Sanskrit Class 8th Chapter 12 क: रक्षति क: रक्षित: Hindi Translation & Question Answer
इस पोस्ट में हमने Sanskrit Class 8th Chapter 12 क: रक्षति क: रक्षित: हिंदी अनुवाद में हमने सम्पूर्ण अभ्यास प्रश्न को सरल भाषा में लिखा गया है। हमने Sanskrit Class 8th Chapter 12 क: रक्षति क: रक्षित: के Questions and Answer बताएं है। इसमें NCERT Class 8th Sanskrit Chapter 12 Notes लिखें है जो इसके नीचे दिए गए हैं।
1. | Class 8th all Subjects Solution |
2. | Class 8th Sanskrit Solutions |
3. | Class 8th Hindi Solutions |
4. | Class 8th English Solution |
5. | Class 8th Maths Solution |
6. | Class 8th Science Solution |
7. | Class 8th Social Science Solution |
(ग्रीष्मर्ती सायंकाले विद्युदभावे प्रचण्डोष्मणा पीडितः वैभवः गृहात् निष्क्रामति)
वैभव:- अरे परमिन्दर् ! अपि त्वमपि विद्युदभावेन पीडित बहिरागत: ?
परमिन्दर्-आम् मित्र ! एकतः प्रचण्डातपकालः अन्यतश्च विद्युदभावः परं बहिरागत्यापि पश्यामि यत् वायुवेगः तु सर्वथाऽवरुद्धः। सत्यमेवोक्तम्-
विनयः – अरे मित्र ! शरीरात् न केवलं स्वेदबिन्दवः अपितु स्वेदधाराः इव प्रस्रवन्ति स्मृतिपथमायाति शुक्लमहोदयैः रचित: श्लोकः ।
प्राणिति पवनेन जगत् सकलं, सृष्टिर्निखिला चैतन्यमयी । क्षणमपि न जीव्यतेऽनेन विना, सर्वातिशायिमूल्यः पवनः ॥
तप्तैर्वाताघातैरवितुं लोकान् नभसि मेघाः कि आरक्षिविभागजना इव समये नैव दृश्यन्ते ॥
हिन्दी अनुवाद – (ग्रीष्मऋतु में शाम के समय बिजली के अभाव में भयंकर गर्मी से परेशान वैभव घर से बाहर निकलता है।
वैभव – अरे ! परमिन्दर । क्या तुम भी बिजली के अभाव से परेशान होकर बाहर आए हो ?
परमिन्दर – हाँ मित्र ! एक तो भयंकर गर्मी और दूसरी ओर बिजली का अभाव है परन्तु बाहर आकर भी देखता हूँ कि हवा की गति तो पूरी तरह से रुकी हुई है। सत्य ही कहा है- वायु के द्वारा संपूर्ण जगत् प्राणवान और संपूर्ण सृष्टि चैतन्य (सजीव) है, (इसके अर्थात् वायु के) बिना एक पल भी जीवत नहीं रहा जा सकता, पवन सबसे अधिक है। मूल्यवान है।
विनय – हे मित्र ! शरीर से न केवल पसीने की बूँदें अपितु पसीने की धाराएँ (नदियों के समान) बह रही हैं। शुक्ल महोदय के द्वारा रचित यह श्लोक याद आ रहा है- (जिस प्रकार) समय पर (आवश्यकता पड़ने पर) पुलिस विभाग के लोग दिखाई नहीं देते हैं, (उसी प्रकार) लोगों को गर्म हवा के आघातों (लू के थपेड़ों) से बचाने के लिए आकाश में बादल दिखाई नहीं देते हैं।
परमिन्दर – आम् अद्य तु वस्तुतः एव
जोसेफ : – मित्राणि ! यत्र-तत्र बहुभूमिक भवनानां भूमिगतमार्गाणाम्, विशेषत: मैट्रोमार्गाणां, उपरिगमिसेतूनाम् मार्गेत्यादीनां निर्माणाय वृक्षाः कर्त्यन्ते तर्हि अन्यत् किमपेक्ष्यते अस्माभिः ? वयं तु विस्मृतवन्तः एव-
निदाघतापतप्तस्य, याति तालु हि शुष्कताम् ।
पुंसो भयार्दितस्येव, स्वेदवज्जायते वपुः ॥
एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वह्निना ।
दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा ॥
