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Reading: Class 10 Hindi Chapter 7 नेताजी का चश्मा Questions Answers
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Sanskrit Dhara Vahini > Class 11 > Class 11 Hindi > Class 10 Hindi Chapter 7 नेताजी का चश्मा Questions Answers
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Class 10 Hindi Chapter 7 नेताजी का चश्मा Questions Answers

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NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 7 नेताजी का चश्मा हिंदी क्षितिज Questions and Answer

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 7 नेताजी का चश्मा पाठ के सभी अभ्यास प्रश्नोत्तर का सरल भाषा में समावेश किया गया है। आप कक्षा 10 हिन्दी के सभी पाठ वाइज नोट्स डाउनलोड करना हो तो इस ब्लॉग पोस्ट में नीचे लिंक दे रखा है वहां से सभी विषयों के फ्री नोट्स प्राप्त कर सकते हैं।

नेताजी का चश्मा
Class 10 Hindi Chapter 7 नेताजी का चश्मा
1.Class 10th All Subject Solution
2.Class 10 Hindi Solution
3.Class 10 Sanskrit Solution
4.Class 10 English Solution
5.Class 10 Science Solution
6.Class 10 Maths Solution
7.Class 10 Social science Solution

प्रश्न 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?
उत्तर- यद्यपि चश्मेवाला कद, काठी, वेश-भूषा और चाल-चल, किसी से भी एक कैप्टन (सैन्य अधिकारी) जैसा प्रतीत नहीं होता था. लेकिन नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के प्रति उसका अत्यन्त सम्मान भाव देखकर लोगों ने आदर या व्य से उसे कैप्टन कहना शुरू कर दिया होगा। आजाद हिन्द फ़ौज में रहे अनेक सेनानी कैप्टन कहकर पुकारे जाते थे, यथ कैप्टन ढिल्लन, कैप्टन लक्ष्मी, कैप्टन शाहनवाज आदि, इसी दर्रे पर लोगों ने चश्मेवाले को भी विनोदवश कैप्टन उपनाम है दिया होगा।

प्रश्न 2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे ?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है ?
(ग) हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो उठे ?

उत्तर- (क) हालदार साहब नेताजी की मूर्ति पर कोई-न-कोई चश्मा लगा हुआ देखने के आदी हो गए थे। करने में प्रवेश करने से पूर्व अचानक उन्हें ध्यान आया कि चश्मेवाले की मृत्यु हो चुकी है और नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने याला अब कोई नहीं था । नेताजी की बिना चश्मेवाली मूर्ति को देखने की सम्भावना नै उनको मायूस कर दिया ।

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह संकेत करता है कि देश में अभी देशभक्ति की भावना जीवित है। कैप्टन की भावना को बनाए रखने वाले अभी मौजूद हैं। सरकंडे का चश्मा लगाने वाला कोई बालक ही होगा । अतः बच्चों में देशभक्ति और स्वतंत्रता सैनानियों के प्रति सम्मान का भाव आशा और उम्मीद जगाता है कि आगामी पौड़ी देश को अवश्य आगे ले जाएगी ।

(ग) हालदार साहब एक संवेदनशील व्यक्ति थे। नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाना उनके लिए सामान्य बात नहीं थी। वह उनकी देशभक्ति की भावना को संतोष प्रदान करने वाली बात थी। एक बच्चे के इस देशभक्तिपूर्ण प्रयास को देखकर उनका हृदय गद्गद् हो । यही उनके भावुक हो जाने का कारण था ।

प्रश्न 3. आशय स्पष्ट कीजिए-

बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी जवानी जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके देती है।” 

उत्तर- कैप्टन चश्मेवाले की मृत्यु की बात सुनकर हालदार साहब स्तब्ध से रह गए। उन्हें लगा कि देशभक्ति के आँगन में टिमटिमाता एक दीपक अचानक बुझ गया जब देश में देशभक्ति मजाक का विषय बन गई हो, चरमेवाले जैसे लोग सनकी और पागल समझे जाते हो, देश और देशभक्तों के प्रति सम्मान का दिखावा मात्र किया जाता हो, तो इस भारतीय कौम का भविष्य उस्वत कैसे हो सकता है?

हालदार साहब को भारतीय नागरिकों की देश और देशभक्तों के प्रति उदासीनता और उपेक्षा की भावना को देखकर घोर निराशा हुई। ऐसे लोग देशभक्तों का तो मजाक बनाते हैं और स्वयं ऐसे अवसरों की तलाश में रहते हैं जिनमें सदियानी करके अपना स्वार्थ सिद्ध कर सकें। ऐसे लोग तो अपने स्वार्थ के लिए देशरित को भी दाँव पर लगा देते हैं।

प्रश्न 4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए । 

उत्तर- पानवाला सिर्फ एक पानवाला ही था। पान खा, पान लगाना और पान बेचना, यही उसकी दिनचर्या यो । काया से स्थूल, विनोदी स्वभाव और देश-दुनिया से बेक्ति उसके मुँह में हर समय पान सा रहता था कुछ बोलने से पहले मुड़कर पोक काफिर निरंतर पाना-काली बत्तीसी दिखाते तर देना, यह उसको चिरपरिचित शैली यो हँसते समय उसको द ग्राहकों का मनोरंजन करती थी

