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Sanskrit Dhara Vahini > Class 7 > Class 7 Science > कक्षा 7 विज्ञान पाठ 8 पादप में जनन एनसीईआरटी समाधान
Class 7Class 7 Science

कक्षा 7 विज्ञान पाठ 8 पादप में जनन एनसीईआरटी समाधान

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NCERT Solutions for Class 7 Science Chapter 8 Reproduction in Plants पादप में जनन

इस पोस्ट में हमने Class 7th विज्ञान पाठ 8 पादप में जनन NCERT Solutions सरल में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने NCERT Solutions for Class 7 Science Chapter 8 पादप में जनन के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 7th Science Chapter 8 पादप में जनन Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।

पादप में जनन
NCERT Solutions for Class 7 science chapter 8 पादप में जनन
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पाठगत प्रश्न

पृष्ठ 86
प्रश्न 1. पादप कैसे जनन करते हैं?

उत्तर-पादपों में जनन विभिन्न विधियों द्वारा होता है। ये मुख्यतः दो प्रकार से जनन करते हैं- (1) अलैंगिक जनन और (2) लैंगिक जनन । अलैंगिक जनन में पादप बिना बीजों के ही नए पादप को उत्पन्न कर सकते हैं, जबकि लैंगिक जनन में नए पादप बीजों से प्राप्त होते हैं।

पृष्ठ 88
प्रश्न 2. क्या कायिक प्रवर्धन का कोई लाभ है?

उत्तर-हाँ, कायिक प्रवर्धन से होने वाले लाभ निम्न प्रकार से हैं-(i) कायिक प्रवर्धन द्वारा पादप कम समय में उगाए जा सकते हैं।
(ii) बीजों से उगाए जाने वाले पादप की अपेक्षा कायिक प्रवर्धन द्वारा उत्पन्न पादपों में पुष्प और फल जल्दी आते हैं।
(iii) नए पादप जनक पादप की यथार्थ प्रतिलिपि होते हैं, क्योंकि वे एक ही जनक द्वारा उत्पन्न होते हैं।

पृष्ठ 90
प्रश्न 3. परागकण में उपस्थित नर युग्मक किस प्रकार बीजाण्ड में उपस्थित मादा युग्मक तक पहुँचता है?

उत्तर-परागण क्रिया द्वारा जब परागकण वर्तिकाग्र पर पहुँचता है तो इससे पराग नलिका निकलती है जो नर युग्मक को परागकण से बीजाण्ड में उपस्थित मादा युग्मक तक पहुँचाती है।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) जनक पादप के कायिक भागों से नए पादप के उत्पादन का प्रक्रम …………………कहलाता है।
(ख) ऐसे पुष्यों को, जिनमें केवल नर अथवा मादा जनन अंग होता है पुष्प ………………..कहते हैं।
(ग) परागकणों का उसी अथवा उसी प्रकार के अन्य पुष्प के परागकोश से वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण का प्रक्रम ………………..कहलाता है।
(घ) नर और मादा युग्मकों का युग्मन ……………….. कहलाता है।
(च) बीज प्रकीर्णन ……………… , ………………… और ……………के द्वारा होता है।
उत्तर- (क) कायिक प्रवर्धन (ख) एकलिंगी (ग) परागण
(घ) निषेचन (च) पवन, जल, जन्तुओं ।

प्रश्न 2. अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए। प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।

उत्तर-अलैंगिक जनन की विधियाँ-अलैंगिक जनन में पादप बिना बीजों के ही नए पादप को उत्पन्न कर सकते हैं। इस जनन की विभिन्न विधियाँ हैं, जो निम्न प्रकार से (i) कायिक प्रवर्धन-इस विधि में पादप जड़, तना, पत्ती अथवा कली (मुकुल) जैसे किसी कायिक अंग द्वारा नये पादप को उत्पन्न करते हैं। चूंकि जनन पादप के कायिक भागों में होता है, इस कारण इसे कायिक प्रवर्धन कहते हैं। उदाहरण-गन्ना, आलू, गुलाब, ब्रायोफिलम, हल्दी, शकरकंद, डहेलिया, कैक्टस आदि पादपों में जनन इसी विधि द्वारा होता है।

