रेडियो जनसंचार माध्यम|Rbse Class 12 Hindi Aroh Janasanchaar maadhyam redio
रेडियो कैसा माध्यम है ?
रेडियो श्रव्य माध्यम है। इसमें सब कुछ ध्वनि, स्वर और शब्दों पर आधारित होता है। रेडियो पत्रकारों को अपने श्रोताओं की रुचि का ध्यान रखना परम आवश्यक है। समाचार-पत्र के पाठकों को यह सुविधा है कि वे जब चाहें तब पढ़ें, कहीं से भी पढ़ें। यदि किसी समाचार या लेख को पढ़ते हुए कोई बात अस्पष्ट लगे या समझ में ही न आए तो पाठक उसे पुनः पढ़ सकता है, किसी की सहायता से समझ सकता है या शब्दकोश का प्रयोग कर उसका अर्थ निकाल सकता है। परंतु रेडियो के श्रोता को यह सुविधा नहीं मिलती। उसे बुलेटिन के समय की प्रतीक्षा करनी पड़ेगी, प्रारंभ से अंत तक बुलेटिन को धैर्यपूर्वक बिना इधर-उधर जाये सुनना पड़ेगा। उस समय वह शब्दकोश की सहायता भी नहीं ले सकता। यदि श्रोता को रेडियो बुलेटिन में कुछ अरुचिकर या भ्रामक लगता है तो यह संभव है कि वह उस बुलेटिन को सुनना ही बंद कर दे। इन सभी कारणों से रेडियो को श्रोताओं से संचालित माध्यम माना जाता है।
उल्टा पिरामिड शैली क्या है | रेडियो माध्यम
समाचार-पत्रों या टेलीविजन की भाँति रेडियो समाचार की संरचन उल्टा पिरामिड शैली पर आधारित होती है। प्रत्येक माध्यम के लिए समाचार लिखने में सबसे प्रभावी, प्रचलित एवं लोकप्रिय शैली यही मानी जाती है। जनसंचार के सभी साधनों में लगभग नब्बे प्रतिशत समाचार इसी शैली में लिखे जाते हैं।
उल्टा पिरामिड शैली में समाचार की सबसे मुख्य बात को पहले लिखते हैं तत्पश्चात् घटते महत्वक्रम में दूसरी बातों लिखा या बताया जाता है। इस शैली में कहानी की भाँति चरमोत्कर्ष नहीं होता ।
रेडियो की उल्टा पिरामिड शैली के अंतर्गत समाचार को तीन भागों में बाँटते हैं– इंट्रो, बॉडी तथा समापन समाचार के इंट्रो या लीड को हिन्दी में मुखड़ा कहते हैं, जैसे- अजमेर के पुष्कर में पहाड़ी से उतरते समय बस दुर्घटना में दस लोगों की मृत्यु हो गई। इसके बाद बॉडी में समाचार के विस्तृत विवरण को घटते महत्व क्रम में लिखा जाता है। इस शैली में समापन का कोई महत्व नहीं ।
रेडियो के लिए समाचार लेखन की बुनियादी बातें- रेडियो के लिए समाचार कॉपी तैयार करते समय निम्न दो बातों पर विशेष ध्यान रखना चाहिए-
(i) साफ सुथरी और टाइप की हुई कॉपी
(ii) डेड लाइन, संदर्भ और संक्षिप्ताक्षर का प्रयोग ।
रेडियो समाचार सुनने के लिए होते हैं अतः इसके लेखन में साफ-सुथरी और टाइप की हुई कॉपी का होना परम आवश्यक है। समाचारों को सुनाने से पूर्व समाचार वाचक, वाचिका उन्हें पढ़ते हैं तब वह समाचार श्रोताओं तक पहुँचता है। अतः समाचार कॉपी इस प्रकार से तैयार की जानी चाहिए कि उसे पढ़ने में वाचक, वाचिका को कोई परेशानी न आए। यदि समाचार साफ लिखा या टाइप किया हुआ नहीं होगा तो वाचक, वाचिका के अटकने का अथवा गलत पढ़ने का खतरा बना रहेगा जिससे श्रोता भ्रमित हो जायेंगे। साफ लिखी या टाइप की हुई कॉपी में 10-12 शब्द से ज्यादा नहीं होने चाहिए।
रेडियो के लिए समाचार कॉपी तैयार करने में निम्न तीन बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिए।
(i) डेडलाइन – रेडियो में समाचार-पत्रों की भाँति डेडलाइन पृथक है। से नहीं होती अपितु यह समाचार से ही गुँथी हुई होती
(ii) संदर्भ – रेडियो के समाचार में समय संदर्भ की बात अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। समाचार-पत्र दिन में एक बार और वह भी प्रात:काल (कुछ स्थानों पर शाम को भी) छपकर आता है जबकि रेडियो पर चौबीसों घंटे समाचार सुनाए जाते हैं। श्रोताओं के लिए समय का फ्रेम सदैव आज होता है। अतः समाचार में आज, आज दोपहर, आज शाम आदि शब्दों का प्रयोग होता है। इसी सप्ताह, पिछले सप्ताह, इस महीने, पिछले महीने, इस साल, अगले साल आदि शब्दों का प्रयोग होना चाहिए।
(iii) संक्षिप्ताक्षर – रेडियो के लिए समाचार कॉपी तैयार करते समय संक्षिप्ताक्षर के प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए। यथासंभव इनके प्रयोग से बचना चाहिए। यदि कोई संक्षिप्ताक्षर अत्यंत लोकप्रिय हो, जैसे- यूनिसेफ, सार्क, एस. बी. बी. जे. बैंक तो इनका प्रयोग किया जा सकता है।
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3 इंटरनेट