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Reading: लम्पी वायरस महामारी पर निबंध | lampy virus essay in Hindi
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लम्पी वायरस महामारी पर निबंध | lampy virus essay in Hindi

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9 Min Read
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लम्पी वायरस महामारी पर निबंध हिंदी में

लम्पी वायरस प्रस्तावना:-

Contents
लम्पी वायरस महामारी पर निबंध हिंदी में लम्पी वायरस के लक्षण क्या हैं

लम्पी स्कीन वायरस (lampi virus) जानवरों में पायी जाने वाली एक ख़तरनाक बीमारी है। ये रोग दुधारू पशुओं में पाई जाता है । मुख्यरूप से ये बीमारी गायों में अधिक देखने को मिल  है। इस रोग के  गायों की हजारों की संख्या में मौत हो चुकी हैं। Lumpy Virus संक्रमित पशु के संपर्क में आने से ही अन्य स्वस्थ पशु को भी हो जाता है। Lumpy virus को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने महामारी को अधिसूचित बीमारी घोषित की है। इसका कोई पुख्ता इलाज अभी तक नहीं आया है। लेकिन इसका इलाज सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही किया जा सकता है।

इस बीमारी को ‘गांठदार त्वचा रोग वायरस’ नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी पहले भी अन्य देशों में माहामारी से जानवरों के संक्रमित होने के मामले सामने आए थे। यह लम्पी वायरस सिर्फ पशुओं में ही फैलता है । इस रोग से इंसानों में संक्रमण होने का कोई खतरा नहीं है। 

लम्पी वायरस क्या है :- लम्पी स्कीन वायरस एक त्वचा रोग है। यह रोग सिर्फ पशुओं में फैसला है। इस रोग की वजह से पशुओं की स्किन में गांठदार या ढेलेदार दाने बन जाते हैं । इस रोग को कैपरी पॉक्स वायरस के रूप में भी जाना जाता है। इसका अन्य नाम एलएसडीवी कहते हैं। यह वायरस एक पशु से दूसरे पशु में फैलता है।

यह वायरस कैपरीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडाए परिवार के एक उप-परिवार कॉर्डोपॉक्सविर्नी के वायरसों की जीनस है। वायरस के वर्गीकरण के लिए ‘जीनस’ शब्द का प्रयोग किया जाता है‌। सरल भाषा में इसे ‘विषाणुओं की जाति’ कहा जाता हैं‌। जीनस में भी तीन प्रजातियां पाई जाती हैं- शीप पॉक्स (SPPV), गोट पॉक्स (GTPV) और लंपी स्किन डिसीज वायरस (LSDV) जानकारी कहती है कि यह बीमारी मच्छर के काटने से जानवरों में फैलती है।

लम्पी वायरस कैसे फैलता है :- लम्पी स्कीन वायरस एक संक्रमित रोग है जो एक पशु से दुसरे पशु को हो जाता है। इसका संक्रमण मुख्य रूप से मच्छरों, मक्खियों, तत्तैयो, आदि से फैलता है।इसके अलावा पशुओं के सीधे संपर्क में आने से भी फ़ैल सकती है। साथ खाने / दूषित खाने और पानी के सेवन करने से भी ये बीमारी फ़ैलती है। Lumpy Virus एक बहुत ही तेजी से फैलने वाला वायरस है। वर्तमान में 15 से भी अधिक राज्यों में इस बीमारी के फैलने की पुष्टि हो चुकी है। इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए समय पर लक्षणों की पहचान कर उनके आधार पर इलाज शुरू कर देना ही एकमात्र तरीका है।

लम्पी वायरस के लक्षण क्या हैं

लंपी स्कीन महामारी के कुछ लक्षणों के बारे में बताने वाले हैं ताकि आप भी जान सकें की अगर कोई भी पशु लंपी वायरस से ग्रसित हैं। उस पशु का जल्द से जल्द इलाज करवा सकें। लम्पी स्कीन वायरस के सामान्य लक्षण पशु को बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर गांठें पड़ना, दूध कम देना और भूख न लगाना इस वायरस के प्रमुख लक्षण है। यह वायरस पशुओं में बना रहता है। इस वायरस के प्रकोप से पशु का शरीर दिन प्रतिदिन दुबला होते जाता है।  कोई पशु इस लंपी वायरस के चपेट आ जाती हैं तो सबसे पहले उस पशु को बुखार होने लगेगा।

