NCERT Solutions for Class 10th Hindi Kshitij Chapter 12 Sanskriti || संस्कृति
इस पोस्ट में हमने NCERT Solutions for Class 10 th Hindi Kshitij Chapter 12 Sanskriti में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Class 10 th Hindi Chapter 12 संस्कृति के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 10th Hindi Chapter 12 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 10th All Subjects Solution |
2. | Class 10th Hindi Solution |
3. | Class 10th Sanskrit Solution |
4. | Class 10th Science Solution |
5. | Class 10th Social science Solution |
6. | Class 10th Math Solution |
7. | Class 10th English Solution |
प्रश्न 1. लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है ?
उत्तर- लेखक को दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ दो ऐसे शब्द हैं जो बहुत कम समझ में आते हैं। इसका कारण है इनको सही परिप्रेक्ष्य (दृश्यों) में न समझा जाना। जब इनके साथ अनेक विशेषणों का प्रयोग किया जाता है तो इनको समझ पाना और भी कठिन हो जाता है; जैसे- ‘भौतिक-सभ्यता’ और ‘आध्यात्मिक सभ्यता’ । इसी प्रकार कुछ लोग इन दोनों को एक ही वस्तु के दो नाम मानते रहे हैं। दोनों में क्या अंतर है, इसे समझने का भी सही प्रयास नहीं हुआ है । संस्कृति को देशों और धर्म-सम्प्रदायों में बाँटकर परिभाषित करने की प्रवृत्ति रही है। यही कारण है कि सभ्यता और संस्कृति की सही समझ अब तक नहीं बन पाई है।
प्रश्न 2. आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है ? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे ?
उत्तर- आदिम मनुष्य का जीवन पशुओं के समान था। वह पशुओं की तरह शिकार के माँस से तथा जंगल में उपलब्ध कंद, मूल, फल आदि के द्वारा अपने पेट की ज्वाला को शांत करता था । अचानक जंगल में लगी आग से भुने फल तथा पशुओं का मांस खाकर उसे ज्यादा अच्छा लगा होगा। आग को खोज के पीछे पेट भरने की भावना की प्रेरणा थी । उसने भोजन को पकाकर खाना आरम्भ किया। इसके अतिरिक्त आग ने उसे ठंड और भय से सुरक्षा प्रदान की। रात को आग जलाकर वह अंधकार तथा हिंसक पशुओं के भय से मुक्त हो गया। सभ्यता के विकास के साथ-साथ आग का महत्त्व बढ़ता गया । दीपक, मशाल के रूप में वह प्रकाश का सुगम साधन बनी । यज्ञ आदि धार्मिक अनुष्ठानों में उसका प्रयोग होने लगा । इसे देवता मानकर सम्मानित किया गया। वह विभिन्न रूपों में हमारे सभ्य जीवन का आधार बनी हुई है। यही कारण है कि आग की खोज को एक बहुत बड़ी खोज माना जाता है ।
प्रश्न 3. वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है ?
उत्तर- लेखक के अनुसार वास्तव में ‘संस्कृत व्यक्ति’ वह है जिसने अपनी बुद्धि और विवेक के बल पर किसी नए तथ्य का दर्शन या आविष्कार किया है। ऐसा व्यक्ति पेट भरा होने और तन ढँका होने पर भी निठल्ला नहीं बैठ सकता । वह निरंतर नए तथ्यों की खोज में लगा रहता है।
प्रश्न 4. न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों ?
