Rbse Solutions for Class 12 Hindi Aniwaray Chapter 16 Namak|नमक
Class 12 Hindi Aaroh Chapter 16 Namak
Class 12 Hindi Aaroh Chapter 16 लेखिका परिचय-लेखिका रज़िया सज्जाद ज़हीर का जन्म 15 फरवरी, सन् 1917, अजमेर (राजस्थान) में हुआ था।
रजिया सज्जाद जहीर मूलतः उर्दू की कथाकार हैं। उन्होंने बी. ए. तक की शिक्षा घर पर रहकर ही प्राप्त की। विवाह के बाद उन्होंने इलाहाबाद से उर्दू में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1947 में वे अजमेर से लखनऊ आई और वहाँ करामत हुसैन गर्ल्स कॉलेज में पढ़ाने लगीं। सन् 1965 में उनकी नियुक्ति सोवियत सूचना विभाग में हुई। आपका निधन-18 दिसम्बर, सन् 1979 में हुआ था।आधुनिक उर्दू कथा-साहित्य में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहानी और उपन्यास दोनों लिखे हैं। उर्दू बाल-साहित्य की रचना भी की है। मौलिक सर्जन के साथ-साथ उन्होंने कई अन्य भाषाओं से उर्दू में कुछ पुस्तकों के अनुवाद भी किए हैं। रजिया जी की भाषा सहज, सरल और मुहावरेदार है। उनकी कुछ कहानियाँ देवनागरी में भी लिप्यांतरित हो चुकी हैं।
प्रमुख रचनाएँ – जर्द गुलाब (उर्दू कहानी संग्रह) सम्मान- सोवियत नेहरूपुरस्कार, उर्दू अकादेमी, उत्तरप्रदेश, अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड। रजिया सज्जाद जहीर की कहानियों में सामाजिक सद्भाव, धार्मिक सहिष्णुता और आधुनिक संदर्भों में बदलते हुए पारिवारिक मूल्यों को उभारने का सफल प्रयास मिलता है। सामाजिक यथार्थ और मानवीय गुणों का सहज सामंजस्य उनकी कहानियों की विशेषता है।
Class 12 Hindi Aaroh Chapter 16 | NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aniwaray Aaroh Chapter 16 नमक
महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ
1.
जब सफिया ने कई बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी इसके बारे में घर की बहू से पूछा उन्हें बताया गया कि ये मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहौर जा रही हैं अपने भाइयों से मिलने, जिन्हें इन्होंने कई साल से नहीं देखा । लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर सफिया के पास आ बैठीं और उसे बताने लगी कि उनका लाहौर कितना प्यारा शहर है। वहाँ के लोग कैसे खूबसूरत होते हैं, उम्दा खाने और नफीस कपड़ों के शौकीन, सैर-सपाटे के रसिया, जिंदादिली की तसवीर ।
कीर्तन होता रहा । वे आहिस्ता-आहिस्ता बातें करती रहीं। सफिया ने दो-एक बार बीच में पूछा भी, “माता जी, आपको तो यहाँ आए बहुत साल हो गए होंगे।” “हाँ बेटी ! जब हिंदुस्तान बना था तभी आए थे। वैसे तो अब यहाँ भी हमारी कोठी बन गई है। बिजनेस है, सब ठीक ही है, पर लाहौर बहुत याद आता है। हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।”फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं। बात आगे चल पड़ती, मगर घूम-फिरकर फिर उसी जगह पर आ जाती–‘साडा लाहौर’।
संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2′ में संकलित पाठ “नमक’ से लिया गया है। इसकी लेखिका ‘रजिया सज्जाद जहीर’ हैं।
प्रसंग-सफिया अपने पड़ोस में रहने वाली सिख परिवार के यहाँ कीर्तन में गई हुई थी। वहाँ लाहौर से भारत में आ बसे सिख परिवार की मुखिया की शक्ल और हाव-भाव उसकी माँ से बहुत मिल रहे थे।
