouds in the sky (but) not all are of this type. Some wet the earth by raining water (and) some roar in vain. Don’t speak humble words in front of whomever you see, that is, don’t beg.
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न । एकपदेन उत्तरं लिखत-
(क) कस्य शोभा एकेन राजहंसेन भवति ?
उत्तर सरसः।
(ख) सरसः तीरे के वसन्ति?
उत्तर वकसहस्रम्।
(ग) कः पिपासः म्रियते ?
उत्तर चातक:।
(घ) के रसाल मुकुलानि समाश्रयन्ते ?
उत्तर भृङ्गाः।
(ङ) अम्भोदाः कुत्र सन्ति?
उत्तर गगने।
प्रश्न 2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत–
(क) सरसः शोभा केन भवति ?
उत्तरम् – सरसः शोभा एकेन एव राजहंसेन भवति ।
(ख) चातकः किमर्थं मानी कथ्यते ?
उत्तरम् – चातकः तृषितः मरणम् आप्नोति परञ्च सर्वान् वारिदान् न याचते, केवलं पुरन्दरं याचते ।
(ग) मीनः कदा दीनां गतिं प्राप्नोति ?
उत्तरम् – यदा सरः सङ्कोचमञ्चति तदा मीनः दीनां गतिं प्राप्नोति ।
(घ) कानि पूरयि जलदः रिक्तः भवति ?
उत्तरम् – नानानदीनदशतानि पूरयित्वा जलदः रिक्तः भवति ।
(ङ) वृष्टिभिः वसुधां के आर्द्रयन्ति ?
उत्तरम् – अम्भोदाः वृष्टिभिः वसुधां आर्द्रयन्ति ।
प्रश्न 3. अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माण कुरुत-
(क) मालाकारः तोयैः तरोः पुष्टिं करोति
उत्तरम् – मालाकारः कैः तरोः पुष्टिं करोति ?
(ख) भृङ्गाः रसालमुकुलानि समाश्रयन्ते
उत्तरम् – भृङ्गाः कानि समाश्रयन्ते ?
(ग) पतङ्गाः अम्बरपथम् आपेदिरे
उत्तरम् – के अम्बरपथं आपेदिरे ?
(घ) जलदः नानानदीनदशतानि पूरयित्वा रिक्तोऽस्ति ।
उत्तरम् – कः नानानदीनदशतानि पूरयित्वा रिक्तोऽस्ति ?
(ङ) चातकः वने वसति ।
उत्तरम् – चातकः कुत्र वसति ?
प्रश्न 6. उदाहरणमनुसृत्य सन्धिं/सन्धिविच्छेदं वा कुरुत–
उत्तरम् – (क) निपीतानि + अम्बूनि
(ख) कृत + उपकारः – कृतोपकारः ।
(ग) तपन + उष्णतप्तम् – तपनोष्णतप्तम् ।
(घ) तव + उत्तमा – तवोत्तमा ।
(ड) न+एतादृशा: – नैताद्शा: