NCERT Solutions for Class 6th Chapter 10 कृषिका कर्मवीरा Hindi Translation & English Translation
इस पोस्ट में हमने Sanskrit Class 6th Chapter 10 कृषिका कर्मवीरा हिंदी अनुवाद में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Sanskrit Class 6th Ruchira Chapter 10 कृषिका कर्मवीरा के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 6th Sanskrit Chapter 10 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 6th All Subjects Solution |
2. | Class 6th Sanskrit Solution |
3. | Class 6th Hindi Solution |
4. | Class 6th English Solution |
5. | Class 6th Science Solution |
6. | Class 6th Social Science Solution |
7. | Class 6th Math Solution |
सूर्यस्तपतु मेघाः वा वर्षन्तु विपुलं जलम् । कृषिका कृषको नित्यं शीतकालेऽपि कर्मठौ ।।
हिन्दी अनुवाद:– चाहे सूर्य तपे, चाहे बादल अधिक जल बरसायें। किसान और महिला किसान लगातार सर्दी में कार्य करते रहते हैं।
English Translation:- Whether the sun shines or the clouds rain heavily. Farmers and women farmers continue to work in winter.
ग्रीष्मे शरीरं सस्वेदं शीते कम्पमयं सदा । हलेन च कुदालेन तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः ।
हिन्दी अनुवादः – गर्मी में पसीने से भीगा हुआ (उनका) शरीर सदैव कम्पनयुक्त होता है। फिर भी वे हल के और कुदाल के द्वारा खेत जोतते हैं।
English Translation: – His body, drenched in sweat in summer, always trembles. Still they plow the fields with plow and hoe.
पादयोर्न पदत्राणे शरीरे वसनानि नो । निर्धनं जीवनं कष्टं सुखं दूरे हि तिष्ठति ।।
हिन्दी अनुवाद:- पैरों में न जूते हैं, न (शरीर पर) वस्त्र हैं। (उनका) जीवन निर्धन और कष्टमय है। सुख तो (किसान) से, दूर ही रहता है।
English Translation:- There are neither shoes on the feet, nor clothes (on the body). (Their) life is poor and miserable. Happiness remains far away from (the farmer).
गृहं जीर्णं न वर्षासु वृष्टिं वारयितुं क्षमम् । तथापि कर्मवीरत्वं कृषिकाणां न नश्यति ।।
हिन्दी अनुवाद:- घर पुराना है, जो वर्षाकाल में वर्षा को दूर करने में भी समर्थ नहीं है। तथापि (उन) महिला किसानों की परिश्रम की भावना नष्ट नहीं होती है।
English Translation:- The house is old, which is not even able to keep away the rain during the rainy season. However, the spirit of hard work of (those) women farmers is not destroyed.
तयोः श्रमेण क्षेत्राणि सस्यपूर्णानि सर्वदा। धरित्री सरसा जाता या शुष्का कण्टकावृता ।
हिन्दी अनुवाद:- उनके परिश्रम के द्वारा ही सदा खेत फसलों से युक्त रहते हैं। जो सूखी तथा काँटों से परिपूर्ण धरती है, वह सरस हो गई।
English Translation :- It is because of their hard work that the fields always remain full of crops. The land which was dry and full of thorns, became juicy
अभ्यास प्रश्न
- उच्चारणं कुरुत- (उच्चारण करें) सूर्यस्तपतु, जीर्णम्, शीतकालेऽपि वारयितुम्, ग्रीष्मे, सस्यपूर्णानि, पदत्राणे, कण्टकावृता, क्षुधा तृषाकुली।
- श्लोकांशान् योजयत- (श्लोकांश का मिलान करें)-
उत्तरम् -क. ख
गृहं जीर्ण न वर्षासु वृष्टि वारयितुं क्षमम्
हलेन च कुदालेन तौ तु क्षेत्राणि कर्षतः
पादयोर्न पादत्राणे शरीरे वसनानि नो
तयोः श्रमेण क्षेत्राणि सस्यपूर्णानि सर्वदा
धरित्री सरसा जाता या शुष्का कण्टकावृत
- उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्ष ‘न’ इति लिखत- (उपयुक्त कथनों के सामने ‘आम्’ तथा अनुपयुक्त कथनों के सामने ‘न’ लिखें-)
यथा – कृषकाः शीतकालेऽपि कर्मठा: भवन्ति । (आम्)
कृषकाः हलेन क्षेत्राणि न कर्षन्ति । (न्)
(क) कृषकाः सर्वेभ्यः अन्नं यच्छन्ति । (आम्)
(ख) कृषकाणां जीवनं कष्टप्रदं न भवति । (न्)
(ग) कृषकः क्षेत्राणि सस्यपूर्णानि करोति । (आम्)
(घ) शीते शरीरे कम्पनं न भवति । (न्)
(ङ) श्रमेण धरित्री सरसा भवति । (आम्)
- मञ्जूषात: पर्यायवाचिपदानि चित्वा लिखत- (मञ्जूषा से पर्यायवाची पद चुनकर लिखें-)
रवि: वस्त्राणि जर्जरम् अधिकम् पृथ्वी पिपासा
वसनानि = वस्त्राणि
सूर्य: = रवि:
तृषा = पिपासा
विपुलम् = अधिकम्
जीर्णम् = जर्जरम्
धरित्री = पृथ्वी
- मञ्जूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत- (मंजूषा से विलोम शब्द चुनकर लिखें – )
धनिकम् नीरसा अक्षमम् दुःखम् शीते पार्श्वे
उत्तरम् –
सुखम् = दुःखम्
दूरे = पार्श्वे
निर्धनम् = धनिकम्
क्षमम् = अक्षमम्
ग्रीष्मे = शीते
सरसा = नीरसा
- प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत- (प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
(क) कृषकाः केन क्षेत्राणि कर्षन्ति ? ((किसान किससे खेत को जोतते हैं?)
उत्तर कृषकाः हलेन क्षेत्राणि कर्षन्ति ।
(ख) केषां कर्मवीरत्वं न नश्यति ? (किनकी परिश्रम की भावना नष्ट नहीं होती है ?)
उत्तर कृषिकाणां कर्मवीरत्वं न नश्यति।
(ग) श्रमेण का सरसा भवति ? (श्रम से क्या हरी-भरी हो जाती है ?)
उत्तर श्रमेण धरित्री सरसा भवति।
(घ) कृषकाः सर्वेभ्यः किं किं यच्छन्ति ? (किसान सभी को क्या-क्या देते हैं ?)
उत्तर कृषकाः सर्वेभ्य: शाकं, अन्नं, फलं, दुग्धं च यच्छन्ति ।
(ङ) कृषकात् दूरे किं तिष्ठति ? (किसान से क्या दूर रहता है ? )
उत्तर कृषकात् दूरे सुखं तिष्ठति।