व्याख्या—जब सफिया ने कई बार उनकी तरफ बड़े प्यार से देखा तो उन्होंने (सिख बीबी) भी अपने घर की बहू से उसके बारे में पूछा। तब बहू ने बताया कि वह मुसलमान थे। कल सुबह ही सफिया लाहौर जा रही थी। वहाँ उसके भाई रहते थे। उन्होंने बहिन को कई साल से नहीं देखा था।लाहौर का नाम सुनते ही वह (सिख बीबी) उठकर सफिया के पास आकर बैठ गईं। वे सफिया को बताने लगीं कि उनका (वतन) लाहौर बड़ा प्यारा शहर था। वहाँ के लोग बड़े खूबसूरत होते थे। बढ़िया खाने और कीमती कपड़ों के शौकीन थे। उन लोगों को घूमने-फिरने का भी बड़ा शौक हुआ करता था।
जिंदादिली (उदारता ) में तो वे लोग जीती-जागती तस्वीर हुआ करते थे।उधर कीर्तन बराबर चल रहा था। उन दोनों में धीरे-धीरे बातें चलती रहीं। सफिया ने बातों में ही उनसे एक बार बीच में पूछा भी कि उनको भारत में आए बहुत साल हो गए होंगे? उन्होंने हाँ में जवाब देते हुए कहा कि जब सन् 1947 मैं हिन्दुस्तान बना, तभी वे लोग भारत आ गए थे।बीबी ने सफिया को बताया कि भारत में भी उनकी कोठी बन चुकी थी। यहीं उनका सारा व्यापार भी चल रहा था। वे लोग आराम से भारत में रह रहे थे। लेकिन उन्हें अपने वतन (लाहौर) की बहुत याद आती थी। बीबी ने कहा कि उनका मूल वतन (निवास स्थान) तो लाहौर ही है। यह सब कहते-कहते सिख बीबी की पलकों से कुछ आँसू टपक पड़े और उनके सफेद दुपट्टे में समा गए।
बातें आगे बढ़ती थीं, लेकिन घूम-फिर कर इसी मार्मिक स्मृति पर आ जाती थी। सिख बीबी कह उठती थीं- ‘साडा’ (हमारा) लाहौर’।
विशेष-(1) 1947 में भारत के दो टुकड़े हो गए। एक को नाम मिला ‘हिन्दुस्तान’ और दूसरे को पाकिस्तान। इसके साथ ही दोनों देशों के लाखों लोगों को अपने घर-बार, सम्पत्ति-व्यापार, पड़ोस छोड़कर, दूसरे देश में जाना पड़ा था। मुस्लिम आबादी पाकिस्तान को और हिन्दू आबादी को भारत माना । इस बँटवारे में लाखों परिवारों की हत्याएँ हुईं। (2) कहानी में उस बँटवारे की कुछ मार्मिक यादों की चर्चा हुई
Class 12 Hindi Aaroh Chapter 16 | Class 12 Hindi RBSE Solution for Aroh Chapter 16 Namak
2.
अब तक सफ़िया का गुस्सा उतर चुका था । भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी । नमक की पुड़िया ले तो जानी है, पर कैसे ? अच्छा, अगर इसे हाथ में ले लें और कस्टमवालों के सामने सबसे पहले इसी को रख दें ? लेकिन अगर कस्टमवालों ने न जाने दिया! तो मजबूरी है, छोड़ देंगे । लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी माँ से किया था ? हम अपने को सैयद कहते हैं । फिर वायदा करके झुठलाने के क्या मायने ? जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा मगर कैसे ? अच्छा, अगर इसे कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला कौन इसे देखेगा ? और अगर देख लिया ? नहीं जी, फलों की टोकरियाँ तो आते वक्त भी किसी की नहीं देखी जा रही थीं। उधर से केले, इधर से कीनू सब ही ला रहे थे, ले जा रहे थे यही ठीक है, फिर देखा जाएगा।
संदर्भ– – प्रस्तुत गद्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित पाठ ‘नमक’ से लिया गया है। इसकी लेखिका ‘रजिया सज्जाद जहीर’ हैं।
प्रसंग– भाई के साथ उग्र बहस करने के बाद सफिया का सारा गुस्सा ठंडा हो गया और लाहौर से लौटने की तैयारी में अपना सामान बाँधने लगी।
व्याख्या– भाई द्वारा अदीबों, कस्टम वालों को लेकर कुछ व्यंग्य किए तो सफिया ने भी उनका व्यंग्यों में ही जवाब दिया। इसके बाद धीरे-धीरे उसके गुस्से का बुखार उतर गया। उसने भावुकता में आकर कुछ तीखे संवाद बोल दिए थे, पर अब भावना का स्थान बुद्धि ले रही थी।वह सोच रही थी कि उसे नमक की पुड़िया तो अवश्य ले जानी थी पर यह काम कैसे सम्पन्न हो ? पहले उसने सोचा कि पुड़िया वह हाथ में लेकर चले और सबसे पहले उसी को रख दे। अगर कस्टम वाले न जाने दें तो फिर मजबूरीवश छोड़ जाएँगे। लेकिन वह माँ समान सिख बीबी को क्या जवाब देगी ?
