
Class 7 Hindi Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के :- प्रस्तुत कविता में कवि ने पिंजरों में रखे जाने वाले पक्षियों की मनोभावनाओं से लोगों को परिचित कराया है। पक्षियों को जो आनन्द मुक्त आकाश में विचरण करने से मिलता है, वह उन्हें सोने के पिंजरे में कैद रह कर, स्वादिष्ट पकवान खाने पर भी नहीं मिलता ।
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Hindi |
Chapter | 1 |
Chapter Name | हम पंछी उन्मुक्त गगन के |
Namber of Questions Solved | 25 |
Category | NCERT Solutions |
Class 7th | Sanskrit Solution |
Class 7th | Maths Solution |
Class 7th | Science Solution |
Class 7th | Social science Solutions |
Class 7th | English Solution |
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के Questions and Answer
प्रश्न 1. हर तरह की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते ?
उत्तर- हर प्राणी स्वभाव से स्वतंत्रता प्रिय है। सारी सुख- सुविधाओं से पूर्ण होने पर भी परतंत्रता स्वतंत्रता का स्थान नहीं ले सकती । पिंजरे में बंद करके मनुष्य पक्षी की स्वतंत्रता छीन लेता है । उसकी मुक्त उड़ान की इच्छा को रोक देता है । यही कारण है कि पक्षी सभी सुख-सुविधाएँ दिए जाने पर भी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते ।
प्रश्न 2. पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौनसी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं ?
उत्तर- पक्षी चाहते हैं कि वे नीले आकाश की सीमा तक उड़ते चले जाएँ और तारारूपी अनार के दानों को चुगें । वे चाहते हैं कि धरती और आकाश की मिलन-रेखा तक होड़ लगाकर उड़ें । या तो क्षितिज तक पहुँच जाएँ या फिर उनकी साँसें ही थम जाएँ । पक्षी चाहते हैं कि भले ही उनको घोंसलों और डालियों से वंचित कर दिया जाए, लेकिन उनकी मुक्त उड़ान में बाधा न डाली जाए।
प्रश्न 3. भाव स्पष्ट कीजिए- या तो क्षितिज मिलन बन जाता / या तनती साँसों की डोरी।
उत्तर- पक्षी चाहते हैं कि वे सीमाहीन क्षितिज तक उड़ान भरने को स्वतंत्र हों । इसके लिए वे अपने प्राणों की बाजी लगाने को भी तैयार हैं। यद्यपि क्षितिज कोई वास्तविक स्थल या सीमा नहीं है, वह आगे ही आगे बढ़ता चला जाता है लेकिन क्षितिज को छूने की अभिलाषा जीवन में सर्वोच्च लक्ष्य को पाने की चाह की प्रतीक है। ऐसी चाह केवल स्वतंत्र व्यक्ति ही कर सकता है पराधीन नहीं।
कविता से आगे-
प्रश्न 1. बहुत से लोग पक्षी पालते हैं-
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं ? अपने विचार लिखिए ।
(ख) क्या आपने या आपकी जानकारी में किसी ने कभी कोई पक्षी पाला है? उसकी देख-रेख किस प्रकार की जाती होगी, लिखिए ।
उत्तर- (क) बड़ी से बड़ी सुख-सुविधाएँ भी आजादी का विकल्प नहीं हो सकतीं । उड़ना पक्षियों के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। पिंजरों में बंद करके हम उन्हें उड़ान से वंचित कर देते हैं । अतः पक्षियों को पालने का यह ढंग उचित नहीं । यह उन पर अत्याचार है ।
(ख) मैंने अपने पड़ोस में एक सज्जन को कबूतर पालते हुए देखा है । उन्होंने घर के आँगन में कबूतरों के रहने के लिए दड़बे (घोंसले बना रखे हैं। वह सुबह-शाम उनको आकाश में उड़ाते हैं । उन्होंने छत पर एक ऊँचा मचान या छतरी बना रखी है जिस पर कबूतर बैठते हैं। वह दो बार कबूतरों को दाना खिलाते हैं ।
प्रश्न 2. पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आजादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर-पक्षियों को पालने वाले लोग उन्हें प्रायः पिंजरों में बंद करके रखते हैं। अपने मनोरंजन की खातिर ये लोग पक्षियों को उनकी स्वाधीनता से वंचित कर देते हैं। वे उनके लिए सुंदर और मूल्यवान पिंजरा बनवाते हैं । उनको स्वादिष्ट पदार्थ खाने को देते हैं। यह भूल जाते हैं कि कोई भी सुख-सुविधा आजादी का स्थान नहीं ले सकती । इस प्रकार पिंजरा पक्षी की स्वतंत्रता का हरण कर लेता है। इसके साथ ही पक्षियों को बंदी बनाकर रखने से पर्यावरण पर भी कुप्रभाव पड़ता है। प्रकृति के संतुलन-चक्र में हर प्राणी का अपना स्थान और महत्व है । उसमें मनुष्य का हस्तक्षेप संतुलन को अस्थिर करता है ।
पाठ के अन्य प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. पक्षी पिंजरे में बंद रहकर क्यों नहीं रह सकते ?
