Ncert Solutions for Class 12th: पाठ 1 आत्मपरिचय, एक गीत आरोह भाग-2 हिंदी ( Aatmprochy)
आत्मपरिचय व दिन जल्दी जल्दी ढलता है /Aniwaray hindi class 12 solution
‘हालावाद’ के प्रवर्तक, कवि-मंच से श्रोताओं को ‘मधुशाला‘ का मधुर प्याला पिलाने वाले कवि हरिवंशराय बच्चन का जन्म सन् 1907 में हुआ था। बच्चन जी की प्रारम्भिक रचनाओं पर फारसी के कवि उमर खय्याम के जीवन दर्शन का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। उनकी रचना ‘मधुशाला‘ की काव्य मंचों पर धूम मच गई थी। प्रतिभाशाली कवि होते हुए भी उनकी कविता आरम्भ में इश्क, प्यार, पीड़ा और मयखाने तक सीमित रही । आगे उसमें गम्भीरता और प्रौढ़ चिंतन को भी स्थान मिला।
रचनाएँ-कवि हरिवंशराय बच्चन की प्रमुख रचनाएँ हैं-मधुशाला, मधुबाला, मधु कलश, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, मिलन यामिनी, सतरंगिणी, आरती और अंगारे आदि हैं। चार खण्डों में बच्चन की आत्मकथा तथा कुछ अनूदित पुस्तकें भी हैं। सन् 2003 में बच्चन जी का देहावसान हो गया।
आत्मपरिचय
कविता के साथ
प्रश्न 1. कविता एक ओर ‘जग-जीवन का भार लिए’ घूमने की बात करती है और दूसरी ओर ‘मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ’-विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है ?
उत्तर– ‘जग-जीवन का भार लिए फिरना’ तथा ‘कभी न जय का ध्यान ‘करना’ कथन विपरीत से लगते हैं लेकिन विपरीत हैं नहीं। पहले कथन का आशय है संसार में रहकर सामाजिक उत्तरदायित्वों की पूर्ति करना। सामाजिक उत्तरदायित्व को कवि ने जग जीवन का भार बताया है। दूसरे कथन का अर्थ है संसार में प्रचलित और मान्य विचारों, परम्पराओं आदि पर चलना। कवि अपने सामाजिक दायित्वों को तो निभाता है परन्तु संसार की परिपाटी पर नहीं चलता।
प्रश्न 2. जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं-कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
उत्तर– जहाँ पर दाना रहते हैं वहीं नादान भी होते हैं-कवि का यह कथन सत्य की खोज के सम्बन्ध में हैं। संसार में ज्ञानी और अज्ञानी दोनों ही रहते हैं किन्तु सत्य के स्वरूप को दोनों ही नहीं समझते। इस सम्बन्ध में दोनों की स्थिति एक जैसी है। अज्ञानी तो अज्ञानी हैं ही परन्तु ज्ञानी होने का अहंकार ज्ञानियों को भी सत्य तक नहीं पहुँचने देता ।
प्रश्न 3. ‘मैं और, और जग और, कहाँ का नाता’-पंक्ति में ‘और’ शब्द की विशेषता बताइए।
उत्तर– ‘मैं और, और जग और कहाँ का नाता’-पंक्ति में ‘ और’ शब्द का तीन बार प्रयोग हुआ है। प्रथम तथा तृतीय बार प्रयुक्त ‘और’ शब्द का अर्थ है- भिन्न या अलग, ये शब्द विशेषण हैं। द्वितीय बार प्रयुक्त ‘ और’ का अर्थ है-‘तथा’। यह अव्यय है। ‘और’ शब्द की आवृत्ति होने तथा उसके अर्थ भिन्न-भिन्न होने से यहाँ यमक अलंकार है। कवि कहना चाहता है कि त्याग और प्रेम पर भरोसा करने वाले कवि को भोगवादी संसार से कोई समानता नहीं है।
प्रश्न 4. ‘शीतल वाणी में आग’-के होने का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर– कवि के कहने का अभिप्राय यह है कि वह वाणी की कोमलता, मधुरता और शीतलता का पक्षधर है। वह अपनी बात कोमल वाणी में कहता है किन्तु इस कोमल वाणी में उसके हृदय को वेदना छिपी है। यही वह आग है जिसे कवि ने शीतल वाणी के माध्यम से व्यक्त करना चाहा है।
प्रश्न 5. बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे ?
उत्तर- बच्चे इस आशा से नीड़ों (घोंसलों) से झाँक रहे होंगे कि उनके माता-पिता उनके लिए भोजन-सामग्री (दाना) लेकर शीघ्र उनके पास आते होंगे। वे उन्हें भोजन के साथ ढेर सारा प्यार भी देंगे।
प्रश्न 6. ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’-की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है ?
उत्तर– ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’-की आवृत्ति से कविता को दो विशेषताओं का पता चलता है
1. इस कविता की रचना गीत-शैली में है। इस कारण स्थायी या टेक (दिन जल्दी-जल्दी ढलता है) को बार-बार कविता में दुहराया गया है।
2. जीवन छोटा है, करने को काम बहुत हैं। इससे मन में जो व्याकुलता हो रही है। उससे लग रहा है कि दिन जल्दी-जल्दी ढल रहा है। कविता में हुई आवृत्ति इस मनोवैज्ञानिक तथ्य को प्रकट करती है।