सहसा सफिया को ख्याल आया कि वे तो सैयद कहे जाते हैं और सैयद एक बार जो वायदा कर लेते हैं उसे पूरा करके ही मानते हैं। चाहे जान भी क्यों न चली जाय, वह वायदा पूरा करके रहेगी। तभी झटका लगा कि आखिर वायदा पूरा होगा, तो कैसे ?फिर सफिया ने एक युक्ति सोची कि पुड़िया को कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे दबा दिया जाय तो कैसा रहे! कीनुओं के ढेर के नीचे से उसे ढूँढ़ निकालना किसी के लिए भी आसान न होगा। फिर शंका हुई अगर किसी कस्टम वाले ने पुड़िया को देख लिया तो क्या होगा ? फिर मन को समझाया कि लाहौर आते वक्त भी किसी की फलों की टोकरियों की तलाशी नहीं ली जा रही थी।
Class 12 Hindi Aaroh Chapter 16|Rbse Solution for Class 12 Hindi Aniwaray Aroh Chapter 16 Questions & Answer
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया ?
उत्तर- सफ़िया का भाई पाकिस्तान में एक बड़ा पुलिस अफसर था । सफ़िया ने जब उससे पूछा कि क्या वह थोड़ा-सा लाहौरी नमक अपने साथ भारत ले जा सकती है, तो उसने मना कर दिया। उसने कहा कि भारत में पाकिस्तान से नमक ले जाना गैर-कानूनी है और कस्टम पर उसको इसकी इजाजत नहीं मिलेगी। नमक भारत में भी होता है। अतः इसकी ज़रूरत नहीं है ।
प्रश्न 2. नमक की पुड़िया ले जाने के सम्बन्ध में सफिया के मन में क्या द्वन्द्व था ?
उत्तर- सिख बीबी की शक्ल सफ़िया की माँ की तरह थी। सफ़िया ने उनको नमक लाने का वचन दिया था। पाकिस्तान से नमक भारत लाना गैर-कानूनी था। अतः सफ़िया का मन इस सम्बन्ध में द्वन्द्व में पड़ा हुआ था कि वह उसे कैसे ले जाए ? वह नमक को चोरी-छिपे ले जाना नहीं चाहती थी और दिखाकर ले जाने में रोके जाने का डर था। उसने अंत में यह निश्चय किया कि प्रेम की यह भेंट चोरी से नहीं जाएगी। अतः उसने नमक की पुड़िया के बारे में अधिकारियों को बता दिया। अधिकारियों ने भी प्रेम की इस भेंट को ले जाने से नहीं रोका।
प्रश्न 3. जब सफिया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे ?
उत्तर- कस्टम ऑफिसर गुप्त सफिया की बातें सुनकर भावुक हो गए थे । उन्हें अपनी जन्मभूमि ढाका की याद आ गई थी । वह उसी की यादों में खोए हुए विभाजन की त्रासदी के बारे में सोच रहे थे।
प्रश्न 4. ‘लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा’ या ‘मेरा वतन ढाका है’ जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं ?