हिन्दी अनुवाद-परमिन्दर- आज तो वास्तव में ही- (जिस प्रकार) गर्मी के ताप से पीड़ित (मनुष्य) का तलवा सूख जाता है वैसे ही भयभीत मनुष्य के समान शरीर पसीने से गीला हो जाता है।
जोसेफ – मित्रो! जहाँ-तहाँ भूमि पर बहुत सारे भवनों का (निर्माण के लिए), भूमिगत मार्गों का विशेष रूप से मैट्रोमार्गों का और ऊपर से गुजरने वाले पुलों (ओवर ब्रिजों) का निर्माण करने के लिए पेड़ काटे जाते हैं तो हमसे और अपेक्षा (ही) क्या की जा सकती है। हम सभी तो भूल ही गए हैं। जैसे- (एक) कुपुत्र के द्वारा संपूर्ण कुल (नष्ट किया जा सकता है) वैसे ही अग्नि के द्वारा जला हुआ एक सूखा पेड़ समस्त वन जला देता है।
परमिन्दर्-आम् एतदपि सर्वथा सत्यम् । आगच्छन्तु नदीतीरं गच्छामः । तत्र चेत् काञ्चित् शान्तिं प्राप्तुं शक्ष्येम। (नदीतीरं गन्तुकामाः बालाः यत्र-तत्र अवकरभाण्डारं दृष्ट्वा वार्तालापं कुर्वन्ति)
जोसेफः – पश्यन्तु मित्राणि यत्र-तत्र प्लास्टिकस्यूतानि अन्यत् चावकरं प्रक्षिप्तमस्ति । कथ्यते यत् स्वच्छता स्वास्थ्यकरी परं वयं तु शिक्षिताः अपि अशिक्षित इवाचरामः अनेन प्रकारेण……….
हिन्दी अनुवाद– हाँ, यह तो सर्वथा सत्य है ? चलो नदी के किनारे चलें। शायद वहाँ कुछ शान्ति प्राप्त कर सकने में सक्षम हों। अर्थात् वहाँ गर्मी से कुछ राहत मिल जाए।
( नदी किनारे जाने के इच्छुक बालक जहाँ-तहाँ कचरे के ढेरों को देखकर ( आपस में) बातचीत करते हैं।)
जोसेफ – देखो मित्रो जहाँ-तहाँ प्लास्टिक की थैलियाँ और अन्य कचरा बिखरा हुआ है। कहा जाता है कि स्वच्छता स्वास्थ्य प्रदान करने वाली होती है, परन्तु हम सभी तो शिक्षित (पढ़े-लिखे) होकर भी अशिक्षित (अनपढ़) के समान व्यवहार करते हैं। इस प्रकार से तो………
वैभव:- गृहाणि तु अस्माभिः नित्यं स्वच्छानि क्रियन्ते परं किमर्थं स्वपर्यावरणस्य स्वच्छतां प्रति ध्यानं न दीयते । विनयः – पश्य पश्य उपरितः इदानीमपि अवकरः मार्गे क्षिप्यते। (आहूय) महोदये ! कृपां कुरूं मार्गे भ्रमद्त्सुः । एतत् तु सर्वथा अशोभनं कृत्यम् । अस्मद्सदृशेभ्यः बालेभ्यः भवतीसदृशैः एवं संस्कारा देयाः ।
रोजलिन्-आम् पुत्र! सर्वथा सत्यं वदसि । क्षम्यन्ताम् । इदानीमेवागच्छामि। (रोजलिन् आगत्य बालैः साकं स्वक्षिप्तमवकरम् मार्गे विकीर्णमन्यदवकरं चापि संगृह्य अवकरकण्डोले पातयति)
बाला:- एवमेव जागरूकतया एव प्रधानमंत्रिमहोदयानां स्वच्छाताऽभियानमपि गतिं प्राप्स्यति।
हिन्दी अनुवाद – विनयः – देखो-देखो अभी भी ऊपर से मार्ग में कूड़ा फेंका जा रहा है। (पुकारकर) महोदया! मार्ग में घूमने वालों पर कृपा करिए, यह पूरी तरह से अशोभनीय कार्य है। हम जैसे बालकों को आप जैसी महिलाओं को संस्कार देने चाहिए।
रोजलिन्-हाँ पुत्र ! तुम सर्वथा सत्य बोल रहे हो । माफ करना। इसी समय आती हूँ। (रोजलिन आकर बालकों के साथ (मिलकर) अपने द्वारा फेंके गए कचरे के साथ मार्ग में फैले हुए अन्य कचरे को भी एकत्र करके कचरे के डिब्बे (कूड़ेदान) में डालती है।