(ii) मुकुलन-कई एक कोशिकीय जीव मुकुलन द्वारा जनन करते हैं। इनमें कोशिका से बाहर निकलने वाला छोटे बल्ब जैसा प्रवर्ध मुकुल या कली कहलाता है। मुकुल क्रमशः वृद्धि करता है और जनक कोशिका से विलग होकर नई कोशिका बनाता है। नई कोशिका विकसित होकर परिपक्व हो जाती है और फिर नई कोशिकाएँ बनाती है। उदाहरण-यीस्ट ।

(iii) खंडन-इस प्रकार का जनन सामान्यतः शैवालों में पाया जाता है। शैवाल दो या अधिक खंडों में विखंडित हो जाते हैं। फिर ये खंड नए जीवों में वृद्धि कर जाते हैं। यह प्रक्रम निरन्तर चलता रहता है और कुछ ही समय में शैवाल एक बड़े क्षेत्र में फैल जाते हैं।

(iv) बीजाणु निर्माण-अनेक पादप बीजाणुओं द्वारा भी अलैंगिक जनन करते हैं। प्रत्येक बीजाणु उच्च ताप और निम्न आर्द्रता जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों को झेलने के लिए एक कठोर सुरक्षात्मक आवरण से ढका रहता है, इसलिए ये लम्बे समय तक जीवित रह सकते हैं। अनुकूल परिस्थितियों में ये अंकुरित हो जाते हैं और नए जीव को जन्म देते हैं। उदाहरण : फर्न पादप।

प्रश्न 3. पादपों में लैंगिक जनन के प्रक्रम को समझाइए ।
उत्तर-लैंगिक जनन-पादप में मुख्यतः पुष्प जनन अंग होता है। पुष्प में पुंकेसर नर जनन अंग और स्त्रीकेसर मादा जनन अंग कहलाता है। पुंकेसर के दो भाग होते हैं- परागकोश और पुतंतु। परागकोश में परागकण होते हैं, जो नर युग्मक बनाते हैं। स्त्रीकेसर के तीन भाग वर्तिकाग्र, वर्तिका और अंडाशय होते हैं। अंडाशय में एक या अधिक बीजाण्ड होते हैं। मादा युग्मक अथवा अंड का निर्माण बीजाण्ड में होता है।

लैंगिक जनन में नर और मादा युग्मकों के युग्मन से युग्मनज बनता है। लैंगिक जनन का प्रथम चरण ‘परागण’ की क्रिया होती है। इसमें परागकणों का परागकोश से पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण होता है। यहाँ पर परागकण अंकुरित होकर एक पतली नली का निर्माण करते हैं। यह नली नर युग्मक को स्त्रीकेसर के अंडाशय तक पहुँचने में मदद करती है। यहाँ पर नर युग्मकों का मादा युग्मकों अर्थात् अंड से निषेचन होता है और युग्मनज बनता है। यह युग्मनज भ्रूण में विकसित होता है। इस प्रकार लैंगिक जनन की प्रक्रिया पूरी होती है।

प्रश्न 4. अलैंगिक और लैंगिक जनन के बीच प्रमुख अन्तर बताइए।
उत्तर-अलैंगिक और लैंगिक जनन में अन्तर-

अलैंगिक जननलैंगिक जनन
(i) इस प्रकार के जनन में पादप बिना बीजों के ही नए पादप को उत्पन्न कर सकते हैं।(i) इस जनन में नए पादप बीजों से प्राप्त होते हैं।
(ii) इसके लिए नर तथा मादा युग्मकों की आवश्यकता नहीं होती।(ii) इसमें नर तथा मादा युग्मकों के युग्मन से ही नयी कोशिका बनती है।
(iii) इस विधि द्वारा उत्पन्न पादप जनक पादप की यथार्थ प्रतिलिपि होते हैं; क्योंकि वे एक ही जनक द्वारा उत्पन्न होते हैं।(iii) इस विधि से उत्पन्न नए पादपों में विविधता की संभावना अधिक होती है।

प्रश्न 5. किसी पुष्प का चित्र खींचकर उसमें जनन अंगों को नामांकित कीजिए।

प्रश्न 6. स्व-परागण और पर-परागण के बीच अन्तर बताइए।

उत्तर-स्व-परागण में, परागकण परागकोश से उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं, जबकि पर-परागण में परागकण एक पुष्प के परागकोश से उसी प्रकार के दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं।

प्रश्न 7. पुष्पों में निषेचन का प्रक्रम किस प्रकार सम्पन्न होता है?