उत्तर- लेखक का मानना है कि जिस योग्यता, प्रवृत्ति अथवा प्रेरणा के बल पर कोई व्यक्ति किसी नए तथ्य या सिद्धान्त की खोज करता है वह उस व्यक्ति की संस्कृति होती है और ऐसा व्यक्ति संस्कृत मानव कहा जाता है। न्यूटन ने भी अपनी योग्यता के बल पर गुरुत्वाकर्षण के नए सिद्धान्त को प्रस्तुत किया । अतः न्यूटन एक संस्कृत मानव था । जिन लोगों या विद्यार्थियों को न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त का ज्ञान है तथा इसके साथ ही जो अन्य वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक सिद्धान्तों की भी जानकारी रखते हैं, उन्हें न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं माना जा सकता क्योंकि वे स्वयं खोजकर्ता नहीं हैं बल्कि खोज का लाभ उठाने वाले हैं। ऐसे लोग न्यूटन से अधिक सभ्य तो हो सकते हैं लेकिन न्यूटन के समान संस्कृत नहीं कहे जा सकते ।
प्रश्न 5. किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा ?
उत्तर- सुई-धागे के आविष्कार से पूर्व मनुष्य नंगा रहता था या फिर पशुओं की खाल लपेटकर काम चलाता था। ये पशुचर्म सर्दी, गर्मी से भी उसकी रक्षा नहीं कर पाते थे। अतः यही प्रतीत होता है कि सर्दी-गर्मी और नंगेपन से बचाव के लिए ही सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा। इसके साथ ही शरीर को सजाने की प्रवृत्ति ने भी मनुष्य को सुई-धागे जैसा साधन खोज निकालने के लिए प्रेरित किया होगा ।
प्रश्न 6. “मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब-
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएं की गई ।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया ।
उत्तर- (क) देश या धर्म-सम्प्रदाय के आधार पर मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टा अनेक बार हुई है। इसके दो उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(i) 15 अगस्त, सन् 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ था परन्तु उस दिन देश को धार्मिक आधार पर भारत तथा पाकिस्तान में बाँट दिया गया था। इस अनुचित और अनावश्यक विभाजन ने दोनों धर्मावलम्बियों में अनावश्यक बैर भाव बढ़ाया है। (ii) अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जो विध्वंसकारी कार्य हुआ उसके पीछे भी मानव संस्कृति का विभाजन ही था। हमने संस्कृति को साम्प्रदायिक आधार पर बाँटने की चेष्टा की थी।
(ख) मानव संस्कृति ने अनेक बार एक होने का प्रमाण दिया है। इसके दो उदाहरण निम्नलिखित है- (i) शिवाजी के सामने एक मुसलमान स्त्री को प्रस्तुत किया गया। वह अत्यन्त सुन्दरी थी। उनके सैनिक चाहते थे कि शिवाजी उसका धर्म बदलवाकर उसे अपना लें। परन्तु शिवाजी ने ऐसा करने के लिए अपने सैनिकों को फटकारा तथा उसे पूरे सम्मान और सुरक्षा के साथ उसके पति के पास भिजवा दिया ।
(ii) शहीद रामप्रसाद बिस्मिल तथा अशफाक उल्लाह खाँ प्रसिद्ध क्रान्तिकारी थे। बिस्मिल कट्टर गीतापाठी हिन्दू और अशफाक अपने धर्म पर दृढ़ मुस्लिम थे। दोनों का एक ही लक्ष्य था भारत को गुलामी से मुक्त कराना । दोनों एक साथ एक हो थाली में भोजन कर लेते थे । अशफाक को कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों ने भड़काने की कोशिश की परन्तु उन्होंने मानव संस्कृति की एकता का ही परिचय दिया। उन्होंने देश से गद्दारी करने तथा बिस्मिल का साथ छोड़ने से इंकार कर दिया
प्रश्न 7. आशय स्पष्ट कीजिए- मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति।
उत्तर- लेखक ने माना है कि यदि संस्कृति का मानव कल्याण से नाता टूट जाएगा तो वह असंस्कृति बन जाएगी । अत: मानव-विनाश के साधनों का आविष्कार कराने वाली योग्यता को संस्कृति कैसे माना जा सकता है, वह तो असंस्कृति ही मानो जाएगी । संस्कृति मानव को कल्याण और भलाई के कार्य करने की प्रेरणा देती है । उसमें विनाश के कार्यों के लिए कोई स्थान नहीं है।