शानच् प्रत्यय संस्कृत में | शानच् प्रत्यय के उदाहरण
Shanach pratyay in Sanskrit – शानच् प्रत्यय का प्रयोग वर्तमान काल के अर्थ में आत्मनेपदी धातुओं के साथ किया जाता है। शानच् प्रत्यय में से ‘श्’ और ‘च’ की इत्संज्ञा अर्थात् लोप हो जाता है तथा ‘आन’ शेष रहता है। शानच् प्रत्ययान्त शब्द का प्रयोग विशेषण की भांति होता है। इसके रुप तीनों लिंगों में चलते हैं।
शानच् प्रत्यय की पहचान:- आन/मान/शान
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | नपुंसकलिंग |
आन: | आना | आनम् |
मान: | माना | मानम् |
शान: | शाना | शानम् |
शानच् प्रत्यय के 50 उदाहरण
प्रकृति+प्रत्यय | पुंल्लिङ्ग | स्त्रीलिङ्गम् | नपुंसकलिङ्गम् |
सेव्+शानच् | सेवमान: | सेवमाना | सेवमानम् |
पच्+शानच् | पचमान: | पचमाना | पचमानम् |
मुद्+शानच् | मोदमान: | मोदमाना | मोदमानम् |
विद्य+शानच् | विद्यमान: | विद्यमाना | विद्यमानम् |
वृत्+शानच् | वर्तमान: | वर्तमाना | वर्तमानम् |
कम्प्+शानच् | कम्पमान: | कम्पमाना | कम्पमानम् |
भाष्+शानच् | भाषमान: | भाषमाना | भाषमानम् |
मन्+शानच् | मन्यमान: | मन्यमाना | मन्यमानम् |
मृ+शानच् | म्रियमान: | म्रियमाना | म्रियमानम् |
शुभ्+शानच् | शोभमान: | शोभमाना | शोभमानम् |
कृ+शानच् | कुर्वाण: | कुर्वाणा | कुर्वाणम् |
लभ्+शानच् | लभमान: | लभमाना | लभमानम् |
व्यथ्+शानच् | व्यथमान: | व्यथमाना | व्यथमानम् |
शड़्क+शानच् | शंकमान: | शंकमाना | शंकमानम् |
शिक्ष्+शानच् | शिक्षमाण: | शिक्षमाणा | शिक्षमाणम् |
धा+शानच् | दधान: | दधाना | दधानम् |
ब्रू+शानच् | ब्रुवाण: | ब्रुवाणा | ब्रुवाणम् |
यज्+शानच् | यजमान: | यजमाना | यजमानम् |
शी+शानच् | शयान: | शयाना | शयानम् |
दा+शानच् | ददान: | ददाना | ददानम् |
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