उत्तर- इस कहानी के तीन प्रमुख पात्र हैं। पहली सिख बीबी जो लाहौर को अपना वतन बताती है। दूसरे पाकिस्तानी कस्टम ऑफिसर जो दिल्ली को अपना वतन मानते हैं और तीसरे भारतीय कस्टम ऑफिसर गुप्त जो अपना वतन ढाका मानते हैं । ये बातें इस सामाजिक यथार्थ की ओर संकेत करती हैं कि भारत का विभाजन लोगों की भावनाओं को नहीं बाँट सका है। अपनी जन्मभूमि के प्रति उनका प्यार पहले जैसा ही है।
प्रश्न 5. नमक ले जाने के बारे में सफिया के मन में उठे द्वन्द्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- सफिया का अन्तर्द्वन्द्व-सिख बीबी को अपनी माँ का हमशक्ल पाकर उसके प्रति सफ़िया के मन में मातृभाव उत्पन्न हो गया । उसने सफ़िया से पाकिस्तान से थोड़ा नमक लाने की इच्छा व्यक्त की । ने उसे पूरा करने का निश्चय कर लिया परन्तु पाकिस्तान से भारत नमक लाना कानून के विरुद्ध था । सफ़िया अपने निश्चय पर दृढ़ थी। उसने सोचा वह नमक तो अवश्य ले जाएगी। भले ही चोरी से ले जाना पड़े। उसने नमक की पुड़िया फलों की टोकरी में छिपा दी परन्तु उसे यह विचार उचित न लगा । वह प्रेम की सौगात को चोरी से नहीं ले जाना चाहती थी। उसने उसे दिखाकर ले जाने का निश्चय किया । उसको विश्वास था कि कस्टम वाले भी मनुष्य होते हैं तथा मोहब्बत और मानवता की भावनाएँ उनके दिल में भी होती हैं।
चारित्रिक विशेषताएँ- नमक भारत ले जाने न ले जाने अथवा चोरी से या कह सुनकर ले जाने के विषय में जो द्वन्द्व सफ़िया के मन में उठे हैं, उनका कारण सफ़िया का उदार तथा साम्प्रदायिक भावनाओं से अप्रभावित होना है। उसके मन में मानवीयता, मोहब्बत और अपनेपन की भावना भरी हुई है। उसको कस्टम वालों की भी इंसानियत पर पूरा विश्वास है। वह कानून को इंसानियत और मुहब्बत से ऊपर नहीं मानती। अपने विश्वास से वह दोनों देशों के कस्टम अधिकारियों को प्रभावित करने में सफल होती है। सफ़िया अपने वायदे की पक्की है और उसे पवित्र साधनों से ही पूरा भी करती है ।
प्रश्न 6. मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता बँट नहीं जाती है-उचित तर्कों व उदाहरणों के जरिये इसकी पुष्टि करें।
उत्तर- राजनीतिक आधार पर किसी देश का बँटवारा उसको नक्शे में तो अलग-अलग कर सकता है लेकिन उस देश की जनता के दिलों को नहीं बाँट सकता। भारत का विभाजन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। कहानी के पात्रों सिख महिला और कस्टम ऑफिसरों की भावनाएँ उपर्युक्त तथ्य को प्रमाणित करती हैं। भारत का विभाजन राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के कारण हुआ न कि जनता की भावनाओं के आधार पर
प्रश्न 7. ‘नमक’ कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे ?
उत्तर- भारत और पाकिस्तान का विभाजन राजनैतिक कारणों से हुआ था और साम्प्रदायिकता के कारण उसको बल मिला था। भेद-भावों को जन्म देने वाले भी राजनैतिक नेता, बड़े अधिकारी तथा विशिष्ट वर्ग के लोग ही हैं। प्रतिबंधित लाहौरी नमक का भारत पहुँच जाना और अनेक ऐसी ही घटनाएँ दोनों देशों की जनता के बीच बनने वाले मोहब्बत के सेतु हैं। मोहब्बत का यह नमकीन स्वाद सारे आरोपित भेदभावों को लाँघकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता रहता है ।
क्यों कहा गया ?
प्रश्न 1. क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमीयत, इंसानियत के नहीं होते ?