सभी बालक – इस प्रकार की जागरूकता से ही प्रधानमंत्री महोदय का स्वच्छता अभियान गति प्राप्त करेगा।
विनयः – पश्य पश्य तत्र धेनुः शाकफलानामावरणैः सह प्लास्टिकस्यूतमपि खादति। यथाकथञ्चित् निवारणीया एषा । (मार्गे कदलीफलविक्रेतारं दृष्ट्वा बालाः कदलीफलानि क्रीत्वा धेनुमाह्वयन्ति भोजयन्ति च मार्गात् प्लास्टिकस्यूतानि चापसार्य पिहिते अवकरकण्डोले क्षिपन्ति)
परमिन्दर् – प्लास्टिकस्य मृत्तिकायां लयाभवात् अस्माकं पर्यावरणस्य कृते महती क्षतिः भवति । पूर्वं तु कार्पासेन, चर्मणा, लौहेन, लाक्षया, मृत्तिकया, काष्ठेन वा निर्मितानि वस्तूनि एव प्राप्यन्ते स्म । अधुना तत्स्थाने प्लास्टिक निर्मितानि वस्तूनि एव प्राप्यन
वैभव:- आम् घटिपट्टिका, अन्यानि बहुविधानि पात्राणि, कलमेत्यादीनि सर्वाणि तु प्लास्टिकनिर्मितानि भवन्ति ।
हिन्दी अनुवाद – विनय – देखो-देखो वहाँ गाय ! सब्जी और फलों के छिलकों के साथ प्लास्टिक की थैली भी खा रही है। इसे किसी भी प्रकार से रोको। (मार्ग में केले के फल बेचने वालों को देखकर बालक केले खरीदकर गाय को बुलाते हैं और उसे केले खिलाते हैं, मार्ग में बिखरी हुई प्लास्टिक की थैलियों को ढके हुए कूड़ेदान में डालते हैं।)
परमिन्दर – प्लास्टिक का मिट्टी में विलय नहीं होने के कारण हमारे पर्यावरण को बहुत बड़ी हानि होती है। पहले तो कपास से, चमड़े से, लोहे से, लाख से, मिट्टी से अथवा लकड़ी से निर्मित वस्तुएँ प्राप्त होती थीं। आज उनके स्थान पर प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएँ ही प्राप्त हो रही हैं।
वैभव – हाँ घड़ी की पट्टियाँ, अन्य प्रकार के बर्तन, कलम इत्यादि सभी तो प्लास्टिक से बने होते हैं।
जोसेफः- आम् अस्माभिः पित्रोः शिक्षकाणां सहयोगेन प्लास्टिकस्य विविधपक्षाः विचारणीयाः । पर्यावरेणन सह पशवः अपि रक्षणीयाः । (एवमेवालपन्तः सर्वे नदीतीरं प्राप्ताः, नदीजले निमज्जिताः भवन्ति गायन्ति च)
सुपर्यावरणेनास्ति जगतः सुस्थितिः सखे ।
जगति जायमानानां सम्भवः सम्भवो भुवि ॥
सर्वे – अतीवानन्दप्रदोऽयं जलविहारः ।
हिन्दी अनुवाद – जोसेफ – हाँ हमें माता-पिता और शिक्षकों के सहयोग से प्लास्टिक के विविध पक्षों पर विचार करने योग्य हैं। पर्यावरण के साथ पशुओं की रक्षा करनी चाहिए। (इस प्रकार बातचीत करते हुए नदी तट पर पहुँच जाते हैं और नदी के जल में डुबकी लगाते हैं और गाते हैं। ) हे मित्र अच्छे पर्यावरण से इस संसार की सुन्दर स्थिति है। संसार में उत्पन्न होने वाले प्राणियों की उत्पत्ति इस धरती पर ही संभव है।
सभी – यह जल में विहार अत्यधिक आनन्द प्रदायक है।
अभ्यास प्रश्न
- प्रश्नानामुत्तराणि एकपदेन लिखत-(प्रश्नों का उत्तर एक पद में लिखिए- )
(क) केन पीडितः वैभव: बहिरागतः ? (किससे पीड़ित वैभव बाहर आता है ? )
उत्तर आतपेन।
(ख) भवनेत्यादीनां निर्माणाय के कर्त्यन्ते ? ( भवन आदि निर्माण के लिए क्या कार्य किये जाते हैं ?)
उत्तर वृक्षाः।
(ग) मार्गे किं दृष्ट्वा बालाः परस्परं वार्तालाप कुर्वन्ति ? (मार्ग में क्या देखकर बालक आपस में बातचीत करते हैं ?)