उत्तर -पक्षियों को मुक्त आकाश में विचरण करना अत्यन्त उत्तर- प्रिय लगता है ।
प्रश्न 2. कनक- तीलियाँ क्या हैं ?
उत्तर- सोने के पिंजरे में लगी सोने की शलाकाएँ जो पक्षी को बाहर आने से रोकती हैं, कनक-तीलियाँ कहलाती हैं ।
प्रश्न 3. पक्षी भूखे-प्यासे क्यों मर जाएँगे ?
उत्तर-पिंजरे में बंद रहने पर उनको न तो बहता हुआ जल मिलेगा न वृक्षों के ताजा फल मिलेंगे जो उन्हें बहुत पसंद हैं।
प्रश्न 4. ‘कटुक निबौरी’ और ‘कनक-कटोरी की मैदा’ का भावार्थ क्या है ?
उत्तर- -‘कटुक-निवौरी’ स्वाधीनता के कष्टों का और ‘कनक- कटोरी की मैदा’ पराधीनता की सुख-सुविधाओं का संकेत करती हैं ।
प्रश्न 5. ‘स्वर्ण- श्रृंखला के बंधन’ किसे कहा गया है ?
उत्तर- ‘स्वर्ण- श्रृंखला के बंधन’ का अर्थ हैं- सोने के पिंजरे में बंद किया जाना ।
प्रश्न 6. पक्षी सपनों में भी क्या देखते रहते हैं ?
उत्तर – पिंजरों में बंद पक्षी वृक्षों की टहनियों पर झूलने के सपने ही देखते रहते हैं ।
प्रश्न 7. पक्षी अपनी चोंच किसके समान बता रहे हैं ?
उत्तर- पक्षी अपनी चोंच लाल किरण के समान बता रहे हैं।
प्रश्न 8. क्या पक्षी क्षितिज तक पहुँच सकते हैं ?
उत्तर-पक्षी क्षितिज तक नहीं पहुँच सकते क्योंकि क्षितिज कोई वास्तविक वस्तु नहीं केवल दृष्टि का भ्रम मात्र है।
प्रश्न 9. पक्षियों के दुःखी होने के कारण क्या हैं?
उत्तर-पक्षियों को पिंजरों में बंद करके उनकी आजादी छीन ली गई है। अब वे आकाश में मनचाही उड़ान नहीं भर सकते । बहता जल नहीं पी सकते। पिंजरों में बंद रहकर वे अपनी स्वाभाविक जिंदगी नहीं जी सकते । वृक्षों की टहनियों पर झूलना, नीले आकाश में दूर तक उड़ते चले जाना, ये सभी बातें उनके लिए अब सपना हो गई हैं।
प्रश्न 10. पक्षियों को कैसा जीवन प्रिय है और क्यों?
उत्तर- पक्षियों को स्वतंत्र जीवन प्रिय है । वे किसी भी बंधन में नहीं रहना चाहते । बहते जल से प्यास बुझाना, कड़वी निबौरियाँ खाना, मुक्त आकाश में मनचाही उड़ान भरना, यही जीवन उन्हें प्रिय लगता है । इसका कारण यही है कि हर प्राणी स्वतंत्र रहना चाहता है । स्वाधीनता से बढ़कर कोई सुख नहीं हो सकता ।
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