उत्तर-सफ़िया का भाई लाहौर में बड़ा पुलिस ऑफिसर है। वह लाहौरी नमक भारत ले जाने को गैर-कानूनी बताकर मना करता है। प्रत्युत्तर में सफ़िया ने उससे यह बात कही है। उसके कथन का तात्पर्य यह है कि मानवता, मोहब्बत, सद्भाव और सहानुभूति कानून से ऊपर हैं। ये उदात्त भाव हैं, जिन पर कानून का वर्चस्व उचित नहीं है।
प्रश्न 2. भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी ।
उत्तर-सफ़िया को अपने दिए गए वचन तथा मोहब्बत की भावना की चिन्ता थी । उसने भावना में बहकर कह दिया था-चाहे जो हो वह नमक अवश्य ले जाएगी। धीरे-धीरे उसकी मनःस्थिति सामान्य होने लगी और वह अपनी बुद्धि का प्रयोग करके नमक ले जाने के उपायों के बारे में सोचने लगी।
प्रश्न 3. मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।
उत्तर- उपर्युक्त कथन पाकिस्तान कस्टम ऑफ़िसर का है जो उसने सफ़िया से कहा है सफ़िया की भावनाओं का आदर करते हुए उसने नमक की पुड़िया सफ़िया को लौटा दी और कहा कि प्रेम की भावना पर कस्टम के प्रतिबन्ध का नियम प्रभावी नहीं हो सकता । स्वदेश और उससे सम्बन्धित चीजों और लोगों के प्रति प्रेम का महत्त्व समझने के कारण ही कस्टम अधिकारी ने ये शब्द कहे हैं।
प्रश्न 4. हमारी जमीन, हमारे पानी का मजा ही कुछ और है।
उत्तर- अपनी जन्मभूमि से हर व्यक्ति को गहरा लगाव होता है । वहाँ की हर वस्तु उसे प्यारी लगती है। भारतीय कस्टम अधिकारी सुनीलदास का यह कथन इसी तथ्य को प्रमाणित करता है।
प्रश्न 5. फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं ।
उत्तर- सिख बीबी विभाजन के बाद भारत में आकर रहने लगी है। यहाँ उसका मकान और व्यापार है। सब ठीक है परन्तु उसका मन लाहौर में ही रमा हुआ है। सफिया से बातें करते हुए लाहौर का जिक्र करके वह भावुक हो उठती हैं और आँखों से आँसू गिरकर उसके सफेद दुपट्टे में समा जाते हैं ।
प्रश्न 6. किसका वतन कहाँ है- वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ ?
उत्तर- पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी अपना वतन दिल्ली को, भारतीय कस्टम अधिकारी सुनीलदास गुप्त अपना वतन ढाका को और सिख बीबी अपना वतन कस्टम के उस पार लाहौर को बताते हैं। यह सब सुनकर सफिया के लिए यह निर्णय कर पाना कठिन हो रहा था कि किसका वतन कहाँ है। कस्टम और सरहद से इसका फैसला नहीं हो सकता था ।
पाठ के आसपास
Rbse class 12 Hindi Aaroh Chapter 16 video solution
प्रश्न 1. ‘नमक’ कहानी में हिन्दुस्तान पाकिस्तान के रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान सन्दर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- कहानी में सफिया, सिख बीबी, सुनीलदास और पाकिस्तानी कस्टम ऑफिसर के चरित्रों द्वारा दोनों देश के नागरिकों की भावनाओं और संवेदनाओं को उभारा गया है। लेकिन वर्तमान संदर्भ में स्थितियाँ बहुत बदल चुकी हैं। दोनों देशों के बीच शत्रुभाव और युद्धों ने नई पीढ़ी की सोच को बदल डाला है। राजनैतिक और कट्टर लोग दोनों देशों की जनता को करीब नहीं आने देना चाहते। आतंकवाद ने दोनों देशों के दिलों में बहुत कड़वापन घोल दिया है। अब अगर कोई संपर्क और नजदीकियाँ सम्भव भी हुई तो वे भावनात्मक न होकर व्यावहारिक होंगी। वैसे नई पीढ़ियों से आशा है कि वे अतीत के कूड़े-करकट को न ढोकर वर्तमान के आधार पर अपने रिश्ते तय करेंगे
प्रश्न 2. सफिया की मनःस्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप सफिया की जगह होती तो क्या आपकी मनः स्थिति भी वैसी ही होती ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- सफिया’ नमक’ कहानी की प्रधान पात्र है। वह भारत से पाकिस्तान यात्रा पर आई है और अब वापस लौट रही है। एक सिख महिला में अपनी माँ की छवि देखकर उसे उससे गहरा लगाव हो गया है । उस महिला ने उससे लाहौर से नमक मँगाया है। पाकिस्तान से भारत नमक ले जाने पर पाबंदी है। सफिया का भाई उसे कस्टम वालों की कड़ाई का डर दिखाता है लेकिन उसे अपना वायदा निभाना है। यही वह विशिष्ट संदर्भ है जिसमें सफिया की मनःस्थिति का चित्रण हुआ है।
नमक की पुड़िया को लेकर उसका मन ऊहापोह की स्थिति में रहता है। वह नमक को छिपाकर नहीं ले जाना चाहती। रास्ते में दो बार उसका कस्टम वालों से सामना होता है और उसकी सचाई, साफगोई और मानवीय संवेदना में विश्वास उसकी सहायता करते हैं । सफिया की जगह अगर हम होते तो हमारी मनःस्थिति भी लगभग ऐसी ही होती ।