उत्तर अवकरम्।
(घ) वयं शिक्षिताः अपि कथमाचरामः ? (हम शिक्षित भी किस प्रकार का व्यवहार करते हैं ? )
उत्तर अशिक्षिता:।
(ङ) प्लास्टिकस्य मृत्तिकायां लयाभावात् कस्य कृते महती क्षतिः भवति ? (प्लास्टिक के मिट्टी में लय न होने पर किसके लिए महान हानि होती है ? )
उत्तर पर्यावरणस्य।
(च) अद्य निदाघतापतप्तस्य किं शुष्कतां याति ? (आज गर्मी के ताप से पीड़ित क्या सूख रहा है ? )
उत्तर तालु।
- पूर्णवाक्येन उत्तराणि लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर लिखिए – )
(क) परमिन्दर् गृहात् बहिरागत्य किं पश्यति ? (परमिन्दर् घर से बाहर आकर क्या देखता है ?)
उत्तरम्-परमिन्दंर् गृहात् बहिरागत्य पश्यति यत् वायुवेगः अवरुद्धः अस्ति।
(ख) अस्माभिः केषां निर्माणाय वृक्षाः कर्त्यन्ते ? (हम भी किसके निर्माण के लिए वृक्षों को काटते हैं ? )
उत्तरम् – अस्माभिः भवनानां मार्गाणां, भूमिगतमार्गाणां, उपरिगमिसेतूनाम् च निर्माणाय वृक्षाः कर्त्यन्ते ।
(ग) विनयः रोजलिनम् माहूय किं वदति ? (विनय रोजलिन को बुलाकर क्या बोलता है ?)
उत्तरम् – विनयः रोजलिनम् माहूय वदति यत् मार्गे अवकरस्य क्षेपणम् अशोभनम् कृत्यं अस्ति।
(घ) रोजलिन् आगत्य किं करोति ? (रोजलिन् आकर क्या कहती है ? )
उत्तरम् – रोजलिन् आगत्य बालैः सह स्वक्षिप्तमवकरं मार्गे विकीर्णमन्यदवकरं चापि संग्रह्य अवकरकण्डोले पातयति ।
(ङ) अन्ते जोसेफः पर्यावरणक्षायै कः उपायः बोधयति ? ( अन्त में जोसेफ पर्यावरण की रक्षा का क्या उपाय बताता है ? )
उत्तरम् – अन्ते जोसेफ : पर्यावरणरक्षाये इदम् उपायः बोधयति यत् अस्माभिः पित्रौः शिक्षकाणां सहयोगेन प्लास्टिकस्य विविधिपक्षाः विचारणीयाः । पर्यावरणेन सह पशवः अपि रक्षणीयाः ।
- रेखांकित पदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत – (रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न निर्माण करिए – )
(क) जागरूकतया एव स्वच्छताऽभियानमपि गतिं प्राप्स्यति ।
उत्तर कया एव स्वच्छताऽभियानमपि गतिं प्राप्स्यति ?
(ख) धेनुः शाकफलानामावरणैः सह प्लास्टिकस्यूतमपि खादति स्म ।
उत्तर धेनुः कै सह प्लास्टिकस्यूतमपि खादति स्म आधारितानि ?
(ग) वायुवेगः सर्वथाऽवरुद्धः आसीत् ।
उत्तर कः सर्वथाऽवरुद्धः आसीत् ?
(घ) सर्वे अवकरं संगृह्य अवकरकण्डोले पातयन्ति ।
उत्तर सर्वे अवकरं संगृह्य कुत्र पातयन्ति ?
(ङ) अधुना प्लास्टिकनिर्मितानि वस्तूनि प्रायः प्राप्यन्ते ।
उत्तर अधुना प्लास्टिकनिर्मितानि कानि प्रायः प्राप्यन्ते ?
(च) सर्वे नदीतीरं प्राप्ताः प्रसन्नाः भवति ।
उत्तर सर्वे कं प्राप्ताः प्रसन्नाः भवति ?
- सन्धिविच्छेदं पूरयत- (सन्धि विच्छेद पूरे करो ।)
(क) ग्रीष्मत = ग्रीष्म + ऋतौ
ख) बहिरागत्य = बहिः + आगत्य
(ग) काञ्चित् – काम् + चित
(घ) तद्वनम् – तत् + वनम्
(ङ) कलमेत्यादीनि – कलम + इत्यादीनि
(च) अतीवानन्दप्रदोऽयम् अतीव + आनन्दप्रदः+अयम् ।
- विशेषणपदैः सह विशेष्यपदानि योजयत – (विशेषण पद के साथ विशेष्य पदों को जोड़िए ।).