उत्तर-निषेचन की प्रक्रिया-लैंगिक जनन के समय निषेचन की प्रक्रिया सम्पन्न होती है। परागण के द्वारा परागकणों का परागकोश से पुष्प के मादा जनन अंग के ऊपरी भाग वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण हो जाता है। वर्तिकाग्र पर परागकण अंकुरित होकर एक पतली नली का निर्माण करते हैं। यह परागनली नर युग्मक को स्त्रीकेसर के अंडाशय तक पहुँचने में मदद करते हैं। यहाँ पर नर युग्मकों का मादा युग्मकों (अंड) से युग्मन होता है। युग्मन (संयोग) से बनी कोशिका ‘युग्मनज’ कहलाती है। युग्मनज बनाने के लिए नर और मादा युग्मकों के युग्मन का प्रक्रम ‘निषेचन’ कहलाता है। यह युग्मनज भ्रूण में विकसित होता है।

प्रश्न 8. बीजों के प्रकीर्णन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर-बीज-प्रकीर्णन-प्रकृति में एक ही प्रकार के पादप विभिन्न स्थानों पर उगे हुए पाए जाते हैं। ऐसा बीजों के विभिन्न स्थानों पर प्रकीर्णन के कारण होता है। प्रकृति में पादप के फलों और बीजों का प्रकीर्णन पवन, जल और जन्तुओं द्वारा होता है।
(i) पवन द्वारा-सेहिजन (ड्रमस्टिक) तथा द्विफल (मैपिल) जैसे पादप के पंखयुक्त बीज, घासों के हल्के बीज अथवा आक (मदार) के रोमयुक्त बीज और सूरजमुखी के रोमयुक्त फल पवन के साथ उड़कर सुदूर स्थानों तक चले जाते हैं।

(ii) जल द्वारा-कुछ बीज जल द्वारा प्रकीर्णित होते हैं। ऐसे बीजों अथवा फल के आवरण स्पंजी अथवा तंतुमय होते हैं, ताकि वे जल में तैरते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकें, जैसे-नारियल ।

(iii) जंतुओं द्वारा-कुछ बीज जंतुओं द्वारा प्रकीर्णित होते हैं, विशेषरूप से कंटकी (काँटेदार) बीज, जिनमें हुक जैसी संरचनाएँ होती हैं, जिससे बीज जंतुओं के शरीर से चिपक जाते हैं और दूरस्थ स्थानों तक ले जाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, यूरेना एवं जैन्थियम के बीज।
(iv) कुछ पादपों के फल झटके के साथ फट जाते हैं, जिससे उनके अन्दर स्थित बीज प्रकीर्णित हो जाते हैं। बीज जनक पादप से दूर जाकर गिरते हैं। एरंड और बाल्सम के पादप में ऐसा ही होता है।

प्रश्न 9. कॉलम-A में दिए गए शब्दों का कॉलम-B में दिए गए जीवों से मिलान कीजिए-

कॉलम-Aकॉलम-B
(क) कली/मुकुल(iii) यीस्ट
(ख) आँख(v) आलू
(ग) खंडन(ii) स्पाइरोगाइरा
(घ) पंख(i) मैपिल
(च) बीजाणु(iv) डबलरोटी की फफूँद

प्रश्न 10. सही विकल्प पर (✔) निशान लगाइए-
(क) पादप का जनन भाग होता है, उसका-
(i) पत्ती अथवा पर्ण
(ii) तना
(iii) मूल
(iv) पुष्प (✓)

(ख) नर और मादा युग्मक के युग्मन का प्रक्रम कहलाता है-
(i) निषेचन (✓)
(ii) परागण
(iii) जनन
(iv) बीज निर्माण

(ग) परिपक्व होने पर अंडाशय विकसित हो जाता है-
(i) बीज में
(ii) पुंकेसर में
(iii) स्त्रीकेसर में
(iv) फल में (✓)

(घ) बीजाणु उत्पन्न करने वाला एक पादप जीव है-
(i) गुलाब
(ii) डबलरोटी की फफूँद (✓)
(iii) आलू
(iv) अदरक

(च) ब्रायोफिलम अपने जिस भाग द्वारा जनन करता है, वह है
(i) तना
(ii) पत्ती (✓)
(iii) मूल
(iv) पुष्प

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