प्रश्न 5. “वो लंगड़ा क्या जाएगा फौज में पागल है पागल !” कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए ।

उत्तर- कैप्टन के प्रति पानवाले को यह टिप्पणी बहुत ही अशोभनीय थी। इससे उसकी संवेदनशून्यता और देशभक्तों के प्रति उपेक्षा और उदासीनता की भावना उजागर होती है। कैप्टन को मनोभावना को समझ पाना उसकी बुद्धि से बाहर या यदि उसे देशभक्तों और देशभक्ति के महत्त्व का तनिक भी जान होता तो वह चश्मेवाले के प्रति ऐसे अशिष्ट शब्दों का प्रयोग कभी न करता पानवाले की इस उदासीनतापूर्ण भावना की प्रशंसा कदापि नहीं की जा सकती ।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-

(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते ।

(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला- साहब! कैप्टन मर गया ।

(ग) कॅप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था ।

उत्तर- (क) इस वाक्य से प्रकट होता है कि हालदार साहब एक देशभक्त एवं भावनाशील व्यक्ति है। उनके मन में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जैसे महान देशभक्तों के प्रति अत्यन्त प्रेम और सम्मान का भाव है। यही कारण है कि नेताजी की मूर्ति को अनेक बार देखने पर भी उनका मन नहीं भरता था। वह मूर्ति के बारे में सारी बातें जान लेना चाहते थे मूर्ति का निर्माण किसने किया ? मूर्ति को बार-बार चश्मा कौन पहनाता है? उसका पूरा परिचय क्या है ? आदि । 

(ख) इस कथन से ज्ञात होता है कि पानवाले में थोड़ी-बहुत मानवीयता और संवेदना अवश्य है। कैप्टन को लंगड़ा और पागल कहनेवाला यह पान विक्रेता उसकी मृत्यु की सूचना देते हुए उदास हो जाता है। उसकी आँखों में आँसू आ जाते है। शायद कैप्टन की मृत्यु के बाद उसे उसका महत्त्व ज्ञात हुआ है । 

(ग) कैप्टन में देशभक्ति की भावना थी। देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देनेवाले नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के प्रति उसके मन में अत्यन्त सम्मान का भाव था। वह नेताजी की मूर्ति को चश्मे के बिना देखना नहीं चाहता। यही कारण या कि वह मूर्ति पर कोई न कोई चश्मा लगाता रहता था ।

प्रश्न 7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानसपटल पर उसका कौन-सा चित्र अंकित रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।

उत्तर- जब तक हालदार साहब ने चश्मेवाले को स्वयं अपनी आँखों से नहीं देखा था तब तक कैप्टन कहे जाने वाले इस व्यक्ति की कल्पित मूर्ति सर्वथा भिन्न रही होगी। कैप्टन पुकारे जाने से उन्हें लगता होगा कि चश्मेवाला सेना से सेवानिवृत्त कोई मजबूत कद-काठी वाला व्यक्ति होगा। उसका चेहरा रौबीला और चाल चुस्त होगी। उसकी वेशभूषा एक कैप्टन से मिलती-जुलती होगी । सुभाषचन्द्र बोस के प्रति उसकी भक्तिभावना को देखकर हालदार साहब ने यह भी अनुमान लगाया होगा कि वह नेताजी का कोई साथी या आजाद हिन्द फौज का कोई भूतपूर्व सिपाही रहा होगा ।

प्रश्न 8. कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन सा हो गया है- 

(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं ?

(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों ?

(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए ? 

उत्तर- (क) चौराहों पर प्रसिद्ध व्यक्तियों की मूर्ति लगाए जाने के कई उद्देश्य हो सकते हैं। सर्वप्रथम उद्देश्य तो उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित करता है। इससे लोगों को उनके लोक हितकारी कार्यों का स्मरण होता रहता है और उनसे प्रेरणा लेक भी लोकहित के कार्यों को ओर प्रवृत्त हो सकते हैं। उस चौराहे को जनता में प्रसिद्धि मिलती है। अपरिचित व्यक्ति भ यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं।

(ख) हम अपने इलाके के चौराहे पर ऐसे व्यक्ति की मूर्ति स्थापित कराना चाहेंगे जिसने देश और समाज के हित के लिए कोई उल्लेखनीय कार्य किया हो। ऐसा व्यक्ति कोई राष्ट्रीय नेता, संत, समाज-सुधारक, प्रसिद्ध साहित्यकार या शूरवार हो सकता है।

ऐसा करने का कारण यह है कि उनको आते-जाते हुए देखने से हमें उनका अनुकरण करने की प्रेरणा प्राप्त होगी । ई पीढ़ी उनके बारे में जानने को उत्सुक रहेगी और समाज द्वारा उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता जताने का सुअवसर प्राप्त होगा। (ग) ऐसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय व्यक्तियों की मूर्तियाँ उनके लघु स्मारक के समान होती हैं। अत: इनकी जयन्ती आदि के अवसर पर इनको माल्यार्पण करना तथा इनकी सुरक्षा का ध्यान रखना हर क्षेत्रीय नागरिक का दायित्व है ।

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