काञ्चित् अवकरम् स्वच्छानि स्वास्थ्यकरी
उत्तरम् -काञ्चित् = शान्तिम्
स्वच्छानि = गृहाणि
पिहिते = अवकरकण्डोले
गच्छन्ति = मित्राणि
अन्यत् = अवकरकण्डोले
महती = क्षतिः
- शुद्धकथनानां समक्षम् आम् अशुद्धकथनानां समक्षं च न इति लिखत- (सही कथन के सामने ‘हाँ’ और गलत कथन के सामने ‘न’ लिखें।)
(क) प्रचण्डोष्मणा पीडिताः बालाः सायंकाले एकैकं कृत्वा गृहाभ्यन्तरं गताः । (न्)
(ख) मार्गे मित्राणि अवकरभाण्डारं यत्र-तत्र विकीर्णं दृष्ट्वा वार्तालापं कुर्वन्ति ।(आम्)
(ग) अस्माभिः पर्यावरणस्वच्छतां प्रति प्रायः ध्यानं न दीयते । (आम्)
(घ) वायु विना क्षणमपि जीवितुं न शक्यते ।(आम्)
(ङ) रोजलिन् अवकरम् इतस्ततः प्रक्षेपणात् अवरोधयति बालकान् ।(न्)
(च) एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वनं सुपुत्रेण कुलमिव दयते ।(न्)
(छ) बालकाः धेनुं कदलीफलानि भोजयन्ति ।(आम्)
(ज) नदीजले निमज्जिताः बालाः प्रसन्नाः भवन्ति ।(आम्)
- घटनाक्रमानुसारं लिखत- (घटनाक्रमानुसार लिखिए।)
(क) उपरितः अवकरं क्षेप्तुम् उद्यतां रोजलिन् बालाः प्रबोधयन्ति ।
(ख) प्लास्टिकस्य विविधान् पक्षान् विचारयितुं पर्यावरणसंरक्षणेन पशूनेत्यादीन् रक्षितुं बालाः कृतनिश्चयाः भवन्ति ।
(ग) गृहे प्रचण्डोष्मणा पीडितानि मित्राणि एकैकं कृत्वा गृहात् बहिरागच्छन्ति ।
(घ) अन्ते बालाः जलविहारं कृत्वा प्रसीदन्ति ।
(ङ) शाकफलानामावरणैः सह प्लास्टिकस्यूतमपि खादन्तीं धेनुं बालकाः कदलीफलानि भोजयन्ति ।
(च) वृक्षाणां निरन्तरं कर्तनेन , ऊष्मावर्धनेन च दुःखिताः बालाः नदीतीरं गन्तुं प्रवृत्ताः भवन्ति ।
(छ) बालैः सह रोजलिन् अपि मार्गे विकीर्णमवकरं यथास्थानं प्रक्षिपति ।
(ज) मार्गे यत्र-तत्र विकीर्णमवकरं दृष्ट्वा पर्यावरणविषये चिन्तिताः बालाः परस्परं विचारयन्ति ।
उत्तरम् – (क) गृहे प्रचण्डोष्मणा पीडितानि मित्राणि एकैकं कृत्वा गृहात् बहिरागच्छन्ति।
(ख) वृक्षाणां निरन्तरं कर्तनेन, ऊष्मावर्धनेन च दुःखिताः बालाः नदीतीरं गन्तुं प्रवृत्ताः भवन्ति ।
(ग) मार्गे यत्र-तत्र विकीर्णमवकरं दृष्ट्वा पर्यावरणविषये चिन्तिताः बालाः परस्परं विचारयन्ति।
(घ) उपरितः अवकरं क्षेप्तुम् उद्यतां रोजलिन् बालाः प्रबोधयन्ति ।
(ङ) बालैः सह रोजलिन् अपि मार्गे विकीर्णमवकरं यथास्थानं प्रक्षिपति ।
(च) शाकफलानामावरणैः सह प्लास्टिकस्यूतमपि खादन्तीं धेनुं बालकाः कदलीफलानि भोजयन्ति ।
(छ) प्लास्टिकस्य विविधान्पक्षान् विचारयितुं पर्यावरणसंरक्षणेन् पशूनेत्यादीन् रक्षितुं बालाः कृतनिश्चयाः भवन्ति।
(ज) अन्ते बालाः जलविहारं कृत्वा प्रसीदन्ति ।