अगर कोई गाय इस वायरस की चपेट में आती हैं तो उसकी आंखों और नाक से स्राव होता है और उस गाय के मुँह से लार भी टपकने लगती हैं।जब किसी गाय को यह बीमारी हो जाती हैं तो उस गाय की दूध देने की क्षमता कम हो जाती हैं।जब इस वायरस की चपेट में कोई गाय आ जाती हैं तो उस गाय के शरीर पर छाले पड़ने लगते हैं और उन चालों की वजह से उस गाय को काफी तकलीफ होने लगती हैं।इस वायरस के होने के कारण वह पशु अपना चारा भी नहीं खाती व पानी भी नहीं पीते हैं।

लम्पी वायरस के सामान्य लक्षण

  • आंख और नाक का बहना
  • दूध का कम होना
  • शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देना
  • शरीर पर चकत्ता जैसी गांठें बन जाना

लंपी वायरस से बचाव के तरीके

लम्पी स्कीन वायरस के बचाव के लिए कोई ठोस इलाज नहीं है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है। इस रोग से बचाव के लिए एक मात्र तरीका है, इस रोग से प्रभवित पशुओं को कम से काम 28 दिन के लिए आइसोलेट कर दिया जाये । इस वायरस को कण्ट्रोल करने के लिए भारत में पशुओं को गोट पॉक्स वैक्सीन की डोज देनी चाहिए। लंपी वायरस को रोकने के लिए सरकार ने लंपी-प्रोवैक आईएनडी नाम से एक नई स्वदेशी वैक्सीन लॉन्च की है। इसके टीके लगवाने चाहिए।  इस वायरस की रोकथाम के लिए कुछ सुझाव दिए है।

  • लंपी रोग से प्रभावित पशुओं को दूसरे पशुओं से अलग रखना चाहिए।
  • मक्खी, मच्छर, जूं आदि से पशुओं को बचाकर रखे, क्योंकि यह बीमारी को फैलाते है।
  • लंपी वायरस से प्रभावित पशुओं को फिटकरी के पानी से दिन में दो बार नहलाना चाहिए।
  • रात के समय पशुओं के पास नीम की हरी पत्तियों को जलाकर धूंआ करना चाहिए।
  • इस रोग से प्रभावित पशु रहता उस पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए।
  • इस वायरस की वजह से पशु की मृत्यु होने पर शव दूर 10-15 गहरे खड्डे में दफनाना चाहिए।
  • अगर किसी गाय को यह वायरस हो जाता हैं तो उस गाय को बाकी पशु से अलग करदे ताकि बाकी पशु भी संक्रमित न हो सकें।
  • क्योंकि यह बीमारी मक्खी, मच्छर, व ततैया, से भी फेल रही हैं इसलिए अपने पशुओं के रहने की जगह को साफ़ रखे ताकि उनके आसपास यह चीजें न आ सकें।
  • जिस चीज में पशु खाना खाते हैं या पानी पीते हैं उन चीजों को पूर्ण रूप से साफ़ रखे।
  • अपने पशुओं के केवल साफ़ चारा ही खिलाना चाहिए। वह गर्म पानी पी लाना चाहिए।
  • संक्रमित पशु के खाने व पीने के बर्तन को बाकी पशु से अलग रखना चाहिए।
  • अगर आपके आसपास कोई संक्रमित क्षेत्र हैं तो उस क्षेत्र से पशु को आना जाना बंद कर देना चाहिए।
  • संक्रमित पशु के आस पास कीटाणु मारने वाले केमिकल का भूमि पर छिड़काव करें।
  • ध्यान रहे जब आप अपने पशु का सैंपल ले रहे हो तो उस समय आपको सावधानी बरतनी होगी। पीपीई किट का प्रयोग करें।

उपसंहार :- लम्पी स्कीन वायरस महामारी से हजारों की संख्या में गायों की मृत्यु हो गई। यह महामारी पशुओं के लिए घातक सिद्ध हुई। इस रोग का कोई ठोस उपचार अभी तक नहीं हो पाया है। क्योंकि यह हमारे सामने पहली बार देखने को मिला है। वैज्ञानिक इस रोग का ईलाज खोजने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

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