kath Dhatu ke Roop In Sanskrit | कथ् धातु के रुप संस्कृत में | कथ् परस्मैपदी धातु रुप
आज हम इस पोस्ट में कथ् धातु के रुप कैसे लिखें। Kath Dhatu ke Roop इसे यादे कैसे करें इसके बारे जानकारी देने वाले हैं। कथ् धातु के रुप तीन लकारो में चलते हैं। कथ् धातु लट् लकार, कथ् धातु लृट लकार ,कथ् धातु लड़् लकार , कथ् धातु लोट् लकार और कथ् धातु विधिलिंग लकार के बारे में जानेंगे। Today in this post we will learn how to write the form of Katha Dhatu. Or they are going to give information about how to remember it. The forms of Katha Dhatu move in three lakaros. We will learn about Katha Dhatu Latkar, Katha Dhatu Lrit Lkar, Katha Dhatu Ladkar, Katha Dhatu Lot Lkar and Katha Dhatu Vidhilinga Lkar.
यहां पढ़ें कथ् धातु रूप के पांचो लकार संस्कृत भाषा में। कथ् धातु का अर्थ होता है ‘कहना’। कथ् धातु रूप के सभी लकारों में धातु रूप नीचे दिये गये हैं।
परिभाषा-क्रिया का निर्माण जिससे होता है, उसके मूल रूप को संस्कृत में ‘धातु’ कहा जाता है। जैसे पठ् या लिख धातु है और इनसे पठति, लिखतु आदि क्रियापद बनते हैं। संस्कृत में दस लकार होते हैं।पाठ्यक्रम में पाँच लकार निर्धारित हैं, जिनका परिचय इस प्रकार है-
- लट् लकार-वर्तमान काल की क्रिया में लट् लकार आता है। अर्थात् जिस क्रिया से वर्तमान काल का बोध होता है, उसमें लट् लकार आता है। जैसे-छात्रः पठति, त्वं लिखसि, आवां क्रीडावः आदि।
- लोट् लकार-आज्ञा काल या आज्ञा देने के अर्थ में क्रिया के रूप लोट् लकार में चलते हैं। जैसे सः पठतु, त्वम्, पठ, अहं पठानि आदि।
- लङ् लकार-भूतकाल के लिए यह लकार आता है। इसमें धातु से पहले सर्वत्र ‘अ’ जुड़कर क्रिया-पद बनता है। जैसे-अपठत्, अपठः आदि।
- विधिलिङ् लकार-‘चाहिए’ अर्थ में, प्रार्थना या निवेदन करने के अर्थ में विधिलिङ् लकार प्रयुक्त होता है।
- लुट् लकार-भविष्यत् काल की क्रिया में लुट् लकार आता है। इसमें सेट् धातुओं में ‘स्य’ तथा अनिट् धातुओं में ‘इस्य’ लगता है। जैसे-पठिष्यति, भविष्यति, दास्यामि, वक्ष्यसि आदि।
लकार के पुरुष-प्रत्येक लकार के तीन पुरुष होते हैं-
(1) प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष,
(2) मध्यम पुरुष और
(3) उत्तम पुरुष
Kath Dhatu Roop लट् लकार-वर्तमान काल
पुरुष: | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष: | कथयति | कथयत: | कथयन्ति |
मध्यम पुरुष: | कथयसि | कथयथ: | कथयथ |
उत्तम पुरुष: | कथयामि | कथयाव: | कथयाम: |
लृट् लकार Kath Dhatu Roop -भविष्यत् काल
पुरुष: | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष: | कथयतु | कथयताम् | कथयन्तु |
मध्यम पुरुष: | कथय | कथयतम् | कथयत |
उत्तम पुरुष: | कथयानि | कथयाव | कथयाम |
Kath Dhatu लङ् लकार-भूतकाल
पुरुष: | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष: | अकथयथ् | अकथयताम् | अकथयन् |
मध्यम पुरुष: | अकथय: | अकथयतम् | अकथयत |
उत्तम पुरुष: | अकथयम् | अकथयाव | अकथयाम |
Kath Roop लोट् लकार-आज्ञा काल
पुरुष: | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष: | कथयतु | कथयताम् | कथयन्तु |
मध्यम पुरुष: | कथय | कथयतम् | कथयत |
उत्तम पुरुष: | कथयानि | कथयाव | कथयाम |
Kath Dhatu Roop विधिलिङ् लकार-‘चाहिए’ अर्थ में
पुरुष: | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
---|---|---|---|
प्रथम पुरुष: | कथयेत् | कथयेताम् | कथयेयु: |
मध्यम पुरुष: | कथये: | कथयेतम् | कथयेत |
उत्तम पुरुष: | कथयेयम् | कथयेव | कथयेम |
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